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एक भारत उत्कृष्ट भारत

इंदौर फिजिकल एकेडमी के गणपति हॉस्टल में फूड पॉइजनिंग से 37 छात्र बीमार

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डिजिटल भारत I चितावद स्थित इंदौर फिजिकल एकेडमी के गणपति हॉस्टल में रहने वाले बच्चों की तबीयत मंगलवार रात अचानक बिगड़ने लगी और उन्हें इलाज के लिए एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया। पहले यहां पांच बच्चों को इलाज के लिए लाया जाता था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 37 हो गई है. जिनमें 23 लड़के और 14 लड़कियां शामिल हैं।

रात को दाल, रोटी और सब्जी खाई
ये सभी बच्चे एक ही एकेडमी में पढ़ते हैं और एक ही हॉस्टल में रहते हैं. इन बच्चों ने रात में दाल, रोटी और सब्जी खाई. शुरुआती जांच में पता चला है कि दूषित भोजन के कारण इन बच्चों की तबीयत बिगड़ी है. हालांकि सभी की हालत अभी भी खतरे से बाहर है.

उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि दूषित पानी के कारण उनकी तबीयत बिगड़ी है, जिसके कारण उन्हें संक्रमण हुआ है. जब वह अस्पताल पहुंचे तो वह उल्टी और दस्त से पीड़ित थे।
इस क्षेत्र में पेट का इन्फेक्शन सामान्य बताया जा रहा है कि पालदा से चितावद के बीच जो नाला बहता है, इसके कारण हमेशा यहां पर दूषित पानी की समस्या बनी रहती है। बारिश के दिनों में यह समस्या काफी बढ़ जाती है। इसके कारण इस क्षेत्र में पेट के इंफेक्शन की समस्या लोगों में बनी रहती है। कई बार रहवासी भूगर्भ जल की जांच करवाने की मांग भी कर चुके हैं।

रहवासियों ने बताया कि तबीयत बिगड़ने के बाद जब भी डॉक्टर के पास जाते हैं तो पानी के कारण इंफेक्शन बताया जाता है। देशभर के आर्मी में जाने वाले बच्चे एमवाय अस्पताल में जो बच्चे अभी भर्ती है। वह इंदौर के साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आसाम, छत्तीसगढ़, बिहार आदि प्रदेशों के रहने वाले हैं।

यहां आकर आर्मी, पुलिस की फिजिकल परीक्षा की तैयारी करते हैं। यहां इन बच्चों के खानपान पर ध्यान नहीं दिया जाता है। पहले भी इस बच्चों की तबीयत बिगड़ने के मामले सामने आ चुके हैं। बताया जा रहा है कि अभी कुछ दिनों से कर्मचारी के नहीं आने से खाना भी स्वयं बच्चे ही बना रहे थे।

बड़वानी में उल्टी-दस्त का प्रकोप, तीन की मौत, आठ बीमार
हरदा के निकट वनांचल स्थित ग्राम पंचायत बड़वानी के मुख्यालय रहटगांव में दूषित पानी पीने से बड़ी संख्या में ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। तीन लोगों की मौत हो गई है. आठ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. उनका इलाज किया जा रहा है. अधिकारियों का यह भी कहना है कि दूषित पानी पीने से ग्रामीण बीमार हुए हैं.

बुधवार सुबह जिला पंचायत सीईओ टिमुरनी और टिमुरनी बीएमओ ने गांव का दौरा किया और पेयजल स्रोतों के आसपास साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने और शुद्ध पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। ग्राम पंचायत बड़वानी के सरपंच सुनील साठे ने बताया कि गांव में 8 से 15 दिन में तीन मौतें हो चुकी हैं. जिनमें दो महिलाएं और एक वृद्ध शामिल हैं।

बड़वानी में दूषित पानी से उल्टी-दस्त का प्रकोप:
हरदा के निकट वनांचल स्थित ग्राम पंचायत बड़वानी के मुख्यालय रहटगांव में दूषित पानी पीने से बड़ी संख्या में ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। तीन लोगों की मौत हो चुकी है और आठ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। अधिकारियों ने गांव का दौरा कर पेयजल स्रोतों के आसपास साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने और शुद्ध पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

समस्याओं का समाधान और सावधानी:
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि दूषित पानी और भोजन के कारण बीमारी का खतरा बहुत अधिक है। प्रशासन को पेयजल और भोजन की गुणवत्ता पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए और नियमित जांच करवानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। लोगों को भी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और साफ-सुथरे भोजन और पानी का ही उपयोग करना चाहिए।

बड़वानी में दूषित पानी से उल्टी-दस्त का प्रकोप, तीन की मौत
हरदा के निकट वनांचल स्थित ग्राम पंचायत बड़वानी के मुख्यालय रहटगांव में दूषित पानी पीने से बड़ी संख्या में ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। तीन लोगों की मौत हो चुकी है और आठ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। अधिकारियों ने गांव का दौरा कर पेयजल स्रोतों के आसपास साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने और शुद्ध पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए सुझाव

1. नियमित जांच:
पेयजल और भोजन की गुणवत्ता की नियमित जांच सुनिश्चित करें।
2. स्वच्छता:
पानी के स्रोतों के आसपास और भोजन बनाने की जगहों पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
3. उबाल कर पानी पिएं:
दूषित पानी से बचने के लिए पानी को उबालकर पिएं।
4. स्वास्थ्य शिक्षा:
रहवासियों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें।
5. सरकारी निगरानी:
प्रशासन को पानी की गुणवत्ता और साफ-सफाई पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।
6. पोषण का ध्यान:
बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान दें और उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर आहार दें।
7. तात्कालिक चिकित्सा:
बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें और उचित उपचार करवाएं।
इन सुझावों पर अमल करने से दूषित पानी और भोजन से होने वाली बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।

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गृहणियों के लिए घर से ही आय कमाने के 10 तरीके

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डिजिटल भारत I गृहणियों का जीवन आमतौर पर परिवार की देखभाल और घर के कामकाज में व्यतीत होता है। हालाँकि, वे अपने बजट को सुधारकर और स्मार्ट निवेश करके अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकती हैं। आज के इस लेख में हम गृहणियों के लिए कुछ ऐसे व्यावहारिक सुझाव प्रस्तुत कर रहे हैं जिनसे वे पैसे बचा सकती हैं, निवेश कर सकती हैं और अतिरिक्त आय कमा सकती हैं।

