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एमपी में कांग्रेस ने चुनाव अभियान समिति की घोषणा की

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भोपाल बीजेपी के बाद एमपी में कांग्रेस ने चुनाव समिति की घोषणा कर दी है। पार्टी के कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया को चुनाव अभियान की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस समिति में पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भी शामिल हैं। प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मंगलवार को अपनी प्रदेश इकाई के लिए चुनाव अभियान समिति का गठन किया है। सकी अध्यक्षता पार्टी के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया करेंगे। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए चुनाव अभियान समिति के गठन को स्वीकृति प्रदान की।

समिति में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के अलावा 30 से अधिक वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है। इसमें राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह, वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी और विवेक तन्खा सहित कई अन्य नेताओं को भी जगह दी गई है। साथ ही कमलनाथ की सरकार में रहे पूर्व मंत्रियों को भी जगह दी गई है।

एक दिन पहले ही कांग्रेस ने पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य में बीजेपी सत्तारूढ़ है, जबकि कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है।

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नीतीश कुमार के लिए एनडीए में नो एंट्री बीजेपी नेताओं के इस बयान के पीछे की क्या है पॉलिटिक्स

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पटना। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हर बड़े छोटे नेताओं का तकिया कलाम बन गया है कि नीतीश कुमार की एनडीए में नो एंट्री। तो क्या बीजेपी के लिए नीतीश कुमार अप्रासंगिक हो गए हैं? तो क्या जिस नीतीश कुमार से मिल कर लगभग 15 वर्षों तक सत्ता सुख लिया अब नीतीश कुमार में वह क्षमता नहीं रही? क्या सच में नीतीश कुमार बीजेपी के लिए जिताऊ व्यक्तित्व नहीं रहे? क्या विश्वास का सिरा पूरी तरह से छूट गया? क्या बीजेपी अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी अकेले दम पर आगामी चुनाव की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे बहुत सारे प्रश्न उठते हैं जब कभी बीजेपी की तरफ से नीतीश कुमार की नो एंट्री जैसे स्लोगन उभर कर आते हैं।

रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के नेता आठवले ने कहा कि महाराष्ट्र में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक से नीतीश कुमार दूर रहें। ऐसा लगता है कि बंगलुरु में जो कुछ हुआ वह उससे खुश नहीं हैं। वह उपनाम ‘इंडिया’ से नाखुश थे। राहुल गांधी भारी पड़े और सहमति बन गई। यह दीगर कि नीतीश कुमार ने अपनी तरफ से सफाई दे दी है।

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जेपी नड्डा की टीम में छत्तीसगढ़ से भी कम एमपी को मिला ‘भाव’

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भोपाल एमपी बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय को बीजेपी ने चौथी बार राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है। विजयवर्गीय के पास पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से कोई जिम्मेदारी नहीं थी। लोकसभा चुनाव में अब 10 महीने का वक्त बचा है। इससे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 13 पार्टी उपाध्यक्षों और आठ महासचिवों की नई टीम की घोषणा की है। शिवराज सिंह चौहान की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कैलाश विजयवर्गीय को पहली बार 2015 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस पद पर नियुक्त किया था। विजयवर्गीय के अलावा इस बार नड्डा की टीम में एमपी से दो लोग हैं।

पूर्व आरएसएस प्रचारक सौदान सिंह और आदिवासी नेता ओम प्रकाश धुर्वे हैं, जिन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय सचिव के पद पर बरकरार रखा गया है। मंदसौर से लोकसभा सांसद सुधीर गुप्ता को पार्टी कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। दो बार के सांसद और आरएसएस कार्यकर्ता, गुप्ता को हटाने से कई लोगों को आश्चर्य हुआ है क्योंकि उन्होंने ही 2017 में पुलिस गोलीबारी में मंदसौर के पांच किसानों की मौत के बाद हुए नुकसान को संभाला था।

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बीजेपी हो या कांग्रेस, सपा या बसपा, रानी लक्ष्‍मीबाई की झांसी में सबने किया राज

