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एक भारत उत्कृष्ट भारत

क्या होता है थायरॉड ओर हाइपोथॅरियड मै अंतर व लक्षण

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डिजिटल भारत I थायरॉइड क्या है? थायरॉइड गले में पाई जाने वाली तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है। ये सांस की नली की ऊपर होती है। यह मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अतस्रावी ग्रंथियों में से एक होती है। इसी थायरॉइड ग्रंथि में गड़बड़ी आने से ही Thyroid से संबंधित रोग होते हैं। Thyroid ग्लैंड थ्योरिकसिन नाम का हार्मोन बनाती है। ये हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और बॉडी में सेल्स को नियंत्रित करने का काम करता है। थायरॉइड हार्मोन हमारे शरीर की सभी प्रक्रियाओं की गति को नियंत्रित करता है। शरीर की चयापचय क्रिया में भी Thyroid ग्रंथि खास योगदान होता है।

थायरॉइड हार्मोन क्या काम करता है?थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता के लक्षण क्या है?
Thyroid ग्रंथि की अतिसक्रियता के कारण शरीर में मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है। जिसके निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते हैं।

घबराहट
अनिद्रा
चिड़चिड़ापन
हाथों का काँपना
अधिक पसीना आना
दिल की धड़कन बढ़ना
बालों का पतला होना एवं झड़ना
मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना
अत्यधिक भूख लगना
वजन का घटना
महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता
ओस्टियोपोरोसिस से से हड्डी में कैल्शियम तेजी से खत्म होना आदि।थायराइड के लक्षण (Symptoms of Thyroid in Hindi)
थायराइड के लक्षण इसके प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। हाइपरथायरायडिज्म के निम्न लक्षण हो सकते हैं:-

वजन कम होना
घबराहट होना
मूड बदलना
घेंघा
सांस फूलना
गर्मी लगना
नींद कम आना
चिंता और परेशानी होना
दिल की धड़कन तेज होना
अधिक प्यास लगना
आंखों में लालपन और सुखानपान
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण:-
वजन बढ़ना
थकान महसूस होना
बालों का झड़ना
अधिक ठंड लगना
डिप्रेशन
गला बैठना
मानसिक तनाव होना
मांसपेशियों में अकड़न
नाखून और बालों का कमजोर होना
त्वचा का रूखा और कमजोर होनाथायरॉइड समस्याओं के प्रारंभिक चेतावनी संकेत और लक्षण क्या हैं?
अलग-अलग थायराइड स्थितियों के अलग-अलग लक्षण होते हैं। हालाँकि, चूंकि आपके थायरॉयड की शरीर की कुछ प्रणालियों और प्रक्रियाओं, जैसे हृदय गति, चयापचय और तापमान नियंत्रण में एक बड़ी भूमिका होती है, ऐसे कुछ लक्षण हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए, जो थायरॉयड स्थिति का संकेत हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

हृदय गति धीमी या तेज़ होना।
अस्पष्टीकृत वजन घटना या वजन बढ़ना।
सर्दी या गर्मी सहन करने में कठिनाई होना।
अवसाद या चिंता.
अनियमित मासिक धर्म.
यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो अपने थायरॉइड फ़ंक्शन की जांच के लिए रक्त परीक्षण कराने के बारे में अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करें।थायराइड की स्थिति का इलाज कैसे किया जाता है?
थायरॉइड स्थितियों के लिए कई उपचार विकल्प हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि स्थितियां क्या हैं और वे कितनी गंभीर हैं। उपचार के तीन मुख्य विकल्पों में शामिल हैं:

दवाई।
शल्य चिकित्सा।थायराइड रोग का इलाज दवाओं और सर्जरी के माध्यम से किया जाता है। थायराइड के लक्षण के अनुसार रोगी का इलाज किया जाता है।

दवाएं: हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में अलग-अलग दवाएं दी जाती हैं।
हाइपरथायरायडिज्म: हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में एंटी थायराइड (मेथिमाजोल और प्रोपाइलथियोरासिल) दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं थायराइड को नया थायराइड हार्मोन बनाने से रोकती हैं।
हाइपोथायरायडिज्म: हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में मानव निर्मित हार्मोन (thyroxine sodium tablets) दवा लेने की सलाह दी जाती है।
बीटा-ब्लॉकर्स दवाएं: बीटा-ब्लॉकर्स दवाएं शरीर में थायराइड हार्मोन के प्रभाव को रोकती हैं। इनका इस्तेमाल हाइपरथायरायडिज्म के इलाज में किया जाता है।
रेडियोएक्टिव आयोडीन: इस उपचार की मदद से थायराइड की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाया जाता है। इस कारण से अधिक हार्मोन बनने से रोका जा सकता है। रेडियोएक्टिव आयोडीन का इस्तेमाल हाइपरथायरायडिज्म के इलाज में किया जाता है।
सर्जरी: सर्जरी की मदद से थायरायड (थायराइडेक्टोमी) को हटा दिया जाता है। इसके बाद हार्मोन बनना बंद हो जाता है। डॉक्टर जीवन भर थायरायड प्रतिस्थापन हार्मोन (thyroid replacement hormones) लेने की सलाह देते हैं। सर्जरी से हाइपरथायरायडिज्म का इलाज होता है।
यह सर्जरी दो मुख्य तरीकों से की जा सकती है:

गर्दन के सामने एक चीरे के साथ: गर्दन के सामने का चीरा थायरायडेक्टॉमी का पारंपरिक संस्करण है। अगर थायरायड विशेष रूप से बड़ा है या इसमें बहुत बड़े नोड्यूल हैं, तो इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है।
कांख में चीरे के साथ सर्जरी: ये एक प्रकार की वैकल्पिक सर्जरी है। बगल में एक चीरा लगाने के बाद एक सुरंग बनाई जाती है। इसे एलिवेटेड रिट्रैक्टर कहा जाता है। इस सुरंग से थायराइड को निकाला जाता है। इस प्रक्रिया को अक्सर स्कारलेस (बिना दाग वाला) कहा जाता है क्योंकि चीरा बगल के नीचे होता है।
हटाई गई लोब्स की संख्या के आधार पर थायराइड की सर्जरी के प्रकार

हेमी थायराइडेक्टोमी (Hemi Thyroidectomy): यदि थायराइड के एक तरफ नोड्यूल (एक) उपस्थित होता है, तो सर्जन थायराइड के एक लोब को हटा देते हैं।
टोटल थायराइडेक्टोमी (Total Thyroidectomy): कुल या टोटल थायराइडेक्टोमी सभी या अधिकांश (एक से अधिक) थायराइड ऊतक को निकालने के लिए की जाती है।
तकनीकी के आधार पर थायराइड की सर्जरी

