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एक भारत उत्कृष्ट भारत

कलेक्टर क्षितिज सिंघल की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति की बैठक

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डिजिटल भारत l सिवनी 15 फरवरी 23 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित सिवनी के प्रधान कार्यालय में बैंक प्रशासक एवं कलेक्ट क्षितिज सिंघल की अध्यक्षता में PACS कम्प्यूटराइजेशन हेतु गठित जिला स्तरीय क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति (DLIMC ) की बैठक आयोजित हुई।

बैठक में उपायुक्त सहकारिता सिवनी, बैंक मुख्य कार्यपालन अधिकारी, बैंक मुख्य लेखापाल एवं मुख्यालय समस्त स्टाफ व DLIMC कमेटी के सदस्य समिति प्रवन्धक समिति बांकी, पलारी एवं सिवनी की उपस्थिति रही।

कलेक्टर सिंघल द्वारा बैंक के कार्यों एवं बैंक के वित्तीय स्थिति की विस्तृत समीक्षा करते हुए अमानतों में वृद्धि करने हेतु व कृषि ऋण वसूली के लिए बैंक मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देशित किया गया।
 उन्होंने जिले में बैंक के समस्त शाखा प्रबंधक, समस्त समिति प्रबंधक को दिए गए कृषि ऋण वसूली के लक्ष्यों के विरुद्ध शत प्रतिशत पूर्ति सुनिश्चित करने एवं उक्त वसूली कार्य में लापरवाही करने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही प्रस्तावित करने के निर्देश दिए। बैंक प्रशासक एवं कलेक्टर सिंघल ने मध्यप्रदेश शासन द्वारा शासकीय कर्मचारियों को दिये जा रहे महंगाई भत्ता में की गई बढ़ोतरी की स्वीकृति प्रदान की गई, जिसके लिए बैंक के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की
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बॉलीवुड के सबसे ख़ूबसूरत चेहरों मधुबाला का नाम सुमार

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डिजिटल भारत l भारतीय बॉलीवुड के सबसे ख़ूबसूरत चेहरों की जब भी बात होती है तो लोग मधुबाला का नाम सबसे पहले लेते हैं.

और मधुबाला का नाम लेते ही आपके जेहन में उनकी कई छवियां उभर आती हैं. महल में सस्पेंस जगाने वाली मधुबाला हों या फिर मिस्टेर एंड मिसेज 55 की शहरी बाला. या फिर हावड़ा ब्रिज की मादक डांसर हो या फिर मुगले आज़म की कनीज अनारकली जिसका जलवा किसी शहजादी से कम नहीं लगता.

मोहक, ख़ूबसूरत, दिलकश और ताज़गी से भरपूर, जिसके चेहरे से नूर टपकता रहा हो, तो आप मधुबाला के अलावा शायद ही किसी दूसरे चेहरे के बारे में सोच पाएं.

14 फरवरी 1933 को जन्मी मधुबाला के चाहने वाले आज भी अनगिनत हैं.
मधुबाला की ख़ूबसूरती का अंदाज़ा लगाना हो तो 1990 में एक फ़िल्मी पत्रिका मूवी के बॉलीवुड की आल टाइम ग्रेटेस्ट अभिनेत्रियों की लोकप्रियता वाले सर्वेक्षण को देखिए, उसमें 58 फ़ीसदी लोगों के वोट के साथ मधुबाला नंबर एक पर रहीं थीं, उनके आसपास कोई दूसरा नहीं पहुंच पाया था. इसमें नरगिस 13 फ़ीसदी वोटों के साथ दूसरे पायदान पर रहीं थीं.
सबसे ख़ूबसूरत मधुबाला
मधुबाला के साथ ही अपना डेब्यू करने वाले राजकपूर ने मधुबाला के बारे में एक बार कहा था लगता है कि ईश्वर ने खुद अपने हाथों से संगमरमर से उन्हें तराशा है. पेंगुइन इंडिया से प्रकाशित और भाईचंद पटेल की संपादित बॉलीवुड टॉप 20- सुपरस्टार्स ऑफ़ इंडिया में राजकपूर का ये बयान दर्ज है. इसी पुस्तक के मुताबिक शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने अपने फ़िल्मी जगत में काम करने के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब एक दिन उन्होंने शूटिंग करते हुए मधुबाला को देखा था उन्हें लगा कि उनका दिन बन गया.

शम्मी कपूर ने अपनी ऑटोबोयोग्राफी शम्मी कपूर द गेम चेंजर में एक पूरा चैप्टर मधुबाला को समर्पित किया है. इसका शीर्षक है- फेल मेडली इन लव विद मधुबाला. शम्मी कपूर इसमें कहते हैं- मैं ये जानता था कि मधु किसी और के प्यार में हैं, लेकिन इसके बाद भी मैं ये स्वीकार करना चाहता हूं कि मैं उनसे पागलों की तरह प्यार करने लगा था. इसके लिए किसी को दोष नहीं दिया जा सकता था, क्योंकि मैं ने उनसे ख़ूबसूरत औरत कभी नहीं देखी.
दिलीप कुमार-मधुबाला की प्रेम कहानी
दोनों को एक समय में भारतीय फिल्म इतिहास की सबसे रोमांटिक जोड़ी माना जाता था, दोनों एक दूसरे से प्यार भी करते थे. 1955 में पहली बार फ़िल्म इंसानियत के प्रीमियर के दौरान मधुबाला दिलीप कुमार के साथ सार्वजनिक तौर पर नज़र आईं थीं. ये पहला और इकलौता मौका था जब दिलीप कुमार और मधुबाला एक साथ सार्वजनिक तौर पर साथ नजर आए थे.
इस मौके को कवर करने वाले पत्रकार के. राजदान ने बाद में लिखा था कि मधुबाला इससे ज़्यादा ख़ुश पहले कभी नज़र नहीं आई थीं. रॉक्सी सिनेमा में हुए इस प्रीमियर में मधुबाला हमेशा दिलीप कुमार के बांह थामे हुए नज़र आती रहीं.

