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कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद टीका लगवाने में आई थी कमी अब तक जबलपुर जिले में लगभग पांच लाख से भी कम लोगों को लगा तीसरा डोज

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डिजिटल भारत l कोरोना वायरस की एक बार फिर आहट मिलते ही जिले में सतर्कता बरते जाने की कवायद शुरू हो गई है। हालांकि, जिले में अब तक पांच लाख से भी कम लोगों को सतर्कता डोज या तीसरा डोज दिया जा सका है। पूर्व अनुभव को ध्यान में रखते हुए नागरिकों में अब एक बार फिर से कोरोना महामारी से बचने की चिंता नजर आ रही है। लोगों ने अस्पतालों में सतर्कता डोज (बूस्टर डोज) या तीसरा डोज लगाने के लिए चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं।

वहीं मास्क का चलन करीब तीन माह से लगभग खत्म सा ही हो गया है। स्वास्थ्य विभाग के पास कोरोना टीका के नाम पर कोवैक्सीन के 3700 डोज शेष बचे हैं। कोबैक्स व कोविशील्ड का स्टाक खत्म हो चुका है। विभाग ने राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार से इन दोनों वैक्सीन के 10 हजार डोज की मांग की है। हैरानी की बात यह है कि कोरोना की तीन लहर बीत जाने के बावजूद जिले में अब तक पांच लाख लोगों को भी वैक्सीन का तीसरा डोज नहीं लग पाया है।

केंद्र सरकार द्वारा नागरिकों के लिए कोरोना टीका निश्शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद टीका लगवाने में लोगों की रुचि कम हो गई थी। यही हालात तीसरी लहर थमने के बाद बने। जबकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई माह तक 100 से ज्यादा केंद्रों में निश्शुल्क टीकाकरण केंद्र बनाए गए थे।

जिला टीकाकरण अधिकारी डा. एसएस दाहिया ने बताया कि कोरोना के नए वैरिएंट की आशंका के चलते नागरिक टीके की सतर्कता डोज लगवाने के लिए संपर्क करने लगे हैं। इससे पूर्व तमाम हितग्राहियों को फोन पर सतर्कता डोज लगवाने की सूचना दी गई थी परंतु वे लापरवाह रवैया अपनाए रहे।

चिकित्सक बोले, घबराएं नहीं सतर्कता जरूरी-

क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं व प्रभारी सीएमएचओ कहा कि फिलहाल कोरोना संक्रमण से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। परंतु नागरिकों को मास्क व शारीरिक दूरी के निर्देशों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालोंं में निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि मास्क व शारीरिक दूरी के निर्देशों का पालन किया जाए।

इसी तरह समय-समय पर साबुन पानी से हाथ धोने की आदत भी लोगों को नहीं भूलनी चाहिए।

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चीन में एक बार फिर कोरोना वायरस के संक्रमण से हाहाकार मचा

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चीन में कोरोना से मचा हाहाकार, अस्पतालों में बेड नहीं, श्मशानों में भी लंबी कतार I

डिजिटल भारत I अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों का सैलाब आ गया है। इतना ही नहीं मेडिकल स्टाफ भी संक्रमित हो रहे हैं। कुछ डॉक्टर्स कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

यहां कोरोना के मामलों में फिर एक बार तेजी दिख रही है। कोरोना के मामलों में तेजी की वजह जीरो कोविड पॉलिसी में दी गई ढील को बताया जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों का सैलाब आ गया है। इतना ही नहीं मेडिकल स्टाफ भी संक्रमित हो रहा है। कुछ डॉक्टर्स कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

चीन के अस्पतालों में आईसीयू बेड की कमी भी होने लगी है।

दवाई की दुकानों में लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। दवा की कमी के कारण उनकी कीमतें कई गुना ज्यादा बढ़ गई हैं। इस समय चीन में एक कोरोना संक्रमित 16 अन्य लोगों को संक्रमित कर रहा है। कोरोना से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों को है और चीन के लिए भी यही चिंता बन सकता है, क्योंकि अब भी बहुत से बुजुर्गों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। एक्सपर्ट की मानें तो अगर ऐसे ही हालात रहे तो 2023 तक चीन में कोरोना के कारण 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होगी।

चीन के ज़ुहाई शहर में हॉस्पिटल के कॉरिडोर में स्ट्रेचर पर लाशों की कतार लगी है। शवगृह में शवों के रखने की जगह नहीं बची है। बीजिंग की हालत तो ज़ुहाई से भी ज्यादा खराब है। यहां चुइयांग्लु अस्पताल का यह हाल है कि मरीज और शव एक ही कमरे में हैं। एक तरफ लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं तो उसके ठीक बगल में कई शव रखे हुए हैं।