ओपन थायराइडेक्टोमी (Open Thyroidectomy): इस ऑपरेशन में, सर्जन सीधे थायराइड नोड्यूल को हटा देते है। इस प्रकार की सर्जरी की जरूरत कम ही पड़ती है।
इंडोस्कोपिक थायराइडेक्टोमी (Endoscopic Thyroidectomy): एंडोस्कोपिक थायराइडेक्टोमी का उपयोग करके बड़े नोड्यूल्स को हटाना आसान होता है। इस सर्जरी में न्यूनतम इन्वेसिव शल्य – चिकित्सा का इस्तेमाल किया जाता है।
रोबोटिक थायराइडेक्टोमी (Robotic Thyroidectomy): बेहतर कॉस्मेटिक परिणाम के साथ रोबोटिक थायराइडेक्टोमी का इस्तेमाल किया जा रहा है। रोबोटिक थायराइडेक्टोमी नवीन तकनीकी पर आधारित है।
सर्जरी का कौन-सा विकल्प अपनाया जाएगा, ये मरीज की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। अगर मरीज स्वस्थ्य नहीं है या बड़े थायराइड नोड्यूल, ग्रेव्स रोग जैसी स्थिति है तो, डॉक्टर एलिवेटेड रिट्रैक्टर सर्जरी के लिए मना कर सकते हैं।

डॉक्टर से थायराइड के लक्षण, थायराइड के लिए सर्जरी आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

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गर्मी मैं कैसे रखे सेहत का खयाल,जानिय

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डिजिटल भारत l शरीर की गर्मी क्यों बढ़ती है?
आंतरिक और बाहरी दोनों प्रभावों के कारण आपके शरीर की गर्मी बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, धूप में बहुत अधिक समय बिताने से आपके शरीर का तापमान काफी बढ़ सकता है। भारी व्यायाम या सामान्य से अधिक घूमने-फिरने के कारण भी यह बढ़ सकता है। महिलाओं के लिए, पेरिमेनोपॉज़ और रजोनिवृत्ति जैसी स्थितियों के कारण शरीर की गर्मी बढ़ सकती है, जिसके दौरान उन्हें गर्मी की चमक या रात में पसीना आने का अनुभव हो सकता है। आपके शरीर की गर्मी बढ़ने का एक और महत्वपूर्ण लेकिन काफी असामान्य कारण कुछ दवाओं का उपयोग है। कुछ दवाएं आपके शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा कर सकती हैं, जिससे आपके शरीर की गर्मी बढ़ सकती है।

शरीर में गर्मी बढ़ने के सबसे सामान्य कारण यहां दिए गए हैं:शरीर की गर्मी को प्राकृतिक रूप से कम करने वाले खाद्य पदार्थ

1: नारियल पानी .
गर्मियों के दौरान सबसे अच्छा पेय. नारियल पानी में प्राकृतिक रूप से ठंडक पहुंचाने वाले गुण होते हैं जो आपको इस साल की चिलचिलाती गर्मी से लड़ने में मदद कर सकता है। यह आपके शरीर को हाइड्रेट कर सकता है और इस प्रकार तापमान पैदा करने वाले इलेक्ट्रोलाइट्स को प्राकृतिक रूप से संतुलित कर सकता है। जैसा कि हम कहते हैं कि नारियल पानी में मलाई होने के कारण यह हमेशा मीठा होता है। अपने चेहरे को ठंडक देने के लिए आप पानी पी सकते हैं और बची हुई मलाई को अपने चेहरे पर लगा सकते हैं।

2: छाछ.
इस स्वस्थ पेय में अत्यधिक गर्मी में भी हमारे शरीर को ठंडा रखने के लिए आवश्यक प्रोबायोटिक्स, विटामिन और खनिज होते हैं। रोजाना या शायद दिन में दो बार छाछ पीने से आपके शरीर को ठंडक पहुंचाने में मदद मिल सकती है। अपनी ऊर्जा को बहाल करने और अपने शरीर को प्राकृतिक रूप से ठंडा करने के लिए एक गिलास ठंडा छाछ पीने का प्रयास करें। तरबूज.
आम के अलावा , तरबूज एक और फल है जो अक्सर भारत में गर्मी के मौसम में पाया जाता है। आमतौर पर, तरबूज पीने में पानी की मात्रा 92% तक होती है, जो निर्जलीकरण को रोकने और शरीर को ठंडा रखने में मदद करेगी। अगर इसका नियमित रूप से सेवन किया जाए तो यह आपके शरीर की गर्मी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
3: खीरा.
तरबूज़ की तरह खीरे में भी पानी की मात्रा अधिक होती है। वे फाइबर से भी भरपूर होते हैं, जो कब्ज से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं, जो गर्मियों के दौरान या जब आपके शरीर में गर्मी बढ़ जाती है तो आम समस्याओं में से एक है। खीरे का उपयोग आमतौर पर न केवल सलाद में किया जाता है, बल्कि आंखों को आराम देने के लिए चेहरे के तीव्र उपचार में भी किया जाता है। चूँकि इसमें 95% पानी होता है, इसलिए यह शरीर में अतिरिक्त कैलोरी को भी कम करने में मदद करता है। एक आदर्श ग्रीष्मकालीन साथी!शरीर की उच्च गर्मी का क्या प्रभाव पड़ता है? | (Garmi Se Bachne ke Upay)
शरीर की उच्च गर्मी सामान्य लग सकती है, लेकिन इसका हमारे स्वास्थ्य और शरीर पर भयानक प्रभाव पड़ता है।
अप्रिय लक्षण
प्रमुख प्रभावों में कूदने से पहले, गर्मी तनाव के कुछ सामान्य लक्षणों को देखना बेहतर होता है, जिसमें शामिल हैं,
पेट के अल्सर
गर्मी में ऐंठन
त्वचा पर चकते
चिड़चिड़ा मूड
शरीर की गर्मी बढ़ने से अत्यधिक पसीना आता है, इससे आसानी से एक मिनट में आपका मूड अच्छे से बुरे में बदल सकता है। बढ़ा हुआ चिड़चिड़ापन शरीर की गर्मी में वृद्धि के सबसे बुरे प्रभावों में से एक है। यह अच्छा नहीं है जब आपका मूड हमेशा बंद होता है, इसलिए अपनी इंद्रियों को खोलें और शरीर की गर्मी को कम करने के तरीके पर सतर्क रहें।
अनिद्रा
अब यह एक भयानक स्थिति है। नींद हम में से अधिकांश के लिए भोजन की तरह ही महत्वपूर्ण और प्रिय है! अपने शरीर को ठंडा नहीं होने देने से निश्चित रूप से आपकी रातों की नींद हराम हो जाएगी। जो बदले में आपके दिन के सभी स्वस्थ दिनचर्या को प्रभावित करता है।शरीर की उच्च गर्मी का क्या प्रभाव पड़ता है? | (Garmi Se Bachne ke Upay)
शरीर की उच्च गर्मी सामान्य लग सकती है, लेकिन इसका हमारे स्वास्थ्य और शरीर पर भयानक प्रभाव पड़ता है।
अप्रिय लक्षण
प्रमुख प्रभावों में कूदने से पहले, गर्मी तनाव के कुछ सामान्य लक्षणों को देखना बेहतर होता है, जिसमें शामिल हैं,
पेट के अल्सर
गर्मी में ऐंठन
त्वचा पर चकते
चिड़चिड़ा मूड
शरीर की गर्मी बढ़ने से अत्यधिक पसीना आता है, इससे आसानी से एक मिनट में आपका मूड अच्छे से बुरे में बदल सकता है। बढ़ा हुआ चिड़चिड़ापन शरीर की गर्मी में वृद्धि के सबसे बुरे प्रभावों में से एक है। यह अच्छा नहीं है जब आपका मूड हमेशा बंद होता है, इसलिए अपनी इंद्रियों को खोलें और शरीर की गर्मी को कम करने के तरीके पर सतर्क रहें।
अनिद्रा
अब यह एक भयानक स्थिति है। नींद हम में से अधिकांश के लिए भोजन की तरह ही महत्वपूर्ण और प्रिय है! अपने शरीर को ठंडा नहीं होने देने से निश्चित रूप से आपकी रातों की नींद हराम हो जाएगी। जो बदले में आपके दिन के सभी स्वस्थ दिनचर्या को प्रभावित करता है।शरीर की उच्च गर्मी का क्या प्रभाव पड़ता है? | (Garmi Se Bachne ke Upay)
शरीर की उच्च गर्मी सामान्य लग सकती है, लेकिन इसका हमारे स्वास्थ्य और शरीर पर भयानक प्रभाव पड़ता है।
अप्रिय लक्षण
प्रमुख प्रभावों में कूदने से पहले, गर्मी तनाव के कुछ सामान्य लक्षणों को देखना बेहतर होता है, जिसमें शामिल हैं,
पेट के अल्सर
गर्मी में ऐंठन
त्वचा पर चकते
चिड़चिड़ा मूड
शरीर की गर्मी बढ़ने से अत्यधिक पसीना आता है, इससे आसानी से एक मिनट में आपका मूड अच्छे से बुरे में बदल सकता है। बढ़ा हुआ चिड़चिड़ापन शरीर की गर्मी में वृद्धि के सबसे बुरे प्रभावों में से एक है। यह अच्छा नहीं है जब आपका मूड हमेशा बंद होता है, इसलिए अपनी इंद्रियों को खोलें और शरीर की गर्मी को कम करने के तरीके पर सतर्क रहें।
अनिद्रा
अब यह एक भयानक स्थिति है। नींद हम में से अधिकांश के लिए भोजन की तरह ही महत्वपूर्ण और प्रिय है! अपने शरीर को ठंडा नहीं होने देने से निश्चित रूप से आपकी रातों की नींद हराम हो जाएगी। जो बदले में आपके दिन के सभी स्वस्थ दिनचर्या को प्रभावित करता है।जानिए लू से बचने के घरेलू उपाय

