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जाने चन्द्रमा के बारे में कुछ अनसुने राज, विज्ञानिको ने बतायी कुछ असाधारण बाते

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डिजिटल भारत l विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्वायत्त संगठन ‘विज्ञान प्रसार’ के वैज्ञानिक और भारतीय ज्योतिर्विज्ञान परिषद के जनसंवाद समिति के सदस्य डॉ.वी.टी.वेंकटेरन ने चंद्रमा के भूवैज्ञानिक विकास से संबंधित अहम सवालों का जवाब दिया जो उसके दक्षिण ध्रुव, जल और बर्फ की मौजूदगी के संदर्भ में अहम है। उन्होंने साथ ही भारत की महत्वकांक्षी चंद्रमा अन्वेषण योजना के बारे में भी जानकारी दी।

चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास और विकास की अवधारणा क्या है?
अनुमान के मुताबिक चांद की उम्र करीब 4.5 अरब साल है, यानी मोटे तौर पर पृथ्वी की उम्र के बराबर। पृथ्वी के चंद्रमा के निर्माण का एक प्रमुख सिद्धांत है कि मंगल ग्रह के आकार का एक खगोलीय ¨पड युवा धरती से टकराया था और इस टक्कर से निकले मलबे से अंतत: चंद्रमा का निर्माण हुआ। हालांकि, चंद्रमा से मिले भूगर्भीय सबूत संकेत देते हैं कि यह पृथ्वी से महज छह करोड़ साल युवा हो सकता है।
1)चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास और विकास की अवधारणा क्या है? दूसरे शब्दों में कहें कि वह कितना पुराना है और कब एवं कैसे इसका निर्माण हुआ?

अनुमान के मुताबिक चांद की उम्र करीब 4.5 अरब साल है, यानी मोटे तौर पर पृथ्वी की उम्र के बराबर। पृथ्वी के चंद्रमा के निर्माण का एक प्रमुख सिद्धांत है कि मंगल ग्रह के आकार का एक खगोलीय पिंड युवा धरती से टकराया था और इस टक्कर से निकले मलबे से अंतत: चंद्रमा का निर्माण हुआ। हालांकि, चंद्रमा से मिले भूगर्भीय सबूत संकेत देते हैं कि यह पृथ्वी से महज छह करोड़ साल युवा हो सकता है।

2) चंद्रमा पर पृथ्वी की तुलना में वस्तु का भार कितना होगा और क्यों?

चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के मुकाबले बहुत कम है। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के मुकाबले एक बटा छठा हिस्सा है। इसका नतीजा है कि चंद्रमा पर किसी वस्तु का वजन पृथ्वी के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से कम होगा। यह चंद्रमा के छोटे आकार और द्रव्य भार की वजह से है। उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति का पृथ्वी पर वजन 68 किलोग्राम है तो उसका चंद्रमा की सतह पर वजन महज 11 किलोग्राम होगा।

3) भारतीय वैज्ञानिक क्यों चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंडर उतारना चाहते हैं?

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव अपनी विशेषता और संभावित वैज्ञानिक मूल्य के कारण वैज्ञानिक खोज के केंद्र में बना हुआ है। माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर जल और बर्फ के बड़े भंडार हैं जो स्थायी रूप से अंधेरे में रहता है। भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए जल की मौजूदगी का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इसे पेयजल, ऑक्सीजन और रॉकेट ईंधन के तौर पर हाइड्रोजन जैसे संसाधनों में तब्दील किया जा सकता है। यह इलाका सूर्य की रोशनी से स्थायी रूप से दूर रहता है और तापमान शून्य से 50 से 10 डिग्री नीचे रहता है, इसकी वजह से रोवर या लैंडर में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आदर्श रसायनिक परिस्थिति उपलब्ध होती है जिससे वे बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।

4) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर क्या है? क्या वहां का भू्भाग या भूगर्भीय परिस्थितियां चंद्रमा के बाकी इलाकों की तरह ही हैं या हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है?

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का भूभाग और भूगर्भीय संरचना उसके अन्य इलाकों से अलग है। स्थायी रूप से छाया में रहने वाले क्रेटर (उल्कापिंडों के टकराने से बने गड्ढों) में शीत अवस्था रहती है जिससे पानी के बर्फ के रूप में जमा होने की अनुकूल स्थिति उत्पन्न होती है। दक्षिणी ध्रुव की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थिति की वजह से यहां लंबे समय तक सूर्य की रोशनी आती है जिसका इस्तेमाल सौर ऊर्जा के लिए किया जा सकता है। यह इलाका उबड़-खाबड़ बनावट से लेकर अपेक्षाकृत सपाट है जिससे अध्ययन के लिए विभिन्न वैज्ञानिक अवसर प्रदान करता है।

5) क्यों चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव स्थायी रूप से छाया में रहता है?