पैसे बचाने के तरीके
मासिक बजट बनाएं: सबसे पहले, गृहणियों को अपने मासिक खर्चों का एक बजट बनाना चाहिए। इसमें सभी आवश्यक खर्च जैसे राशन, बिजली बिल, पानी बिल, बच्चों की शिक्षा और अन्य अनिवार्य खर्च शामिल होने चाहिए। बजट के अनुसार खर्च करने से फिजूलखर्ची पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
सेल और ऑफर्स का लाभ उठाएं: खरीदारी के दौरान सेल और डिस्काउंट ऑफर्स का लाभ उठाना चाहिए। इससे काफी पैसे बचाए जा सकते हैं।
स्वयं खाना बनाएं: बाहर खाना खाने के बजाय घर पर ही खाना बनाने से काफी पैसे बचाए जा सकते हैं। इसके साथ ही, यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होता है।
स्थानीय बाजार से खरीदारी करें: सुपरमार्केट के बजाय स्थानीय बाजार से फल, सब्जी और अन्य सामान खरीदना सस्ता होता है।
ऊर्जा की बचत करें: बिजली और पानी की बचत करना भी पैसे बचाने का एक तरीका है। अनावश्यक रूप से लाइट, पंखा, और अन्य उपकरण बंद रखें।
निवेश के तरीके
बचत खाते में निवेश: सबसे सरल और सुरक्षित तरीका बचत खाते में पैसा जमा करना है। इससे ब्याज के रूप में नियमित आय प्राप्त होती है।
एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट): फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना सुरक्षित होता है और इसमें अच्छा ब्याज मिलता है।
आरडी (रेकरिंग डिपॉजिट): रेकरिंग डिपॉजिट में हर महीने एक निश्चित राशि जमा करने से लंबे समय में अच्छा फंड तैयार किया जा सकता है।
सोना और चांदी: सोना और चांदी में निवेश भी लाभदायक होता है। इनके दाम समय के साथ बढ़ते हैं और इन्हें जरूरत पड़ने पर बेचा भी जा सकता है।
म्यूचुअल फंड: म्यूचुअल फंड में निवेश करने से भी अच्छी आय हो सकती है। यह थोड़ा जोखिमपूर्ण होता है लेकिन लंबे समय में अच्छा रिटर्न देता है।
पोस्ट ऑफिस स्कीम्स: पोस्ट ऑफिस में कई निवेश योजनाएं होती हैं जैसे पीपीएफ, एनएससी, किसान विकास पत्र आदि। ये योजनाएं सुरक्षित होती हैं और अच्छा रिटर्न देती हैं।
अतिरिक्त आय कमाने के तरीके
घरेलू व्यवसाय: गृहणियां घर बैठे ही कई व्यवसाय कर सकती हैं जैसे बेकरी, हस्तशिल्प, बुटीक, और टिफिन सेवा आदि।
फ्रीलांसिंग: लेखन, ग्राफिक डिजाइनिंग, अनुवाद आदि जैसे फ्रीलांसिंग कार्य करके भी अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है।
ऑनलाइन ट्यूशन: शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाली गृहणियां ऑनलाइन ट्यूशन देकर भी पैसा कमा सकती हैं।
ब्लॉगिंग और यूट्यूब: अगर किसी का लेखन में रुचि है तो वह ब्लॉगिंग कर सकता है। इसी तरह, यूट्यूब चैनल शुरू करके भी आय अर्जित की जा सकती है।
ऑनलाइन सेलिंग: ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, ईबे पर वस्तुएं बेचकर भी पैसा कमाया जा सकता है।
सर्वे और फीडबैक: कई कंपनियां सर्वे और फीडबैक के लिए पैसे देती हैं। इसमें भाग लेकर भी थोड़ा बहुत पैसा कमाया जा सकता है।
निष्कर्ष
गृहणियां परिवार की रीढ़ होती हैं और वे पैसे बचाने और निवेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। सही तरीके से बजट बनाकर, समझदारी से खर्च करके, और निवेश के सही विकल्पों का चुनाव करके वे न केवल पैसे बचा सकती हैं, बल्कि अच्छी आय भी अर्जित कर सकती हैं। उपरोक्त सुझावों को अपनाकर गृहणियां अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकती हैं और आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

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जॉनसन बेबी प्रोडक्ट्स की हकीकत: बच्चों की सेहत के लिए कितना सुरक्षित? कई देशो में बैन

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डिजिटल भारत I जॉनसन बेबी, जो कि जॉनसन एंड जॉनसन की एक प्रसिद्ध सहायक कंपनी है, ने दुनिया भर में अपनी बेबी केयर उत्पादों के लिए एक मजबूत प्रतिष्ठा बनाई है। हालांकि, हाल के वर्षों में, इस कंपनी को कई देशों में अपने उत्पादों में खतरनाक तत्वों के उपयोग के आरोपों का सामना करना पड़ा है। इस लेख में, हम उन देशों की चर्चा करेंगे जहां जॉनसन बेबी के उत्पाद प्रतिबंधित हैं और उन खतरनाक तत्वों का विश्लेषण करेंगे जो बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक साबित हुए हैं।

जॉनसन बेबी कंपनी: एक परिचय
जॉनसन एंड जॉनसन, जो 1886 में स्थापित हुई थी, ने अपने बेबी केयर उत्पादों के माध्यम से एक विशाल बाजार का निर्माण किया है। इनमें बेबी शैम्पू, बेबी पाउडर, बेबी ऑयल, बेबी लोशन, और बेबी साबुन जैसे उत्पाद शामिल हैं। जॉनसन बेबी उत्पादों का उपयोग नवजात शिशुओं और बच्चों की देखभाल के लिए व्यापक रूप से किया जाता है। हालांकि, कुछ उत्पादों में हानिकारक रसायनों की उपस्थिति ने कंपनी की छवि को धूमिल किया है।