शम्मी कपूर ने इस बात का जिक्र भी किया है कि किस तरह से दिलीप कुमार केवल मधुबाला को देखने के लिए मुंबई से पूना तक कार चला कर आया करते थे और दूर खड़े होकर मधुबाला को देखा करते थे.

बहरहाल, एक आम धारणा ये है कि मुधबाला के पिता नहीं चाहते थे कि मधुबाला और दिलीप कुमार की शादी हो. इसको लेकर फ़िल्मी पत्र पत्रिकाओं में काफ़ी कुछ छपता भी रहा है. लेकिन दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा दिलीप कुमार- द सब्सटेंस एंड द शैडो में इससे उलट बात कही है.
मधुबाला-दिलीप ऐसे हुए अलग?
उन्होंने लिखा है, “जैसा कि कहा जाता है, उसके उलट मधु और मेरी शादी के ख़िलाफ़ उनके पिता नहीं थे. उनके अपनी प्रॉडक्शन कंपनी थी और वे इस बात से बेहद ख़ुश थे कि एक ही घर में दो बड़े स्टार मौजूद होंगे. वे तो चाहते थे कि दिलीप कुमार और मधुबाला एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले अपने करियर के अंत तक उनकी फिल्मों में डूएट गाते नजर आएं.”
दिलीप कुमार के मुताबिक उनकी यही बात मधुबाला के पिता अयातुल्ला ख़ान को पसंद नहीं आई और उन्होंने दिलीप कुमार को जिद्दी और अड़ियल मानना शुरू कर दिया. दिलीप के मुताबिक मधुबाला का रुझान हमेशा अपने पिता की तरफ़ रहा और वो कहती रहीं कि शादी होने के बाद सबकुछ ठीक हो जाएगा.

ऐसा भी नहीं था कि दिलीप शादी के लिए तैयार नहीं थे, 1956 में ढाके की मलमल फ़िल्म की शूटिंग के दौरान एक दिन उन्होंने मधुबाला से कहा भी काज़ी इंतज़ार कर रहे हैं चलो मेरे घर आज शादी कर लेते हैं. लेकिन उनकी बातों पर मुधबाला रोने लगीं. दिलीप कुमार कहते रहे कि अगर आज तुम नहीं चली तो मैं तुम्हारे पास लौटकर नहीं आऊंगा, कभी नहीं आऊंगा.

किशोर कुमार से शादी
इस अलगाव के चलते ही मधुबाला ने शादी करने का मन बनाया होगा. लेकिन वो किशोर कुमार से एक दिन शादी कर लेंगी, इसका भरोसा किसी को नहीं था. लेकिन जिस वक्त मधुबाला और दिलीप कुमार की राहें अलग होने लगी थीं, उसी वक्त किशोर कुमार का अपनी पहली पत्नी रोमा देवी से तलाक़ हुआ था. और दोनों एक साथ कई फ़िल्मों में काम कर रहे थे.

इस वजह से दोनों के बीच एक आकर्षण हुआ हो और 1960 में किशोर कुमार और मधुबाला ने आपस में शादी कर ली. किशोर कुमार के साथ शादी के फ़ैसले ने मधुबाला को दिलीप कुमार से अलग होने के तुलना में कहीं ज़्यादा आघात पहुंचाया.

किशोर कुमार को मधुबाला की बीमारी के बारे में पता तो था लेकिन उसकी गंभीरता का अंदाजा नहीं था. वे मधुबाला को इलाज़ के लिए लंदन ले गए, जहां डॉक्टरों ने जवाब देते हुए कहा कि अब ज्यादा से ज्यादा मधुबाला एक से दो साल ही जी पाएंगी.

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विदेश में पढ़ने का है सपना तो केंद्र सरकार इसे करेगी पूरा, जानें क्या है प्रोसेस : Study Abroad

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डिजिटल भारत l विदेश में पढ़ाई करने वाले उन छात्रों के लिए सुनहरा मौका है, जिन्हें अपने इस सपने को पूरा करने के लिए पैसों की सख्त जरूरत है। दरअसल, केंद्र सरकार की एक ऐसी योजना है, जिस पर अमल कर आप अपना सपना हकीकत में तब्दील कर सकते हैं। जी हां, केंद्र सरकार की सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय विदेश में पढ़ने के लिए छात्रों को स्कॉलरशिप देता है। सबसे जरूरी बात इस स्कॉलरशिप के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होने वाले हैं।

कल से शुरू होगा रजिस्ट्रेशन

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप (NOS) स्कीम के लिए रजिस्ट्रेशन 15 फरवरी, 2023 से शुरू हो रहा है। NOS एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों, विमुक्त घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों और पारंपरिक कारीगर श्रेणियों से संबंधित कम आय वाले छात्रों को विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करना है। इसके तहत इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 31 मार्च तक मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं।

क्या है प्रोसेस ?