यह चंद्रमा के भूविज्ञान पर निर्भर करता है। चंद्रमा की धुरी पृथ्वी के चारों ओर उसकी कक्षा में हल्की सी झुकी हुई है। इसका नतीजा है कि दक्षिणी ध्रुव के कुछ इलाकों हमेशा छाया में रहते हैं। यह छाया बहुत ही ठंडे वातावरण का निर्माण करती है जहां पर तापमान बहुत नीचे जा सकता है। जमा देने वाली यह परिस्थिति बर्फ के रूप में पानी को अरबों साल तक संरक्षित रखने में सहायक है।

6) क्या चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी/बर्फ की मौजूदगी है? चंद्रयान-1 ने इसका संकेत दिया था।

हां, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इलाके में बर्फ के रूप में पानी की मौजूदगी की पृष्टि हो चुकी है। भारत द्वारा 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 सहित विभिन्न चंद्रमा मिशन से मिले आंकड़ों से संकेत मिला है कि हमेशा छाया में रहने वाले इलाके में जल अणु की मौजूदगी है। इस खोज ने चांद के उत्साहजनक स्थायी अन्वेषण की संभावनाओं को बल दिया है।

7) क्या पानी/बर्फ भविष्य में चंद्रमा पर होने वाली खोज के लिए अहम है?

बर्फ के रूप में जल भविष्य में चंद्रमा खोज और उसके आगे के लिए भी अहम संसाधन है। इसे सांस लेने वाली हवा, पेयजल और सबसे अहम रॉकेट ईंधन के लिए हाइड्रोजन व ऑक्सीजन में तब्दील किया जा सकता है। इससे अंतरिक्ष यात्रा में क्रांति आ सकती है क्योंकि इन संसाधानों को पृथ्वी से ले जाने की जरूरत नहीं होगी और लंबी अवधि के मिशन संभव हो सकेंगे।

8) क्या भारत की भविष्य में चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने की योजना है?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की मंशा जताई है लेकिन अब तक उसकी चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की कोई योजना नहीं है।

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MP News: जबलपुर में एटीएस की बड़ी कार्रवाई; प्रदेश में जड़े जमा रहा 82 लाख का इनामी नक्सली पत्नी समेत गिरफ्तार

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मप्र एटीएस ने जबलपुर में घेराबंदी के बाद नक्सली को पत्नी के साथ दबोच लिया है। आरोपी को मध्य प्रदेश में नक्सली संगठन मजबूत करने का दायित्व सौंपा गया था। गिरफ्तार नक्सली का मुख्य कार्यक्षेत्र तेलंगाना और छत्तीसगढ़ रहा है।

प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने तेलंगाना निवासी 82 लाख रुपये के इनामी नक्सलवादी को पत्नी के साथ जबलपुर से गिरफ्तार किया है। एटीएस ने आरोपी के पास से एक देशी पिस्टल, कारतूस व तीन लाख रुपये नकद बरामद किए हैं।गिरफ्तार नक्सली का मुख्य कार्यक्षेत्र तेलंगाना और छत्तीसगढ़ रहा है। आरोपी को मध्य प्रदेश में नक्सली संगठन मजबूत करने का दायित्व सौंपा गया था। एटीएस दोनों को गिरफ्तार कर भोपाल ले गयी है। 

हार्डकोर नक्सली के बीते कई दिनों से मंडला के मोतीनाला के पास होने की सूचना मुखबिर से पुलिस को मिली थी। वह मध्य प्रदेश में नक्सलवाद की जड़ें जमाने के लिए आया था। उक्त नक्सली के खिलाफ तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में मिलाकर उस पर 82 लाख का इनाम था। नक्सली अशोक रेड्डी उर्फ बलवेद 63 वर्ष का है। उसके खिलाफ हत्या, लूट, अपहरण, आगजनी, विस्फोट जैसी गंभीर धाराओं में 60 से अधिक मामले अलग-अलग राज्यों में दर्ज हैं। एटीएस ने उसकी पत्नी को भी गिरफ्तार किया है। उसकी पत्नी बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के लिए पर्चे छपवाने, माओवादी साहित्य प्रकाशित कराने, पंपलेट बनवाने, प्रेस विज्ञप्ति और बैनर-पोस्टर बनाने का कार्य करती है।

अशोक दण्डकारण्य जोनल कमेटी का सदस्य है
एटीएस के अनुसार नक्सली अशोक रेड्डी की पत्नी भी नक्सली गतिविधियों में संलिप्त है। वह प्रेस से सबंधित कार्य करती है। अशोक रेड्डी की पत्नी रैती उर्फ कुमार पोटाई छत्तीसगढ़ के नारायणपुर की रहने वाली है। अशोक रेड्डी प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य है। उसकी पत्नी रैमती माओवादी साहित्य, पर्चे, पम्पलेट, प्रेस विज्ञप्ति, बैनर, पोस्टर आदि को छपवाने का काम संभालती है।