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जाने हेल्थ इंसोरेंस से जुड़ी हर जानकारी और कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

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डिजिटल भारत कोरोना महामारी के बाद से हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लेना महत्‍वपूर्ण हो गया है। क्‍योंकि यह आपके परिवार और आपके लिए राहत सहायता प्रदान करता है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि अब लोग अस्‍पताल में आने वाले खर्च से बचने के लिए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस ले रहे हैं। इतना ही नहीं वह यह भी विचार कर रहे है कि कौन सा हेल्‍थ इंश्‍योरेंस उन्‍हें लेना चाहिए या नहीं?

मार्केट में कई तरह के हेल्थ इंश्योरेंस प्लान मौजूद हैं ऐसे में लोगों को कोई भी प्लान लेने में सावधानी बरतनी चाहिए और अपने लिए सही स्वास्थ्य बीमा कवर का चुनाव करना चाहिए। इससे आपके अस्‍पताल के खर्च की चिंता काफी हद तक कम हो जाती है। अगर आप हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लेना चाहते हैं और यह जानना चाहते हैं कि यह आपके लिए क्‍यों जरुरी है तो यह खबर आपके लिए महत्‍वपूर्ण हो सकती है।

सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का चयन कैसे करें

आपके पास एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी नहीं हो सकती है जो आपकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करती है। कई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां उपलब्ध हैं और प्रत्येक पॉलिसी कुछ अद्वितीय कवरेज लाभ प्रदान करती है। आपको लाभों का पता लगाने और यह जानने की आवश्यकता है कि सभी को क्या कवर किया गया है और क्या बाहर रखा गया है, और फिर सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का चयन करें। आप कुछ ऑनलाइन शोध कर सकते हैं

महंगा इलाज से राहत

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस आपके महंगे इलाज से राहत प्रदान करता है। क्‍योंकि आज के समय में डाक्‍टर की फीस, दवाओं का खर्च महंगा होता जा रहा है। ऐसे में आपको इलाज के लिए ज्‍यादा पैसा देना पड़ रहा है। जिस कारण से आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है। आशंका से निपटने का सबसे बेहतर तरीका स्वास्थ्य बीमा खरीदना है। महंगाई के कारण प्रति व्यक्ति चिकित्सा लागत में बढ़ोतरी हुई है।

कम उम्र हेल्थ पॉलिसी खरीदने के क्या हैं फायदे

अक्सर लोगों को लगता है कि वे बिल्कुल स्वस्थ हैं और उन्हें फिलहाल हेल्थ पॉलिसी की जरूरत नहीं है, लेकिन यह एक बड़ी गलती है. जब आपकी उम्र 20 की हो, तो आप कम कीमत पर हेल्थ पॉलिसी खरीद सकते हैं. आमतौर पर, जब आप युवा होते हैं तो आपको किसी भी गंभीर बीमारी का खतरा कम होता है. जैसे-जैसे लोग बड़े होते जाते हैं, तबीयत बिगड़ने की संभावना बढ़ती जाती है. जब आप युवा होते हैं, तो आपको खुद को स्वस्थ साबित करने के लिए किसी मेडिकल टेस्ट की जरूरत नहीं होती है. इसके उलट, अगर आप उम्र बढ़ने के बाद बीमा पॉलिसी खरीदते हैं, तो बीमा कंपनी हेल्थ पॉलिसी जारी करने से पहले आपका कई तरह का मेडिकल टेस्ट करती है.

कम उम्र में ही हेल्थ पॉलिसी खरीदने का एक फायदा यह भी है कि इस उम्र में आमतौर पर आपके पास बचत नहीं होती है. ऐसे में, यानी तबीयत बिगड़ने की स्थिति में आपको पैसों को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं होगी. इसके और भी फायदे हैं. उदाहरण के लिए, मान लें कि आपने कम उम्र में ही हेल्थ पॉलिसी खरीदी है और पॉलिसी वर्ष के दौरान कोई क्लेम नहीं किया है. इस स्थिति में, बीमा कंपनी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के सभी क्लेम-फ्री ईयर के लिए आपके कवर का साइज बढ़ाकर आपको नो क्लेम बोनस  देती है.