प्रतिबंधित देश और कारण
1. भारत
भारत में, जॉनसन बेबी पाउडर पर प्रतिबंध लगाया गया था क्योंकि इसमें एस्बेस्टस जैसे खतरनाक तत्व पाए गए थे। एस्बेस्टस एक कार्सिनोजेनिक पदार्थ है, जिसका संपर्क कैंसर का कारण बन सकता है।

2. संयुक्त राज्य अमेरिका
अमेरिका में, जॉनसन बेबी पाउडर के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें आरोप लगाया गया कि टैल्कम पाउडर में एस्बेस्टस की मौजूदगी से ओवेरियन कैंसर हो सकता है। कई महिलाओं ने कंपनी के खिलाफ मुकदमे जीते और कंपनी को भारी जुर्माने का सामना करना पड़ा।

3. कनाडा
कनाडा में, सरकार ने जॉनसन बेबी पाउडर के उपयोग के खिलाफ चेतावनी जारी की थी और इसे बाजार से हटाने की सलाह दी थी। टैल्कम पाउडर में एस्बेस्टस की उपस्थिति को गंभीरता से लिया गया।

4. यूरोपियन यूनियन
यूरोपियन यूनियन के कुछ देशों में जॉनसन बेबी उत्पादों पर कड़ी निगरानी रखी गई है और कुछ उत्पादों को बाजार से हटाया गया है। यूरोपीय यूनियन की सख्त नियामक नीतियों के तहत, कई उत्पादों में पाए गए हानिकारक तत्वों को हटाने के लिए कहा गया है।

5. ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में भी जॉनसन बेबी पाउडर को लेकर चिंताएं जताई गई हैं और इसे बाजार से हटाने की मांग की गई है।

खतरनाक तत्व और उनके प्रभाव
टैल्कम पाउडर और एस्बेस्टस
टैल्कम पाउडर का उपयोग बेबी पाउडर में किया जाता है, लेकिन इसमें एस्बेस्टस के अंश मिल सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। एस्बेस्टस एक ज्ञात कार्सिनोजेन है, और इसके संपर्क में आने से मेसोथेलियोमा और ओवेरियन कैंसर हो सकता है।

पैराबेंस
पैराबेंस का उपयोग प्रिज़र्वेटिव के रूप में किया जाता है, लेकिन यह हार्मोनल असंतुलन और कैंसर से जुड़ा हुआ है। बच्चों के उत्पादों में इसका उपयोग गंभीर चिंताओं को जन्म देता है।

फ्रेगरेंस (सुगंध)
फ्रेगरेंस के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों में कई हानिकारक तत्व हो सकते हैं जो एलर्जी, त्वचा में जलन, और श्वसन समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

फॉर्मल्डिहाइड
फॉर्मल्डिहाइड एक ज्ञात कार्सिनोजेन है, और इसे जॉनसन बेबी शैम्पू में संरक्षक के रूप में पाया गया था। इसके संपर्क में आने से त्वचा में जलन और सांस की समस्याएं हो सकती हैं।

कंपनी की प्रतिक्रिया
जॉनसन एंड जॉनसन ने आरोपों का सामना करते हुए अपने उत्पादों की सुरक्षा का बचाव किया है। कंपनी का दावा है कि उनके उत्पादों में इस्तेमाल किए गए तत्वों का परीक्षण और समीक्षा की गई है और यह सभी नियामक मानकों को पूरा करते हैं। हालांकि, बढ़ते मुकदमों और प्रतिबंधों ने कंपनी को अपने उत्पादों के फॉर्मूले में बदलाव करने और खतरनाक तत्वों को हटाने के लिए मजबूर किया है।

वर्तमान स्थिति और उपाय
जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने बेबी पाउडर में टैल्क की जगह कॉर्नस्टार्च का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिससे उत्पाद को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। इसके अलावा, कंपनी ने अपने उत्पादों में पैराबेंस, फॉर्मल्डिहाइड और अन्य हानिकारक रसायनों को हटाने का वादा किया है।

वैकल्पिक उत्पाद
बाजार में कई वैकल्पिक बेबी केयर उत्पाद उपलब्ध हैं जो प्राकृतिक और सुरक्षित तत्वों से बने होते हैं। माता-पिता को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे उत्पादों का चयन करें जो बिना हानिकारक रसायनों के बने हों।

सरकारी निगरानी
सरकारों और नियामक निकायों को बेबी केयर उत्पादों की सख्त निगरानी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बाजार में उपलब्ध उत्पाद सुरक्षित हों।

जागरूकता
माता-पिता और उपभोक्ताओं को जागरूक रहना चाहिए और उत्पादों के लेबल और तत्वों की जानकारी को ध्यान से पढ़ना चाहिए।

निष्कर्ष
जॉनसन बेबी कंपनी के उत्पादों में खतरनाक तत्वों की उपस्थिति ने कई देशों में चिंताएं पैदा की हैं और कुछ स्थानों पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। हालांकि, कंपनी ने अपने उत्पादों को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाए हैं, फिर भी उपभोक्ताओं को सतर्क रहना चाहिए और सुरक्षित उत्पादों का चयन करना चाहिए।

इस प्रकार, जॉनसन बेबी कंपनी पर लगाए गए प्रतिबंध और उनके उत्पादों में पाए गए खतरनाक तत्वों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। माता-पिता और उपभोक्ताओं को इन जानकारीयों को ध्यान में रखते हुए ही अपने बच्चों के लिए उत्पादों का चयन करना चाहिए।

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भारत में शादियों की टूटने की संख्या लाखो पार,क्या हैं असफल शादियों के पीछे के कारण और समाधान?