तीन लाख नकद, पिस्टल व नक्सली साहित्य बरामद
एटीएस ने दोनों नक्सलियों के पास से एक पिस्टल, कारतूस, तीन लाख रुपये से अधिक नकदी। नक्सली साहित्य बरामद किया गया है। बताया जाता है कि रेड्डी मध्यप्रदेश में नक्सल कैडर और नेटवर्क को मजबूत करने के लिए आया था। 

बारिश के बढ़ जाती हैं गतिविधियां
पुलिस सूत्रों की मानें तो बारिश के मौसम में नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं। बारिश की वजह से पहाड़ी नदियां, नाले बहुत जल्द दफान पर आ जाते हैं। छोटे-छोटे जंगली झाड़ों के उगने, ऊंची-ऊंची घास होने से पुलिस के गश्ती दल को बहुत दूरी तक दिखाई नहीं देता। कई बार पुलिस भी बाहर के मौसम में घने जंगलनों में जाने से हिचकती है।

ऐसे में बरसात में प्रति वर्ष नक्सली गतिविधियां बढ़ जाती हैं। नक्सली बारिश में ही अपने कार्यक्षेत्र को बढ़ाने, उसके लिए कई राज्यों के नक्सली एकत्रित होकर बैठकें करने, युवाओं को नक्सलवादी बनाने के लिए सक्रिय रहते हैं।

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CM Shivraj in Shahdol: शहडोल से आज राज्य स्तरीय स्कूटी वितरण का शुभारंभ करेंगे सीएम शिवराज

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CM Shivraj in Shahdol: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शहडोल दौरे पर रहेंगे। शहडोल के पालिटेक्निक मैदान से मुख्यमंत्री राज्य स्तरीय स्कूटी वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे और जनदर्शन कार्यक्रम में भी शामिल होंगे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज 23 अगस्त को शहडोल दौरे पर रहेंगे। यहां वे राज्य स्तरीय स्कूटी वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे और जनदर्शन कार्यक्रम में भी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री प्रदेश के 7 हजार 900 हायर सेकेंडरी स्कूलों के मेधावी छात्रों को स्कूटी की सौगात देंगे, जिसमे शहडोल जिले के 144 मेधावी विद्यार्थी शामिल है। सुबह 11.00 सीएम जमुई हेलीपैड में उतरेंगे। इसके बाद लल्लू सिंह चौराहे से गांधी चौक तक लाड़ली बहनों के द्वारा बाइक रैली से स्वागत किया जाएगा। इस रैली में शामिल होकर सीएम गांधी चौक से रोड शो शुरु करेंगे, जिसमें विभिन्न संगठनों व लोगों से मिलते हुए सभा स्थल पालिटेक्निक मैदान जाएंगे।

30 हजार से ज्यादा लोगों की बैठक व्यवस्था

गांधी चौक में 40 सदस्यीय भाजपा कार्यकर्ताओ का दल सीएम का स्वागत करेगा। सभा स्थल पर में बैठने के लिए मंच के अलावा तीन डोम टेंट लागये जा रहे है। जिसमे करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। अनुमान है कि 50 हजार लोग कार्यक्रम में शामिल होंगे। लगभग 2.00 तक सीएम शहडोल में रहेंगे। इसके बाद ग्राम सकरा जाएंगे और वहां स्नेह यात्रा में शामिल होकर वापस रवाना होंगे।

लोगों को भरोसा कि मिलेगी सौगात

मुख्यमंत्री का यह दौरा विधान सभा चुनाव की तैयारी को लेकर माना जा रहा है, जिसमें शहर व जिला वासियों को बड़ी अपेक्षाएं हैं। नगर पालिका शहडाेल को नगर निगम बनाना, कृषि महाविद्यालय खोलना, हवाई यात्रा शुरु करने हवाई पट्टी का निर्माण, पंडित शंभूनाथ विश्वविद्यालय से संभाग के अन्य कालेजों को जोड़ना, शहर में एक नया महाविद्यालय खोलने और मेडिकल कालेज में सुविधाओं का विस्तार करने जैसी जन अपेक्षाएं हैं। लोगों को भरोसा भी है कि मुख्यमंत्री शहडोल से लगाव रखते हैं और इस दौरे में भी कोई नई सौगात देकर ही जाएंगे।

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चंद्रयान -2 की लॉन्चिंग में यही 15 मिनट हुए थे अहम साबित, चंद्रयान -3 के लिए जाने क्यों है ये आखरी 15 मिनट कीमती

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डिजिटल भारत l 40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर सतह पर उतरने की तैयारी करेगा. लेकिन इसकी सबसे अहम प्रक्रिया लैंडिंग की है, जो बहुत नाज़ुक और जटिल है.

