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एक भारत उत्कृष्ट भारत

बैंक, पुलिस, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में निकली हैं सरकारी नौकरी

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डिजिटल भारत l सरकारी नौकरी की तलाश करने वालों के लिए देशभर के अलग अलग विभागों में सरकारी नौकरियां निकली हुई हैं. अगर आप भी सरकारी नौकरी की तलाश में हैं तो हम आपको यहां ऐसी ही नौकरियों की जानकारी दे रहे हैं. इस बात का ध्यान रखना है कि आप केवल उसी नौकरी के लिए आवेदन करें जिसकी जरूरी शर्तों को पूरा करते हों. अगर जरूरी पात्रताएं पूरी नहीं करने पर आवेदन करेंगे तो आपके आवेदन को रद्द कर दिया जाएगा.

BOI Recruitment 2023
बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने प्रोबेशनरी ऑफिसर (PO) के पदों पर भर्ती के लिए इच्‍छुक उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं. कैंडिडेट्स आधिकारिक वेबसाइट bankofindia.co.in से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. अप्‍लाई करने की आखिरी तारीख 25 फरवरी है. इस भर्ती अभियान से 500 वैकेंसी भरी जानी हैं, जिनमें से 350 वैकेंसी जनरल बैंकिंग स्ट्रीम में क्रेडिट ऑफिसर के पद के लिए हैं, और 150 वैकेंसी स्पेशलिस्ट स्ट्रीम में आईटी ऑफिसर के पद के लिए हैं.


Navy Recruitment 2023
10वीं पास कैंडिडेट्स के लिए भारतीय नौसेना में शामिल होने का मौका है. नेवी ने सिविलियन पर्सनल के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं. कैंडिडेट भारतीय नौसेना की आधिकारिक वेबसाइट joinindiannavy.gov.in से आवेदन कर सकते हैं. इस भर्ती अभियान से कुल 248 पद भरे जाएंगे. आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के पास किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से मैट्रिकुलेशन (कक्षा 10वीं पास) या समकक्ष होना चाहिए.

Teacher Recruitment 2023
शिक्षक भर्ती का इंतजार करने वालों के लिए एक्सीलेंस स्कूल एवं मॉडल स्कूलों में नौकरी पाने का मौका है. यह भर्तियां झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के विद्यालय एवं मॉडल विद्यालयों में निकाली गई है. पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर जिला प्रशासन के वेबसाइट jamshedpur.nic.in पर भर्ती का नोटिफिकेशन उपलब्ध कराया गया है. कुल 157 वैकेंसी निकाली गई है. जिनमें टीजीटी के 98 एवं पीजीटी के 59 पद शामिल हैं. हिंदी, इंग्लिश, संस्कृत, इतिहास, भूगोल, गणित, भौतिकी, जीव विज्ञान, केमिस्ट्री, कॉमर्स एवं इकोनॉमिक्स सब्जेक्ट के टीचर्स की भर्तियां की जानी हैं.

Police Recruitment 2023
स्टेट लेवल पुलिस रिक्रूटमेंट बोर्ड (SLPRB) कॉन्स्टेबल के अलग अलग पदों पर नियुक्तियां करने जा रहा है. कॉन्स्टेबल भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है, जो 22 फरवरी तक चलेगी. कैंडिडेट रिक्रूटमेंट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट slprbassam.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. असम पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती 2023 के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 22 फरवरी 2023 है.

Medical Jobs
मेडिकल क्षेत्र में नौकरी की तलाश करने वालों के लिए राजस्थान में मौका है. मेडिकल एजुकेशन सेक्टोरेल पोर्टल राजस्थान में भर्ती प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए कैंडिडेट्स आधिकारिक वेबसाइट medicaleducation.rajasthan.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. कैंडिडेट्स इसके लिए 15 फरवरी 2023 तक आवेदन कर सकते हैं.

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जाने तुर्की में भूकंप का इतिहास और अलग-अलग देश में भूकंप को लेकर एक्सपर्ट्स की ऐसी भविष्यवाणी

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डिजिटल भारत l तुर्की में 1939 के बाद के सबसे भयावह भूकंप के बाद ये सवाल उठने लगा है कि क्या इतनी बड़ी त्रासदी से बचा जा सकता था. साथ ही ये भी कि क्या राष्ट्रपति अर्दोआन की सरकार और ज़्यादा लोगों की जान बचा सकती थी.

तुर्की में चुनाव नज़दीक हैं और उनकी 20 साल पुरानी सत्ता दांव पर लगी है. लेकिन संकट के दौर में देश में एकता बनाए रखने की अर्दोआन की अपील अनसुनी कर दी गई है.

राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने माना है कि राहत कार्य में कमी रही है. लेकिन भूकंप प्रभावित एक इलाके का दौरा करते वक्त उन्होंने इसके लिए नियति को दोष दिया. उन्होंने कहा, ”ऐसी चीज़ें पहले भी हुई हैं. ये नियति की योजना का हिस्सा है.”