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डिजिटल भारत I भारत में विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं होता, बल्कि दो परिवारों, रीति-रिवाजों और संस्कृतियों का संगम होता है। इसके बावजूद, हाल के वर्षों में असफल विवाहों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। आइए, हम इसके कारणों पर गहराई से विचार करें और समझें कि इसके समाधान क्या हो सकते हैं।

असफल विवाह के प्रमुख कारण
संवाद की कमी: एक स्वस्थ और सफल विवाह के लिए संवाद बहुत महत्वपूर्ण है। कई बार पति-पत्नी के बीच संवाद की कमी होती है, जिससे गलतफहमियां बढ़ती हैं और समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
परिवारों का हस्तक्षेप: भारत में कई विवाह संयुक्त परिवारों में होते हैं, जहां परिवारों का हस्तक्षेप बहुत अधिक होता है। इससे दंपत्ति के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा होती है।
आर्थिक समस्याएं: आर्थिक तनाव और वित्तीय समस्याएं भी विवाह के असफल होने के प्रमुख कारणों में से एक हैं। नौकरी की अस्थिरता, कर्ज का बोझ आदि कारणों से रिश्ते पर दबाव पड़ता है।
अनुचित अपेक्षाएं: पति-पत्नी के बीच एक दूसरे से अत्यधिक अपेक्षाएं भी असफल विवाह का कारण बन सकती हैं। जब ये अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं, तो निराशा और तनाव पैदा होता है।
सामाजिक दबाव: समाज के दबाव के चलते कई बार विवाह के बाद दंपत्ति पर एक निश्चित ढांचे में फिट होने का दबाव होता है, जिससे उनका व्यक्तिगत जीवन प्रभावित होता है।
समाधान और सुझाव
संवाद को प्रोत्साहित करें: पति-पत्नी के बीच खुले और ईमानदार संवाद को प्रोत्साहित करें। संवाद के माध्यम से वे अपनी भावनाओं, अपेक्षाओं और समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।
व्यक्तिगत स्थान का सम्मान: विवाह के बावजूद प्रत्येक व्यक्ति की अपनी निजी जगह होती है। इस व्यक्तिगत स्थान का सम्मान करना महत्वपूर्ण है।

पारिवारिक हस्तक्षेप को सीमित करें: परिवारों को यह समझना चाहिए कि पति-पत्नी का निजी जीवन उनका अपना होता है। अतः परिवारों को अनावश्यक हस्तक्षेप से बचना चाहिए।
आर्थिक समस्याओं का समाधान: वित्तीय समस्याओं को हल करने के लिए एक साथ योजना बनाएं। वित्तीय मामलों में पारदर्शिता और आपसी समझ से ही समस्याओं का समाधान संभव है।
समाज के दबाव से मुक्ति: समाज के दबाव से मुक्त रहकर अपने जीवन को अपने तरीके से जीने का प्रयास करें। इससे दंपत्ति के बीच आपसी समझ और सामंजस्य बढ़ेगा।
मनोवैज्ञानिक सहायता लें: अगर समस्याएं गंभीर हैं, तो पेशेवर मनोवैज्ञानिक या मैरिज काउंसलर की सहायता लें। यह दंपत्ति को उनकी समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करेगा।

निष्कर्ष
भारत में विवाह एक महत्वपूर्ण सामाजिक संस्था है, जिसे सफल बनाने के लिए संवाद, समझ और सामंजस्य की आवश्यकता है। असफल विवाह के कारणों को समझकर और उनके समाधान पर ध्यान देकर हम एक मजबूत और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं। असफल विवाहों को कम करने के लिए हमें व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर सामूहिक प्रयास करने होंगे।
आखिरकार, एक सफल विवाह केवल दो व्यक्तियों के बीच का संबंध नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है। इसलिए, हमें मिलकर प्रयास करना चाहिए कि विवाह की यह संस्था हमेशा मजबूत और स्थिर रहे।

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गर्मी के कारण हरी सब्जी की आवक में कमी तेजी से बढ़ रहे है रेट

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डिजिटल भारत I तेज धूप और भीषण गर्मी का असर सिर्फ लोगों पर नहीं फसलों पर भी पड़ा है। सब्जी के पौधे सूखने लगे हैं। इससे पैदावार करीब 50 फीसदी कम होने से बाजारों में हरी सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं। महज 15 दिनों में हरी सब्जियों की कीमतें तीन गुना तक महंगी हो गई है। जिले में एक महीने से प्रचंड गर्मी का असर बना हुआ है। पारा लगातार 40 से 44 डिग्री सेल्सियस के ऊपर बना रहा। ऐसे मौसम में न सिर्फ जनजीवन प्रभावित हैं, बल्कि सब्जियों के पैदावार पर भी असर पड़ा है। स्थिति यह है कि मौसमी सब्जियां भी आसानी से नहीं मिल रही है। जो सब्जियां इन मौसम में 10 रुपए किलो मिल जाती थी। अब उनकी कीमत 30 रुपए किलो तक पहुंच गई है। सब्जियों के दाम में बेतहाशा वृद्धि से गृहणियों के रसोई का बजट बढ़ गया है। लोगों की थाली से हरी सब्जी गायब होने लगी है। आलू प्याज जैसी सब्जी के दाम तो पहले से ही रुला रहे थे। लेकिन अब हरी सब्जियां भी तरेर रही है। मौसमी सब्जियां भी बजट से बाहर से बाहर हो चली है। पिछले पखवाड़े जिन सब्जियों के दाम 10 रुपए किलो थे, अब उनका दाम 30 रुपए तक पहुंच ग‌ए है। सब्जी के दामों में रोजाना वृद्धि देखी जा रही है
हरी सब्जियों का उत्पादन हुआ कम
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जनवरी- फरवरी में हुई बारिश की वजह से उत्पादन कम हुआ तो दूसरी तरफ अप्रैल- मई में हीटवेब रही। इसकी वजह से गर्मी के मौसम में हरी सब्जियों का उत्पादन कम हुआ और आलू की खपत ज्यादा रही।

प्रदेश की स्थिति
प्रदेश में करीब 198 कोल्ड स्टोर हैं। उद्यान विभाग की ओर से सीजन में करीब 245 लाख मीट्रिक टन आलू उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 222 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। इसमें 139 लाख मीट्रिक टन कोल्ड स्टोर में रखा गया, जिसमें करीब 20 फीसदी निकल चुका है। आलू के भाव में तेजी की वजह से कोल्ड स्टोर में रखने वाले व्यापारी अभी आलू निकाल नहीं रहे हैं। यूपी से करीब 102809.74 मीट्रिक टन आलू नेपाल भेजा गया, जिसकी कीमत करीब 94.44 करोड़ रुपये थी।