इसमें सबसे अहम अंतिम 15 मिनट होते हैं. चंद्रयान -2 की लॉन्चिंग में यही 15 मिनट अहम साबित हुए थे और तब इसरो के अध्यक्ष रहे के. सिवन ने मिशन की नाकामी को 15 मिनट का आतंक बताया था.

2019 में चंद्रयान- 2 की लॉन्चिंग में लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर 2.1 किमी की ऊंचाई तक पहुंच गया था, यहां तक तो सब कुछ ठीक रहा, लेकिन इसके बाद एक छोटी सी तकनीकी गड़बड़ी के कारण लैंडर मॉड्यूल क्रैश हो गया.
पृथ्वी पर उतरने जैसा नहीं है, चंद्रमा पर उतरना
आप किसी विमान या वस्तु को धरती पर उतरते हुए दृश्य को याद कीजिए. विमान ऊंचाई से धीरे-धीरे आगे और नीचे सरकता है और रनवे पर उतरता है. हवाई जहाज से कूदने वाले स्काई डाइवर्स पैराशूट की मदद से ज़मीन पर सुरक्षित उतरते हैं.

ये दोनों प्रक्रियाएं पृथ्वी पर संभव हैं लेकिन चंद्रमा पर संभव नहीं हैं. चूंकि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है इसलिए लैंडर को हवा में उड़कर नहीं बल्कि पैराशूट की मदद से उतारना संभव है.

इसके लिए चंद्रयान-3 के लैंडर में रॉकेट लगाए गए. उन्हें प्रज्वलित करने के बाद लैंडर की गति को नियंत्रित करके वैज्ञानिक से धीमी गति से सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करते हैं.
जिस क्षण से चंद्रयान-3 ने उड़ान भरी है, तब से लेकर चंद्रमा की सतह पर उतरने तक इसकी दिशा और गति को बूस्टर जलाकर इसरो के वैज्ञानिक नियंत्रित करते रहे हैं.

हालांकि लैंडिंग के दौरान इसे इस तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता. इसीलिए इसे स्वचालित रूप से अपने आप उतरने के लिए प्रोग्राम किया गया है. चंद्रयान 2 में भी ऐसी ही व्यवस्था की गई थी.
चंद्रयान-3 का लैंडर एक लंबी गोलाकार कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है. चंद्रमा की सतह से सौ किलोमीटर ऊपर से गुजरने के बाद, इसे चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव में लाने के लिए अपने बूस्टर को प्रज्वलित करता है. इसके बाद यह चंद्रमा की सतह की ओर तेज़ी से गिरने लगता है.

जब यह गिरने लगता है, तब इसका वेग बहुत अधिक होता है. पृथ्वी से चंद्रमा तक एक रेडियो सिग्नल भेजने में लगभग 1.3 सेकंड का समय लगता है. उसी सिग्नल को दोबारा ज़मीन तक पहुँचने में 1.3 सेकंड का समय लगता है.

इस प्रकार, चंद्रयान लैंडर पृथ्वी पर एक सिग्नल भेजता है और प्रतिक्रिया में दूसरे सिग्नल को उस तक पहुँचने में 1.3 सेकंड का समय लगता है. इसका मतलब है कि इसे पूरा होने में लगभग ढाई सेकंड का समय लगता है. मतलब कई सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चंद्रमा पर गिरने वाले लैंडर को नियंत्रित करने में ढाई सेकंड का समय लगता है. इस अतिरिक्त समय के कारण ही लैंडर को ऐसा बनाया जाता है कि लैंडर अपने निर्णय ख़ुद लेता है.

ऐसे प्रयासों में तकनीकी रूप से सब कुछ ठीक होना चाहिए नहीं तो एक छोटा सा अंतर भी मुश्किलों का कारण बन सकता है.

चंद्रयान-3 पहले अपने बूस्टर को फायर करके सौ किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा करता है ताकि वह चंद्रमा की सतह की ओर गिर सके. वहां से यह तेज़ी से चंद्रमा की सतह पर गिरेगा.
साफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया तब शुरू होगी जब वह 100 किमी से 30 किमी की ऊंचाई से नीचे नहीं उतर जाता. तब तक लैंडर के पैर चंद्रमा की सतह के क्षैतिज स्थिति में होते हैं. फिर गति को और कम करने के लिए लैंडर में रॉकेट दागे जाएंगे.