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चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाई गई, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कोरोना के चलते दिए ये निर्देश

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नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी और राज्य सरकार को कोविड-19 प्रोटोकॉल के सख्त अनुपालन के साथ यात्रा संचालित करने का निर्देश दिया है। यात्रा पर लगा प्रतिबंध हटाते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर.एस. चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि मंदिर में दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं की निर्धारित दैनिक संख्या जैसे प्रतिबंधों के साथ ही यात्रा संचालित होगी। अदालत ने कहा कि दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कोविड-नेगेटिव जांच रिपोर्ट या टीकाकरण प्रमाणपत्र लाना अनिवार्य होगा।

यात्रियों को मंदिरों के आसपास स्थित झरनों में स्नान की अनुमति नहीं होगी

चारधाम के नाम से प्रसिद्ध उच्च गढवाल हिमालयी क्षेत्रों में स्थित मंदिरों में श्रद्धालुओं की दैनिक सीमा निर्धारित करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि केदारनाथ धाम में प्रतिदिन अधिकतम 800, बदरीनाथ में 1200, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 यात्रियों की दर्शन की अनुमति दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, यात्रियों को मंदिरों के आसपास स्थित झरनों में स्नान की अनुमति नहीं होगी। अदालत ने कहा कि चमोली, रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में चारधाम यात्रा के दौरान जरुरत के अनुसार पुलिस बल तैनात किया जाएगा। चमोली में बदरीनाथ, रूद्रप्रयाग में केदारनाथ और उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर स्थित हैं।

राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी

उच्च न्यायालय की इस रोक के खिलाफ राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। हालांकि, बाद में इस याचिका को वापस लेकर सरकार ने फिर उच्च न्यायालय से चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाने की गुहार लगाई। महाधिवक्ता एस. एन. बाबुलकर और मुख्य स्थाई अधिवक्ता सी. एस. रावत ने सरकार की तरफ से अदालत में पेश होते हुए कहा कि स्थानीय लोगों की आजीविका बहाल करने के लिए यात्रा से प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए। बाबुलकर ने कहा कि यह चारधाम यात्रा से कमाने का सीजन है, अगर यह चला गया तो कई परिवारों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने यह भी दलील दी कि रोक लगाते समय उच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त की गई चिंता का समाधान हो चुका है और स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।

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CORONA 3rd wave

तीसरी लहर की दस्तक महाराष्ट्र में कोरोना कहर, 7 जिलों ने बढ़ाई टेंशन

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महाराष्ट्र में कोरोना की मामूली राहत देखने के बाद एक बार फिर कोरोना का कहर बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। यहां कोरोना मामले अब घटने की बजाय बढ़ते हुए दिख रहे हैं। उद्धव सरकार लगातार बैठकें करके आने वाली तीसरी लहर को रोकने की कोशिशों में लगी है। रविवार को सरकार ने एक बैठक की जिसमें बताया गया कि महाराष्ट्र में 7 जिले चिंता का सबब बने हुए हैं जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने देखे जा रहे हैं। इन राज्यों में पुणे, मुंबई, सांगली आदि शामिल हैं। कुछ ही दिनों में राज्य में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाना शुरू हो जाएगा, जिसको लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है। यहां कोरोना मामले अब घटने की बजाय बढ़ते हुए दिख रहे हैं। उद्धव सरकार लगातार बैठकें करके आने वाली तीसरी लहर को रोकने की कोशिशों में लगी है। रविवार को सरकार ने एक बैठक की जिसमें बताया गया कि महाराष्ट्र में 7 जिले चिंता का सबब बने हुए हैं जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने देखे जा रहे हैं। इन राज्यों में पुणे, मुंबई, सांगली आदि शामिल हैं। कुछ ही दिनों में राज्य में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाना शुरू हो जाएगा, जिसको लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है।
सात पश्चिमी जिलों को “चिंता के क्षेत्र” कहा है। सरकार को डर है मामलों में जो उछाल देखने को मिल रहा है वह तीसरी लहर की दस्तक हो सकती है। पिछले 10 दिनों में मामलों की संख्या में कोई गिरावट नहीं देखी गई है; इसके बजाय, नए संक्रमणों में मामूली उछाल आया है। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने मुंबई में हुए सम्मेलन में यह जानकारी दी है।
डेटा से पता चला है कि भले ही पिछले कई हफ्तों से सभी जिलों में साप्ताहिक सकारात्मकता दर 5% से नीचे रही, अहमदनगर जैसे कुछ जिलों में यह आंकड़ा क्रमशः 6.58% और 5.08% देखा गया। नुंबई वापस उन टॉप 5 जिलों में शामिल हो गया है जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं ।

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