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एक भारत उत्कृष्ट भारत

साल 2020 में 11.8% बढ़ा साइबर क्राइम, उत्तर प्रदेश में ज्यादा केस

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नई दिल्ली: भारत में 2020 में साइबर अपराध के 50,035 मामले दर्ज किए गए, जो उसके पिछले वर्ष दर्ज मामलों की तुलना में 11.8 फीसदी अधिक हैं। साथ ही ‘‘सोशल मीडिया पर फर्जी सूचना’’ के 578 मामले सामने आए। यह जानकारी बुधवार को आधिकारिक आंकड़ों से मिली। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, देश में साइबर अपराध की दर (प्रति एक लाख की आबादी पर घटनाएं) 2019 में 3.3 फीसदी से बढ़कर 2020 में 3.7 फीसदी हो गईं।

आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2019 में साइबर अपराध के मामलों की संख्या 44,735 थी जबकि 2018 में यह संख्या 27,248 थी। NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी के 4047 मामले, ओटीपी धोखाधड़ी के 1093 मामले, क्रेडिट/डेबिट कार्ड धोखाधड़ी के 1194 मामले जबकि एटीएम से जुड़े 2160 मामले दर्ज किए गए।

इसमें बताया गया कि सोशल मीडिया पर फर्जी सूचना के 578 मामले, ऑनलाइन परेशान करने या महिलाओं एवं बच्चों को साइबर धमकी से जुड़े 972 मामले सामने आए जबकि फर्जी प्रोफाइल के 149 और आंकड़ों की चोरी के 98 मामले सामने आए। गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले NCRB ने बताया कि 2020 में दर्ज साइबर अपराधों में से 60.2 फीसदी साइबर अपराध फर्जीवाड़ा (50,035 में से 30,142 मामले) से जुड़े हुए थे।

आंकड़ों के मुताबिक, यौन उत्पीड़न के 6.6 फीसदी (3293 मामले) और उगाही के 4.9 फीसदी (2440 मामले) दर्ज किए गए। इसमें बताया गया कि साइबर अपराध के सर्वाधिक 11097 मामले उत्तर प्रदेश में, 10741 कर्नाटक में, 5496 महाराष्ट्र में, 5024 तेलंगाना में और 3530 मामले असम में दर्ज किए गए।

बहरहाल, अपराध की दर सबसे अधिक कर्नाटक में 16.2 फीसदी थी, जिसके बाद तेलंगाना में 13.4 फीसदी, असम में 10.1 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 4.8 फीसदी और महाराष्ट्र में यह दर 4.4 फीसदी थी।

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पंजाब में एक और आतंकी माड्यूल बेनकाब, आयल टैंकर उड़ाने की थी साजिश

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अमृतसर: पंजाब पुलिस ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआइ समर्थित एक और आतंकी माड्यूल बेनकाब करने में सफलता हासिल की है। पुलिस ने 4 आतंकवादियों को गिरफ्तार करके बड़ी आतंकी साजिश नाकाम कर दी। आरोपितों ने आईईडी टिफिन बम से आयल टैंकर को उड़ाने की साजिश रची थी। मामला पिछले महीने जालंधर से आतंकी गुरमुख सिंह रोडे की गिरफ्तारी से जुड़ा है। पुलिस ने पिछले 40 दिन में चौथे पाकिस्तानी आंतकी माड्यूल का पर्दाफाश किया है।

उधर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आतंकियों की गिरफ्तारी को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं। गिरफ्तार आतंकियों की पहचान राहुल सिंह, विकी भट्टी, मलकीत सिंह और गुरप्रीत सिंह के रूप में हुई है। राहुल को मंगलवार को अंबाला से गिरफ्तार किया गया था जबकि बाकी तीनों को अजनाला में उनके गांवों से बुधवार को गिरफ्तार किया गया है। इनका पांचवें साथी गुरमुख सिंह बराड़ को कपूरथला पुलिस ने 20 अगस्त को जालंधर से गिरफ्तार किया था।