जब लैंडर 30 किमी की ऊंचाई पर होता है तो उसकी गति बहुत अधिक होती है. उस गति को नियंत्रित करते हुए यह चंद्रमा की सतह से 7.4 किमी की ऊंचाई तक पहुंचता है. सौ किलोमीटर की ऊंचाई से यहां पहुंचने में दस मिनट लगते हैं. इसे पहला क़दम कहा जा सकता है.
दूसरे चरण से लेकर लैंडिंग तक
7.4 किमी की ऊंचाई से यह चरण दर चरण 6.8 किमी की ऊंचाई तक उतरता है. तब तक, लैंडर के पैर, जो क्षैतिज थे, चंद्रमा की सतह की ओर 50 डिग्री तक घूमेंगे.

फिर लैंडर पर लगे उपकरण इस बात की पुष्टि करेंगे कि यह उस स्थान पर जा रहा है, जहां इसे उतरना है या नहीं. तीसरे चरण में लैंडर को 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई से 800 मीटर की ऊंचाई तक उतरना है.

इस स्तर पर, लैंडर 50 डिग्री के क्षैतिज कोण पर चंद्रमा की सतह पर लंबवत होगा. इसके अलावा रॉकेट की गति भी कम हो जाती है. वहां से चौथे चरण में यह 150 मीटर की ऊंचाई तक उतरती है.

इस ऊंचाई पर, लैंडर यह सुनिश्चित करेगा कि लैंडिंग साइट पूरी तरह से समतल हो. वहां से पांचवें चरण में यह 150 मीटर से 60 मीटर तक नीचे उतरती है. वहां से लैंडर की स्पीड और कम हो जाती है. छठे चरण में ऊंचाई 60 मीटर से बढ़कर 10 मीटर हो जाएगी.

इस बार इसरो ने लैंडर में लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर नामक एक नया उपकरण जोड़ा, जो चंद्रमा की सतह पर लेजर पल्स भेजता है. यह वापस उस तक पहुंच जाएगा. तो यह पल-पल हिसाब लगाता है कि यह कितनी तेज़ी से नीचे जा रहा है.

लैंडर में एक कंप्यूटर आवश्यक गति से लैंडिंग का ध्यान रखता है. छठा चरण इसे 60 से 10 मीटर की ऊंचाई पर लाना है. अगला क़दम दस मीटर की ऊंचाई से चंद्रमा पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है.
यहां तक कि अगर कोई तकनीकी त्रुटि होती है और लैंडर 100 मीटर प्रति सेकंड की गति से गिरता है, तो भी उपकरण के पैरों को इतना मजबूत बनाया गया है कि वे काम करते रहें. लैंडर को 800 मीटर की ऊंचाई से 10 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने में साढ़े चार मिनट का समय लगता है.

इस समय चाहे कुछ भी हो जाये, कोई कुछ नहीं कर सकता. लैंडर के सुरक्षित रूप से उतरने के बाद रैंप खुलता है, रोवर प्रज्ञान बाहर आता है और चंद्रमा पर उतरता है, यह लैंडर की तस्वीरें लेता है और उन्हें वापस पृथ्वी पर भेजता है. यह आठवां चरण है. वहां से लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान 14 दिनों तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर शोध करेंगे.
चंद्रयान-2 लैंडिंग के दौरान नाकाम हो गया था, इसलिए ऐसी विफलताओं से बचने के लिए चंद्रयान-3 उन्नत तकनीक से लैस है. ये लैंडर को सुरक्षित लैंडिंग में मदद करते हैं. इनमें लैंडर मॉड्यूल में स्थापित सात मुख्य टेक्नॉलॉजी शामिल हैं.

इनमें सबसे पहले अल्टीमीटर हैं. ये चंद्रयान-3 के उतरने के दौरान उसकी ऊंचाई को नियंत्रित करेंगे. ये लेजर और रेडियो फ्रीक्वेंसी की मदद से काम करते हैं. दूसरा है वेलोसिटी मीटर. ये चंद्रयान-3 की गति को नियंत्रित करते हैं. इसमें लेजर डॉपलर वेलोसिटी मीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा शामिल है. ये दोनों चंद्रमा की सतह की तस्वीरें लेते हैं और लगातार उनका निरीक्षण करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लैंडर मॉड्यूल सुरक्षित रूप से उतर सके.

तीसरी टेक्नॉलॉजी यह लैंडर जड़त्व की गणना करने से संबंधित है, यह एक्सेलेरोमीटर के साथ-साथ लेजर जाइरोस्कोप पर आधारित टेक्नॉलॉजी है.