आधिकारिक नोटिफिकेशन के मुताबिक, “NOS पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन जमा करने के लिए 15-02-2023 से 31-03-2023 (मध्यरात्रि) तक इच्छुक उम्मीदवारों के पास यह रजिस्ट्रेशन कराने का मौका है। सभी इच्छुक उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे आवेदन जमा करने से पहले एनओएस (SC) 2023-24 की स्कीम गाइडलाइन को देखें जो कि पोर्टल पर उपलब्ध है।

किन्हें मिलेगा फायदा ?

NOS केंद्र सरकार की खास स्कीम है, जिसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों (SC), विमुक्त घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों (Denotified Nomadic and Semi-Nomadic Tribes), भूमिहीन कृषि मजदूरों और पारंपरिक कारीगर श्रेणियों (Landless Agricultural Labourers and Traditional Artisans category) से संबंधित कम आय वाले छात्रों को विदेशों में हायर एजुकेशन प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करना है।

कौन-कौन से कोर्स के लिए है ये योजना ?

ये स्कीम चुने गए उम्मीदवारों को विदेश में सरकार या अधिकृत निकाय द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों यूनिवर्सिटी में मास्टर स्तर के कोर्स और पीएचडी कोर्स करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। हर साल, 125 योग्य उम्मीदवारों को ये स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है। योग्य उम्मीदवार 31 मार्च तक nosmsje.gov.in पर फॉर्म जमा कर सकते हैं।

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सरल नहीं है फ़िल्मी जगत की रेखा होना, जाने रेखा की अनसुनी कहानी

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डिजिटल भारत l भानुरेखा गणेशन उर्फ़ रेखा हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। प्रतिभाशाली रेखा को हिन्दी फ़िल्मों की सबसे अच्छी अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। वैसे तो रेखा ने अपने फ़िल्मी जीवन की शुरुआत बतौर एक बाल कलाकार तेलुगु फ़िल्म रंगुला रत्नम से कर दी थी, लेकिन हिन्दी सिनेमा में उनकी प्रविष्टि १९७० की फ़िल्म सावन भादों से हुई।
रेखा का जन्म चेन्नई में 10 अक्टूबर 1954 को हुआ. इनके पिता तमिल अभिनेता “जैमिनी गणेसन” और माता तलगू अभिनेत्री “पुष्पवल्ली” थीं. रेखा का पूरा नाम “भानु रेखा गणेसन” था. रेखा अपने पिता के नक्शे कदम पर चलती रही. इन्होंने चेन्नई में पढाई की. इनको हिंदी, तमिल और इंग्लिश तीनों भाषाओं का ज्ञान था. रेखा के जन्म के समय उनके माता पिता शादीशुदा नही थे. रेखा की एक सगी बहन, एक सौतेला भाई और पांच सौतेली बहने है. रेखा को अभिनय में ज्यादा रुचि नही थी, लेकिन रेखा के परिवार की आर्थिक स्थिती अच्छी न होने कारण उनको अपना स्कूल छोड़ना पड़ा.
रेखा का फ़िल्मी दुनिया का सफ़र बहुत ही उतार और चढ़ाव वाला रहा. रेखा ने अपने जीवन में लगभग 170 फिल्में की, जिनमें से कुछ फिल्में सफल हुई और कुछ में वे असफल भी रही, किन्तु वे फिल्म करती रही. रेखा ने अपने फिल्म जगत के सफर में हर तरह के किरदार के रूप में अभिनय किया, फिर चाहे वह मुख्य किरदार हो या सहायक किरदार, सभी किरदारों में उन्हें बहुत सराहा गया.

    रेखा ने अपने 40 सालों के लंबे करियर में लगभग 180 से उपर फिल्मों में काम किया है। अपने करियर के दौरान उन्होंने कई दमदार रोल किए और कई मजबूत फीमेल किरदार को पर्दे पर बेहतरीन तरीके से पेश किया और मुख्यधारा के सिनेमा के अलावा उन्होंने कई आर्ट फिल्मों मे भी काम किया जिसे भारत में पैरलल सिनेमा कहा जाता हैै। उन्हें तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुका है, दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का और एक बार सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का जिसमें क्रमशः खूबसूरत, खून भरी मांग और खिलाडि़यों का खिलाड़ी जैसी फिल्में शामिल हैं।

    उमराव जान के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुका है। उनके करियर का ग्राफ कई बार नीचे भी गिरा लेकिन के उन्होंने अपने को कई बार इससे उबारा और स्टेटस को बरकरार रखने के लिए उनकी क्षमता ने सभी का दिल जीता। 2010 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया। वे बाल कलाकार के तौर पर तेलगु फिल्म रंगुला रतलाम में दिखाई दीं जिसमें उनका नाम बेबी भानुरेखा बताया गया।

सिलसिला में रेखा ने अपनी जिंदगी को पर्दे पर उतारने का सबसे मुश्किल काम कर दिखाया. एक पूर्व प्रेमिका के दर्द को आंखों में उन्होंने इस कदर उतारा कि लोगों को सिलसिला एक फिल्म नहीं एक सच्ची कहानी लगने लगी. सिर्फ लीड हीरोइन ही नहीं रेखा ने कई निगेटिव रोल भी निभाए जिनमें खिलाड़ियों का खिलाड़ी अहम थी.