* धूप में निकलते वक्त छाते का इस्तेमाल करना चाहिए. सिर ढक कर धूप में निकलने से भी लू से बचा जा सकता है.
* घर से

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गर्मियों में रखे इन बातो का खास ख्याल – टिप्स

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डिजिटल भारत – l होली का त्योहार खत्म हुए काफी दिन बीत चुके हैं और इसी के साथ ही गर्मियों की शुरुआत हो गई है। धीरे-धीरे टेंपरेचर बढ़ने लगा है और कई तरह की मौसमी बीमारियां भी होने का डर भी लगा रहता है। गर्मियों में खुद को हेल्दी रखना एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि कुछ दिन पहले तिवारीपुर थाना क्षेत्र स्थित सूरजकुंड ओवर ब्रिज पर एक स्कूटी सवार महिला तेज धूप के कारण चक्कर खाकर नाले में गिर गई।
मौके पर मौजूद लोगों ने नाले से निकालकर घायल महिला को अस्पताल भिजवाया और इलाज करवाया। अक्सर लोग गर्मियों के आने पर जल्दी-जल्दी बीमार होते रहते हैं या तेज धूप में रहने से चक्कर जैसी समस्या से जूझते हैं। अगर गर्मी की शुरुआत में ही कुछ टिप्स को फॉलो करते हैं, तो हेल्थ का आप अच्छे से ध्यान रख सकते हैं। आइए जानें कुछ ऐसे टिप्स, जो आपको गर्मियों में बीमार पड़ने नहीं देंगे।
गर्मी के मौसम में शरीर का खास ध्यान रखना जरूरी है। गर्मी से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें-
पानी भरपूर पीना
गर्मी में शरीर से पानी की अधिक मात्रा बह जाती है, इसलिए ध्यान दें कि आप पानी की पर्याप्त मात्रा लें। रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए।
व्यायाम करें
गर्मी में अधिक व्यायाम नहीं करना चाहिए, लेकिन नियमित रूप से थोड़ा समय व्यायाम करना अच्छा होता है।
लू से बचाव करें
लू लगने से बचने के लिए ठंडे पानी का सेवन करें और गर्मी में बाहर जाते समय सिर पर कपड़ा बांधें।
समय से आराम करें
गर्मी में अधिक समय तक जागने से बचें और समय-समय पर आराम लें।
इन सावधानियों का पालन करने से आप गर्मी के मौसम में स्वस्थ रह सकते हैं। अगर आपको गर्मी के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या महसूस होती है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

गर्मी में न सिर्फ वातावरण, बल्कि शरीर का तापमान भी बढ़ता है। बेचैनी, घबराहट, सुस्ती के अलावा पेट संबंधी परेशानियां इस मौसम में आम हैं। डाइट में थोड़ी फेरबदल करके और दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करके परेशानियों से बचा जा सकता है। जानिए एक्सप‌र्ट्स से गर्मियों में चुस्त रहने के कुछ नुस्खे।

डाइट टिप्स
1. ताजा खाना खाएं और स्वस्थ रहें। गर्मियों में तुरंत पकाया हुआ भोजन ही करें, क्योंकि इस मौसम में सब्जी (खासतौर पर टमाटर-आलू वाली रसेदार सब्जियां), दालें जल्दी खराब हो जाती हैं। सुपाच्य भोजन करें और गरिष्ठ भोजन से दूर रहें।
2. सुबह उठने के एक-डेढ घंटे के भीतर कुछ न कुछ अवश्य खा लें या फिर ग्रीन टी लें। देर तक बिना खाए रहने से शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। थोडी-थोडी देर में खाने से ओवरईटिंग से भी बचा जा सकता है। बेहतर होगा कि दिन की शुरुआत हलके गुनगुने पानी में नीबू और शहद के साथ करें।
3. गर्मियों में चाय-कॉफी का सेवन कम करें। कैफीन से शरीर में डिहाइड्रेशन बढता है। इसके बजाय जूस, आइस-टी, दही, लस्सी, छाछ, सत्तू, नीबू-पानी, आम पना, बेल शर्बत, नारियल पानी, गन्ने के रस को अपनी डाइट में शामिल करें।
4. घर में हर समय ग्लूकोज, इलेक्ट्रॉल के अलावा पुदीना और आम पना अवश्य रखें।
5. बाहर की गर्मी से आकर तुरंत फ्रिज का ठंडा पानी न पिएं। इसके बजाय सुराही, मटके या घडे के पानी को प्राथमिकता दें।

