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समाजबादी पार्टी ने की नए उमीद्बारो की लिस्ट जारी ,56 उमीद्बारो के नाम शामिल

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डिजिटल भारत I यूपी के सियासी दंगल में तैयारियां तेज हैं, आरोप-प्रत्यारोपों के बीच उम्मीदवारों का एलान भी किया जा रहा है. समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की है, जिसमें 56 उम्मीदवारों के नाम हैं. सपा ने अब तक यूपी की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 254 सीटों पर प्रत्याशियों को उतारा है. योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोरखपुर सदर के प्रत्याशी की घोषणा इस सूची में भी नहीं हुई है.

अम्बेडकरनगर की कटेहरी से लालजी वर्मा, अकबरपुर से रामअचल राजभर, सिद्धार्थनगर की इटवा से माता प्रसाद पांडेय, गोरखपुर की चिल्लूपार से विनय शंकर तिवारी को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं आज़मगढ़ की फूलपुर पवई से रमाकांत यादव, मऊ की घोसी से दारा सिंह चौहान, बलिया की बांसडीह से रामगोविंद चौधरी मैदान में हैं. इसके अलावा गाज़ीपुर की जमानिया से ओम प्रकाश सिंह और चंदौली की सकलडीहा से पीएन यादव प्रत्याशी होंगे.

अखिलेश यादव की सीट

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी गई. अखिलेश यादव को मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया. इस सूची में पहले और दूसरे चरण के लगभग सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई थी. इस दौरान पार्टी द्वारा जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है

जाति समीकरण

सपा प्रत्याशियों की पहली सूची को वर्ग के हिसाब से देखा जाए तब भी वह संतुलित नजर आती है. पार्टी ने 32 दलित, 31 मुस्लिम, 11 ब्राम्हण, 9 वैश्य, 5 ठाकुर और 3 सिख प्रत्याशियों को टिकट दिया है. इस सूची में अखिलेश यादव ने बसपा से आए तीन, कांग्रेस और भाजपा से आए दो-दो नेताओं को टिकट दिया था.

कब आएंगे परिणाम

बता दें कि यूपी में सात चरणों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. पहले चरण के लिए 14 जनवरी से ही नामांकन प्रक्रिया शुरु हो गई थी. वहीं 10 फरवरी को पहले चरण का मतदान होना है. जबकि विधानसभा चुनावों का परिणाम 10 मार्च को आएगा.

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योगी आदित्यनाथ डैमेज कंट्रोल करने में कामयाब रहे या फिर….?

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पिछले सोमवार से लेकर इस सोमवार के बीच की जिन दो घटनाओं ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो हलचल मचाई है, उससे अंदाज़ा हो रहा है कि आने वाले दिनों में राजनीतिक गहमागहमी कितनी तेज़ी से बढ़ेगी.

इस गहमागहमी के केंद्र में हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. पहला वाक़या पिछले सोमवार की रात उनके गृह जनपद गोरखपुर के एक होटल में कानपुर के एक कारोबारी की पुलिस की कथित पिटाई से हुई मौत से जुड़ा था. रामगढ़ताल थाने के प्रभारी, गोरखपुर के पुलिस अधीक्षक और ज़िलाधिकारी की भूमिका पर सवालिया निशान लगे.

ऐसी पृष्ठभूमि के बीच योगी आदित्यनाथ दो दिन की यात्रा पर गोरखपुर पहुंचे थे. कानपुर के व्यापारी की मौत के बाद की स्थितियों को उन्होंने बड़ी तेज़ी से संभाला था. उन्होंने व्यापारी की पत्नी को सरकारी नौकरी और 40 लाख रुपये की मदद की घोषणा करके विपक्ष को इसे मुद्दा नहीं बनाने दिया.

हालांकि ज़िले के पुलिस अधीक्षक और ज़िलाधिकारी का समझौता कराने की कोशिशों वाला वीडियो वायरल होने की वजह से उम्मीद की जा रही थी कि इन अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी, लेकिन वह नहीं हुआ.