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क्या करती है वारी रिन्यूएबल्स टेक्नोलॉजी लिमिटेड, जाने कैसे दिया 830% का रिटर्न

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डिजिटल भारत I वारी रिन्यूएबल्स टेक्नोलॉजी लिमिटेड (WRTL) वारी एनर्जीज लिमिटेड के तहत काम करती है, जो सोलर EPC सेक्टर का नेतृत्व करती है। वारी ने 10,000 से ज़्यादा सोलर प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक स्थापित किए हैं, जिनकी कुल संचालन क्षमता 600+ मेगावाट है। हम एक सोलर डेवलपर भी हैं जो सोलर प्रोजेक्ट का वित्तपोषण, निर्माण, स्वामित्व और संचालन करते हैं। मुंबई में मुख्यालय के साथ, हम विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में काम करते हैं, और वाणिज्यिक और औद्योगिक ग्राहक खंडों में दीर्घकालिक निवेश पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इस सहायक कंपनी का गठन बढ़ते अक्षय ऊर्जा बाजार का लाभ उठाने के लिए किया गया था। वारी ग्रुप एक प्रमुख अक्षय ऊर्जा कंपनी है जो व्यक्तिगत, औद्योगिक और वाणिज्यिक ग्राहकों को ऊर्जा समाधान अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके उनकी ज़रूरतों को पूरा करती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है। हम अपने ग्राहकों को ऑन-साइट सोलर प्रोजेक्ट (रूफटॉप और ग्राउंड-माउंटेड) और ऑफ-साइट सोलर फ़ार्म (ओपन-एक्सेस सोलर प्लांट) दोनों स्थापित करके स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करते हैं।
अपने शेयरों को ‘एमटी’ समूह प्रतिभूतियों की सूची में एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराया। कंपनी के इक्विटी शेयरधारकों को 57:100 के अनुपात में पूरी तरह से चुकता बोनस शेयर के रूप में 10/- प्रत्येक यानी हर 100 इक्विटी शेयर के लिए 57 इक्विटी शेयर पूरी तरह से भुगतान किए गए बोनस शेयर के रूप में। -संगम एडवाइजर्स ने 57:100 के अनुपात में बोनस की घोषणा की है 2017 -कंपनी को महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम (महाजेनको) द्वारा ‘लेटर ऑफ अवार्ड’ प्राप्त हुआ। 2018 -कंपनी का नाम संगम एडवाइजर्स लिमिटेड से बदलकर संगम रिन्यूएबल्स लिमिटेड हो गया है। 2021 -कंपनी का नाम संगम रिन्यूएबल्स लिमिटेड से बदलकर वारी रिन्यूएबल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड हो गया है। -कंपनी को इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण के लिए भारत-केंद्रित अक्षय ऊर्जा समूह से पुरस्कार पत्र (एलओए) प्राप्त हुआ -कंपनी को 18.40 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजना के क्रियान्वयन, इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण के लिए कई ऑर्डर मिले हैं।
hare price आंदोलनों में गोता लगाने से पहले, Waaree Renewable Technologies के व्यवसाय और बुनियादी सिद्धांतों को समझना आवश्यक है। Company नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में काम करती है, विशेष रूप से solar modules में। 32 वर्षों के अनुभव के साथ, उन्हें Tier 1 solar modules निर्माता के रूप में मान्यता प्राप्त है।

Waaree ने कुल 1.5 gigawatts से अधिक की परियोजनाएं पूरी की हैं और साल-दर-साल 22% CAGR की वृद्धि देखी है। विश्व स्तर पर, उन्होंने 6 gigawatts modules की आपूर्ति की है। Company की उपलब्धियाँ प्रभावशाली हैं और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती हैं।
Power Stock: पावर जेनरेशन कंपनी वारी रिन्युएबल टेक्नोलॉजीज (Waaree Renewable Technologies) को इस हफ्ते एक बड़ा ऑर्डर मिला है. एक्सचेंज फाइलिंग के मुताबिक, वारी रिन्युएबल टेक्नोलॉजीज ने 412 MWp सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए 547.5 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है. वारी रिन्युएबल टेक्नोलॉजी एक मल्टीबैगर है. इसने एक साल में 765 फीसदी का तगड़ा रिटर्न दिया है.
Order Book वास्तविकताएँ
वर्तमान में Order Book के आकार पर ध्यान केंद्रित करने का trend है। हालाँकि, असली खेल इन आदेशों के execution में है। यदि कोई कंपनी निर्धारित समय के भीतर deliver करने में विफल रहती है, तो Order रद्द किया जा सकता है, जिससे कंपनी की वित्तीय स्थिति प्रभावित होगी। किसी company के प्रदर्शन का मूल्यांकन करते समय विचार करने के लिए यह एक आवश्यक पहलू है।

चल रही projects को देखते हुए, Waaree के पास विभिन्न शहरों में विशिष्ट मेगावाट क्षमता वाली विभिन्न projects हैं। यह विस्तृत जानकारी कंपनी के operational scale को समझने में मदद करती है।

राजस्व टूटना
राजस्व को तोड़ते हुए, 54% EPC contracts से, 45% O&M services से, और बाकी solar plants से बिजली उत्पादन से आता है। प्रमुख clients में L&T और BPCL जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।

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नीला रंग सिर्फ एक रंग नहीं पीछे छिपी है कई गहरी बातेँ

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डिजिटल भारत I नीले रंग का मनोविज्ञान
10 देशों में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि नीला रंग वैश्विक स्तर पर लोगों के लिए सबसे लोकप्रिय “पसंदीदा रंग” है, जिसमें पुरुष महिलाओं की तुलना में नीला रंग अधिक पसंद करते हैं (संयुक्त राज्य अमेरिका के विषयों में क्रमशः 40% बनाम 24%)। 2 लेकिन इस रंग का हम पर मनोवैज्ञानिक रूप से क्या प्रभाव पड़ता है?
शांत, संयमित और संयमित
अपने शांत स्वभाव के लिए प्रसिद्ध, नीला रंग एक शांत उपस्थिति है। यह हस्तक्षेप या परेशान नहीं करता है। इसके बजाय, यह केवल खुद को प्रकट करता है। मानस के संदर्भ में, नीला रंग मन पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए जाना जाता है। नीला रंग धैर्य और समझ का प्रतिनिधित्व करता है, यही कारण है कि हम इसके आस-पास इतना सहज महसूस करते हैं। जब भारी भावनाएं हमें घेर लेती हैं, तो हमें नीले रंग के साथ तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह आमतौर पर समुद्र से भी जुड़ा होता है, जो इसके सुखदायक सार को और उजागर करता है।