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ये फसल है चांदी से भी महंगी जाने कैसे और कहा हो सकती है इसकी खेती

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डिजिटल भारत I भारत में हर उस जगह पर वनीला की खेती हो सकती है, जहां का तापमान सामान्य रहता हो. इसके साथ ही इसकी खेती छायादार जगहों पर भी हो सकती है. वनीला की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं
जानें वनीला की खासियत
भारत में ज्यादातर किसानों को अभी ये नहीं पता होगा कि वनीला कैसा होता है. दरअसल, ये बाहर की फसल है और भारत में इसकी खेती बहुत कम होती है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है. वनीला एक पौधा होता है, जिसमें बीन्स के जैसे फल होते हैं, वहीं इसके फूल कैप्सूल जैसे होते हैं. वनीला के फूलों की खुशबू काफी शानदार होती है, उन्हीं के सूख जाने के बाद उसका पाउडर बनाया जाता है और फिर इसे बाजार में ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है. वनीला में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, वहीं इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं. कहा जाता है कि इसके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की शक्ति होती है और यह बेहद फायदेमंद होता है.
फसल की बात की है तो आपके जेहन में गेंहू, चना, सोयाबीन या फिर किसी दाल का नाम आया होगा जो आमतौर पर चांदी से बहुत सस्ती है, लेकिन इस दुनिया में एक ऐसी फसल है जो चांदी जितनी महंगी है और बाजार में खूब उपयोग की जाती है। ये फसल कौन सी है आइए आपको इसके बारे में बताते हैं:
जिस फसल की बात हम कर रहे हैं उसका नाम वनीला है जिसका उपयोग आइसक्रीम में फ्लेवर के रूप में किया जाता है। वनील की कीमत लगातार बढ़ रही है। ब्रिटेन के मार्केट में इसकी कीमत ६०० डॉलर प्रति किलो हैं तो भारतीय मुद्रा में एक किलो वनीला खरीदने के लिए आपको ४२ हजार रुपए खर्च करने होंगे। ब्रिटेन के स्नगबरी आइसक्रीम कंपनी हर हफ्ते पांच टन आइसक्रीम बनाती है। उनके 40 फ्लेवर्स में एक तिहाई में किसी न किसी तरह से वनीला का इस्तेमाल होता है। गत सालों की बात करें तो ये कम्पनी वनीला जिस कीमत पर खरीद रही थी, आज वे तीस गुना से भी ज्यादा कीमत चुका रहे हैं।
मुश्किल होती है वनीला की खेती
वनीला की खेती एक मुश्किल काम है। वनीला से इसका अर्क निकाला जाता है। यही वजह है कि केसर के बाद ये दुनिया की दूसरी सबसे महंगी फसल है। मैडागास्कर के अलावा पपुआ न्यू गिनी, भारत और यूगांडा में इसकी खेती होती है। दुनिया भर में इसकी मांग है। अमेरीका अपनी बड़ी आइसक्रीम इंडस्ट्री की वजह से काफी वनीला खपत करता है। न केवल आइसक्रीम, बल्कि वनीला का इस्तेमाल मिठाइयों और शराब से लेकर परफ्यूम तक में होता है।
अगर आप खेती में ज्यादा लाभ कमाना चाहते हैं तो वनीला आपके लिए सबसे बेहतरीन विकल्प है। आप वनीला की खेती करके मोटी कमाई कर सकते हैं। वनीला को फल की कई देशों में खूब मांग है। भारतीय मसाला बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में जितनी भी आइस्क्रीम बनती है, उसमें से 40 प्रतिशत वनीला फ्लेवर की होती हैं। वनीला की मांग भारत की तुलना में विदेशों में ज्यादा है। ऐसे में माल विदेश भेजने पर बड़ा मुनाफा होता है। दुनिया का 75 प्रतिशत वनीला मैडागास्कर में ही पैदा होता है। भारत में इसकी कीमतों में उछाल होता रहता है। हालंकि मूल्य स्तर कितना भी हो वनीला उत्पादक को कभी घाटे का मुंह नही देखना पड़ता। आज हम आपको वनीला की खेती कर ज्यादा कमाई के बारे में बता रहे हैं।
बीज की कीमत
भारत में 1 किलो वनीला खरीदने पर आपको 40 हजार रुपए तक देना पड़ सकता है। ब्रिटेन के बाजारों में इसकी कीमत 600 डॉलर प्रति किलो तक पहुंच गया है। मसाला बोर्ड की माने तो वनीला आर्किड परिवार का एक सदस्य है। यह एक बेल पौधा है जिसका तना लंबा और बेलनकार होता है। इसके फल सुगंधित और कैप्सूल के आकार के होते हैं। फूल सूख जाने पर खुशबूदार हो जाते हैं और एक फल से ढेरों बीज मिलते हैं।
नॉर्थ-ईस्ट में वनीला की खेती का अच्छा स्कोप
वहीं, नॉर्थ-ईस्ट में वनीला की खेती का अच्छा स्कोप है, क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुकूल है. भारतीय वनिला की विदेशी बाजारों में मांग काफी अधिक है. क्योंकि यह यहां जैविक रूप से इसकी खेती की जाती है.
इस बीच, मंदी के मद्देनजर विदेशी बाजारों में स्थिर मांग के बीच वनीला की कीमतें स्थिर रहीं.