तुर्की में ऐसा भयावह भूकंप 1939 के बाद नहीं आया था. छह दिन पहले आए भूकंप की तीव्रता काफ़ी ज़्यादा थी. पहले 7.8 और 4.17 की तीव्रता के दो झटके आए. इसके बाद भी एक के बाद 7.5 तीव्रता के कई झटके आए.
तुर्की में 100 साल पहले तबाही

यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक, ऐसी तबाही तुर्किये पहले भी देख चुका है। 1939 में 7.8 तीव्रता से आए एक भूकंप ने 30 हजार लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। वहीं, 1999 में 7.2 तीव्रता से आए भूकंप में 845 लोगों की जान चली गई थी।
द ग्रेट भोला चक्रवात ने दहलाया

1970 में दक्षिण एशिया के देश बांग्लादेश में द ग्रेट भोला चक्रवात की वजह से बांग्लादेश (तब का पूर्वी पाकिस्तान) बाढ़ की चपेट में आ गया था। देश की सीमा से लगे समुद्र में 35 फीट ऊंची लहरें उठी थीं, जिनकी वजह से बड़ा भू-भाग प्रभावित हुआ था। इस प्राकृतिक आपदा में पूर्वी पाकिस्तान में 3 से 5 लाख लोगों की मौत हो गई थी। भोला चक्रवात उष्णकटिबंधीय तूफानों में अब तक का सबसे खतरनाक तूफान था। भारत में भी इसका असर देखने को मिला था।

तुर्की में भूकंप आने की 2 सटीक भविष्यवाणी कर चुके होगरबीट्स ने अब भारत में भूकंप को लेकर भी ऐसा ही दावा किया है। उनके इस दावे वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जॉस क्विंटन द्वारा शेयर किए गए वीडियो में फ्रेंक को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में एशिया के अलग-अलग भागों में जमीन के भीतर हलचल होने संभावना है।
उन्होंने आगे कहा है कि हलचल पाकिस्तान और अफगानिस्तान से होते हुए हिंद महासागर के पश्चिम की तरफ हो सकती है। भारत इसके बीच में होगा। वहीं चीन में भी आने वाले कुछ दिनों में भूकंप आ सकता है। हालाँकि होगरबीट्स ने इस बार भी भूकंप की तीव्रता और समय के बारे में कुछ भी नहीं कहा है।

जैसा कि हमने पहले भी बताया है फ्रैंक होगरबीट्स SSGEOS नामक संस्था में काम करते हैं। इस संस्था ने अपनी वेबसाइट में लिखा है, “SSGEOS सोलर सिस्टम के ज्यामितीय सर्वे के लिए बहुत छोटा संस्थान है। हम भूकंपीय गतिविधि से संबंधित खगोलीय पिंडों के बीच ज्यामिति की निगरानी कर शोध करते हैं।” इसके अलावा, इस वेबसाइट में ग्रहों की स्थिति को लेकर कुछ फोटोज भी अपलोड किए गए हैं। इन फोटोज के साथ भूकंप आने की घटनाओं का जिक्र है।

हालाँकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि भूकंप को लेकर ऐसी भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। वास्तव में अब तक ऐसे किसी भी शोध को लेकर स्पष्ट पुष्टि नहीं हुई है। इसलिए फ्रैंक होगरबीट्स की भविष्यवाणी पर अब भी संदेह जताए जा रहे हैं। लेकिन यदि उनकी भविष्यवाणी इसी तरह सही होती रहीं तो निश्चित रूप से इसे विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि माना जाएगा।

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413 पन्नों के अपने जवाब में अदानी समूह ने कहा है कि झूठ से भरी ये रिपोर्ट, जाने पूरा मामला

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डिजिटल भारत l कुछ दिन पहले जब अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदानी समूह के ख़िलाफ़ अपनी एक रिपोर्ट में “लेखांकन धोखाधड़ी, स्टॉक में हेरफेर, और मनी लॉन्ड्रिंग” जैसे इल्ज़ाम लगाए तब इसकी कंपनियों के स्टॉक की कीमतें तेज़ी से गिरने लगीं और जानकारों ने कई तरह के सवाल उठाने शुरू कर दिए.

इसमें एक महत्वपूर्ण सवाल था कि क्या अब इन आरोपों से समूह को अपने अधूरे और नए मेगा प्रोजेक्ट्स के लिए धन जुटा पाना आसान होगा?

अदानी समूह की छाप भारत में हर जगह है, चाहे इसके कई प्रकार के उत्पाद हों या बंदरगाह या एयरपोर्ट में निवेश हो.

संकट से पहले अदानी ग्रुप ख़ुद को 260 अरब डॉलर का समूह बताता था. लेकिन इसकी जिन मौजूदा योजनाओं पर काम चल रहा है या इसकी आने वाली योजनाओं पर अगर अमल हुआ तो विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ ही सालों में समूह का आकार दोगुना हो सकता है.
अदानी समूह की कंपनियों का मार्केट कैप लगभग 220 अरब डॉलर था, लेकिन 25 जनवरी को अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक सनसनीखेज रिपोर्ट सामने आने के बाद से अदानी समूह के शेयर लगातार गिर रहे हैं.

अदानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज किया है और इसे कंपनी को नुक़सान पहुँचाने की कोशिश बताया है.

413 पन्नों के अपने जवाब में अदानी समूह ने कहा है कि झूठ से भरी ये रिपोर्ट भारत पर हमला है.
इस ख़बर को जहां अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपने पहले पन्ने पर जगह दी है, वहीं लगभग सभी अख़बारों ने आज इसे प्रमुखता से छापा है.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अदानी समूह के शेयर लगातार गिर रहे हैं और कंपनी के मूल्य में भारी कमी आई है.

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अदानी समूह पर धोखाधड़ी और स्टॉक मैनिपुलेशन के आरोप लगाए हैं लेकिन अदानी समूह ने इन आरोपों से पूरी तरह इनकार किया है.

अदानी मामला: अब तक क्या-क्या हुआ?
4 फ़रवरी 2023 – शेयर बाज़ार नियामक सेबी ने कहा कि वो मार्केट के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होनी देगी और इस मामले में हर ज़रूरी क़दम उठाएगी.

4 फ़रवरी 2023 – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नियामक अपना काम करने के लिए स्वतंत्र हैं इसमें सरकार का कोई दबाव नहीं है.

3 फ़रवरी 2023 – एक टेलीविज़न चैनल को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर अच्छी स्थिति में है और वित्तीय बाज़ार नियमों के साथ काम कर रहे हैं.