    अमिताभ की जया से शादी हो जाने के बाद भी उन्हें प्यार करती थीं। रेखा के दिल में शायद अमिताभ बच्चन से दूर होने की पीड़ा हद से पार हो चुकी थी इसलिए उन्होंने साल 1990 में उद्योगपति मुकेश अग्रवाल से शादी कर ली। मुकेश अग्रवाल उस समय के मशहूर हॉटलाइन ग्रुप और निकिताशा ब्रांड के मालिक थे।

    फिल्म 'मैगजीन' में रेखा और मुकेश की साथ में तस्वीरें देखकर सबको यही लगा कि आखिरकार रेखा की जिंदगी में जिस प्यार की कमी थी वो उन्हें मिल गया लेकिन यह रिश्ता भी रेखा की जिंदगी में एक अलग तूफान लेकर आया। शादी के अगले साल ही 1991 में रेखा के पति मुकेश अग्रवाल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उस समय खबरें छपी थीं कि जिस दुपट्टे से मुकेश ने फांसी लगाकर आत्महत्या की वो दुपट्टा रेखा का था। यहां तक कि रेखा और मुकेश के रिश्तों के बीच में दरार क्यों आई ऐसे निजी सवाल भी रेखा से सरेआम किए गए।

    किताब में उस्मान ने बताया है कि जब रेखा ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी में मांग में सिंदूर लगाकर पहुंची तो वहां हंगामा बरपा हो गया। वहां मौजूद मेहमानों और मीडिया ने रेखा की मांग में सिंदूर देखकर ये अंदाजा लगाया कि उन्होंने गुपचुप शादी कर ली है। इतना ही नहीं जब उसी पार्टी में रेखा अमिताभ के पास जाकर उनसे बातचीत करने लगीं तो चारों तरफ कानाफूसी होने लगी और वहां मौजूद जया बच्चन के चेहरे पर हवाइयां उड़ती देखी गईं। किताब में रेखा ने ये भी बताया है कि जब एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने एक शेर पढ़ा तो उसे लोगों ने अमिताभ के लिए समझ लिया जबकि उन्होने वो शेर जया बच्चन के लिए पढ़ा था।

रोचक बाते :

• रेखा ने अपने फ़िल्मी करिअर में 180 फिल्मे की है.
• रेखा एक ब्राह्मण थी जो आधी तमिल और आधी तेलगु थी क्योकि उनके पिता जेमिनी गणेशन तमिल थे और उनकी माता पुश्पावली तेलगु थी. जब उनका जन्म हुआ तो उनके माता पिता अविवाहित थे.
• रेखा उन फिल्म अभिनेत्रियों में से एक थी जो राजनीती में आयीं किन्तु फिर भी उन्हें पद्म श्री मिला.
• शुरूआती दिनों में रेखा इतनी उभर नही पीई क्योकि तब रंगरूप को ज्यादा अहमियत दी जाती थी.
• 1976 में रेखा अमिताभ की फिल्म दो अनजाने आयी. इसी फिल्म से दोनों एक दुसरे को पसंद करने लगे. रेखा को यहा से नया मोड़ मिला.
• 1978 की फिल्म “घर” में रेखा का करिअर अतुलनीय रहा. जिसके करण फ़िल्मफेयर अवार्ड के लिए नॉमिनेशन हुआ.
• 1978 में ही मुकद्दर का सिकंदर फिल्म रेखा की सफल फिल्मो में से एक है. इस फिल्म को उस दशक की ब्लॉकब्लास्टर फिल्मो का दर्जा मिला.
• खूबसूरत फिल्म के लिए रेखा को फिल्मफयर अवार्ड से नवाजा गया.
• 1981 में सिलसिला रेखा और अमिताभ की जोड़ी की आखरी फिल्म थी, इसके पहले इनकी जोडी ने काफी हिट फिल्मे दी. यह फिल्म रेखा, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन की त्रिकोण प्यार के ऊपर आधारीत थीं. काहा जाता है यही से इनके प्यार का अंत हुआ.
• 1981 में रेखा की “उमराव जान” आयी जिसमे उनके अतुलनीय किरदार के लिए उन्हें “नेशनल अवार्ड” से सम्मानित किया गया था.
• 1996 में “खिलाडियों का खिलाडी” के लिए रेखा को तीसरा फिल्मफेयर अवार्ड मिला.
• रेखा को 1998 में अपना दूसरा फिल्मफयर अवार्ड “खून भरी मांग” के लिए मिला.

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रिसोर्ट मे शादियां नई सामाजिक बीमारी, हर रस्म में होता है…. स्टैंडर चैक

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डिजिटल भारत l सामाजिक भवन अब उपयोग में नहीं लाए जाते हे,
शादी समारोह हेतु यह सब बेकार हो चुके हैं
कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियां होने की परंपरा चली परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओर है!
अब शहर से दूर महंगे रिसोर्ट में शादीया होने लगी है!
शादी के 2 दिन पूर्व से ही ये रिसोर्ट बुक करा लिया जाते हैं और शादी वाला परिवार वहां शिफ्ट हो जाता है
आगंतुक और मेहमान सीधे वही आते हैं और वहीं से विदा हो जाते हैं।
जिसके पास चार पहिया वाहन है वही जा पाएगा,
दोपहिया वाहन वाले नहीं जा पाएंगे
बुलाने वाला भी यही स्टेटस चाहता है

और वह निमंत्रण भी उसी श्रेणी के अनुसार देता है
दो तीन तरह की श्रेणियां आजकल रखी जाने लगी है
किसको सिर्फ लेडीस संगीत में बुलाना है !
किसको सिर्फ रिसेप्शन में बुलाना है !
किसको कॉकटेल पार्टी में बुलाना है !
और किस वीआईपी परिवार को इन सभी कार्यक्रमों में बुलाना है!!
इस आमंत्रण में अपनापन की भावना खत्म हो चुकी है!
सिर्फ मतलब के व्यक्तियों को या परिवारों को आमंत्रित किया जाता है!!