चौथा प्रणोदन प्रणाली है. इसमें अत्याधुनिक 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटीट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स की सुविधा है. ये किसी भी ऊंचाई पर लैंडर मॉड्यूल की गति को नियंत्रित करने के लिए बाक़ी सेंसर से जानकारी प्राप्त करके काम करते हैं.
समस्या उत्पन्न होने पर क्या होगा
चंद्रयान 2 में उत्पन्न हुई तकनीकी त्रुटियों का पूरी तरह से विश्लेषण करने के बाद लैंडर मॉड्यूल में ऐसी व्यवस्था की गई है कि यदि दोबारा ऐसी समस्या आए तो उसका हल निकल आए.

इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि जब चंद्रयान-3 उतरेगा, उस वक्त क्षैतिज स्थिति से 90 डिग्री ऊर्ध्वाधर स्थिति प्राप्त करना महत्वपूर्ण होगा और सॉफ्ट लैंडिंग तक उसी स्थिति को बनाए रखना होगा.

सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर के इंजन फेल होने या कुछ सेंसर काम नहीं करने की स्थिति में भी सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग के लिए सभी आवश्यक इंतज़ाम किए गए हैं.

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समरसता यात्रा ने घोल दी कड़वाहट

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जबलपुर। संत शिरोमणि रविदास महाराज के स्मारक स्थल का भूमिपूजन करने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सागर पहुंचे। उससे पहले प्रदेशभर में निकाली गईं समरसता यात्राओं ने माहौल बनाने का प्रयास किया लेकिन जब यह समरसता यात्रा जबलपुर पहुंची तो भाजपा के ही नेता आपस में उलझ गए।

इससे वहां पहुंचे लोगों के मन में समरसता की जगह कड़वाहट घुलती महसूस की गई।पूर्व महापौर प्रभात साहू अपने समर्थकों सहित उस स्थान से चले गए, जहां सामूहिक समरसता भोज का आयोजन होना था।


समरसता यात्रा ने घोल दी कड़वाहट

चुनाव में भाजपा आदिवासी वोट बैंक के मोर्चे पर जमकर तैयारी कर रही है।

साथ ही, आदिवासियों से संबंधित सभी विषयों पर भी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।अब सिंगरौली का ही मामला लें, सरकार सक्रिय हुई तो पुलिस को सख्ती दिखानी पड़ी। भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बड़ी तेजी से विधायक राम लल्लू वैश्य के स्थान पर किसी और टिकट देने की तैयारी शुरू हो गई है। दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं।

हालांकि ऐसी खबरें विरोधी भी खूब फैलाते हैं सो ऐसा ही मान लिया जाए तो इतना तय है कि पार्टी कोई खतरा मोल नहीं लेगी। आखिर आदिवासी वोट बैंक का मामला जो ठहरा। यही कारण है कि विधायक के समर्थन में कोई बड़ा नेता सामने नहीं आया है। अगले कुछ दिनों में पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। वहीं, इनाम घोषित होने के बाद से विधायक पुत्र विवेक अभी तक पुलिस के शिकंजे से बाहर है।

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भोपाल में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के सभागार से आज परिणाम घोषित, 5वीं और 8वीं के छात्रों का इंतजार खत्म

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डिजिटल भारत l कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों का इंतजार खत्म हो गया है, एमपी स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री इन्दर सिंह परमार ने भोपाल में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के सभागार से आज परिणाम घोषित किए है।साल 2023 में कक्षा 5वीं में 82.27% विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए है। विद्यार्थी राज्य शिक्षा केंद्र की वेबसाइट https://rskmp.in/ पर जाकर रिजल्ट देख सकते हैं। खास बात ये है कि करीब 17 साल बाद यह पहला मौका था , जब 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर आयोजित की गई थी।

बोर्ड पैटर्न पर हुई थी परीक्षा, लाखों छात्र हुए थे शामिल
संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र धनराजू एस ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में हुए संशोधन के बाद विगत वर्ष मध्यप्रदेश की शासकीय शालाओं में कक्षा 5वीं और 8वीं के विद्यार्थियों की बोर्ड पैटर्न वार्षिक परीक्षा आयोजित की गई थी। उसके बाद इस शैक्षणिक-सत्र 2022-23 में प्रदेश की समस्त शासकीय, अशासकीय शालाओं और मदरसों के कक्षा 5वीं और 8वीं के विद्यार्थियों के लिए इस प्रकार की परीक्षा का आयोजन किया गया है, जिसमें लगभग 87 हजार शासकीय शाला, 24 हजार अशासकीय शाला और 1 हजार से अधिक मदरसों के करीब 24 लाख विद्यार्थी शामिल हुए हैं। राज्य शिक्षा केन्द्र ने इस वृहद कार्य के लिए समस्त व्यवस्थाएँ विभागीय स्तर पर ही करते हुए पारदर्शिता के साथ कार्य संपादन किया है। परीक्षाओं के परिणाम की घोषणा के साथ ही परीक्षा का विश्लेषण सार भी प्रस्तुत किया जायेगा।
मपी बोर्ड 5वीं रिजल्ट ऐसे करें चेक
1- एमपी बोर्ड 5वीं कक्षा का रिजल्ट चेक करने के लिए ऑफिशियल वेबसाइट rskmp.in, mpbse.nic.in, mpresults.nic.in पर जाएं।
2- होमपेज पर ‘रिजल्ट’ के सेक्शन पर क्लिक करें।
3- फिर MPBSE Class 5 Result पर क्लिक करें।
4- अपना नाम और रोल नंबर जैसी जरूरी डिटेल्स एंटर करें।
5- अब सब्मिट के बटन पर क्लिक करें।