2 फ़रवरी 2023 -निवेशकों के बीच घबराहट के माहौल के बीच आरबीआई ने कंपनी को लोन देने वाली कंपनियों से इस सिलसिले में पूरी जानकारी मांगी.

2 फ़रवरी 2023 – कंपनी के मालिक गौतम अडानी ने 4 मिनट 5 सेकंड का एक वीडियो जारी कर एफ़पीओ वापिस लेने की वजह बताई.

1 फ़रवरी 2023 – अदानी कंपनी ने अपना एफ़पीओ वापस लिया.

31 जनवरी 2023 – इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से मुलाक़ात करने के लिए गौतम अदानी हाइफ़ा बंदरगाह पहुंचे थे. हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद पहली बार वो यहां सार्वजनिक तौर पर देखे गए.

31 जनवरी 2023 – एफ़पीओ की बिक्री इस दिन बंद होनी थी. इसी दिन ख़बर आई कि नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर के तौर पर सज्जन जिंदल और सुनील मित्तल समेत कुछ और जानेमाने अरबपतियों ने कंपनी के 3.13 करोड़ शेयर खरीदने के लिए बोली लगाई.

30 जनवरी 2023 – इस दिन तक एफ़पीओ को केलव 3 फ़ीसदी सब्स्क्रिप्शन मिला. इसी दिन अबू धाबी की कंपनी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने कहा कि वो अपनी सब्सिडियरी ग्रीन ट्रांसमिशन इन्वेस्टमेंट होल्डिंग आरएससी लिमिटेड के ज़रिए अदानी के एफ़पीओ में 40 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी.

27 जनवरी 2023 – अदानी ने 2.5 अरब डॉलर का एफ़पीओ बाज़ार में उतारा.

26 जनवरी 2023 – हिंडनबर्ग ने कहा कि वो अपनी रिपोर्ट पर क़ायम है और क़ानूनी कार्रवाई का स्वागत करेगी.

26 जनवरी 2023 – अदानी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज किया. कंपनी ने कहा कि वो क़ानूनी कार्रवाई के बारे में विचार कर रही है.

24 जनवरी 2023 – हिंडनबर्ग ने अदानी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट ‘अदानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड्स थर्ड रिचेस्ट मैन इज़ पुलिंग द लार्जेस्ट कॉन इन कॉर्पोरेट हिस्ट्री’ जारी की

अब हिंडनबर्ग रिसर्च की इस रिपोर्ट ने अदानी को उनके कॉर्पोरेट जीवन के सबसे बुरे संकट में डाल दिया है, इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के सामने भारत की विश्वसनीयता के बारे में भी बड़े सवाल उठ रहे हैं.

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में समूह पर शेयरों में हेराफेरी करने और टैक्स हेवन का अनुचित तरीके से उपयोग करने का आरोप लगाया गया है. अदानी ने इसका ज़ोरदार खंडन किया है.

अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार के जानकार मानते हैं कि इस घटना का एक बड़ा नुकसान भारत का भी हुआ है. इससे व्यावसायिक नियमन के मामले में देश की छवि प्रभावित हुई है जिसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं.

एक ज़माने से विदेशी निवेशक और ऋण देने वाली बड़ी विदेशी संस्थाएं भारत की अर्थव्यवस्था को निवेश के लिए आकर्षक ठिकाना मानती रही हैं.

भारत सरकार के अनुसार साल 2022 में 25 दिसंबर तक भारत को लगभग 85 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) मिला.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 के बीच भारत में कुल एफ़डीआई 888 अरब डॉलर के क़रीब पहुँच गया.

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ईरान प्राकृतिक गैस का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, बावजूद इसके भारी गैस की कमी से जूझ रहा देश

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डिजिटल भारत l ईरान के पट्रोलियम मंत्री जवाद ओउजी ने एक अजीबोगरीब फरमान जारी किया है. ईरान इंटरनेशनल के मुताबिक, मंत्री जवाद ओउजी ने फरमान में कहा कै कि अगर “पड़ोसी ज्यादा गैस इस्तेमाल करते हैं तो लोग इसकी जानकारी खुफिया एजेंसियों को दें.” पट्रोलियम मंत्री की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सर्दियों के मौसम के बीच ईरान को भारी गैस की कमी का सामना करना पड़ रहा है. गैस की कमी से ईरान में घरोलू खपत से लेकर उद्योगों को परेशानी हो रही है.
ईरान बीते कई हफ़्तों से जबरदस्त ठंड की मार झेल रहा है. इसी दरमियान ईरान के तेल मंत्री जवाद ओउजी ने एक अजीबोग़रीब फ़रमान जारी किया है.

उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि कोई भी शख़्स अगर ज़रूरत से ज़्यादा गैस का इस्तेमाल करते पाया गया, तो उसकी शिकायत पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों से की जा सकती है.

तेल मंत्री ने ये भी कहा कि जो लोग गैस का इस्तेमाल ज़रूरत से अधिक कर रहे हैं, उनके गैस कनेक्शन काट दिए जाएंगे.

ख़ुद गैस के एक बड़े भंडार पर बैठा ईरान अपने ही नागरिकों को पर्याप्त मात्रा में इसकी सप्लाई नहीं कर पा रहा है, लिहाज़ा इस कड़ाके की ठंड में ये एक बड़ा संकट बनकर उभरा है.
ऊर्जा बचाने के लिए स्कूल, कार्यालय बंद
ईरान सरकार ने 31 ईरानी प्रांतों में से आठ प्रांतों में ऊर्जा बचाने के लिए अपने कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया है. प्रभावित प्रांतों में माजंदरान, इस्फहान, काज़्विन, पूर्वी अजरबैजान, अल्बोर्ज़, गिलान, कोम और दक्षिण खुरासान हैं. दरअसल, ईरान में गैस की कमी की समस्या पहले से ही है. देश में इतना बड़ा गैस भंडार होने के बावजूद ईरान कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण उतनी गैस का उत्पादन नहीं कर पाता है.