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उत्त र प्रदेश के मुख्यममंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव से ठीक पहले धर्मांतरण रैकेट पर तगड़ा चोट

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डिजिटल भारत: हम सब जानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्वग के मुद्दे पर लगातार मुखर रही है। अयोध्याक में बन रहा भव्य  राम मंदिर बीजेपी के चुनावी एजेंडे में प्रमुखता से शामिल है। हिंदुत्व। का झंडा लेकर चलने वाली इस पार्टी को पता है कि अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन करने वालों पर ऐक्शैन लेकर किस तरह चुनावी फिजा बनाई जा सकती है। खुद मुख्य मंत्री योगी आदित्यैनाथ धर्मांतरण के मुद्दे पर अपने कड़े विचार जाहिर कर चुके हैं। कि यह सिर्फ जबरन धर्म परिवर्तन का मुद्दा नहीं है बल्कि राष्ट्री य सुरक्षा का मसला है। यही वजह रही कि पिछले साल विधानसभा में बाकायदा विधेयक पास करवा कर कड़ा कानून बना दिया गया है। इस कानून के तहत अब तक सैकड़ों आरोपी पकड़े जा चुके हैं

उत्त र प्रदेश के मुख्यामंत्री योगी आदित्यअनाथ धर्म परिवर्तन के मामलों पर लगातार सख्ती रुख दिखा रहे हैं। राज्य  में लगातार बढ़ते ऐसे मामलों को देखते हुए गैर कानूनी धर्मांतरण विधेयक-2020 पास कर कानून बनाया जा चुका है। इस साल जून में लखनऊ पुलिस ने देश भर में 1 हजार से ज्या2दा लोगों का धर्म परिवर्तन करवा चुके दो मौलानाओं मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर को अरेस्टध किया। इन लोगों ने नौकरी, शादी और पैसे का लालच देकर अपने मंसूबे कामयाब किए। और अब मेरठ से एक और मौलाना कलीम सिद्दीकी को पकड़ा गया है। बताया जा रहा है कि इस्ला मिक स्कॉ लर सिद्दीकी को अवैध धर्मांतरण के लिए विदेश से करीब 3 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई थी। चुनावों से ठीक पहले पहले धर्मांतरण के ‘खेल’ में जुटे लोगों पर नकेल कस योगी सरकार ने जनता के बीच कड़ा संदेश देने की कोशिश की है।

मुसलमानों पर अत्याचार, कितना गिरेगी बीजेपी, चुनावी स्टंट…मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी पर गरमाई यूपी की सियासत

विपक्ष को पता है कि कैसे बीजेपी भुना सकती है  धर्मांतरण के मुद्दे को किस तरह बीजेपी यूपी चुनावों में भुना सकती है, विपक्षी पार्टियों को इसका पूरा आभास है। यही वजह है कि मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद सभी दल योगी आदित्यकनाथ सरकार पर टूट पड़े हैं। सपा, बसपा के साथ आम आदमी पार्टी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। आप नेता अमानतुल्लाह खान ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले अब मशहूर इस्लामिक स्कॉलर मौलाना कलीम सिद्दीकी साहब को गिरफ्तार किया गया है, मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है। इन मुद्दों पर सेक्यूलर पार्टियों की खामोशी बीजेपी को और मज़बूती दे रही है। यूपी चुनाव जीतने के लिए बीजेपी आखिर और कितना गिरेगी?’

सपा और बसपा ने करार दिया चुनावी हथकंडा

समाजवादी पार्टी से सांसद शफीकुर रहमान बरक ने भी योगी सरकार पर मुसलमानों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मौलाना की गिरफ्तारी गलत है। बीजेपी सरकार के पास मुसलमानों को परेशान करने के करने के अलावा कोई काम नहीं। वहीं, बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने इस गिरफ्तारी को चुनावी हथकंडा बताया है। ‘हजरत मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी बीजेपी का यूपी विधानसभा चुनाव जीतने का हथकंडा है। जनता की नाराजगी से परेशान बीजेपी लोगों में डर खौफ दहशत का माहौल पैदा करके, समाज को बांटकर चुनाव जीतना चाहती है। बीजेपी अपने नफरत के अजेंडे को तत्काल रोककर मौलाना कलीम सिद्दीकी को रिहा करे।’

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योगी के मंत्री का मायावती पर पलटवार, कहा- बेरोजगारी में सड़कों के गड्ढे गिन रहीं BSP सुप्रीमो

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लखनऊ: सड़कों की बदहाली को लेकर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के ट्वीट का सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने करारा जवाब दिया है। बुधवार को जारी बयान में खन्ना ने कहा कि कोलतार की सड़कों पर बारिश के सीजन में गड्ढे हो ही जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार इससे वाकिफ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तय समय में पूरे मानक के साथ सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का निर्देश दे चुके हैं। चूंकि अब मायावती के पास कोई काम तो है नहीं। वह दशक भर से बेरोजगारी में जी रही हैं। उनका हाथी 2012 में ही बैठ चुका है। अब वह उठने से रही। लिहाजा दिन काटने के लिए अब वह सड़कों के गड्ढे गिन रही हैं।’