महिला संगीत में पूरे परिवार को नाच गाना सिखाने के लिए महंगे कोरियोग्राफर 10-15 दिन ट्रेनिंग देते हैं!
मेहंदी लगाने के लिए आर्टिस्ट बुलाए जाने लगे हैं
मेहंदी में सभी को हरी ड्रेस पहनना अनिवार्य है जो नहीं पहनता है उसे हीन भावना से देखा जाता है लोअर केटेगरी का मानते हैं

फिर हल्दी की रस्म आती है
इसमें भी सभी को पीला कुर्ता पजामा पहनना अति आवश्यक है इसमें भी वही समस्या है जो नहीं पहनता है उसकी इज्जत कम होती है

इसके बाद वर निकासी होती है
इसमें अक्सर देखा जाता है जो पंडित को दक्षिणा देने में 1 घंटे डिस्कशन करते हैं
वह बारात प्रोसेशन में 5 से 10 हजार नाच गाने पर उड़ा देते हैं
एक नई परंपरा भी है बैंड वाले के पास जो गाड़ी रहती है उसमें सोमरस रखा जाता है बाराती बारी-बारी से उसके पास जाते हैं और अपना काम करके आते जाते हैं

इसके बाद रिसेप्शन स्टार्ट होता है
स्टेज पर वरमाला होती है पहले लड़की और लड़के वाले मिलकर हंसी मजाक करके वरमाला करवाते थे,,,,,, आजकल स्टेज पर कंडे के धुंए की धूनी छोड़ देते है
दूल्हा दुल्हन को अकेले छोड़ दिया जाता है
बाकी सब को दूर भगा दिया जाता है
और फिल्मी स्टाइल में स्लो मोशन में वह एक दूसरे को वरमाला पहनाते हैं
साथ ही नकली आतिशबाजी भी होती है

स्टेज के पास एक स्क्रीन लगा रहता है
उसमें प्रीवेडिंग सूट की वीडियो चलती रहती है
जिसमें यह बताया जाता है की शादी से पहले ही लड़की लड़के से मिल चुकी है और कितने अंग प्रदर्शन वाले कपड़े पहन कर
कहीं चट्टान पर
कहीं बगीचे में
कहीं कुए पर
कहीं श्मशान में कहीं नकली फूलों के बीच

प्रत्येक परिवार अलग-अलग कमरे में ठहरते हैं
जिसके कारण दूरदराज से आए बरसों बाद रिश्तेदारों से मिलने की उत्सुकता कहीं खत्म सी हो गई है!!
क्योंकि सब अमीर हो गए हैं पैसे वाले हो गए हैं!
मेल मिलाप और आपसी स्नेह खत्म हो चुका है!
रस्म अदायगी पर मोबाइलो से बुलाये जाने पर कमरों से बाहर निकलते हैं !
सब अपने को एक दूसरे से रईस समझते हैं!
और यही अमीरीयत का दंभ उनके व्यवहार से भी झलकता है !
कहने को तो रिश्तेदार की शादी में आए हुए होते हैं
परंतु अहंकार उनको यहां भी नहीं छोड़ता !
वे अपना अधिकांश समय करीबियों से मिलने के बजाय अपने अपने कमरो में ही गुजार देते हैं!!

हमारी संस्कृति को दूषित करने का बीड़ा ऐसे ही अति संपन्न वर्ग ने अपने कंधों पर उठाए रखा है

मेरा अपने मध्यमवर्गीय समाज बंधुओं से अनुरोध है
आपका पैसा है , आपने कमाया है,
आपके घर खुशी का अवसर है खुशियां मनाएं,
पर किसी दूसरे की देखा देखी नही!

कर्ज लेकर अपने और परिवार के मान सम्मान को खत्म मत करिएगा!
जितनी आप में क्षमता है उसी के अनुसार खर्चा करिएगा
4 – 5 घंटे के रिसेप्शन में लोगों की जीवन भर की पूंजी लग जाती है !

दिखावे की इस सामाजिक बीमारी को अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित रहने दीजिए!

अपना दांपत्य जीवन सर उठा के, स्वाभिमान के साथ शुरू करिए और खुद को अपने परिवार और अपने समाज के लिए सार्थक बनाइए !