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ईद मिलन समारोह में दिखी सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल

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जबलपुर– मुस्लिम लीगल एड एण्ड वेलफेयर सोसायटी द्वारा अध्यक्ष एड.शबाब खान की अध्यक्षता में ईद मिलन समारोह का आयोजन कर देश की सांस्कृतिक धरोहर कौमी एकता को मजबूती प्रदान करने तथा सर्व धर्म सद्भाव का पैगाम मुल्क के लोगों को दिया गया।
कार्यक्रम में शबाब खान एवं रिजवान खान ने ईद की मुबारकबाद देते हुए कहा कि जिस तरह से पूरे देश भर में हालात देखने को मिल रहे हैं इससे बहुत बेहतर हमारे देश की व्यवस्था है। यहां सभी धर्म जाति के लोग एक साथ मिलकर त्यौहार मनाते हैं। दुर्गापूजा, होली, ईद या क्रिसमस भारत की साझी संस्कृति का हिस्सा रही हैं।
सचिव फिरोज अंसारी ने बताया कि रमजान का पूरा महीना त्याग और तपस्या का रहा है ईद आपसी भाईचारे का पवित्र पर्व है। हमारा देश विभिन्नताओं में एकता का देश है। हम सभी धर्म सम्प्रदाय के लोग एक साथ मिलजुल कर सभी पर्व त्यौहार मनाते हैं ताकि हमारी एकजुटता और आपसी भाईचारा बना रहे।
कार्यक्रम मे मौलाना मोहम्मद मुशाहिद रजा सिद्दीकी, वरिष्ठ अधिवक्ता इम्तियाज हुसैन, रामदास शर्मा,विवेक अवस्थी, पार्षद प्रमोद पटेल, अहादुउल्ला उस्मानी, राशिद सोहेल सिद्दीकी,अखिलेश चौबे, मनीष मिश्रा, ज्योति राय, ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, शेख अजीम, मुशर्रफ शहरयार,शफी खान,रहीस खान, मो रहीस, मोहतिसिम खान मोनू, अल्तमस सहित बड़ी तादाद में अधिवक्तागण एवं पत्रकार उपस्थित थे।

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ग्राम पंचायत ढालाखापा के रोजगार सहायक ने फर्जी बिल लगाकर निकाली राशि- ग्रामीण

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डिजिटल भारत l आदिवासी बाहुल्य जिले मंडला की अधिकतर ग्राम पंचायते भृष्टाचार का गढ़ बन चुकी है। पंचायतों में पदस्थ सचिव व सहायक सचिव भृष्टाचार के नये आयाम लिखते जारहें है और बेखोंप होकर मन माफिक तरीके से अपने परिवार व रिस्तेदारो के नाम से फर्जी बिल व हाजरी भरके बेधड़क होकर शासकीय राशि का आहरण कर शासन को चूना लगा रहे है। ऐसा ही एक मामला नारायणगंज विकासखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत ढालाखापा से सामने आया है जानकारी अनुसार बतादें ग्राम पंचायत ढालाखापा के ग्रामीणों ने बताया रोजगार सहायक संदीप साहू कभी ग्राम पंचायत नही आता और मनमाफिक तरीके से भृष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। साथ ही बताया रोजगार सहायक ने अपने परिवार व रिस्तेदारो के नाम से फर्जी बिल लगाकर शासकीय पैसे का आहरण कर भृष्टाचार कर रहा है। पंचायत एप पर आप देख सकते कि किस कदर रोजगार सहायक ने सचिव के प्रभार में रहते हुए अपने परिवार जनों के नाम से फर्जी बिल लगाकर पैसे का आहरण कर शासकीय राशि का दुरुपयोग कर रहा है। इस भृष्ट और कामचोर रोजगार सहायक की वजह से गांव वालों के हितग्राही मूलक कार्य नही हो पारहे है जिसके चलते ग्रामीणों ने उक्त रोजगार सहायक को पंचायत से हटाकर जांच करतें हुए उचित कार्यवाही करें।

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अहमना नाला की साफसफाई कर नागरिकों को स्वच्छता का दिया संदेश