रंग मनोविज्ञान हमें इस बारे में बहुत कुछ बताता है कि कुछ रंग किसी व्यक्ति के मूड, भावनाओं और व्यवहार पर क्या प्रभाव डाल सकते हैं। नीले रंग के मनोविज्ञान के बारे में हम जो जानते हैं, वह इस प्रकार है:

क्योंकि नीला रंग बहुत से लोगों को पसंद है, इसे अक्सर एक गैर-खतरनाक रंग के रूप में देखा जाता है जो रूढ़िवादी और पारंपरिक लग सकता है ।
नीला रंग मन में शांति और आराम की भावना लाता है । 3 इसे अक्सर शांतिपूर्ण, शांत, सुरक्षित और व्यवस्थित के रूप में वर्णित किया जाता है।
नीले रंग को स्थिरता और विश्वसनीयता का प्रतीक माना जाता है। जो व्यवसाय सुरक्षा की छवि पेश करना चाहते हैं, वे अक्सर अपने विज्ञापन और विपणन प्रयासों में नीले रंग का उपयोग करते हैं।
नीला रंग उदासी या अलगाव की भावना भी पैदा कर सकता है। विचार करें कि कैसे एक पेंटिंग जिसमें नीले रंग का अत्यधिक उपयोग किया गया हो, जैसे कि पिकासो द्वारा उनके “नीले काल” के दौरान बनाई गई पेंटिंग, एकाकी, उदास या निराश लग सकती है।
नीले रंग का उपयोग अक्सर कार्यालयों को सजाने के लिए किया जाता है क्योंकि शोध से पता चला है कि नीले कमरे में काम करने वाले लोग अधिक उत्पादक और रचनात्मक होते हैं ।

नीली भावनाएं
इस लेख के साथ दी गई छवि में नीले रंग के उपयोग को देखें। नीला रंग आपको कैसा महसूस कराता है? क्या आप नीले रंग को कुछ खास गुणों या स्थितियों से जोड़ते हैं? साथ ही, इस बात पर भी विचार करें कि भाषा में नीले रंग का उपयोग कैसे किया जाता है: नीला चाँद, नीला सोमवार, नीला खून, ब्लूज़ और नीला रिबन
तनाव दूर करता है
चिंता और बेचैनी धोखेबाज़ मालकिन हैं। जबकि वे हमें भय से भरने की कोशिश करते हैं, नीला रंग विपरीत प्रभाव पैदा करता है। नीले रंग में निराधार भय के लिए समय नहीं है। नीला रंग हमें वर्तमान में जीने और हमारे तनाव को अलविदा कहने के लिए प्रेरित करता है। शांति का माहौल बनाकर, यह बस यही करता है। किसी विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण दिन पर, आसमान की ओर देखने पर विचार करें। बादलों को देखते हुए आपको शांति का नखलिस्तान मिलेगा
नीला रंग का अर्थ
नीले रंग को हम जो अर्थ देते हैं वह कई कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है, जिनमें हमारी संस्कृति, आध्यात्मिकता, प्रतीकवाद आदि शामिल हैं।

सांस्कृतिक अर्थ
कुछ रंगों से उत्पन्न होने वाली भावनाएँ ज़रूरी नहीं कि सार्वभौमिक हों। सांस्कृतिक अंतर कभी-कभी इस बात में भूमिका निभाते हैं कि लोग रंगों को किस तरह समझते हैं। शोध के अनुसार, दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में नीले रंग का क्या अर्थ है: 7

भारत : नीला रंग सत्य, दया और प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है
लैटिन अमेरिका : नीला रंग शोक से जुड़ा है, लेकिन साथ ही विश्वास और शांति से भी जुड़ा है
उत्तरी अमेरिका : नीला रंग सुखदायक है और एक भरोसेमंद व्यक्ति या आधिकारिक व्यवसाय का प्रतीक है
यूनाइटेड किंगडम : नीला रंग शांति, गरिमा और शिष्टाचार का प्रतीक है
पश्चिमी यूरोपीय देश : नीला रंग सत्य, शांति, विश्वसनीयता, जिम्मेदारी और निष्ठा का प्रतीक है

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दुनिया के वेल्थ से भी दुगना सोना दवा है समुद्र के अंदर

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डिजिटल भारत I नेशनल ओशन सर्विस के अनुसार , समुद्र में लगभग 333 मिलियन क्यूबिक मील पानी है। एक क्यूबिक मील 4.17 * 10 9 क्यूबिक मीटर के बराबर होता है। इस रूपांतरण का उपयोग करके, हम यह निर्धारित कर सकते हैं कि लगभग 1.39 * 10 18 क्यूबिक मीटर समुद्र का पानी है। पानी का घनत्व 1000 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, इसलिए समुद्र में 1.39 * 10 21 किलोग्राम पानी है।
Sonstadt की इस खोज ने ,उस समय के कई वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को, सोने को समुद्र से निकालने के, तरीकों को ढूंढने के लिए प्रेरित किया। बहराल , तबसे लेकर अब तक कई researchers ने समुद्र में मौजूद सोने की मात्रा को नापने के कई प्रयास किये पर exact measurement बता पाना काफी मुश्किल काम था क्योंकि seawater में मौजूद gold यानि सोना , काफी dilute concentration यानी बेहद कम मात्रा में मौजूद होता है।

हालांकि उस समय technology इतनी बेहतर नहीं थी कि सोने को निकालने की प्रक्रिया को सही तरीके से अपनाया जा सके और इसके साथ ही, सबसे पहले तो सवाल ये था कि आखिर समुद्र में सोना कितनी मात्रा में मौजूद है, और उसको किस तरह से नापा जा सकता है !!