पुलिस के अनुसार इस आतंकी माड्यूल के पीछे पाकिस्तान में बैठा प्रतिबंधित इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का प्रमुख लखबीर सिंह रोडे और कासिम का हाथ है। कासिम पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी है जबकि लखबीर सिंह रोडे उर्फ बाबा मोगा जिले के गांव रोडे का रहने वाला है। पिछले दिनों जालंधर से गिरफ्तार गुरमुख सिंह रोडे उसका भतीजा है। लखबीर सिंह रोडे का भाई जसबीर सिंह रोडे श्री अकाल तख्त साहिब का पूर्व जत्थेदार है।

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योगी के मंत्री का मायावती पर पलटवार, कहा- बेरोजगारी में सड़कों के गड्ढे गिन रहीं BSP सुप्रीमो

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लखनऊ: सड़कों की बदहाली को लेकर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के ट्वीट का सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने करारा जवाब दिया है। बुधवार को जारी बयान में खन्ना ने कहा कि कोलतार की सड़कों पर बारिश के सीजन में गड्ढे हो ही जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार इससे वाकिफ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तय समय में पूरे मानक के साथ सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का निर्देश दे चुके हैं। चूंकि अब मायावती के पास कोई काम तो है नहीं। वह दशक भर से बेरोजगारी में जी रही हैं। उनका हाथी 2012 में ही बैठ चुका है। अब वह उठने से रही। लिहाजा दिन काटने के लिए अब वह सड़कों के गड्ढे गिन रही हैं।’

सूप हंसे तो हंसे चलनी भी हंसे जिसमें 72 छेद’

कैबिनेट मंत्री ने कहा, ‘मायावती राजनीति में तो आप आईं थीं दलितों की बेटी बनकर, इसी आधार पर सत्ता में भी आई, पर बन गईं दौलत की बेटी। स्मारकों पर पानी की तरह पैसा बहाने वाले कबसे जनता की बुनियादी सुविधाओं की चिंता करने लगे। यह तो वही वाली बात हो गई कि सूप हंसे तो हंसे चलनी भी हंसे जिसमें 72 छेद। आप नाहक चिन्ता कर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनता की बुनियादी सुविधाओं की बखूबी चिंता कर रही है। इस चिंता और घड़ियाली आंसू से आपकी दौलत की बेटी के रूप में जो छबि बन चुकी है, वह बदलने से रही।’

सड़कों की बदहाली को लेकर मयावती ने किए थे ट्वीट

उन्होंने कहा, ‘अब आपको फिर से मुस्कराने का मौका मिलने से रहा। बाकी अपने संतोष के लिए आप ऐसे बयानों से कुछ देर के लिए जनता का ध्यान आकर्षित कर सकती हैं। उसके दिलो-दिमाग से आप पहले ही अपने भ्रष्टाचार के कारण उतर चुकी हैं।’ मालूम हो कि मायावती ने बुधवार को प्रदेश में सड़कों की बदहाली के बारे 2 ट्वीट किए हैं। उनके मुताबिक सड़कें लोगों की बुनियादी जरूरत व विकास से विशेषत: जुड़ी हुई हैं तथा इनके बारे में भी सरकार चाहे जितने भी नारे व दावे कर ले लेकिन यूपी के सड़कों की हालत फिर से इतनी ज्यादा खराब हो गई हैं कि लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि सड़कों में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क। उन्होंने लिखा, सरकार ध्यान दे।

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कोरोना वैक्सीनेशन का आंकड़ा 76 करोड़ के पार, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी जानकारी

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नई दिल्ली: देश में बुधवार तक कोविड रोधी टीके की 76 करोड़ से ज्यादा खुराक दी जा चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। बुधवार को शाम सात बजे तक टीके की 57 लाख से ज्यादा खुराक दी गई। मंत्रालय ने कहा कि शाम सात बजे तक की रिपोर्ट के अनुसार, 57,80,94,804 लाभार्थियों को टीके की पहली खुराक और 18,68,41,354 लाभार्थियों को दूसरी खुराक दी जा चुकी है।

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ बहुत तेजी से वैक्सीनशन हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी तेजी से किए जा रहे वैक्सीनेशन को लेकर भारत की तारीफ कर चुका है। WHO की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने सोमवार को कहा था कि भारत ने कोरोना टीकाकरण में अभूतपूर्व गति हासिल की है।

डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा था, ‘WHO ने अभूतपूर्व गति से COVID-19 टीकाकरण को बढ़ाने के लिए भारत को बधाई दी। भारत में पहली 100 मिलियन खुराकें देने में 85 दिन लगे थे जबकि अब सिर्फ 13 दिनों में खुराकों की संख्या 650 मिलियन से 750 मिलियन तक पहुंच गई है।’ डॉ सिंह का यह बयान WHO के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के ट्विटर अकाउंट से जारी किया गया था।

बता दें कि सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया था कि ‘देश में कुल वैक्सीन का आंकड़ा 75 करोड़ को पार कर गया है।’ तभी WHO ने भारत की तारीफ की थी। जिस रफ्तार से देश में वैक्सीनेशन का अभियान बढ़ रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि महीने भर में देश के 100 करोड़ लोगों तक वैक्सीन की कम से कम एक डोज जरूर पहुंच जाएगी। बुधवार तक 57,80,94,804 लाभार्थियों को टीके की पहली खुराक जबकि 18,68,41,354 लाभार्थियों को दूसरी खुराक दी जा चुकी है।

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पीएम मोदी ने ‘थपथपाई’ सीएम योगी की पीठ, कहा-यूपी में अपराध करने से पहले 100 बार सोचता है अपराधी

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अलीगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के कार्यक्रम में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पहले गुंडों और माफिया का राज होता था लेकिन अब उत्तर प्रदेश में अपराधी कोई अपराध करने से पहले 100 बार सोचते हैं। अलीगढ़ में जनता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार पूरी इमानदारी के साथ राज्य के विकास में जुटी हुई है।

अलीगढ़ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंता करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जिस यूपी को देश के विकास में एक रुकावट के तौर पर देखा जाता था वही यूपी आज देश के बड़े अभियानों का नेतृत्व कर रहा है, शौचालय बनाने का अभियान हो, गरीबों को अपना पक्का घर देना हो, उज्जवला के तहत गैस कनेक्शन हो, बिजली कनेक्शन हो, पीएम किसान सम्मान निधी हो, हर योजना तथा मिशन में योगी जी के यूपी ने देश के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।”

जनता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “एक दौर था जब यहां (उत्तर प्रदेश) शासन-प्रशासन गुंडो और माफियाओं की मनमानी से चलता था, लेकिन अब वसूली करने वाले, माफिया राज चलाने वाले सलाखों के पीछे हैं, मैं पश्चिम उत्तर प्रदेश के लोगों को विशेष तौर पर याद दिलाना चाहता हूं, इसी क्षेत्र में 4-5 साल पहले परिवार अपने ही घरों में डरकर जीते थे, बहन बेटियों को घर से निकलने में स्कूल कॉलेज जाने में डर लगता था, जबतक बेटियां घर वापस नहीं आएं, माता पिता की सांसे अटकी रहती थी, जो माहौल था, उसमें कितने ही लोगों को अपना पुश्तैनी घर छोड़ना पड़ा, पलायन करना पड़ा, आज यूपी में कोई अपराधी ऐसा करने से पहले 100 बार सोचता है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की और कहा, “योगी जी की सरकार में गरीब की सुनवाई भी है और सम्मान भी, उनके नेतृत्व में यूपी की बदलती कार्यशैली का बहुत बड़ा प्रमाण है सबको वैक्सीन मुफ्त वैक्सीन अभियान, उत्तर प्रदेश अभी तक 8 करोड़ से अधिक टीके लगा चुका है। देश में 1 दिन में सबसे ज्यादा टीकाकरण का रिकॉर्ड भी यूपी के ही नाम पर है। कोरोना के इस संकटकाल में गरीब की चिंता सरकार की सर्वोच्च  प्राथमिकता है, कोई गरीब भूखा न रहे इसके लिए महीनों से मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। गरीबों को भुखमरी से बचाने के लिए जो काम दुनिया के बड़े बड़े देश नहीं कर पाए वो आज भारत कर रहा है। यह हमारा उत्तर प्रदेश कर रहा है।”

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प्रियंका गांधी को बनाया जाए उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा, कांग्रेस नेता की मांग

