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एक भारत उत्कृष्ट भारत

मानसिक शांति है जरुरी , रखे इन बातो का ख्याल

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डिजिटल भारत l तनाव आजकल की सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है। अधिक भागदौड़ और एक दूसरे से आगे निकलने होड़ में हर कोई किसी न किसी प्रकार के तनाव में जी रहा है। किसी को अच्छी नौकरी नहीं मिलने का तनाव है, तो किसी को व्यापार-व्यवसाय ठीक से नहीं चलने का तनाव है। कोई घर-परिवार के झगड़ों से तनाव में है तो किसी को बाहरी जीवन में किसी बात को लेकर तनाव है। यहां तक कि अब कम उम्र के बच्चों में भी तनाव की समस्या होने लगी है। तनाव होने के निजी और कार्यक्षेत्र से संबंधित कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कई बार ग्रहों की स्थिति सही न होने के कारण भी तनाव और मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे में ज्योतिष में कुछ उपाय बताए गए हैं,
खुद को परेशान करना बंद कीजिए
किसी को सीधे न कहने की बजाए, हम यही सोच सोचकर परेशान होते रहते हैं कि अगला हमारे बारे में क्या सोचेगा। खुद को न कहने का ठोस तर्क देने की बजाए हम दूसरों का समर्थन पाने की कोशिश में लगे रहते हैं। इससे बेहतर है कि आप अपनी स्थिति का सही आकलन करके एक ठोस तर्क के साथ स्पष्ट रूप से न कहें। यकीन कीजिए यह किसी को बेइज्जत नहीं करेगा। थोड़ा सा सतर्क हो जाएं और हां कहने से पहले दूसरों के इरादे समझें
प्रोफेशनल वर्ल्ड में ऐसा बहुत होता है, जब लोग आपका अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं। खासतौर से अपने अधीनस्थों का। पर इस स्थिति का मुकाबला आपको थोड़ा कुशलता से करना है, यानी आपको थोड़ा सा स्मार्ट होने की जरूरत है। जिस व्यक्ति के साथ आप काम कर रहे हैं, पहले उसके इरादे को ठीक से समझें, कि जिस काम के लिए वह कह रहा है या रही है, क्या वह आपकी प्राथमिकता में आता है। ऐसे में आप बहुत आराम से कह सकते हैं कि आप उस काम को कर देंगे, पर थोड़ा टाइम लगेगा। और अगर वाकई काम आपके केआरए यानी आपके पद अनुरूप जिम्मेदारी का हिस्सा नहीं है, तो आप निश्चित कारण बताकर इसे करने से स्पष्ट मना कर सकती हैं। जवाब दें, मगर प्यार से
वह आपके बॉस या रिश्तेदार कोई भी हो सकते हैं- जो आपसे अव्यवहारिक अपेक्षाएं रखने लगें। आप इनसे विनम्रता से ही निपट सकते हैं। आप उन्हें कह सकती हैं कि आप पर पहले से ही बहुत जिम्मेिदारियां हैं, परिवार के बारे में भी आप इसी तरह डील कर सकती हैं।
बुरा नहीं है थोड़ा सा स्वार्थी होना
जर्नल ऑफ़ पर्सनेलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट कहती है कि थोड़ा सा स्वार्थी होना वास्तव में फायदेमंद है। अब जब साइंस भी आपके स्वार्थी होने को सपोर्ट कर रहा है तो मान क्यों नहीं लेतीं? अब तो आप सीख ही गई होंगी कि कैसे स्मार्टली ना कहना है, तो अब उसे ट्राय करना शुरू कीजिए। यहां आपके लिए एक और सलाह है कि खुद से अपेक्षाएं तय करें, ताकि लोग आपकी हां कहने की आदत का अनावश्यक फायदा न उठाएं। घर के मुखिया को हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा में मौजूद कमरे में ही सोना चाहिए. ऐसा ना करने से उनका मानसिक तनाव बढ़ता है. सोते समय पश्चिम दिशा में पैर और उत्तर दिशा में सिर नहीं होना चाहिए. इससे मानसिक तनाव होता है. सोते समय सिर दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए.
घर में परिवार के सदस्यों के बीच अक्सर कलह की स्थिति रहती है तो घर में मौजूद सभी तरह के टूटी-फूटी चीजों को जितना जल्दी हो सके घर से बाहर कर दें. किचन में मौजूद टूट बर्तनों को भी घर से बाहर कर दें. टूटे-फूटे सामान नकारात्मक ऊर्जा का श्रोत माने जाते हैं. इनकी वजह से घर में कलह और मानसिक तनाव होता है.
घर में मौजूद मुख्य आईना कभी भी दक्षिण या पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए. इससे मानसिक तनाव बढ़ता है. घर में कभी दो आईने आमने-सामने नहीं लगाना चाहिए. इससे भी घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है. घर में टूटा हुआ शीशा रखा है तो उसे भी हटा दें. टूटा शीशा मानसिक तनाव बढ़ाता है.
अविवाहित लोगों का कमरा कभी भी दक्षिण पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए. इससे उनके स्वभाव में उग्रता आती है और चिड़चिड़ापन बढ़ता है.
घर की दीवारों को कभी भी बहुत गहरे रंग से नहीं रंगवाना चाहिए. घर की दीवारों को हमेशा हल्के रंगों से ही पेंट करवाना चाहिए वरना नकारात्मक ऊर्जा मन-मस्तिष्क पर हावी होने लगती है.