ईरान इंटरनेशनल के अनुसार, गैस ले जाने के दौरान 25 फीसदी से ज्यादा गैस उड़ जाती है. इसके अलावा ईरान के सामने अमेरिका के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध भी हैं. अमेरिकी प्रतिबंधों ने ईरान के लिए अपने गैस वितरण नेटवर्क को अपग्रेड करना मुश्किल बना दिया है, क्योंकि प्रतिबंध ईरान को नई तकनीकों तक पहुंचने में मुश्किल पैदा कर रहे हैं. .
ईरान के कट्टरपंथी राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी को पहले ही बीते कई महीनों से सरकार विरोधी प्रदर्शनों का सामना करना पड़ रहा है. अब इस नए मुद्दे ने उनकी मुसीबतों में और इजाफ़ा कर दिया है.

कड़ी सर्दी में गैस का अभाव
शून्य से कहीं नीचे तापमान और बर्फ़बारी की वजह से देश में गैस की मांग काफ़ी बढ़ी है. लेकिन हाल के दिनों में सप्लाई कई कारणों से कम हुई है, जिसकी वजह से कई क्षेत्रों में स्कूलों, सरकारी दफ़्तरों और सार्वजनिक सुविधाओं को बंद कर दिया गया है.

गैस की कमी की वजह से कई शहरों में बड़े पैमाने पर बिजली कटौती हुई है, वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई और विरोध प्रदर्शनों में इज़ाफ़ा हुआ है.

गैस की किल्लत के कारण माज़ंदरान, इस्फ़हान, काज़्विन, पूर्वी अज़रबैजान, अल्बोर्ज़, गिलान, क़ोम और दक्षिण ख़ुरासान प्रांत प्रभावित हैं.

इससे जुड़े कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि सरकार कुछ शहरों में सर्दियों से निपटने के लिए लोगों को मदद दे रही है.
कुछ वीडियोज़ में दिखता है कि खाना पकाने और अन्य घरेलू ज़रूरतों के लिए बोतलबंद गैस की रिफ़िल पाने के लिए देश भर में उपभोक्ताओं की लंबी कतारें लगी हैं.

लोग गैस के लिए कई घंटों तक इन कतारों में खड़े रहकर इंतज़ार कर रहे हैं. कुछ वीडियो में प्रदर्शन करते हुए छात्रों की तस्वीरें भी सामने आई हैं.
नेशनल ईरानियन गैस’ कंपनी में उत्पादन, समन्वय और पर्यवेक्षण के निदेशक अहमद ज़मानी कहते हैं कि गैस का उत्पादन कम नहीं हुआ है, बल्कि होता ये है कि सर्दियों में इसकी मांग बहुत बढ़ जाती है.

हाल के एक बयान में उन्होंने कहा, “ईरान में औसतन 250 अरब क्यूबिक मीटर गैस की सालाना खपत होती है, अगर प्रतिदिन के लिहाज़ से देखा जाए, तो ये लगभग 68.5 करोड़ क्यूबिक मीटर होता है.”

वे कहते हैं, “काग़ज़ पर यह ईरान की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. फिर भी देश ने सर्दियों के दौरान नियमित रूप से बिजली की कमी का अनुभव किया है. ईरान का प्राकृतिक गैस उत्पादन काफ़ी स्थिर है, लेकिन सर्दियों के महीनों में मांग आसमान छूती है.”

दाम बढ़ाना विकल्प नहीं
राष्ट्रपति रईसी के लिए गैस और तेल का दाम बढ़ाना लगभग असंभव है. विशेषज्ञ कहते हैं ये क़दम प्रशासन के लिए भारी पड़ सकता है.

भारतीय मूल के आसिफ़ शुजा, सिंगापुर में ‘मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट’ थिंक टैंक में ईरान के मामलों के विशेषज्ञ हैं. वो कहते हैं, “ईरान अपने नागरिकों को तेल और गैस में भारी सब्सिडी देता है. मध्य-पूर्व के देशों की तुलना में ये छूट बहुत अधिक है. और ये छूट ईरान 1979 में आए इस्लामी क्रांति के समय से ही दे रहा है.”

शुजा कहते हैं, “सरकार जब भी सब्सिडी में कटौती की कोशिश करती है या जैसे ही तेल और गैस के दाम थोड़ा बढ़ाने की बात होती है, तो देश में इसका बड़े पैमाने पर विरोध होने लगता है, जैसा कि 2019 में देखा गया. ईरान में प्रति व्यक्ति गैस की ख़पत रूस और अमेरिका के बाद सबसे अधिक है.”

सालों से ईरान पर लगी आर्थिक पाबंदियों के कारण उसकी अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो गई है. इसके अलावा उद्योग और कारखानों में लगी मशीनें और सिस्टम पुराने हो चुके हैं. इनके आधुनिकीकरण की सख़्त ज़रूरत है.

आसिफ़ शुजा कहते हैं, “प्रतिबंध की वजह से इस सेक्टर के विकास के लिए जो आधुनिक टेक्नोलॉजी चाहिए, वो इनके पास नहीं है. ईरान प्रोडक्शन में पुरानी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है. इसकी वजह से गैस की बर्बादी भी खूब होती है.”

शुजा बताते हैं, “ट्रांसमिशन के दौरान 25 प्रतिशत गैस बर्बाद हो जाती है. टेक्नोलॉजी को आधुनिक बनाने के लिए उन्हें 40 अरब डॉलर की ज़रूरत है, लेकिन वो इस पर केवल तीन अरब डॉलर ही खर्च कर सका है.”