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भारत में पहाड़ों की रानी मसूरी से वेलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत मानी जाती है,जाने क्यों मनाया जाता है वेलेंटाइन डे

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डिजिटल भारत l विदेशों के साथ ही भारत में भी अब वेलेंटाइन डे जोर-शोर से मनाया जाता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि भारत में वेलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत कब हुई थी। नहीं तो हम आपको यह बताने जा रहे हैं।

भारत में पहाड़ों की रानी मसूरी से वेलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत मानी जाती है। ‘मसूरी मर्चेंट द इंडियन लैटर्स’ पुस्तक में छपा एक खत इस बात की गवाही देता है। जिससे यह माना जाता है कि देश में वेलेंटाइन की शुरुआत वर्ष 1843 में मसूरी से हुई थी।
शिक्षक ने मसूरी से इंग्लैंड भेजा था पत्र
इंग्लैंड में जन्मे मोगर मांक मसूरी में जॉन मेकेनन के बार्लोगंज स्थित स्कूल में लैटिन भाषा के शिक्षक थे। तब उन्हें एलिजाबेथ लुईन से प्यार हो गया था।
इसके बारे में बताने के लिए उन्‍होंने 14 फरवरी 1843 को अपनी बहन मारग्रेट मांक के नाम इंग्लैंड खत भेजा था।
इस खत में उन्‍होंने लिखा था कि, ‘प्रिय बहन! आज वेलेंटाइन डे के दिन में यह पत्र लिख रहा हूं। मुझे एलिजाबेथ लुईन से प्यार हो गया है। मैं उसके साथ बहुत खुश हूं।’
वर्ष 1849 में मेरठ में निवास के दौरान मोगर मांक का निधन हो गया था। लेकिन उनके इस खत का पता तब चला जब उनके एंड्रयू मारगन ने वर्ष 1828 से 1849 के बीच लिखे गए खतों का जिक्र ‘मसूरी मर्चेंट इंडियंन लैटर्स’ पुस्तक में किया।
तब से इसे देश में पहली बार लिखे गए प्रेम पत्र के रिकार्ड के रूप में माना जाता है और यह भी माना जाता है कि इसी दिन से भारत में वेलेंटाइन डे का आगाज हुआ होगा।
क्‍यों मनाया जाता है वेलेंटाइन डे?
तब रोम में तीसरी सदी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था, जो मानता था कि विवाह करने से पुरुषों की शक्ति व बुद्धि कम हो जाती है। उसने फरमान निकाला कि उसका कोई भी सैनिक या अफसर शादी नहीं करेगा।

संत वेलेंटाइन ने इस आदेश का विरोध किया और उनके आह्वान पर कई सैनिकों व अधिकारियों ने शादी की। जिसका नतीजा यह रहा कि क्लॉडियस ने 14 फरवरी वर्ष 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी याद में ‘वेलेंटाइन डे’ मनाया जाता है।
फरवरी के पहले हफ्ते से शुरू होने वाले वैलेंटाइन वीक का भी लोग जोरदार तरीके से स्वागत करते हैं 7 फरवरी को रोज डे पर एक-दूसरे को गुलाब दिये जाते है। वेलेंटाइन वीक के दूसरे दिन यानी 8 फरवरी को प्रपोज डे मनाया जाता है। इसके बाद 9 फरवरी को लवर एक-दूसरे को चॉकलेट गिफ्ट देकर चॉकलेट डे मनाते हैं। फिर 10 फरवरी को टेडी डे की बारी आती है, जिसमें टेडी बियर तोहफे में दिए जाते हैं।

11 फरवरी को प्रॉमिस डे पर प्यार अलग-अलग तरह की कसमें खाई जाती हैं, और वादे किये जाते हैं। जब इतना सब हो जाता है तो इसके बाद एक हग तो बनता है, इसलिए हर साल 12 फरवरी को मनाया जाता है हग डे, और 13 फरवरी को किस डे मनाते है और सबसे आखिर में आता है 14 फरवरी का दिन जिसे वैलेंटाइन डे के तौर पर मनाया जाता है।

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सट्टा लिखते 3 सटोरिये गिरफ्तार, नगद 44 हजार 700 रूपये एवं लाखों की सट्टा पट्टी जप्त

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            डिजिटल भारत पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री सिद्धार्थ बहुगुणा  (भा.पु.से.) द्वारा जिले मे पदस्थ समस्त राजपत्रित अधिकारियों एवं थाना प्रभारियों को संगठित जुआ, सट्टा खिलाने वालों  को चिन्हित करते हुये उनके विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही हेतु आदेशित किया गया है।

         आदेश के परिपालन में अति. पुलिस अधीक्षक शहर (दक्षिण) श्री संजय कुमार अग्रवाल  एवं नगर पुलिस अधीक्षक कैंट श्री शशांक  (भा.पु.से.) के मार्ग दर्शन में पुलिस लाइन एवं थाना गढ़ा की टीम द्वारा 3 सटोरिये को सट्टा लिखते हुये रंगे हाथ पकडते हुये  44 हजार 700 रूपये जप्त किये गये है।
         दिनांक 13-2-23 की देर रात विश्वसनीय मुखबिर से पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री सिद्धार्थ बहुगुणा (भा.पु.से.) को सूचना मिली कि गुप्ता नगर में मजार के पास विजय यादव उर्फ लंगड़ा , अज्जू यादव एवं नीरज बैरागी उर्फ डीके बड़े स्तर पर सट्टा पट्टी लिख रहे हैं। सूचना पर तत्काल कार्यवाही किए जाने हेतु आदेशित किए जाने पर नगर पुलिस अधीक्षक  कैंट श्री शशांक (भा.पु.से.) के मार्गदर्शन में चौकी प्रभारी प्रेमसागर प्रभाकर सिंह के नेतृत्व में पुलिस लाइन एवं थाना गढ़ा  की संयुक्त टीम द्वारा मुखबिर के बताये स्थान पर दबिश देते हुए घेराबंदी कर सट्टा लिख रहे तीन सटोरियों  को रंगे हाथ  पकड़ा गया,  नाम पता पूछने पर तीनों ने अपने नाम क्रमशः नीरज बैरागी उर्फ डीके उम्र 41 वर्ष निवासी जेडीए कालोनी तिलवारा, अजय उर्फ अज्जू यादव उम्र 52 वर्ष , विजय उर्फ लंगड़ा यादव उम्र 60 वर्ष दोनों निवासी गुप्तानगर मजार के पास थाना गढ़ा बताये, तीनों सटोरियो की तलाशी लेने पर तीनों के संयुक्त कब्जे से केलकुलेटर, लाखों की  सटटा पट्टी, 20 नग खाली सट्टा लिखने वाली  पर्ची  बुक एवं 44 हजार 700 रूपये जप्त करते हुये आरोपियों के विरूद्ध धारा 4 (क) सट्टा एक्ट के तहत कार्यवाही की गईं।