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नयी दिल्ली: कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी यूपी चुनाव को लेकर राज्य के दौरे पर हैं। वहीं, विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कांग्रेस में अंदरखाने चर्चा जोरों पर है। इस बीच कांग्रेस की नगालैंड इकाई के अध्यक्ष के. थेरी ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा के नाम की पैरवी करते हुए मंगलवार को कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य के लोगों को प्रियंका को अपना मुख्यमंत्री चुनने में खुशी होगी।

नगालैंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने ट्वीट किया, ‘‘प्रियंका गांधी वाद्रा विवेकशील हैं। उत्तर प्रदेश को उन्हें अपना मुख्यमंत्री चुनने में कोई परेशानी नहीं होगी। मुझे भरोसा है कि हर किसी को इसमें खुशी मिलेगी।’’ बता दें कि उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने विभिन्न मौकों पर यह कहा है कि अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव प्रियंका के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हालांकि, मुख्यमंत्री पद के चेहरों को लेकर पार्टी की ओर से अब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है।

प्रियंका गांधी कांग्रेस महासचिव होने के साथ उत्तर प्रदेश के लिए पार्टी की प्रभारी भी हैं। इस बीच प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में महिला विरोधी अपराधों का हवाला देते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिला विरोधी सोच के अगुवा हैं। उन्होंने हाथरस में एक साल पहले दलित युवती के साथ हुए कथित दुष्कर्म एवं हत्या के मामले का उल्लेख करते हुए ट्वीट किया, ‘‘आज से एक साल पहले हाथरस में बलात्कार की भयावह घटना घटी थी और उप्र सरकार ने परिवार को न्याय व सुरक्षा देने की जगह धमकियां दीं थीं और उनसे बेटी के ससम्मान अंतिम संस्कार का हक भी छीन लिया था।’’

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी के मुताबिक, उस वक्त सरकार के अधिकारियों व भाजपा के नेताओं ने बयान देकर “बलात्कार” न होने जैसी बातें कही थीं व पूरी सरकारी मशीनरी की ऊर्जा पीड़िता का चरित्र हनन करने में खर्च की गई थी। प्रियंका ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया, ‘‘महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर इतना खराब रुख रखने वाली सरकार के मुखिया से आप संवेदनशीलता की आस रख भी कैसे सकते हैं?’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘वैसे भी उप्र के मुख्यमंत्री महिला विरोधी सोच के अगुआ हैं। वो कह चुके हैं कि महिलाओं को स्वतंत्र नहीं होना चाहिए।’’

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यूपी में योगी सरकार ने बंद किए 150 अवैध बूचड़खाने, 319 गौ तस्कर गिरफ्तार

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सत्ता में काबिज होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध बूचड़खानों पर हंटर चलाना शुरू कर दिया था। इसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने गायों की रक्षा और तस्करी पर रोक लगाने के अपने चल रहे मिशन के तहत 150 अवैध बूचड़खानों को बंद कर दिया है और 356 पशु माफियाओं की पहचान की है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, राज्य सरकार ने पिछले 4.5 वर्षों में यूपी गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत बुक किए गए 1823 आरोपियों और 68 तस्करों की 18 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है।

शहरी विकास विभाग के अनुसार निर्धारित मानकों का पालन नहीं करने पर कई जिलों में प्रतिदिन 300, 400 और 500 पशुओं को वध करने की क्षमता वाले 150 बूचड़खानों को बंद कर दिया गया है। वर्तमान में राज्य में निर्धारित मानकों का पालन करने वाले 35 बूचड़खाने ही चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में गाय की तस्करी हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है, जिसके कारण राज्य में लगातार हिंसा की घटनाएं होती रही हैं। बूचड़खानों के संचालन और रखरखाव के नियमों को पहले ठीक से लागू नहीं किया गया था और नियमों का पालन सुनिश्चित किए बिना अंधाधुंध बूचड़खाने खोलने के इच्छुक लोगों को अनुमति दी गई थी।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने निराश्रित गायों के लिए एक नई गाय गोद लेने की पहल भी शुरू की, ताकि किसानों को आगे आने और आवारा मवेशियों को अपनाने और उन्हें पालने के लिए प्रेरित किया जा सके। इस योजना के तहत इच्छुक किसानों और पशुपालकों को आवारा पशुओं को पालने के लिए 900 रुपये प्रति माह का भत्ता दिया जाता है। ग्रामीण विकास एवं पशुधन विभाग के अनुसार इस वर्ष जुलाई तक राज्य में 43,168 से अधिक लोगों को 83,203 से अधिक गायें दी जा चुकी हैं। राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगभग 5,86,793 गायों के आवास के लिए कुल 5,278 स्थाई गौशालाएं बनाई गई हैं।