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झांसी । प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट है झांसी जो बुंदेलखंड की राजनीति के प्रमुख केंद्र के रूप में पहचान रखती है। झांसी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें शामिल हैं जो झांसी और ललितपुर जिलों में स्थित हैं। इस सीट में झांसी की चार में से तीन विधानसभा सीटें और ललितपुर की दोनों विधानसभा सीटें शामिल हैं। झांसी सदर, मऊरानीपुर, बबीना, ललितपुर और महरौनी विधानसभा सीटें झांसी लोकसभा सीट का हिस्सा हैं। इन पांच में से चार विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है जबकि एक पर भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल एस काबिज है। झांसी में हुए 17 लोकसभा चुनाव में 9 बार कांग्रेस, 5 बार भारतीय जनता पार्टी, एक-एक बार भारतीय लोकदल, बहुजन समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने अपना परचम लहराया है।

वर्तमान समय में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के अनुराग शर्मा सांसद हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर प्रचंड वोटों से जीत दर्ज की। अनुराग वैद्यनाथ ग्रुप के मालिक हैं। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की कद्दावर नेता उमा भारती ने इस सीट से चुनाव लड़ा था। जीत दर्ज कर उन्‍होंने केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी।

2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों की बात करें तो इस सीट पर हुए मतदान में भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा को 8 लाख 9 हजार 272 वोट, सपा उम्‍मीदवार श्याम सुन्दर सिंह यादव को 4 लाख 43 हजार 589 वोट, कांग्रेस के शिव शरण कुशवाहा को 86 हजार 139 वोट और नोटा को 18 हजार 239 वोट मिले थे।

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ग्वालियर-चंबल की सियासत को पलट सकते हैं बीजेपी-कांग्रेस के ये पांच नेता

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भोपाल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी-कांग्रेस अपनी-अपनी रणनीतियों के हिसाब से आगे बढ़ रही हैं। 2020 में हुई सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस की नजर इस बार सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल इलाके में हैं। वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद से बीजेपी की भी उम्मीदें इस क्षेत्र से बढ़ गई हैं। 2018 के चुनाव में यहां कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा था जबकि उपचुनाव में बीजेपी ने बाजी मारी थी। ग्वालियर-चंबल को साधने के लिए बीजेपी कांग्रेस अपने प्रमुख चेहरों के साथ-साथ इन इलाके के बड़े नेताओं को जिम्मेदारी देकर चुनावी माहौल बनाने में जुटी हुई है। आइए जानते हैं बीजेपी-कांग्रेस के वो 5 नेता कौन से हैं जो 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर इस क्षेत्र में अहम रोल निभा सकते हैं।

2020 से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे। ग्वालियर चंबल का ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ माना जाता है। यहां कि जनता सिंधिया को श्रीमंत या फिर महाराज कहकर संबोधित करती है। इस अंचल में विधानसभा की 34 सीटें हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद इस बार यहां मुकाबला दिलचस्प है।नरोत्तम मिश्रा मध्यप्रदेश सरकार में गृहमंत्री हैं। दतिया विधानसभा सीट से विधायक हैं। राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद नरोत्तम मिश्रा को गृहमंत्री बनाया गया था। नरोत्तम मिश्रा ब्राम्हाण चेहरे के साथ-साथ दतिया जिले में अच्छी पकड़ रखते हैं।

कांग्रेस के सीनियर लीडर डॉ गोविंद सिंह, ग्वालियर-चंबल अंचल के बड़े चेहरे हैं। सिंधिया के खिलाफ खुलकर बोलने वाले गोविंद सिंह को कांग्रेस ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। कमलनाथ के नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने के बाद, डॉ गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। कांग्रेस का फोकस शुरू से इस इलाके को साधने का रहा है। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं। विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी दी है। तोमर सक्रिय राजनीति के साथ-साथ संगठन के भी मझे हुए खिलाड़ी हैं।

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सीकर में पीएम मोदी के कार्यक्रम से पहल अशोक गहलोत का बड़ा आरोप