उल्लेखनीय भूमिका- सटोरियों को सट्टा पट्टी लिखते हुये रंगे हाथ पकड़ने में चौकी प्रभारी प्रेम सागर प्रभाकर सिंह, आरक्षक राकेश उइके, सुनील कुमार, रांकी कुमार , अभिषेक राजपूत एवं थाना गढ़ा के प्रधान आरक्षक पुरूषोत्तम अहिरवार, आरक्षक राहुल, पुष्पराज , अनिल की सराहनीय भूमिका रही।

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गाड़ियों को लेकर भारत सरकार ने किये नए नियम लागू, साथ ही इन कार में मिल रही बड़ी छूट

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डिजिटल भारत l 1 अप्रैल 2023 से भारत सरकार गाड़ियों को लेकर नए नियम लागू करने जा रही है। जिसमें इंजन में बदलाव के प्रावधान है। इसको देखते हुए सभी मैन्यूफैक्चरर कंपनियां अपनी गाड़ी के इंजन में रियल ड्राइविंग एमिशन मानदंडों को फॉलो करने जा रही हैं। इसी क्रम में कंपनी ने अपने पैसेंजर व्हीकल लाइन-अप को नए BS6 फेज 2 और E20 फ्यूल-कंप्लायंट इंजन के साथ अपडेट किया है।

टाटा मोटर्स ने एक बयान में कहा कि कंपनी ने नई सुविधाओं के साथ पेट्रोल, डीजल और सीएनजी के पावरट्रेन विकल्पों में अपने पोर्टफोलियो को रिफ्रेश किया है, जो बेहतर सुरक्षा, सुगमता, आराम और सुविधा प्रदान करेंगी। अल्ट्रोज और पंच की लो-एंड ड्राइवबिलिटी को इस तरह बढ़ाया गया है कि वे निचले गियर्स में ज्यादा स्मूथ अनुभव प्रदान करेंगी।

इसके अलावा कंपनी ने अपनी सबसे पॉपुलर कार टाटा अल्ट्रोज और टाटा पंच को भी नए एमिशन के तहत बदल दिया गया है, जिसमें आइडल स्टॉप स्टार्ट उनके सभी वेरिएंट में स्टैंडर्ड रूप में आएगा, जो बेहतर ऑन-रोड माइलेज देने में सक्षम होंगी।

अगर आप लोगों को एक तरफ महंगे Petrol की कीमतें तो वहीं दूसरी तरफ कार की कम माइलेज परेशान कर रही है तो चिंता ना करें. हम आज आपको 5 सबसे सस्ती सीएनजी गाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं, इस लिस्ट में Maruti Suzuki और Hyundai से लेकर Tata Motors के सीएनजी वेरिएंट्स शामिल हैं
मारुति सुजुकी की ऑफिशियल साइट के अनुसार, ये कार एक KG सीएनजी पर 31.59km तक की माइलेज देती है. बता दें इस कार की कीमत 5.03 लाख रुपये (एक्स-शोरूम, दिल्ली) से शुरू होती है.
Tata Motors की पॉपुलर कार टियागो (BS6) सीएनजी वर्जन की कीमत 6.43 लाख (एक्स-शोरूम) से शुरू होती है जो 8.04 लाख (एक्स-शोरूम) तक जाती है. 26.49km/kg के माइलेज वाली इस कार के 7 वेरिएंट्स हैं लेकिन NRG मॉडल में भी ये कार 2 सीएनजी वेरिएंट्स उपलब्ध कराती है.
हुंडई के पास पहले सबसे सस्ती सीएनजी कार Santro के रूप में उपलब्ध थी लेकिन इस कार को डिस्कंटीन्यू कर दिया गया था. बता दें कि ग्रैंड आई10 नियोस सीएनजी दो वेरिएंट्स में उपलब्ध है, Magna और Sportz मॉडल, कीमत 7.56 लाख से 8.11 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) तक जाती है. ये कार 28km/kg का माइलेज ऑफर करती है
टाटा मोटर्स की इस दूसरी पॉपुलर कार में भी आपको सीएनजी वेरिएंट मिल जाएगा, ये कार एक किलो सीएनजी में26.49km का माइलेज का दावा करती है. इस कार के सीएनजी में 4 वेरिएंट्स आते हैं जिनकी कीमत 7.59 लाख (एक्स-शोरूम) से शुरू होती है जो 8 लाख 89 हजार (एक्स-शोरूम) तक जाती है.
अगर आप ऐसी सीएनजी कार तलाश रहे हैं जो फ्यूल का खर्च कम करने के साथ-साथ बढ़िया सीटिंग स्पेस भी दे तो बता दें कि इस कार की कीमत 6.51 लाख (एक्स-शोरूम, दिल्ली) से शुरू होती है. ये कार एक KG सीएनजी में 26.78km का माइलेज ऑफर करती है.