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डिजिट भारत l नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में विगत दिवस स्थानीय नगर पालिका परिषद द्वारा शासन के निर्देशानुसार स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के स्वच्छता अभियान के तहत रेलवे पुल के पास स्थित अहमना नाला पर साफ सफाई कराकर आसपास रहने वाले रहवासियों को स्वच्छता का संदेश देकर जागरूक किया गया ज्ञात होवे कि शहर को सौंदर्यता प्रदान करने के उद्देश्य सुंदर एवं स्वच्छ बनाने हेतु नगरपालिका परिषद द्वारा लगातार भरपूर प्रयास कर शहर में विभिन्न जनहितैषी कार्य कराए जाने के साथसाथ प्रतिदिन साफ सफाई अभियान चलाकर गंदगी न फैलाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है

ताकि हमारा शहर स्वच्छता एवं सुंदर नजर आए इसी के चलते नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती पूनमजितेंद्र ठाकुर के दिशा निर्देशन पर एवं नगर पालिका सीएमओ सुश्री साक्षी बाजपेई के मार्गदर्शन में साफ सफाई कर्मचारियों द्वारा अहमनानाला पहुंच कर जेसीबी मशीन से नाले में जमी हूई गंदगी कचरा को निकालने के उद्देश्य गहरीकरण कर कचरा गंदगी को एकत्रित कर बाहर निकलवाकर पूर्णता साफ सफाई करवाई गई साफ सफाई होने के दौरान नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि जितेंद्रठाकुर एवं सीएमओ सुश्री साक्षीबाजपेई ने अहमनानाला पहुंचकर मौके का निरीक्षण कर आसपास रहने वाले रह वासियों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिए कि नाले में गंदगी ना डालें कचरा नगर पालिका द्वारा भेजे जा रहे कचरा वाहन में ही डालें हम सभी नागरिकों का नैतिक दायित्व हैकि हम अपने घरों से निकलने वाली गंदगी कचरे को नाला के साथसाथ आसपास के स्थानों पर डालने का प्रयास ना करते हुए शासन द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान में सहयोग करें ताकि साफसफाई स्वच्छता बनी रहे साथही संपूर्ण शहर में लगातार साफ सफाई करवाकर स्वच्छ एवं साफ सुथरा बनाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है इस अवसर पर पार्षद दुलीचंदविश्वकर्मा मनीषजैन नरेश शर्मा सूरजमुकदम अमितमुड़िया योगेशकहार सहित समस्त सफाई कर्मियों एवं अभिमन्यु युवा कल्याण समिति सदस्यों का योगदान सराहनीय रहा

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अज्ञात वाहन ने ट्राईसाइकिल सवार दिव्यांग युवक को रौंदा, मौके पर मौत

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डिजिट भारत l जिले में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ीं, गुरुवार को अलग-अलग तीन सड़क हादसों में तीन लोगों की हो चुकी मौत अज्ञात वाहन ने ट्राईसाइकिल सवार दिव्यांग युवक को रौंदा, मौके पर मौत

डिंडौरी -बाईपास में वेयर हाउस के सामने शुक्रवार की दोपहर अज्ञात चार पहिया वाहन ने ट्राइसाइकिल सवार युवक को रौंद दिया। हादसे में 20 वर्षीय दिव्यांग युवक की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे में ट्राइसाइकिल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। सूचना पर कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और पंचनामा बनाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल लाया गया। जानकारी में बताया कि दिलीप मालवे पिता महेंद्र सिंह मालवे निवासी ग्राम जमुनिया घर से कटिंग कराने के लिए अपने पिता से पैसे लेकर मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल से डिंडौरी के लिए निकला था। दोपहर लगभग ढाई बजे के आसपास बाईपास में वेयरहाउस के सामने अज्ञात चार चका वाहन में ट्राइसाइकिल को रौंद दिया। युवक टक्कर लगने से सड़क पर जा गिरा, जिससे उसकी मौत हो गई। सूचना लगते ही युवक के माता-पिता व परिजन मौके पर पहुंच गए। घटना स्थल पर परिजन रोते बिलखते नजर आए। अज्ञात वाहन के बारे में पता नहीं लग पाया है। घटना के बारे में पुलिस ने आसपास पूछताछ भी की, लेकिन कुछ पता नही लग पाया।तेज रफ्तार बस की टक्कर से बाइक सवार दो की मौत, एक गंभीर तेज रफ्तार बस की टक्कर से बाइक सवार दो की मौत, एक गंभीर सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रहीं गौरतलब है कि जिले में सड़क दुर्घटनाओ में बढ़ोतरी हुई है। प्रतिदिन सड़क हादसे हो रहे हैं। गुरुवार को अलग-अलग तीन सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं छह लोग घायल हो गए थे।

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