सियासी असर

क्या गैस की सख़्त कमी के कारण हो रहे प्रदर्शन का सियासी तौर पर प्रभाव हो सकता है? ख़ास तौर से एक ऐसे समय में जब पिछले सितंबर से ईरान की मोरैलिटी पुलिस की हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद महिलाओं के प्रति शासन के व्यवहार और अन्य मुद्दों पर दशकों से चली आ रही कड़वाहट की पृष्ठभूमि में, राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों ने देश को झकझोर कर रख दिया है.

इस पर आसिफ़ शुजा कहते हैं, “सियासी माहौल पहले से ही गर्म है और उसमें अगर आप गैस का संकट जोड़ें तो ईरान की सरकार के लिए स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है.”

अली रज़ा मसनवी के मुताबिक़, ईरान के इस्लामी प्रशासन के ख़िलाफ़ नाराज़गी अपने चरम पर है और गैस के संकट ने इसमें आग में घी डालने जैसा काम किया है.

वे कहते हैं, “सबसे अधिक प्रभावित इलाक़ा वो है जहाँ से राष्ट्रपति रईसी आते हैं. उनके समर्थक भी अब उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने लगे हैं. अगर इस संकट ने तूल पकड़ा तो उनके लिए सियासी पेचीदगी बढ़ सकती है.”
इस संकट से ईरान निकले कैसे?
विशेषज्ञों की राय है कि ईरान को अपनी विदेश नीति की सामान्य समीक्षा करनी चाहिए और आर्थिक स्थिरता और विकास को सक्षम करने के लिए अपनी विदेश नीतियों को बदलना चाहिए.

उनका कहना है कि तेहरान को परमाणु समझौते को फिर से लागू करने के लिए आसान शर्तें रखनी चाहिए, ताकि वो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के शिकंजे से उसे थोड़ी राहत मिल सके.

जानकार ये भी कहते हैं कि विदेशी कंपनियों से आर्थिक मदद और आधुनिक तकनीक के बिना आने वाले सालों में ईरान को बढ़ते ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा.

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कश्मीर की जमीन से निकला तकदीर बदलने वाला बेशकीमती ‘खजाना’

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अब लगभग सभी देश पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता घटाने की कोशिश में जुटे हैंइसमें अहम योगदान लिथियम का हैलिथियमआयन बैटरी में फिर से इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा यानी रिन्यूएबल एनर्जी को स्टोर किया जाता है

जम्मू-कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है. लेकिन इसी स्वर्ग में 59 लाख टन का अनमोल ‘खजाना’ मिला है. भारतीय भूवैज्ञानिकसर्वेक्षण के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में एक बड़ा लिथियम भंडार मिला है.  चाहे बैटरी प्रोडक्ट हो या फिर स्मार्टफोन, नॉर्मल कार हो या फिर इलेक्ट्रिक, सब में लिथियम आयन बैटरी का उपयोग होता है. भविष्य में ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत लिथियम आयनबैटरी होंगी. 

अब लगभग सभी देश पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता घटाने की कोशिश में जुटे हैं. इसमें अहम योगदान लिथियम का है. लिथियमआयन बैटरी में फिर से इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा यानी रिन्यूएबल एनर्जी को स्टोर किया जाता है. अब दुनिया ग्रीन एनर्जी को अपनानेपर जोर दे रही है. लिथियम का इसमें बड़ा योगदान है. इनको बार-बार रिचार्ज किया जा सकता है और ये लंबे वक्त तक चलती हैं. लिहाजा, भविष्य के लिए लिथियम एक ऑयल से कम नहीं है. देश में लिथियम का बड़ा भंडार मिलने के बाद इसकी मैन्युफैक्चरिंगबढ़ेगी. लिथियम उत्पादक देशों की बात करें तो भारत लिस्ट में कहीं नहीं है. लेकिन इस बड़े भंडार के मिलने के बाद उसकी स्थिति पहलेसे बेहतर होगी.

लिथियम की क्या वैल्यू होती है?

लिथियम की वैल्यू बदलती रहती है. जिस तरह हर कंपनी के शेयर की कीमत हर दिन के हिसाब से तय होती है, वैसा ही एक कमोडिटीमार्केट होता है. इस बाजार में हर धातु की एक कीमत होती है. खबर लिखे जाने तक लिथियम की वैल्यू प्रति टन 472500 युआन यानीकरीब 57, 36,119 रुपये थी.  इसका मतलब है कि भारतीय मुद्रा में एक टन लिथियम के लिए 57.36 लाख रुपये खर्च करने होंगे. भारत में जो लिथियम का भंडार मिला है, वह 59 लाख टन का है. इसका मतलब है कि आज इसकी कीमत करीब 33,84,31,021 लाख रुपये यानी 3,384 अरब रुपये होगी. वैश्विक बाजार में कीमत हर दिन बदलती है. 

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Chat GPT से हार मानने को तैयार नहीं Google

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डिजिटल भारत l Chat GPT जब से मार्केट में आया है तब से गूगल की परेशानी बढ़ी हुई है लेकिन अब गूगल ने नहले पर दहला मारा है और अपना एक ऐसा प्रोडक्ट मार्केट में उतारा है जो चैट जीपीटी को कांटे की टक्कर दे सकता है.चैट जीपीटी कुछ ही समय में काफी पॉपुलर बन गया है और उसका कारण है इसका इंसानी बर्ताव. इस बर्ताव की वजह से लोग चैट जीपीटी को काफी पसंद कर रहे हैं. चैट जीपीटी के आने से गूगल पर खतरे के बादल मंडराने शुरू हो गए थे लेकिन अब गूगल में खेल पलटने की पूरी तैयारी कर ली है. दरअसल कंपनी एक ऐसा एआई टूल लेकर आई है जो चैट जीपीटी को कांटे की टक्कर दे सकता है. अगर आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.
कौन सा है ये AI टूल