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विद्याभवन में मुनिश्री की विनयांजलि सभा आज – नरसिंहपुर गोटेगांव

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डिजिटल भारत l विद्याभवन में मुनिश्री की विनयांजलि सभा होगी आज

नरसिंहपुर गोटेगांव विगत दिवस नगर गौरव समाधिस्थ निर्यापक श्रमण श्री 108 प्रशांतसागर महाराजजी का समाधि मरण दिनांक 13 फरवरी2023 को सिद्धक्षेत्र चंपापुर में हो गया है पूज्य निर्यापक श्रमण के श्रीचरणों में विनयांजलि अर्पित करने हेतु पूज्य आर्यिका 105 अनुनयमति माताजी ससंघ सानिध्य में आज 14 फरवरी 2023 मंगलवार को प्रातः8:30 विद्याभवन में विनयांजलि सभा का आयोजित की गई है अतःआप सभी धर्मानुरागी बंधुओं से निवेदन हैकि विनयांजलि सभा में सम्मिलित होकर पूज्य श्री चरणों में विनयांजलि अर्पित करने की अपील सकल जैन समाज गोटेगांव ने की है,
पूज्य मुनिश्री प्रशांतसागर महाराजजी का जीवन परिचय

विश्ववंदनीय संत शिरोमणि प्रातः स्मरणीय गुरुवर आचार्यश्री विद्यासागर महाराजजी के परम प्रभावक शिष्य समाधिस्थ मुनिश्री निर्यातक श्रमण 108 श्रीप्रशांतसागर महाराजजी का नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव की पावन धरा पर 3 जनवरी 1961 को  जन्म हुआ था बीकॉम प्रथम वर्ष तक शिक्षित थे गृहस्थ अवस्था में उनका नाम राजेशजैन था पिता देवचंदजैन और माता सुशीलाजैन के सात बच्चों में उनका क्रम चौथा था 18 फरवरी 1989 को ब्रह्मचर्य व्रत लिया था क्षुल्लकदीक्षा 16 मई 1991 को मुक्तागिरी में हुई थी ऐलकदीक्षा 25 जुलाई 1991 को मुक्तागिरी में हीं हुई थी मुनिदीक्षा 16 अक्टूबर 1997 शरद पूर्णिमा के दिन सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में हुई थी निर्यापक श्रमण मुनिश्री प्रशांतसागर और मुनिश्री निर्वेगसागर महाराजजी ससंघ सम्मेद शिखरजी सिद्धक्षेत्र की वंदना कर पंचतीर्थ वंदना करने के दौरान पावन तीर्थ सिद्धक्षेत्र चंपापुर में आपकी समाधि हो गई 
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बागेश्वर धाम पहुंचे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

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डिजिटल भारत l बागेश्वरधाम पहुंचे कमलनाथ बोले हिंदू राष्ट्र को लेकर बोले “भारत संविधान से चलता है जो संविधान बाबा साहब ने लिखा वह सभी के लिए”

छतरपुर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आज दर्शन के लिए बागेश्वर धाम पहुंचे जहां उन्होंने धाम में विराजमान भगवान हनुमान के दर्शन किए और उसके बाद कुछ समय बागेश्वर धाम में बिताया हिंदू राष्ट्र के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि “भारत संविधान से चलता है बाबा साहब ने सबके लिए संविधान लिखा है और देश उसी से चलेगा”|

कमलनाथ से जब मीडियाकर्मियों ने पूछा कि पं. धीरेंद्र शास्त्री तो भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कहते हैं। आप क्या कहेंगे? इस पर पूर्व सीएम बोले- भारत अपने संविधान के अनुसार चलता है। बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान बनाया था। वही भारत का संविधान है।

कमलनाथ ने आगे कहा, मैंने छिंदवाड़ा में सबसे बड़ा हनुमान मंदिर बनवाया है। 101 फीट से भी ऊंचा। यहां मैंने हनुमान जी के दर्शन कर प्रार्थना की। मध्यप्रदेश का भविष्य सुरक्षित रहे। आज प्रदेश में जो चुनौतियां हैं, इन चुनौतियां का सामना हम सब मिलकर करें। महाराज ने मुझे अवश्य आशीर्वाद दिया। वह सभी को आशीर्वाद देते हैं।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के नेता कमलनाथ आज सुबह 11 बजे मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध बागेश्वरधाम पहुंचे जहां उन्होंने भगवान हनुमान की पूजा अर्चना की उसके बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मुलाकात की काफी देर तक धाम में रुकने के बाद कमलनाथ वहां से पन्ना के लिए रवाना हो गए |

आपको बता दें कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री लगातार हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं इसी मांग को लेकर जब जब पत्रकारों ने कमलनाथ से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि भारत संविधान से चलता है और बाबा साहब ने जो संविधान लिखा था वह सभी के लिए है|

सॉफ्ट हिंदुत्व ने नजर आए कमलनाथ…

बागेश्वर धाम पहुंचे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सॉफ्ट हिंदुत्व में नजर आए माथे पर त्रिकुंड एवं गले में पीला गमछा डाले हुए उन्होंने भगवान हनुमान की पूजा अर्चना की और उसके बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्र से मुलाकात करते हुए बागेश्वर धाम से पन्ना के लिए रवाना हो गए इस बीच कांग्रेस के कई नेता एवं विधायक उनके साथ मौजूद थे|

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