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ऐसे रखे नवजात शिशु का ख्याल, जाने कुछ अनोखे टिप्स

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डिजिटल भारत l अपने बच्चे की देखभाल करना आपके जीवन के सबसे खास अनुभवों में से एक हो सकता है, लेकिन शुरुआत में आपको यह समझ नहीं आएगा कि आपको क्या करना है और क्या नहीं। जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम होता है। इसलिए आपको बच्चे की हर जरूरत का ध्यान देना होगा। उसके इशारों को समझकर उसे अपनी बात भी समझानी होगी। आज हम आपको बता रहे हैं अपनी नन्ही-सी जान की देखभाल कैसे करें। डफरिन अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ़.सलमान के मुताबिक बच्चे के हावभाव और हरकतों से उसे होने वाली समस्या और परेशानी को समझना बहुत जरूरी है। आमतौर पर बच्चा यूं ही नहीं रोता। अगर बच्चा रो रहा तो देखें कि उसके कपड़े गीले तो नहीं है। कोई चीज उसे चुभ तो नहीं रही या भूखा तो नहीं है। अगर सारी कोशिशों के बाद भी बच्चा चुप नहीं हो रहा तो यह चिंता की बात है और बिना देर किए उसे तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाना चाहिए।

कामकाजी मांओं के ल‍िए श‍िशु को छोड़कर काम पर जाना मुश्‍क‍िल होता है खासकर उन मांओं के ल‍िए ज‍िनकी कॉर्पोरेट जॉब है और वो बच्‍चे को ज्‍यादा समय नहीं दे पाती हैं ऐसे में आपको ऑर्गेनाइस्‍ड होने की बहुत जरूरत पड़ेगी, आपको घर से बाहर जाने से पहले बच्‍चे के दूध से लेकर उसकी सही नींद, हाईजीन आद‍ि सभी बातों का ध्‍यान रखना होगा। कर‍ियर के बावजूद आप बच्‍चे की सेहत को नजरअंदाज नहीं कर सकते क्‍योंक‍ि बच्‍चों की इम्‍यून‍िटी वीक होती है, जरा सी लापरवाही के चलते उनकी तबीयत ब‍िगड़ सकती है इसल‍िए आपको कुछ आसान ट‍िप्‍स अपनाने चाह‍िए ज‍िनकी मदद से आप काम के साथ श‍िशु की सेहत का ख्‍याल रख पाएंगी।

आप वर्कि‍ंग मदर हैं तो आपके ल‍िए श‍िशु की सेहत को ट्रैक करना मुश्‍क‍िल हो सकता है इसल‍िए आप एक हेल्‍थ चार्ट बनाएं। हेल्‍थ चार्ट में आप बच्‍चे का वजन, कद, उसके टीकाकारण से जुड़ी बात, जरूरी दवा का डोज आद‍ि जानकारी ल‍िखें, आप उसमें ये भी ल‍िख सकते हैं क‍ि आपने बच्‍चे को क‍ितनी बार ब्रेस्‍टफीड‍िंंग करवाई है, इससे बच्‍चे की ग्रोथ को ट्रैक करने में मदद म‍िलती है और श‍िशुओं में होने वाली बीमार‍ियों के बारे में भी जानकारी म‍िलती है।

दांतों की देखभाल : न्यू यॉर्क स्थित डेंटिस्ट एलेक्स कहती हैं कि कई बार मां-बाप बहुत देर में बच्चों के हाथ में ब्रश थमाते हैं। दूध के दांत बहुत नाजुक होते हैं और इन्हें बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। एलेक्स का कहना है कि जब दांत आने लगें, तो बच्चे को ठीक सोने से पहले दूध पिलाना बंद कर दें। अगर ब्रश कराना शुरू नहीं किया है, तो दूध पिलाने के बाद गीले कपड़े से दांत साफ करें।

दूध से गैस : नवजात शिशु रात में अक्सर रोते हैं। इससे घबराएं नहीं। अक्सर गैस या भूख के कारण बच्चे रात को रोते हैं। बच्चों को दूध पीने से गैस भी हो जाती है, जिससे बच्चों को दिक्कत होती है। ऐसे में दूध पिलाने के बाद उसका सिर अपने कंधे पर रखकर 10 मिनट तक हल्की थपकी देते रहें।

ऐसा न करें : माता-पिता बच्चों को सुलाने से पहले उन्हें कपड़ों की कई परतें पहना देते हैं, खास कर रात को। वे उन्हें बेबी बैग में भी डाल देते हैं और उसके ऊपर से कंबल भी ओढ़ा देते हैं। ये गलत तरीका है।

तलवों में ठंड
बच्चों को ठंड से बचाने के लिए आप अपने बच्चों के तलवे पर तेल लगाएं और साथ ही उन्हें मोजा पहनाएं या पैरों की तरफ कपड़ा लपेटना जरुरी है. मोजा पहनने से शिशु के तलवों के साथ पूरे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है.

नाक को गर्म
शिशु के नाक के रास्ते कई सारे बैक्टीरिया चले जाते हैं, ऐसे में शिशु के नाक की सुरक्षा करनी भी जरुरी है. मगर इसके लिए आपको शिशु की नाक को ढकना नहीं है, क्योंकि बहुत महीन कपड़ा भी उसको सांस लेने की तकलीफ पैदा कर सकता है. इसके बजाय यह करें कि शिशु की नाक को बीच-बीच में गर्म हाथों से सिंकाई करें या गर्म तेल से मसाज करें, कोशिश करें कि कमरे का तापमान बहुत कम न हो.

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जाने सर्दी से बचने के कुछ आसान उपाए, रखे इन बातो का ख्याल

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डिजिटल भारत l इस मौसम में खांसी, ज़ुकाम और गले से जुड़ी समस्याएं आम हो जाती हैं। वायरल, बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन भी आसानी से शिकार बना लेते हैं। ऐसे में ज़रूरी सावधानियां बरतनी ज़रूरी हो जाती हैं।

जुकाम होने के कारण
यह वायरस के संक्रमण के कारण होता है। दो सौ से अधिक वायरस जुकाम होने के कारण माने गए हैं, लेकिन मुख्य रूप से निम्न दो वायरस ही सामान्य जुकाम के लिए उत्तरदायी होते हैं। कोरेनावायरस (15-30 प्रतिशत मामलों में)
राइनोवायरस ( 30-80 प्रतिशत मामलों में) जुकाम का घरेलू इलाज करने के लिए उपाय आप जुकाम को ठीक करने के लिए ये घरेलू उपचार कर सकते हैंः- हल्दी और दूध से जुकाम का इलाज
एक गिलास गर्म दूध में दो चम्मच हल्दी पाउडर डालकर पिएं। इससे बंद नाक और गले की खराश में आराम मिलता है। नाक से पानी बहना (Behti naak) बंद हो जाता है। तुलसी के सेवन से जुकाम का उपचार
जुकाम में तुलसी अमृत के समान फल देती है। खाँसी और जुकाम होने पर 5-7 पत्तियें को पीसकर पानी में डालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा को पिएं।
नाक बंद होने पर तुलसी की मंजरियों को रुमाल में सूंघने से नाक खुल कर आराम मिलता है।
छोटे बच्चों में जुकाम हेने पर 6-7 बूंद अदरक एवं तुलसी का रस शहद में मिलाकर चटाएं। यह बंद नाक को खोलने और बहती नाक (Behti Naak) को रोकने दोनों में सहायक है।