Bard नाम का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस टूल गूगल की तरफ से पेश कर दिया गया है जो चैट जीपीटी को कांटे की टक्कर देने के लिए तैयार किया गया है. यह असल में एक चैटबॉट है जो ठीक उसी तरह से लोगों के सवालों का जवाब देता है जिस तरह से चैट जीपीटी को तैयार किया गया है. इसके आने के बाद से लोग ऐसा मान रहे हैं कि अब गूगल एक बार फिर से अपनी बादशाहत कायम रख पाएगा.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस यह टूल लैंग्वेज मॉडल फॉर डायलॉग एप्लीकेशन पर काम करता है. यह टूल ना सिर्फ बेहद ही क्रिएटिव है बल्कि धमाकेदार तरीके से जानकारी एकत्रित करके लोगों तक पहुंचाता है और इसका रिस्पांस टाइम काफी कम है. मौजूदा समय में यह ट्रूल्य स्टिंग स्टेज में है लेकिन आने वाले समय में यह पूरी तरह से काम कर पाएगा.

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RBI (Reserve Bank of India) ने छठवीं बार बढ़ाया रेपो रेट, जानिए रेपो रेट क्‍यों बढ़ाया और घटाया जाता है

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डिजिटल भारत I भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर से रेपो रेट में छठवीं बार बढ़ोतरी कर दी है. रेपो रेट बढ़ने का असर लोन पर भी पड़ेगा. अब ग्राहकों को लोन के लिए महंगी ब्‍याज दरों को चुकाना होगा

भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर से रेपो रेट में छठवीं बार बढ़ोतरी कर दी है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 25bps का इजाफा कर दिया है. इससे रेपो रेट 6.25% से बढ़कर 6.50% हो गया है. रेपो रेट बढ़ने के साथ अब पर्सनल लोन, कार लोन और होम लोन वगैरह महंगे हो जाएंगे. हालांकि लोगों को फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट में ज्‍यादा ब्‍याज दरों का फायदा मिल सकता है. आइए आपको बताते है कि आरबीआई रेपो रेट क्‍यों बढ़ाती और घटाती है.

आरबीआई क्‍यों बढ़ाती और घटाती है मॉनेटरी पॉलिसी
रेपो रेट महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है, जिसका समय समय पर आरबीआई स्थिति के हिसाब से इस्‍तेमाल करता है. जब महंगाई बहुत ज्‍यादा होती है तो आरबीआई इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है और रेपो रेट को बढ़ा देता है. लेकिन जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है और ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है.

आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने से बैंकों को मिलने वाला कर्ज भी महंगा हो जाता है, इसके कारण बैंक भी अपने ग्राहकों को कर्ज महंगी ब्‍याज दरों पर देते हैं. यही कारण है कि रेपो रेट बढ़ने के साथ ही लोन भी महंगा हो जाता है. वहीं अगर आरबीआई रेपो रेट को कम कर देता है, तो बैंकों को कर्ज सस्‍ती दरों पर मिलता है और वो अपने ग्राहकों को भी सस्‍ती ब्‍याज दरों पर लोन उपलब्‍ध करवाती हैं. लोन महंगे होने से इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है. मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है.

साल में कई बार होती है MPC बैठक
बता दें कि आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक हर दो महीने में होती है. वैसे विशेष परिस्थिति में कमिटी कभी भी अपने अचानक लिए फैसले का ऐलान कर सकती है. मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी या एमपीसी, महंगाई के टारगेट को हासिल करने के लिए जरूरी नीतिगत दर यानी रेपो रेट तय करता है. रेपो रेट वो रेट होता है, जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों (Commercial Banks) और दूसरे बैंकों को लोन देता है.

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सरकार से की ये खास गुजारिश, नफरती भाषण पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

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डिजिटल भारत I सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि “भारत जैसे एक पंथनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर नफरत की भावना से किए जाने वालेअपराधों के लिए कोई गुंजाइश नहीं है.” सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “नफरती भाषण पर किसी भी तरह से कोई समझौता नहीं किया जासकता.” कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार नफरती भाषण की समस्या को समझेगी, तभी समाधान निकलेगा.

जानिए कोर्ट ने और क्या कहा
न्यायालय ने यह भी कहा कि इस तरह के किसी अपराध से अपने नागरिकों की हिफाजत करना सरकार का कर्तव्य है. न्यायमूर्ति के एमजोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, जब नफरत की भावना से किये जाने वाले अपराधों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कीजाएगी, तब एक ऐसा माहौल बनेगा, जो खतरनाक होगा.

कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के किसी अपराध से अपने नागरिकों की हिफाजत करना सरकार का कर्तव्य है. जस्टिस के एम जोसेफऔर जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, “जब नफरत की भावना से किए जाने वाले अपराधों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब एक ऐसा माहौल बनेगा, जो खतरनाक होगा. नफरती भाषण पर किसी भी तरह से कोई समझौता नहीं किया जा सकता.”

मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई 

सुप्रीम कोर्ट एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने आरोप लगाया है कि चार जुलाई 2021 को अपराधियोंके ‘स्क्रूड्राइवर गिरोह’ ने धर्म के नाम पर उन पर हमला किया और बदसलूकी की थी और पुलिस ने घृणा अपराध की शिकायत दर्ज नहींकी. यह घटना उस वक्त हुई थी, जब वह नोएडा से अलीगढ़ जाने के लिए एक कार में सवार हुए थे.

जड़ से खत्म करना होगा 

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज से कहा, “आजकल, नफरती भाषण केइर्द-गिर्द आम सहमति बढ़ती जा रही है. भारत जैसे पंथनिरपेक्ष देश में धर्म के नाम पर घृणा अपराध करने की कोई गुंजाइश नहीं है. इसेजड़ से खत्म करना होगा और यह सरकार का प्राथमिक कर्तव्य है कि वह इस तरह के किसी अपराध से अपने नागरिकों की हिफाजतकरे.”