सूप हंसे तो हंसे चलनी भी हंसे जिसमें 72 छेद’

कैबिनेट मंत्री ने कहा, ‘मायावती राजनीति में तो आप आईं थीं दलितों की बेटी बनकर, इसी आधार पर सत्ता में भी आई, पर बन गईं दौलत की बेटी। स्मारकों पर पानी की तरह पैसा बहाने वाले कबसे जनता की बुनियादी सुविधाओं की चिंता करने लगे। यह तो वही वाली बात हो गई कि सूप हंसे तो हंसे चलनी भी हंसे जिसमें 72 छेद। आप नाहक चिन्ता कर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनता की बुनियादी सुविधाओं की बखूबी चिंता कर रही है। इस चिंता और घड़ियाली आंसू से आपकी दौलत की बेटी के रूप में जो छबि बन चुकी है, वह बदलने से रही।’

सड़कों की बदहाली को लेकर मयावती ने किए थे ट्वीट

उन्होंने कहा, ‘अब आपको फिर से मुस्कराने का मौका मिलने से रहा। बाकी अपने संतोष के लिए आप ऐसे बयानों से कुछ देर के लिए जनता का ध्यान आकर्षित कर सकती हैं। उसके दिलो-दिमाग से आप पहले ही अपने भ्रष्टाचार के कारण उतर चुकी हैं।’ मालूम हो कि मायावती ने बुधवार को प्रदेश में सड़कों की बदहाली के बारे 2 ट्वीट किए हैं। उनके मुताबिक सड़कें लोगों की बुनियादी जरूरत व विकास से विशेषत: जुड़ी हुई हैं तथा इनके बारे में भी सरकार चाहे जितने भी नारे व दावे कर ले लेकिन यूपी के सड़कों की हालत फिर से इतनी ज्यादा खराब हो गई हैं कि लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि सड़कों में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क। उन्होंने लिखा, सरकार ध्यान दे।

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यूपी में योगी सरकार ने बंद किए 150 अवैध बूचड़खाने, 319 गौ तस्कर गिरफ्तार

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सत्ता में काबिज होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध बूचड़खानों पर हंटर चलाना शुरू कर दिया था। इसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने गायों की रक्षा और तस्करी पर रोक लगाने के अपने चल रहे मिशन के तहत 150 अवैध बूचड़खानों को बंद कर दिया है और 356 पशु माफियाओं की पहचान की है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, राज्य सरकार ने पिछले 4.5 वर्षों में यूपी गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत बुक किए गए 1823 आरोपियों और 68 तस्करों की 18 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है।

शहरी विकास विभाग के अनुसार निर्धारित मानकों का पालन नहीं करने पर कई जिलों में प्रतिदिन 300, 400 और 500 पशुओं को वध करने की क्षमता वाले 150 बूचड़खानों को बंद कर दिया गया है। वर्तमान में राज्य में निर्धारित मानकों का पालन करने वाले 35 बूचड़खाने ही चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में गाय की तस्करी हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है, जिसके कारण राज्य में लगातार हिंसा की घटनाएं होती रही हैं। बूचड़खानों के संचालन और रखरखाव के नियमों को पहले ठीक से लागू नहीं किया गया था और नियमों का पालन सुनिश्चित किए बिना अंधाधुंध बूचड़खाने खोलने के इच्छुक लोगों को अनुमति दी गई थी।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने निराश्रित गायों के लिए एक नई गाय गोद लेने की पहल भी शुरू की, ताकि किसानों को आगे आने और आवारा मवेशियों को अपनाने और उन्हें पालने के लिए प्रेरित किया जा सके। इस योजना के तहत इच्छुक किसानों और पशुपालकों को आवारा पशुओं को पालने के लिए 900 रुपये प्रति माह का भत्ता दिया जाता है। ग्रामीण विकास एवं पशुधन विभाग के अनुसार इस वर्ष जुलाई तक राज्य में 43,168 से अधिक लोगों को 83,203 से अधिक गायें दी जा चुकी हैं। राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगभग 5,86,793 गायों के आवास के लिए कुल 5,278 स्थाई गौशालाएं बनाई गई हैं।

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