यदि हम यह मान लें कि 1) महासागर में सोने की सांद्रता 1 भाग प्रति ट्रिलियन है, 2) सोने की यह सांद्रता समस्त महासागरीय जल पर लागू होती है, तथा 3) भाग प्रति ट्रिलियन द्रव्यमान के अनुरूप है, तो हम निम्नलिखित विधि का उपयोग करके महासागर में सोने की अनुमानित मात्रा की गणना कर सकते हैं:

एक ट्रिलियन का एक भाग पूरे के एक ट्रिलियनवें भाग के बराबर होता है, या 1/10 12 ।
इस प्रकार, यह पता लगाने के लिए कि समुद्र में कितना सोना है, हमें समुद्र में पानी की मात्रा, 1.39 * 10 21 किलोग्राम, जैसा कि ऊपर गणना की गई है, को 10 12 से विभाजित करना होगा ।
इस गणना के अनुसार समुद्र में 1.39 * 10 9 किलोग्राम सोना है।
1 किलोग्राम = 0.0011 टन के रूपांतरण का उपयोग करते हुए, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि महासागर में लगभग 1.5 मिलियन टन सोना है (यह मानते हुए कि सांद्रता 1 भाग प्रति ट्रिलियन है)।
यदि हम यही गणना हालिया अध्ययन में पाए गए सोने की सांद्रता, 0.03 भाग प्रति ट्रिलियन, पर लागू करें, तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि समुद्र में 45 हजार टन सोना है ।
वाष्पीकरण के माध्यम से पानी निकालना , या पानी को जमाकर और फिर परिणामी बर्फ को उर्ध्वपातित करके । हालाँकि, समुद्री जल से पानी निकालने पर सोडियम और क्लोरीन जैसे लवणों की बड़ी मात्रा बच जाती है, जिन्हें आगे के विश्लेषण से पहले सांद्रण से अलग करना चाहिए।
विलायक निष्कर्षण , एक ऐसी तकनीक जिसमें नमूने में कई घटकों को अलग-अलग विलायकों में उनकी घुलनशीलता के आधार पर अलग किया जाता है, जैसे पानी बनाम कार्बनिक विलायक। इसके लिए, सोने को ऐसे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है जो किसी एक विलायक में अधिक घुलनशील हो।
सोखना , एक ऐसी तकनीक जिसमें रसायन सक्रिय कार्बन जैसी सतह पर चिपक जाते हैं। इस प्रक्रिया के लिए, सतह को रासायनिक रूप से संशोधित किया जा सकता है ताकि सोना चुनिंदा रूप से उससे चिपक सके।
अन्य यौगिकों के साथ प्रतिक्रिया करके सोने को घोल से बाहर निकालना । इसके लिए अतिरिक्त प्रसंस्करण चरणों की आवश्यकता हो सकती है जो सोने से युक्त ठोस में अन्य तत्वों को हटाते हैं।

1872 में, ब्रिटिश रसायनज्ञ एडवर्ड सोनस्टेड ने समुद्री जल में सोने के अस्तित्व की घोषणा करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की। समुद्र के पानी में सोना जरूर होता है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि वास्तव में कितना है। समुद्र के पानी में सोना इतना पतला है कि इसकी एकाग्रता बहुत कम है। एक अध्ययन में पाया गया कि अटलांटिक और उत्तरी प्रशांत महासागर में हर 100 मिलियन मीट्रिक टन समुद्र के पानी के लिए केवल एक ग्राम सोना है।

समुद्र तल में/पर (अघुलित) सोना भी है। हालाँकि, समुद्र गहरा है, जिसका अर्थ है कि सोने के भंडार पानी के नीचे एक या दो किमी पानी के नीचे हैं। और समुद्र तल पर सोने के भंडार भी चट्टान में समाए हुए हैं, जिसको निकालनेके लिए खनन जरुरी है जो इतना आसान नहीं है। वर्तमान में, लाभ कमाने के लिए समुद्र से सोना निकालने का कोई लागत प्रभावी तरीका नहीं है।कुछ देश समुद्र के तलसे सोना निकलनेके लिए प्रयत्नशील हैं।

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क्या है पेपर लीक कानून, सजा सुनकर आप होजाएंगे हैरान

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डिजिटल भारत I पेपर लीक विवाद के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार रात एक सख्त कानून लागू कर दिया जिसका मकसद प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं को रोकना है। इस कानून में दोषियों के लिए अधिकतम 10 वर्ष कारावास की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
10 साल की कैद से लेकर 1 करोड़ जुर्माना तक का प्रावधान NEET और UGC-NET जैसी परीक्षाओं में गड़बड़ियों के बीच यह कानून लाने का फैसला सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। इस कानून के लागू होने के बाद अब पेपर लीक करने का दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की कैद से लेकर 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
एक दिन पहले ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से पूछा गया था कि यह कानून कब लागू होगा, तब उन्होंने कहा था कि कानून मंत्रालय नियम बना रहा है।
सर्विस प्रोवाइडर के दोषी होने पर लगेगा 1 करोड़ का जुर्माना
परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त सर्विस प्रोवाइडर अगर दोषी होता है तो उस पर 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना होगा। सर्विस प्रोवाइडर अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो उससे परीक्षा की लागत वसूली जाएगी। साथ ही, सेवा प्रदाता को 4 साल की अवधि के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी से भी रोका जा सकता है।
ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटा जाएगा
केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने पूर्व में कहा था कि यह अधिनियम अभ्यर्थियों की इसके प्रविधानों से सुरक्षा करता है। इस कानून से पहले केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन में शामिल विभिन्न संस्थाओं द्वारा अपनाए गए अनुचित साधनों या अपराधों से निपटने के लिए कोई विशिष्ट ठोस कानून नहीं था।
12 फरवरी को मिली थी कानून को मंजूरी
पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया गया था।

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अग्रिम भुगतान के बाद भी इवेंट में नहीं आई महिला डीजे रीना बरोत, आयोजकों को भारी नुकसान”-जबलपुर