अदरक के प्रयोग से जुकाम में लाभ
कफयुक्त खाँसी में दूध में अदरक उबालकर पिएं।
अदरक के रस में शहद मिलाकर चाटने से भी जुकाम में आराम मिलता है।
1-2 अदरक के छोटे-टुकड़े, 2 काली मिर्च, 4 लौंग और 5-7 तुलसी की ताजी पत्तियां पीसकर एक गिलास पानी में उबालें। जब यह उबलकर आधा गिलास रह जाए, तब इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं।
अदरक के छोटे-छोटे टुकड़ों को देसी घी में भूनकर दिन में 3-4 बार पीसकर खाएं। इससे नाक से पानी बहने (Behti Naak) की समस्या से आराम मिलता है.
और पढ़ेंः अदरक के फायदे और नुकसान जुकाम में आपकी जीवनशैली
जुकाम के दौरान आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः- गर्म वातावरण से आकर तुरंत ठण्डे पानी से स्नान ना करें।
ए.सी. में न बैठें।
जुकाम संक्रमण से होने वाला रोग है, इसलिए भोजन करने से पहले हाथों को अच्छी प्रकार धोएं।
धूल एवं प्रदूषण युक्त वातावरण में चेहरे पर मास्क लगा कर चलें।
प्राणायाम करें।

गरारे करें: अगर सर्दी के साथ गले में जकड़न, कफ और खांसी हो रही है गरारे करने से बहुत फायदा मिलता है. इसके लिए नमक के पाने से गरारे जरूर करें. इससे गले में जमा कफ निकल जाएगा और गले के सूजन में आराम मिलेगा, इसलिए अगर आप भी सर्दी-जुकाम से ग्रसित हैं तो गरारे जरूर करें.
लगभग 10-15 मिनट भस्त्रिका एवं कपालभाँति रोज करें।
जुकाम क्यों होता है? आयुर्वेद में हर रोग का कारण दोषों के असंतुलन को माना गया है। आयुर्वेद में जुकाम को प्रतिश्याय कहा गया है। आपके ऊपरी श्वसन तंत्र में वात एवं कफ दोष के असंतुलन के कारण जुकाम की समस्या हो जाती है। उचित उपचार ना करने पर यह गंभीर होकर कष्टकारक हो जाता है। जुकाम कितने दिनों में ठीक होता है? सामान्य जुकाम 8-10 दिन में उचित खान-पान और घरेलू उपचार से ठीक हो जाता है। इसके लक्षण आमतौर पर 6-10 दिन के भीतर समाप्त हो जाते हैं। कई बार यह लक्षण 2 सप्ताह तक भी रह सकते हैं। यह सबसे अधिक होने वाला संक्रामक रोग है, जो वर्ष में एक या दो बार सबको होता है। छोटे बच्चे संक्रमण के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते है, इसलिए यह बच्चों में ज्यादा जल्दी होता है। जुकाम को गंभीर कब समझना चाहिए? यदि जुकाम 8-10 दिनों से ज्यादा अवधि तक चलता रहे, और लक्षण (गले में खराश व नाक से पानी बहना) और भी ज्यादा दिखने लगे, तो यह गंभीर रोग में बदल सकता है या साइनुसाइटिस हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

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करवा चौथ पर क्या न करें

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इस साल कार्तिक माह 29 अक्टूबर 2023 से शुरू हो रहा है। इसका समापन पूर्णिमा पर 27 नवंबर 2023 को होगा। कार्तिक माह में तप और व्रत का माह है, इस माह में भगवान की भक्ति और पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। पुराणादि शास्त्रों में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। हर मास का यूं तो अलग-अलग महत्व है मगर व्रत एवं तप की दृष्टि से कार्तिक की बहुत महिमा बताई गई है।
स्कंदपुराण के अनुसार-
‘मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः।
तीर्थ नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।’
अर्थात्‌ भगवान विष्णु एवं विष्णुतीर्थ के सदृश ही कार्तिक मास को श्रेष्ठ और दुर्लभ कहा गया है। कार्तिक मास कल्याणकारी माना जाता है। कहा गया है कि कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सत्युग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है।
‘न कार्तिसमो मासो न कृतेन समं युगम्‌।
न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थ गंगया समम्‌।’
सामान्य रूप से तुला राशि पर सूर्यनारायण के आते ही कार्तिक मास प्रारंभ हो जाता है। कार्तिक का माहात्म्य पद्मपुराण तथा स्कंदपुराण में बहुत विस्तार से उपलब्ध है। कार्तिक मास में स्त्रियां ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके राधा-दामोदर की पूजा करती हैं। कलियुग में कार्तिक मास व्रत को मोक्ष के साधन के रूप में बताया गया है।
पुराणों के अनुसार इस मास को चारों पुरुषार्थों-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है। स्वयं नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के माहात्म्य के संदर्भ में बताया है।
इस संसार में प्रत्येक मनुष्य सुख, शांति और परम आनंद चाहता है। कोई भी यह नहीं चाहता कि उसे अथवा उसके परिवारजनों को किसी तरह का कोई कष्ट, दुख एवं अशांति का सामना करना पड़े। परंतु प्रश्न यह है कि दुखों से मुक्ति कैसे मिले?
हमारे शास्त्रों में दुखों से मुक्ति दिलाने के लिए कई उपाय बताए हैं। उनमें कार्तिक मास के स्नान, व्रत की अत्यंत महिमा बताई गई है। इस मास का स्नान, व्रत लेने वालों को कई संयम, नियमों का पालन करना चाहिए तथा श्रद्धा भक्तिपूर्वक भगवान श्रीहरि की आराधना करनी चाहिए।

कार्तिक में पूरे माह ब्रह्म मुहूर्त में किसी नदी, तालाब, नहर या पोखर में स्नान कर भगवान की पूजा की जाती है।
इस मास में व्रत करने वाली स्त्रियां अक्षय नवमी को आंवला के वृक्ष के नीचे भगवान कार्तिकेय की कथा सुनती हैं। कुंआरों-कुंआरियों एवं ब्राह्मणों को आंवला वृक्ष के नीचे विधिवत्‌ भोजन कराया जाता है। वैसे तो पूरे कार्तिक मास में दान देने का विधान है। बिड़ला मंदिर वाटिका में अक्षयनवमी के दिन मेला भी लगता है। स्कंदपुराण के वैष्णवखंड में कार्तिक व्रत के महत्व के विषय में कहा गया है-
‘रोगापहं पातकनाशकृत्परं सद्बुद्धिदं पुत्रधनादिसाधकम्‌।
मुक्तेर्निदानं नहि कार्तिकव्रताद् विष्णुप्रियादन्यदिहास्ति भूतले।’
अर्थात्‌ इस मास को जहां रोगापह अर्थात्‌ रोगविनाशक कहा गया है, वहीं सद्बुद्धि प्रदान करने वाला, लक्ष्मी का साधक तथा मुक्ति प्राप्त कराने में सहायक बताया गया है।