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हिंदी दिवस: हिंदी भाषा, राष्ट्रवाद और व्यवहारिकता के बीच की कड़ी को समझें

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नई दिल्ली: आज 14 सितंबर को पूरा देश हिंदी दिवस मना रहा है। इसकी शुरुआत 1949 में हुई, जब हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने फैसला किया कि हिंदी भारत की राजभाषा होगी। राजभाषा पर चर्चा के दौरान 13 सितंबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि “किसी विदेशी भाषा से कोई राष्ट्र महान नहीं हो सकता। कोई भी विदेशी भाषा आम लोगों की भाषा नहीं हो सकती है। भारत के हित में, भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के हित में, ऐसा राष्ट्र बनाने के हित में जो अपनी आत्मा को पहचाने, जिसमें आत्मविश्वास हो, जो संसार के साथ सहयोग कर सके, उसके लिए हमें हिंदी को अपनाना चाहिए।” पंडित नेहरू ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाए जाने का ऐलान किया और पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया।

हिंदी भाषा और राष्ट्रवाद

विदेशों में अपनी मातृ भाषा में प्रोफेशनल एजुकेशन दी जाती है और इसी से प्रेरित होकर भारत में भी हिंदी भाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की शुरुआत की गई थी। लेकिन, ये कोशिश कामयाब नहीं हो सकी। भोपाल के अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय ने साल 2016 में इसकी शुरुआत की। ये देश का पहला विश्वविद्यालय है, जहां हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की शुरुआत की गई।

राष्ट्रवाद से प्रेरित ये प्रयोग सफल नहीं हो सका और कई परेशानियों के चलते कोर्स बंद करना पड़ा। इसके बाद इन छात्रों को अन्य संस्थानों में एडजस्ट कर दिया गया। सिविल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल में कुल 90 सीटी के लिए आवेदन मांगे गए थे, लेकिन सिर्फ 12 छात्रों ने आवेदन किया था। छात्रों की कम संख्या और साथ ही कोर्स को ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन की मंजूरी भी हासिल नहीं थी। इसलिए, इस बात की चर्चा ज़ोर पकड़ने लगी कि हिंदी में इंजीनियरिंग करने के बाद रोज़गार के अच्छे मौके नहीं मिल पाएंगे। इस मामले में तत्कालीन कुलपति ने कहा था कि विश्वविद्यालय का लक्ष्य सिर्फ रोज़गार सुनिश्चित करना नहीं है, बल्कि हम चाहतें हैं कि छात्र नौकरी करने की जगह नौकरी प्रदान करें।

हिंदी भाषा और व्यवहारिकता

देश में करीब 43.63 फीसदी जनता की पहली भाषा हिंदी है। हिंदी भाषा का दायरा वक्त के साथ बढ़ता भी रहा है। जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि 1971 से 2011 के बीच हिंदी बोलने वालों की संख्या 6 फीसदी बढ़ी जबकि बाकी सभी भाषाओं को जानने वालों की संख्या में गिरावट आई। कुल हिंदीभाषियों में 90 फीसदी से ज़्यादा जनसंख्या भारत के 12 राज्यों में बसती है। इसमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश सबसे ऊपर हैं। मध्य भारत से लेकर दक्षिण भारत में हिंदीभाषियों की छिटपुट आबादी बिखरी हुई है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड चार ऐसे राज्य हैं, जहां हिंदी जानने वालों की अच्छी-खासी आबादी है। हालांकि, पूर्वोत्तर भारत और तटीय क्षेत्रों से जुड़े ज्यादातर राज्यों में हिंदी का प्रभाव काफी कम है।

मतलब हमारे देश की करीब आधी आबादी हिंदी बोलती, समझती है। इसके बावजूद उच्च शिक्षा और प्रोफेशनल कोर्सेज़ में एक माध्यम के तौर पर हिंदी के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हिंदी भाषा के लिए अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय की कोशिश की तारीफ की जानी चाहिए। लेकिन, व्यवहारिकता को समझते हुए इसे नए तरीके से आगे बढ़ाए जाने की ज़रूरत है।