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डिजिटल भारत l हाल ही में एक शो के लिए फीमेल डी जे को बुक करना पड़ गया आयोजक को महंगा प्रतिष्ठित नर्मदा इवेंट मालिक को न केवल भारी आर्थिक नुकसान पहुँचाया, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा पर भी गंभीर आघात किया है। एक महिला डीजे रीना बरोत (उर्फ लेडी) ने अग्रिम भुगतान लेने के बावजूद, निर्धारित कार्यक्रम में शामिल होने ही नहीं पहुची। इसके परिणामस्वरूप, आयोजन स्थल पर हंगामा हुआ और आयोजकों को अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा।
घटना का विवरण
आयोजन के दिन, सब कुछ सही दिशा में जाता प्रतीत हो रहा था। दर्शकों का उत्साह चरम पर था, संगीत प्रेमी बड़ी संख्या में स्थल पर पहुँच रहे थे। सबकी निगाहें उस पल का इंतजार कर रही थीं जब महिला डीजे मंच पर आएंगी और अपने बेहतरीन प्रदर्शन से समां बांधेंगी।
क्या है आयोजक का कहना
इस मामले में विपुल पांडेय पिता आशीष पांडे निवासी गढ़ा रोड ने बताया कि उनकी नर्मदा इवेंटस नाम से एक पंजीकृत कम्पनी है। जिसके माध्यम से वे शहर भर में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाते है। विगत 15 जून को उनके और होटल बिग बी बिग इवेंट के दिन नहीं पहुंची शहर, थाने पहुंचा मामला(रसल चौक) के क्लावा पब क्लब के द्वारा डीजे पार्टी का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसके चलते उन्होंने मुंबई से डीजे कलाकार रीना बरोत (उर्फ लेडी बरोत) को शुल्क 35 हजार देकर बुक किया था। रीना बरोत के कहे अनुसार उन्होंने एडवांस के तौर पर 15 हजार रूपए ऑनलाइन पेमेंट भी की थी। इसके अलावा फ्लाईट की आने-जाने की 22 हजार की टिकिट तथा विजन महल होटल में रूकने की व्यवस्था कराई गई थी।
डीजे की गैरहाजिरी
आयोजन का समय आने पर, जब आयोजक ने डीजे से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनका फोन स्विच ऑफ मिला। कई बार संपर्क करने के बाद भी, आयोजक को कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। समय बीतने के साथ, दर्शकों का धैर्य जवाब देने लगा और धीरे-धीरे आयोजन स्थल पर हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई। आयोजकों ने स्थिति को संभालने की पूरी कोशिश की, लेकिन डीजे की गैरहाजिरी ने सभी योजनाओं पर पानी फेर दिया।
आयोजकों पर प्रभाव
इस घटना के परिणामस्वरूप आयोजकों को भारी वित्तीय नुकसान झेलना पड़ा। न केवल अग्रिम भुगतान व्यर्थ गया, बल्कि टिकटों की बिक्री से होने वाली आय भी प्रभावित हुई। साथ ही, आयोजन स्थल की बुकिंग, साउंड सिस्टम, लाइटिंग और अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च की गई राशि भी बर्बाद हो गई।
इसके अलावा, इस घटना ने आयोजकों की प्रतिष्ठा को भी गहरा धक्का पहुँचाया। इस विफल आयोजन ने उनके ग्राहकों और दर्शकों के बीच उनकी विश्वसनीयता को कम कर दिया। कई प्रशंसक और दर्शक इस बात से नाराज थे कि आयोजन में इतनी बड़ी कमी क्यों रही और उन्होंने आयोजकों की कड़ी आलोचना की।
कानूनी कार्रवाई
आयोजकों ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कानूनी कदम उठाने का निर्णय लिया। उनके खिलाफ स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज की है । लेकिन अब तक, डीजे की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और न ही उन्होंने अग्रिम राशि वापस की है। बहरहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरु कर दी
डी जे रीना की धमकी
शो के आयोजक विपुल पांडेय ने बताया की रीना बरोल (उर्फ लेडी बरोल) से अपने पैसे व नुकसान वापस माँगने पर हम लोगों की छवि सोशल मीडिया पर खराब करने की धमकी दी जा रही है। साथ ही हम लोगो को गलत इल्ज़ाम लगा कर फसाने की धमकी दी जा रही है ओर रीना दवारा कहा जा रहा है की हमने तो कई लोगों के पैसे खा लिये है वो हमारा कुछ नहीं कर पाये तो तुम क्या कर लोगे, जहां शिकायत करना है कर दो
पहले भी दे चुकी है धोखा
शिकायतकर्ता विपुल पांडेय ने बताया कि उनके सहयोगी इवेंट कंपनी सॉर्टेड सेशन के को फाउंडर लखन खत्री से पता चला करने पर ज्ञात हुआ की रीना बरोत ने बीते साल जबलपुर में एक बार और धोखाधड़ी कर के एडवांस 20 हजार ले लिए थे। जिसके बाद वह उस कार्यक्रम में भी नहीं पहुंची थी।
निष्कर्ष
यह घटना आयोजकों के लिए एक बड़ी सीख है कि किसी भी कलाकार के साथ अनुबंध करने से पहले उनकी विश्वसनीयता और पेशेवर रवैये की अच्छी तरह से जांच की जाए। इस प्रकार की घटनाएँ न केवल आर्थिक रूप से हानिकारक होती हैं, बल्कि प्रतिष्ठा पर भी गंभीर प्रभाव डालती हैं। आयोजकों को भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए अधिक सतर्क और चौकस रहने की आवश्यकता है।
आगे की रणनीति
आयोजकों ने अपने ग्राहकों और दर्शकों को आश्वासन दिया है कि वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और जल्द ही इसके समाधान के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे। वे इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए अपने अनुबंधों को और भी सख्त बनाने की योजना बना रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी स्थिति का सामना न करना पड़े।
इस घटना ने सभी इवेंट ऑर्गेनाइज़र्स के लिए एक चेतावनी दी है कि किसी भी कलाकार या सेवा प्रदाता के साथ अनुबंध करने से पहले उनकी पृष्ठभूमि और पेशेवर रिकार्ड की पूरी जाँच-पड़ताल आवश्यक है। इस प्रकार की सतर्कता और तैयारी से ही भविष्य में ऐसी अप्रिय स्थितियों से बचा जा सकता है।

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