  • कार्तिक मास में दीपदान करने की विधि है। आकाश दीप भी जलाया जाता है। यह कार्तिक का प्रधान कर्म है।
  • कार्तिक का दूसरा प्रमुख कृत्य तुलसीवन पालन है। वैसे तो कार्तिक में ही नहीं, हर मास में तुलसी का सेवन कल्याणमय कहा गया है किंतु कार्तिक में तुलसी आराधना की विशेष महिमा है।
    एक ओर आयुर्वेद शास्त्र में तुलसी को रोगहर कहा गया है वहीं दूसरी ओर यह यमदूतों के भय से मुक्ति प्रदान करती है। तुलसी वन पर्यावरण की शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है। भक्तिपूर्वक तुलसीपत्र अथवा मंजरी से भगवान का पूजन करने से अनंत लाभ मिलता है। कार्तिक व्रत में तुलसी आरोपण का विशेष महत्व है। तुलसी विष्णुप्रिया कहलाती हैं।
  • इसी तरह कार्तिक मास व्रत का तीसरा प्रमुख कृत्य है भूमि पर शयन। भूमि शयन करने से सात्विकता में वृद्धि होती है। भूमि अर्थात्‌ प्रभु के चरणों में सोने से जीव भयमुक्त हो जाता है।
  • कार्तिक का चौथा मुख्य कार्य ब्रह्मचर्य का पालन बताया गया है।
    पांचवां कर्म कार्तिकव्रती को चना, मटर आदि दालों, तिल का तेल, पकवान, भावों तथा शब्द से दूषित पदार्थों का त्याग करना चाहिए।
    विष्णु संकीर्तन का कार्तिक मास में विशेष महत्व है। संकीर्तन से वाणी शुद्ध होती है।
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किडनी फेल भी ठीक हुई : डॉ. बोकोलिया

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1997 से चिकित्सा कर रहे डॉ. सुनील कुमार बोकोलिया का कहना है कि हमारे खानपान की वजह से हमारी किडनी पर जो फर्क पड़ना शुरु होता है उससे हमारी किडनी खराब भी सकती है अगर हम अपनी किडनी का ध्यान ना रखे तो ऐसे में मरीज की किडनी धीरे धीरे सिकुंडना शुरु हो जाता है और जिसको (किडनी) बदलने के लिए बड़े बड़े हॉस्पिटल 30 से 32 लाख लेती लेते है।
वही दूसरी तरफ डॉ. बोकोलिया का कहना है जो बीमारी इस प्राकृति के कारण या खानपान जैसे शराब पीना खराब तेल का इस्तेमाल करना इन सबके कारण होती है उसका इलाज इसी प्राकृति में मौजूद है बस समझने वाला होना चाहिए अगर आप किडनी बदलवा भी ले क्या गारंटी है कि उससे आप ठीक जिंदगी जी सकते है।
ऐसी बहुत सारी व लाइलाज बीमारियों का इलाज करने वाले डॉक्टर सुनील कुमार बोकोलिया का कहना है कि किडनी को बिना बदले या बिना डायलिसिस के बहुत ही आसानी से ठीक किया जा सकता है और ऐसे अनगिनत इलाज कर भी चुके है जिसकी दवाओं का खर्च ज्यादा भी नही आता एक गरीब परिवार का व्यक्ति भी इसको आसानी से करवा सकता है।
डॉक्टर सुनील कुमार बोकोलिया एक सरकारी अधिकारी होते हुए समाज के लिए रोज गरीब लोगों को और जरूरतमंदो की सेवा करते है पित्त की पथरी बिना ऑपरेशन ठीक कर चुके है, हर्निया को बिना ऑपरेशन ठीक कर चुके है, जिन लोगों को घुटने की परेशानी की वजह से चला नही जाता या घुटने बदलवाने के बोल दिया जाता है उनके घुटने बिना बदले ठीक कर चुके है।
डॉ. बोकोलिया का कहना है जो बीमारी इस प्राकृति से मिलती है उसका निवारण भी प्रकृति में कही ना कही छुपा हुआ है बस हमें उसको ठीक करने का तरीका आना चाहिए।
डॉक्टर सुनील कुमार बोकोलिया
गोल्डमेडलिस्ट, विश्व रिकॉर्ड होल्डर, 9212638786

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किडनी के अस्वस्थ होने पर दिखाई देते हैं यह लक्षण रखें इन बातों का ख्याल

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डिजिटल भारत l जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर व्यक्ति के शरीर में दो गुर्दे होते हैं, जो मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड, आदि जैसे नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थों को रक्त में से छानने के लिए जिम्मेदार होते हैं। (जो सभी शरीर में चयापचय के उत्पाद हैं) और इस तरह मूत्र का उत्पादन करते हैं।

लाखों लोग विभिन्न प्रकार के गुर्दे की बीमारियों के साथ रह रहे हैं और उनमें से अधिकांश को इसके बारे भनक तक नहीं है। यही कारण है कि गुर्दे की बीमारी को अक्सर एक ‘साइलेंट किलर’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि अधिकांश लोगों को बीमारी का पता तब तक नहीं चलता जब तक यह उग्र रूप धारण नहीं कर लेता। जबकि लोग अपने रक्तचाप, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की नियमित रूप से जांच करवाते रहते हैं, वे अपने गुर्दे की किसी भी समस्या का पता लगाने के लिए अपने रक्त में एक सरल क्रिएटिनिन परीक्षण भी नहीं करवाते। 2015 के ग्लोबल बर्डन डिजीज (GBD) के अध्ययन के अनुसार, क्रोनिक किडनी रोग (CKD) को भारत में मृत्यु दर के आठवें प्रमुख कारणों में से एक के रूप में स्थान दिया गया है।

किडनी विकार के चेतावनी के कई संकेत होते हैं, हालांकि, अधिकांश समय इन्हें अनदेखा किया जाता है या किसी और तरह की समस्या समझकर लोग भ्रमित हो जाया करते हैं। इसलिए, हर व्यक्ति को बहुत ही सतर्क रहना चाहिए और किडनी विकार का कोई भी लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द पुष्टिकरण परीक्षण (रक्त, मूत्र और इमेजिंग सहित) करवाना चाहिए। ऐसे किसी व्यक्ति को किसी नेफ्रोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए और अपने संदेह को स्पष्ट करना चाहिए।

लेकिन अगर आपको उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, या कोरोनरी आर्टरी डिजीज, और / या किडनी फेल होने का पारिवारिक इतिहास है या आप 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं तो आज के युग में आपको नियमित रूप से गुर्दे की जांच करवाते रहना चाहिए।हमारे हृदय,मस्तिष्क और फेफड़ों की तरह,हमारी किडनी भी हमारी संपूर्ण हेल्थ और तंदुरूस्ती को बनाए रखने में अहम किरदार निभाती है। यूके नेशनल हेल्थ सर्विसेज के मुताबिक किडनी हमारी बॉडी का अहम अंग है जिसका काम बॉडी से टॉक्सिन को बाहर निकालना है और खून को साफ करना है। किडनी हमारे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती है और लाल रक्त कोशिकाओं को बनाती है। किडनी का काम शरीर में पीएच स्तर को नियंत्रित करना है।