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सुप्रीम कोर्ट ने दो दशक पुरानी शादी रद्द करने की दी अनुमति, कहा- रिश्ता भावनात्मक रूप से मर चुका है

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को दो दशक पुराने एक विवाह को यह कहते हुए समाप्त कर दिया कि दंपति के बीच यह रिश्ता भावनात्मक रूप से मर चुका है और दोनों पक्षों को अब साथ रहने के लिए राजी करने का कोई अर्थ नहीं है। न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए विवाह को समाप्त कर तलाक का आदेश पारित किया।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने पति को आठ सप्ताह के अंदर पत्नी को 25 लाख रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद दस्तावेज की जांच करने और न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) की दलीलों पर विचार करने के बाद, मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी किए बिना, दोनों पक्षों के बीच विवाह भावनात्मक रूप से मृत है और उन्हें एक साथ रहने के लिए राजी किए जाने का कोई तुक नहीं है।’’

पीठ ने कहा, “इसलिए, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त अधिकार के प्रयोग के लिए उपयुक्त मामला है। दोनों पक्षों के विवाह को समाप्त किया जाता है। रजिस्ट्री को तदनुसार एक आदेश तैयार करने का निर्देश दिया जाता है।” पीठ ने निर्देश दिया कि पत्नी द्वारा भरण-पोषण के लिए दायर याचिका 25 लाख रुपये की राशि प्राप्त होने के बाद वापस ले ली जाएगी।

पश्चिम बंगाल में एक पुलिस अधिकारी ने 1997 में शादी की और इसे विशेष विवाह कानून, 1954 के तहत पंजीकृत कराया। इसके बाद, 2000 में हिंदू रीति-रिवाजों और रीति-रिवाजों के तहत दोनों की शादी हुयी। पति ने पत्नी द्वारा क्रूरता और छोड़ दिए जाने का आरोप लगाते हुए पांच मार्च, 2007 को जिला न्यायाधीश, अलीपुर के समक्ष विवाह समाप्त किए जाने का मुकदमा दायर किया था।

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कोरोना वैक्सीनेशन की रफ्तार देख भारत का प्रशंसक बना WHO, बयान जारी कर दी बधाई

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ वैक्सीनेशन की रफ्तार के लिए भारत की तारीफ की है। WHO की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि भारत ने कोरोना टीकाकरण में अभूतपूर्व गति हासिल की है। इसके लिए डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने WHO की ओर से भारत को बधाई दी।

डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, ‘WHO ने अभूतपूर्व गति से COVID-19 टीकाकरण को बढ़ाने के लिए भारत को बधाई दी। भारत में पहली 100 मिलियन खुराकें देने में 85 दिन लगे थे जबकि अब सिर्फ 13 दिनों में खुराकों की संख्या 650 मिलियन से 750 मिलियन तक पहुंच गई है।’ डॉ सिंह का यह बयान WHO के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के ट्विटर अकाउंट से जारी किया गया।

कोरोना वैक्सीनेशन का आंकड़ा 75 करोड़ के पार

कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन का अभियान तेज गति से आगे बढ़ रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया है कि देश में कुल वैक्सीन का आंकड़ा 75 करोड़ को पार कर गया है। सोमवार को ही यह आंकड़ा 75 करोड़ के पार पहुंचा है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका प्रयास के मंत्र के साथ विश्व का सबसे  बड़ा टीकाकरण अभियान निरंतर नए आयाम गढ़ रहा है, आजादी का अमृत महोत्सव यानि आजादी के 75वें वर्ष में देश ने 75 करोड़ टीकाकरण के आंकड़े को पार कर लिया है।”

जिस रफ्तार से देश में वैक्सीनेशन का अभियान बढ़ रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि महीने भर में देश के 100 करोड़ लोगों तक वैक्सीन की कम से कम एक डोज जरूर पहुंच जाएगी। अबतक जो टीकाकरण हुआ है उसमें लगभग 57 करोड़ लोगों को सिर्फ एक डोज मिली है और करीब 18 करोड़ को दोनों डोज मिल चुकी है।

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