हम अपनी वेदना जाहिर कर रहे हैं– कोर्ट 

कोर्ट ने कहा, “यदि एक व्यक्ति पुलिस के पास आता है और कहता है कि मैं एक टोपी पहने हुए था तथा मेरी दाढ़ी खींची गई और धर्मके नाम पर मेरे साथ बदसलूकी की गई, तब भी शिकायत दर्ज नहीं की जाती है, तो एक समस्या है.”

जस्टिस जोसफ ने कहा कि प्रत्येक सरकारी अधिकारी की कार्रवाई कानून के अनुरूप होनी चाहिए. अन्यथा, हर कोई कानून को अपनेहाथों में लेगा. पीठ ने कहा, “हम सिर्फ अपनी वेदना जाहिर कर रहे हैं.”

विषय की सुनवाई के लिए पीठ शाम छह बजे तक बैठी. याचिकाकर्ता काजिम अहमद शेरवानी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ताहुजेफा अहमदी ने कहा कि 13 जनवरी को इस न्यायालय ने राज्य सरकार को प्राथमिकी से जुड़ी ‘केस डायरी’ पेश करने को कहा था. यह प्राथमिकी घटना के दो साल बाद दर्ज की गई थी और इसमें लगाई गई एक को छोड़ कर शेष सभी धाराएं जमानती थीं.

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भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज से पहले टीम के खिलाड़ी ने अचानक ले लिया संन्यास, साथी हैरान

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डिजिटल भारत l भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चार मैचों की टेस्ट सीरीज शुरू होने से दो दिन पहले ही एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने क्रिकेट फैंस को मायूस करके रख दिया है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच नागपुर में 9 फरवरी से शुरू होने वाले पहले टेस्ट मैच से पहले ऑस्ट्रेलिया के विस्फोटक बल्लेबाज एरॉन फिंच ने अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है. एरॉन फिंच के अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की खबर सुनकर उनके फैंस सदमे में हैं और साथी कंगारू खिलाड़ी भी हैरान हैं
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चार मैचों की टेस्ट सीरीज शुरू होने से दो दिन पहले ही एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने क्रिकेट फैंस को मायूस करके रख दिया है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच नागपुर में 9 फरवरी से शुरू होने वाले पहले टेस्ट मैच से पहले ऑस्ट्रेलिया के विस्फोटक बल्लेबाज एरॉन फिंच ने अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है. एरॉन फिंच के अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की खबर सुनकर उनके फैंस सदमे में हैं और साथी कंगारू खिलाड़ी भी हैरान हैं.
एरॉन फिंच ने अपने संन्यास का ऐलान करते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं 2024 का टी20 वर्ल्ड कप नहीं खेल पाऊंगा. इसको ध्यान में रखते हुए मेरे लिए कप्‍तानी छोड़ने और टीम को आगे की योजना बनाने देने का सही समय आ गया है. मेरे रिटायरमेंट लेने का ये सही समय है, जिससे ऑस्ट्रेलियाई टीम अपनी आगे की रणनीति पर काम कर सकती है. मैं अपने फैंस को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे लगातार अपना सपोर्ट दिया. सर्वकालिक दिग्‍गज खिलाड़‍ियों के साथ 12 साल ऑस्‍ट्रेलियाई टीम के लिए खेलना मेरे लिए बड़े सम्‍मान की बात है. 2021 में टी20 वर्ल्ड कप जीतना और 2015 में वनडे वर्ल्ड कप जीतना मेरे करियर की सबसे खास यादें रहने वाली हैं.’
सदमे में क्रिकेट फैंस

बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के पूर्व टी20 कप्तान एरॉन फिंच के नाम टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी खेलने का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है. एरॉन फिंच ने 3 जुलाई 2018 को जिम्बाब्वे के खिलाफ हरारे में 76 गेंदों में वर्ल्ड रिकॉर्ड 172 रनों की व्यक्तिगत पारी थी. एरॉन फिंच ने अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को साल 2021 में टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जिताया था. एरॉन फिंच ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 5 टेस्ट, 146 वनडे और 103 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. एरॉन फिंच ने टेस्ट में 278 रन, वनडे में 5406 रन और टी20 इंटरनेशनल में 3120 रन बनाए हैं. एरॉन फिंच को डेविड वॉर्नर के बाद ऑस्ट्रेलिया के सबसे खतरनाक और विस्फोटक बल्लेबाजों में गिना जाता है.
भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया को 9 फरवरी से नागपुर में पहला टेस्ट मैच खेलना है. ऐसे में एरॉन फिंच के संन्यास की खबर ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाड़ियों को मायूस कर सकती है और कंगारू टीम का मनोबल भी तोड़ सकती है. क्रिकेट ऑस्‍ट्रेलिया के चेयरमैन लैचलान हेंडरसन ने कहा कि एरॉन फिंच ऑस्‍ट्रेलिया के सर्वश्रेष्‍ठ सफेद गेंद के खिलाड़‍ियों में से एक हैं. क्रिकेट ऑस्‍ट्रेलिया के चेयरमैन ने कहा, ‘जहां वो मैदान पर कड़े प्रतिस्‍पर्धी रहे, वहीं फिंच ने हमेशा चेहरे पर मुस्‍कुराहट रखते हुए खेल खेला और वो भी सही भावना के साथ.’