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जाने तनाव के नुकसान और उससे बचने के उपाए

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डिजिटल भारत I क्या आपको पता है कि तनाव न सिर्फ आपके मस्तिष्क बल्कि शरीर की आंतरिक प्रणाली को भी नुकसान पहुंचाता है। ‘द अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन’ ने मानव शरीर की आंतरिक प्रणाली पर तनाव के प्रभावों के बारे में बताया है।

नर्वस सिस्टम

जब हम शारीरिक या मानसिक रूप से बहुत अधिक तनाव लेते हैं तो शरीर अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल इससे निपटने में करता है जिसे फाइट या फ्लाइट रिस्पांस कहते हैं। इसमें नर्वस सिस्टम एडरनल ग्लैंड को एड्रेनालिन और कॉर्टिसोल छोड़ने के निर्देश देते हैं। इन हार्मोन्स की वजह से दिल की धड़कन बढ़ जाती है, बीपी बढ़ जाता है, पाचन क्रिया प्रभावित होती है और रक्त के प्रवाह में ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ता है।

मांसपेशियां
तनाव के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव होता है। कई बार इसकी वजह से सिरदर्द, माइग्रेन या मांसपेशियों व हड्डियों से जुड़े परिवर्तन होते हैं।

श्वास संबंधी
तनाव की स्थिति में सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है। कुछ लोगों को इस वजह से कई बार पैनिक अटैक आते हैं।

हृदय पर प्रभाव
कई बार थोड़ा सा भी तनाव हार्ट रेट को बढ़ा देता है और हृदय की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं। ऐसे में हृदय द्वारा पंप किए गए रक्त को शरीर के दूसरे हिस्से में ले जाने वाली रक्त वाहिकाओं में अवरोध होता है। ऐसी स्थिति में दिल के दौरे की भी आशंका बढ़ जाती है।

इंटोक्राइन सिस्टम
जब शरीर तनाव में होता है तो दिमाग हाइपोथैलॉमस से सिग्नल भेजता है जिससे एडरनल ग्लैंड कॉर्टिसोल बनाता है और एडरनल मॉड्यूला इपाइनरफाइन नामक तनाव के हार्मोन बनाता है।

पर्याप्त नींद

रात में अगर आप एक अच्छी नींद नहीं लेते हैं तो दिनभर थका-हारा मेहसूस करते हैं। अपर्याप्त नींद आपके मूड, मेंटल अवेयरनेस, एनर्जी लेवल और फिजिकल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसलिए अगर आप स्ट्रेस से छुटकारा पाना चाहते हैं तो पर्याप्त नींद जरूर लें।

रिलैक्स करने की तकनीक सीखें

मेडिटेशन, प्रोग्रेसिव मसल्स रिलैक्सेशन, गाइडेड इमेजरी, ब्रीदिंग एक्सरसाइज यानी गहरी सांस लेना जैसे व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। योग एक पॉवरफुल रिलैक्सेशन टेकनीक है और स्ट्रेस-बस्टर है।

सोशल नेटवर्क को मजबूत बनाएं
अपने स्कूल फ्रेंड्स से लेकर दफ्तर के साथियों के साथ संपर्क में रहें। इसके अतिरिक्त किसी संगठन में शामिल होकर या किसी तरह से सहायता कर अपना सोशल नेटवर्क बनाएं जिससे जरूरत पर लोग आपका साथ दें और आपकी समस्या सुनें।

वक्त मिलने पर अपनी स्किल को निखारें
अगर आपके व्यक्तित्व में कुछ स्किल है तो खाली समय मिलने पर उसे निखारने की कोशिश करें। कुछ लोग काफी क्रिएटिव होते हैं लेकिन तमाम दफा वे अपना पूरा वक्त टेंशन में जाया कर देते है, बेहतर होगा वे खुद को अपने पसंदीदा काम में बिजी रखें। जितना अधिक कुशलता से आप अपने काम और परिवार की मांगों को जोड़ सकते हैं, आपके तनाव का स्तर उतना ही कम होगा।

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