किडनी हमारी बॉडी के कई जरूरी काम करती है अगर इसमें किसी तरह की कोई परेशानी हो जाए तो हमारी सेहत को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। किडनी में खराबी होने पर बॉडी में कुछ वॉर्निंग साइन दिखने लगते हैं। आइए जानते हैं कि किडनी में खराबी होने पर बॉडी में कौन-कौन से लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं।

आंखों के आसपास सूजन,चेहरे और पैरों में सूजन किडनी की परेशानी के संकेत:
किडनी का काम बॉडी से टॉक्सिन को निकालना है। जब किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती तो शरीर के ऊतकों में अतिरिक्त पानी और नमक के संचय के साथ-साथ विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों का निर्माण होता है। बॉडी में जमा होने वाले इन टॉक्सिन की वजह से पैरों में सूजन और आंखों के आसपास सूजन हो सकती है
अत्यधिक थकान:
किडनी रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करती है,जिसकी कमी से एनीमिया हो सकता है। यह शरीर में मस्तिष्क और मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति को बाधित कर सकता है। किडनी में परेशानी होने पर आप बेहद थका हुआ महसूस कर सकते हैं।

पेशाब में बदलाव हो सकता है:
अस्वस्थ किडनी कुछ पैटर्न बदल सकती हैं या पेशाब में बदलाव कर सकती हैं। आमतौर पर किडनी ब्लड को फ़िल्टर करने में मदद करती हैं जिससे मूत्र का उत्पादन होता है। किडनी बॉडी से टॉक्सिन को बाहर निकालती है।जब किडनी ठीक से काम नहीं करती तो यह यूरीनरी ट्रेक में अनियमितता पैदा कर सकती है।

स्किन का ड्राई होना और उसमें खुजली होना:
स्किन का ड्राई होना, स्किन में खुजली होना,रूखी त्वचा किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है। यह रक्त में खनिजों और पोषक तत्वों के असंतुलन का संकेत है। यह परेशानी फास्फोरस का ब्लड में स्तर बढ़ने के कारण भी हो सकती है।


कमजोरी: गुर्दे की बीमारी का एक सामान्य लक्षण है शुरुआत में थकावट का होना। जैसे-जैसे गुर्दे की खराबी बढती जाती है यह लक्षण और अधिक स्पष्ट होता जाता है। सामान्य दिनों की तुलना में वह व्यक्ति अधिक थका हुआ महसूस कर सकता है और ज्यादा गतिविधियों को करने में असमर्थ होता है, तथा उसे बार-बार आराम की आवश्यकता होती है। ऐसा काफी हद तक रक्त में विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों के संचय के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे खराब होते जाते हैं। गैर-विशिष्ट लक्षण होने के नाते इसे अक्सर अधिकांश लोगों द्वारा अनदेखा किया जाता है और इसकी पूरी तरह से जांच नहीं की जाती है।


भूख में कमी: यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे विषाक्त पदार्थों के जमा होने से व्यक्ति की भूख कम होने लगती है। इसके अलावा, जैसे-जैसे गुर्दे की बीमारी बढती जाती है, रोगी के स्वाद में बदलाव होता जाता है, जिसे अक्सर रोगियों द्वारा धातु के रूप में बताया जाता है। यदि किसी को दिन में बिना कुछ खाए भी पेट भरे का अहसास होता हो, तो दिमाग में खतरे की घंटी बजनी चाहिए और उसके गुर्दे की जांच करवानी चाहिए।


सुबह की मिचली और उल्टी: गुर्दे के खराब होने के शुरुआती लक्षणों में से एक और लक्षण है सुबह-सुबह मिचली और उल्टी का होना, और इसका पता तब चलता है जब रोगी सुबह बाथरूम में अपने दांतों को ब्रश करता है। इससे व्यक्ति की भूख भी कम होती जाती है। गुर्दे फेल होने के अंतिम चरण में, मरीज को बार-बार उल्टी आती है और भूख कम लगती है।

किडनी को हेल्दी कैसे रखें:
किडनी को हेल्दी रखने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (NIDDKD) ने बताया है कि डाइट में कुछ बदलाव करके किडनी को हेल्दी रखा जा सकता है।


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Cholesterol को तुरंत कम देगी ये समर ड्रिंक

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छाछ सेवन से आप आसानी से शरीर में जमा गंदगी और खराब कोलेस्ट्रॉल को दूर कर सकते हैं.

इसके पीछे आज के समय की खराब जीवनशैली और खान-पान का बहुत बड़ा हाथ है. लेकिन गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में आपका वजन तेजी से बढ़ने लगता है इसके कई कारण होते हैं ज्यादा ऑयली चीजों का सेवन और फिजीकली एक्टिव न होना आदि. अगर आप समय रहते ही शरीर में बढ़ते खराब कॉलेस्ट्रोल को कंट्रोल नहीं करते हैं तो इससे आपको दिल से जुड़ी बीमारियां जैसे- हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में आज हम आपको कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए छाछ के फायदे बताने जा रहे हैं जिसके सेवन से आप आसानी से शरीर में जमा गंदगी और खराब कोलेस्ट्रॉल को दूर कर सकते हैं, तो चलिए जानते हैं (Dairy product in cholesterol) खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में छाछ कैसे होती है मददगार…..

छाछ कैसे करती है कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल (how to control cholesterol)

हाई कोलेस्ट्रॉल से होने वाली बीमारियां

मोटापा
हार्ट अटैक
कोरोनरी आर्टरी डिजीज 
ट्रिपल वेसल डिजीज

हाई बल्ड प्रेशर
डायबिटीज

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छाछ कैसे करती है कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल (how to control cholesterol)

 छाछ में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, प्रोटीन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, गुड बैक्टीरिया, लैक्टिक एसिड और कैल्शियम जैसे सेहतमंद गुण मौजूद होते हैं जोकि आपके शरीर में बढ़े हुए खराब कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में मददगार साबित होते हैं. ऐसे में आप कोलेस्ट्रॉल को मेंटेंन करने के लिए छाछ को डाइट में जरूर शामिल करें. 

अगर आप छाछ का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं तो इससे आपकी सेहत को फायदे के बजाय नुकसान हो सकता है. छाछ में सोडियम की अधिक मात्रा मौजूद होती है, जो किडनी रोग से जूझ रहे लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है.

अगर आपको सर्दी जुकाम है तो भी छाछ का सेवन करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. अगर आपको एलर्जी की समस्या है तो भी छाछ पीने से परहेज करें. इसके अलावा एग्जिमा की समस्या में छाछ के सेवन से आपकी स्किन पर जलन और खुजली बढ़ सकती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें.

@newsdigitalbharat

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