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राम लला की मूर्ति जिस शालिग्राम शिला से बनेगी, उसके बारे में आप कितना जानते हैं? यहां पढ़ें महत्वपूर्ण जानकारी

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डिजिटल भारत l नेपाल से अयोध्या लाईं गई करीब छह करोड़ साल पुरानी शालिग्राम शिलाएं इन दिनों चर्चा में हैं। इन्हीं शिलाओं से अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली भगवान राम और माता सीता की मूर्ति तैयार होनी है। ये शिलाएं नेपाल की गंडकी नदी में लाई गईं हैं। माना जा रहा है कि साल 2024 में होने वाली मकर संक्रांति तक यह मूर्तियां बनकर तैयार हो जाएंगी।

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के निर्माणाधीन मंदिर में स्थापित होने वाली दो शालिग्राम शिलाएं अयोध्या आ गई है। भगवान विष्णु का स्वरूप मानी जाने वाली इन शिलाओं का रामनगरी में भव्य अभिनंदन किया गया। कहा जाता है कि ये शिलाएं करीब छह करोड़ साल पुरानी हैं। दोनों शिलाएं 40 टन की हैं। एक शिला का वजन 26 टन जबकि दूसरे का 14 टन है।
शालिग्राम शिला चर्चा में क्यों है?
नेपाल की पवित्र काली गंडकी नदी से ये पत्थर निकाले गए हैं। वहां अभिषेक और विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद शिला को 26 जनवरी को सड़क मार्ग से अयोध्या के लिए रवाना किया गया। बिहार के रास्ते यूपी के कुशीनगर और गोरखपुर होते हुए बुधवार को ये शिलाएं अयोध्या पहुंचीं। शिलायात्रा जहां-जहां से गुजरी उसका भव्य स्वागत हुआ। जानकारी के मुताबिक, शालिग्राम शिलाओं को रामसेवकपुरम स्थित कार्यशाला में रखा जाएगा।
शालिग्राम शिलाएं अयोध्या क्यों लाई गईं?
छह करोड़ वर्ष पुराने दो शालीग्राम पत्थरों को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि में रखा जाएगा। इन शिलाओं का इस्तेमाल यहां निर्माण हो रहे श्री राम मंदिर में भगवान श्री राम के बाल्य स्वरूप की मूर्ति और माता सीता की मूर्ति बनाने के लिए किया जाएगा।

मां लक्ष्मी का मिलता है आशीर्वाद

शालिग्राम स्वयंभू होने के कारण इनकी भी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती और भक्त जन इन्हें घर अथवा मन्दिर में सीधे ही पूज सकते हैं. शालिग्राम शिला को अलौकिक माना गया है. कहते हैं जिस घर या मंदिर में शालिग्राम विराजते हैं वहां के भक्तों पर मां लक्ष्मी मेहरबान रहती है, साथ ही वह संपूर्ण दान के पुण्य तथा पृथ्वी की प्रदक्षिणा के उत्तम फल का अधिकारी बन जाता है.

अयोध्या में रामलला की मूर्ति नेपाल के शालीग्राम शिलाओं से बनेगी. धर्म ग्रंथों में शालीग्राम पत्थर को साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भगवान विष्णु के ही सातवें अवतार माने गए हैं. राम भगवान की मूर्ति को जिस शालिग्राम पत्थर से तराशा जाएगा वह नेपाल की गंडकी नदी में पाया जाता है. आइए जानते हैं शालिग्राम पत्थर का महत्व.
इस कारण शालीग्राम शिला से बन रही है राम की मूर्ति

धार्मिक मान्यता है कि शालिग्राम पत्थर बेहद चमत्कारी माना गया है. कहते हैं जहां शालिग्राम की पूजा होती है वहां मां लक्ष्मी का वास होता है. वहीं गंडकी नदी के शालिग्राम शिला को लेकर पौराणिक कथा है कि एक बार भगवान विष्णु ने वृंदा (तुलसी) के पति शंखचूड़ को छल से मार दिया था.

वृंदा को इस बात का पता चला तो उन्होंने विष्णु को पाषाण होकर धरती पर निवास करने का श्राप दिया. चूंकि वृंदा श्रीहरि की परम भक्त थी, तुलसी की तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने कहा कि तुम गंडकी नदी के रुप में जानी जाओगी और मैं शालिग्राम बनकर इस नदी के पास वास करुंगा. कहते हैं कि गंडकी नदी में जो शालिग्राम शिला है उन पर चक्र, गदा का चिन्ह पाए जाते हैं
शालिग्राम पत्थर का महत्व

हिंदू धर्म में शालिग्राम का खास महत्व है. हिंदूओं में ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश की पूजा विभिन्न प्रकार से की जाती है. जैसे ब्रह्मा जी की पूजा शंख के रूप में और भगवान शिव की उपासना शिवलिंग के रूप में की जाती है, ठीक उसी तरह भगवान विष्णु की उपासना भगवान शालिग्राम के रूप में की जाती है. कहते हैं कि 33 प्रकार के शालिग्राम होते हैं. इन सभी को श्रीहरि विष्णु के 24 अवतारों से जोड़ा गया है. विष्णु के गोपाल रूप में गोलाकार शालिग्राम की पूजा होती है. मछली के आकार के शालिग्राम को मत्स्य अवतार का रुप माना जाता है. कछुए के आकार को कुर्म अवतार का प्रतीक माना जाता है. जिन शालीग्राम में रेखाएं होती हैं उन्हें श्रीकृष्ण का रूप माना जाता है.

मां लक्ष्मी का मिलता है आशीर्वाद

शालिग्राम स्वयंभू होने के कारण इनकी भी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती और भक्त जन इन्हें घर अथवा मन्दिर में सीधे ही पूज सकते हैं. शालिग्राम शिला को अलौकिक माना गया है. कहते हैं जिस घर या मंदिर में शालिग्राम विराजते हैं वहां के भक्तों पर मां लक्ष्मी मेहरबान रहती है, साथ ही वह संपूर्ण दान के पुण्य तथा पृथ्वी की प्रदक्षिणा के उत्तम फल का अधिकारी बन जाता है.

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