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जयपुर। राजस्थान पधार रहे हैं। आपके कार्यालय ने मेरा पूर्व निर्धारित 3 मिनट का संबोधन कार्यक्रम से हटा दिया है इसलिए मैं आपका भाषण के माध्यम से स्वागत नहीं कर सकूंगा अतः मैं इस ट्वीट के माध्यम से आपका राजस्थान में तहेदिल से स्वागत करता हूं। आज हो रहे 12 मेडिकल कॉलेजों के लोकार्पण और शिलान्यास राजस्थान सरकार व केन्द्र की भागीदारी का परिणाम है। इन मेडिकल कॉलेजों की परियोजना लागत 3,689 करोड़ रुपये है जिसमें 2,213 करोड़ केन्द्र का और 1,476 करोड़ राज्य सरकार का अंशदान है। मैं राज्य सरकार की ओर से भी सभी को बधाई देता हूं। मैं इस कार्यक्रम में अपने भाषण के माध्यम से जो मांग रखता वो इस ट्वीट के माध्यम से रख रहा हूं।

राजस्थान खासकर शेखावटी के युवाओं की मांग पर अग्निवीर स्कीम को वापस लेकर सेना में परमानेंट भर्ती पूर्ववत जारी रखी जाए।राज्य सरकार ने अपने अंतर्गत आने वाले सभी को-ऑपरेटिव बैंकों से 21 लाख किसानों के 15,000 करोड़ रुपये के कर्जमाफ किए हैं। हमने केन्द्र सरकार को राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्जमाफ करने के लिए वन टाइम सैटलमेंट का प्रस्ताव भेजा है जिसमें किसानों का हिस्सा हम देंगे। इस मांग को पूरा किया जाए।राजस्थान विधानसभा ने जातिगत जनगणना के लिए संकल्प पारित कर भेजा है। केन्द्र सरकार इस पर अविलंब निर्णय ले। गाइडलाइंस के कारण हमारे तीन जिलों में खोले जा रहे मेडिकल कॉलेजों में केन्द्र सरकार से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है। ये पूरी तरह स्टेट फंडिंग से बन रहे हैं। इन आदिवासी बाहुल्य तीनों जिलों के मेडिकल कॉलेजों में भी केन्द्र सरकार 60% की फंडिंग दे।

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25 लोकसभा सीटें साधने की तैयारी

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लखनऊ विजय रथ पर सवार बीजेपी अपने विस्तार का कोई भी मौका छोड़ नहीं रही है। अब उसकी नजर विपक्ष के वोटों की बची पूंजी साधने पर है, जिससे 2024 में भी अजेय रहा जा सके। लोकसभा में बहुमत के लिए बीजेपी इस बार मिशन अल्पसंख्यक शुरू करने जा रही है। इसकी शुरुआत पसमांदा मुस्लिमों को साधने से हो रही है। बीजेपी 27 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर दिल्ली से पसमांदा स्नेह यात्रा निकालने जा रही है। यात्रा को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा हरी झंडी दिखाएंगे। यह यात्रा एक अगस्त को गाजियाबाद से यूपी में दाखिल होगी।

यह यात्रा एक अगस्त को दिल्ली के तुर्कमान गेट से गाजियाबाद में दाखिल होगी और दो अगस्त को बुलंदशहर, मेरठ, मुजफ्फरनगर में होगी। इसके बाद सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर होते हुए छह अगस्त को लखनऊ पहुंचेगी। लखनऊ से यात्रा सात अगस्त को बाराबंकी होते हुए पूर्वांचल की ओर बढ़ेगी। बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, फैजाबाद, सुलतानपुर, अमेठी, प्रयागराज, जौनपुर, देवरिया, आजमगढ़ से होते हुए गोरखपुर और फिर 19 अगस्त को कुशीनगर जाएगी। कुशीनगर से यात्रा बिहार की ओर चली जाएगी। इस दौरान अलग-अलग जिलों में सम्मेलन भी होंगे।

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बागेश्वर सरकार की जय-जय में है कमलनाथ का विक्ट्री प्लान

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छिंदवाड़ा । मध्यप्रदेश की धरती इन दिनों ​’हिंदुत्व की प्रयोगशाला’ बन गई है। बने भी क्यों नहीं? यहां पर अगले चार महीने में विधानसभा चुनाव जो होने हैं। राज्य में राजनीति में नित नए प्रयोग हो रहे हैं। ‘कथा पॉलिटिक्स’ का दौर चल पड़ा है। कथा पॉलिटिक्स में एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ कूद गए हैं। सियासी बाजी को पलटने के लिए कमलनाथ छिंदवाड़ा में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा कहवा रहे हैं। इससे बीजेपी की चिंता बढ़ गई है तो कांग्रेस भी पशोपेश में है। इन सबसे बेफिक्र हनुमान भक्त कमलनाथ पूरी तरह तटस्थ और आत्मविश्वास से लबरेज दिख रहे हैं।

हिंदुत्व की राह पर चल रही बीजेपी को एमपी में कमलनाथ कड़ी चुनौती दे रहे हैं। बीजेपी के कुछ नेता कथित रूप से उन्हें हिंदू विरोधी बताते रहे हैं लेकिन कमलनाथ हिंदुत्व की राह पर चलकर उन्हें चुनौती दे रहे हैं। छिंदवाड़ा जिले के सिमरिया में होने जा रही कथा इसका प्रमाण है। दिलचस्प बात यह है कि इस कथा के ​कथाकार ख्याति प्राप्त बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हैं।

अप्रैल महीने में ही भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भगवा रंग में रचा-बसा नजर आया था। कांग्रेस कमिटी के कार्यालय में पहली बार भगवा रंग के झंडे लगाए गए थे।

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मध्यप्रदेश की ये पांच घटनाएं बीजेपी पर पड़ी रहीं भारी

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सीधी। मध्यप्रदेश की सियासत में बीजेपी के लिए जुलाई का महीने बहुत भारी पड़ा है। महीने की शुरुआत में ही सीधी जिले से एक वीडियो वायरल हुआ। वायरल वीडियो में बीजेपी का कथित नेता प्रवेश शुक्ला एक आदिवासी के चेहरे पर पेशाब कर रहा था। वीडियो सामने आने के बाद सरकार की फजीहत होने लगी तो शिवराज सिंह चौहान ने डैमेज कंट्रोल का बीड़ा खुद उठाया। इसके बाद सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। साथ ही पीड़ित दशमत रावत को भोपाल बुलवाया और पैर धोकर माफी मांगी। ऐसा नहीं करते तो आदिवासी वोट खिसकने का डर था। हालांकि बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाने के लिए कांग्रेस को बड़ा मौका मिल गया। कांग्रेस लगातार इस मुद्दे पर बीजेपी को घेर रही है।

सीधी पेशाब कांड के बाद एमपी में इंदौर का एक वीडियो वायरल हुआ। वायरल वीडियो में कुछ लोग दो आदिवासी भाइयों की पिटाई कार में बंदकर कर रहे थे। वीडियो सामने आते ही पुलिस एक्शन में आई। मुख्य आरोपी और उसके साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ऐसे कुछ और वीडियो भी प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से सामने आए। ऐसे में बीजेपी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।

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पूर्व सांसद समेत 16 दिग्गजों ने थामा बीजेपी का दामन

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जयपुर । चुनावी साल में भारतीय जनता पार्टी का कुनबा बढ़ता जा रहा है। शनिवार को एक पूर्व सांसद, तीन पूर्व विधायकों और चार रिटायर्ड अफसरों सहित 16 लोगों ने बीजेपी का दामन थाम लिया। इस दौरान बीजेपी के प्रदेश प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह , बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और विधायक वासुदेव देवानानी मौजूद रहे। पार्टी में शामिल होने वाले पूर्व सांसद, विधायकों और ब्यूरोक्रेट्स का कहना है कि बीजेपी ही देश की सबसे भरोसेमंद पार्टी है जो जनहित और देशहित में काम करती है।

बीजेपी में शामिल होने वाले पूर्व सांसद धनसिंह रावत, पहले भाजपा में ही थे। वे 2004 में बीजेपी से सांसद रह चुके हैं। बाद में उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। पूर्व विधायक रविन्द्र सिंह बोहरा भी भाजपा से विधायक रहे हैं।

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