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एक भारत उत्कृष्ट भारत

मुंबई और कोलकाता: वायु प्रदूषण से बिगड़ती हालात,गंभीर समस्या

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डिजिटल भारत I भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या के रूप में उभर रहा है। हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में वायु गुणवत्ता के मानक पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मानकों से अधिक हैं, फिर भी कई शहर इन मानकों से कई गुना अधिक प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। इस प्रदूषण के चलते लोग विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। यह स्थिति चिंताजनक है और तत्काल कार्रवाई की मांग करती है।
प्रमुख शहरों में प्रदूषण का स्तर:

1. दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। सर्दियों के मौसम में यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अक्सर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। वाहन उत्सर्जन, निर्माण कार्य, और पराली जलाना इसके प्रमुख कारण हैं।

2. मुंबई:
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में भी वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। यहां का प्रदूषण उद्योग, निर्माण कार्य और वाहनों के उत्सर्जन से बढ़ता है। वायु गुणवत्ता सूचकांक अक्सर खराब श्रेणी में रहता है।

3. कोलकाता:
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी जा रही है। उद्योग और वाहनों के धुएं के कारण यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक भी चिंताजनक है।

4. बेंगलुरु:
आईटी हब के रूप में प्रसिद्ध बेंगलुरु भी वायु प्रदूषण से अछूता नहीं है। यहां वाहनों की संख्या में वृद्धि और निर्माण कार्य इसके प्रमुख कारण हैं।

5. चेन्नई:
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में भी वायु प्रदूषण का स्तर उच्च है। यहां का प्रदूषण मुख्यतः वाहनों के धुएं और निर्माण कार्यों से बढ़ता है।

6. लखनऊ:
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर हो गई है। यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक भी सामान्यतः खराब रहता है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव:
वायु प्रदूषण के कारण लोग विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। सांस लेने में कठिनाई, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हृदय रोग, और फेफड़ों का कैंसर जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका प्रभाव सबसे अधिक देखा जा रहा है।

सरकार के कदम:
भारत सरकार ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) की शुरुआत, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, और पराली जलाने पर नियंत्रण। हालांकि, इन उपायों का प्रभाव अभी पूरी तरह से दिखाई नहीं दे रहा है।

आवश्यकता:
वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए हमें और भी कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। लोगों को जागरूक करना, स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना, और सख्त नियमों का पालन करना आवश्यक है।

वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों को प्रभावित कर रही है। हमें इस पर गंभीरता से ध्यान देना होगा और इसे नियंत्रित करने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।
इन दस शहरों में वायु प्रदूषण बड़ा खतरा

दिल्ली के बाद सबसे ज्यादा मौतें वाराणसी में हुई हैं, जहां हर साल 830 लोगों की जान गई है, जो कि कुल मौतों की संख्या का 10.2 प्रतिशत है। वहीं बंगलूरू में 2,100, चेन्नई में 2900, कोलकाता में 4700 और मुंबई में करीब 5100 लोगों की मौत हर साल वायु प्रदूषण के चलते हुई है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सबसे कम वायु प्रदूषण पाया गया है। हालांकि अभी भी पहाड़ी शहर में वायु प्रदूषण का स्तर एक जोखिम बना हुआ है। शिमला में हर साल 59 मौतें हुई हैं, जो कुल मौतों का 3.7 प्रतिशत है। यह रिपोर्ट सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव, अशोका यूनिवर्सिटी, सेंटर फॉर क्रोनिक डिजीज कंट्रोल, स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट, हार्वर्ड और बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने तैयार की है।

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गृहणियों के लिए घर से ही आय कमाने के 10 तरीके

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डिजिटल भारत I गृहणियों का जीवन आमतौर पर परिवार की देखभाल और घर के कामकाज में व्यतीत होता है। हालाँकि, वे अपने बजट को सुधारकर और स्मार्ट निवेश करके अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकती हैं। आज के इस लेख में हम गृहणियों के लिए कुछ ऐसे व्यावहारिक सुझाव प्रस्तुत कर रहे हैं जिनसे वे पैसे बचा सकती हैं, निवेश कर सकती हैं और अतिरिक्त आय कमा सकती हैं।

पैसे बचाने के तरीके
मासिक बजट बनाएं: सबसे पहले, गृहणियों को अपने मासिक खर्चों का एक बजट बनाना चाहिए। इसमें सभी आवश्यक खर्च जैसे राशन, बिजली बिल, पानी बिल, बच्चों की शिक्षा और अन्य अनिवार्य खर्च शामिल होने चाहिए। बजट के अनुसार खर्च करने से फिजूलखर्ची पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
सेल और ऑफर्स का लाभ उठाएं: खरीदारी के दौरान सेल और डिस्काउंट ऑफर्स का लाभ उठाना चाहिए। इससे काफी पैसे बचाए जा सकते हैं।
स्वयं खाना बनाएं: बाहर खाना खाने के बजाय घर पर ही खाना बनाने से काफी पैसे बचाए जा सकते हैं। इसके साथ ही, यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होता है।
स्थानीय बाजार से खरीदारी करें: सुपरमार्केट के बजाय स्थानीय बाजार से फल, सब्जी और अन्य सामान खरीदना सस्ता होता है।
ऊर्जा की बचत करें: बिजली और पानी की बचत करना भी पैसे बचाने का एक तरीका है। अनावश्यक रूप से लाइट, पंखा, और अन्य उपकरण बंद रखें।
निवेश के तरीके
बचत खाते में निवेश: सबसे सरल और सुरक्षित तरीका बचत खाते में पैसा जमा करना है। इससे ब्याज के रूप में नियमित आय प्राप्त होती है।
एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट): फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना सुरक्षित होता है और इसमें अच्छा ब्याज मिलता है।
आरडी (रेकरिंग डिपॉजिट): रेकरिंग डिपॉजिट में हर महीने एक निश्चित राशि जमा करने से लंबे समय में अच्छा फंड तैयार किया जा सकता है।
सोना और चांदी: सोना और चांदी में निवेश भी लाभदायक होता है। इनके दाम समय के साथ बढ़ते हैं और इन्हें जरूरत पड़ने पर बेचा भी जा सकता है।
म्यूचुअल फंड: म्यूचुअल फंड में निवेश करने से भी अच्छी आय हो सकती है। यह थोड़ा जोखिमपूर्ण होता है लेकिन लंबे समय में अच्छा रिटर्न देता है।
पोस्ट ऑफिस स्कीम्स: पोस्ट ऑफिस में कई निवेश योजनाएं होती हैं जैसे पीपीएफ, एनएससी, किसान विकास पत्र आदि। ये योजनाएं सुरक्षित होती हैं और अच्छा रिटर्न देती हैं।
अतिरिक्त आय कमाने के तरीके
घरेलू व्यवसाय: गृहणियां घर बैठे ही कई व्यवसाय कर सकती हैं जैसे बेकरी, हस्तशिल्प, बुटीक, और टिफिन सेवा आदि।
फ्रीलांसिंग: लेखन, ग्राफिक डिजाइनिंग, अनुवाद आदि जैसे फ्रीलांसिंग कार्य करके भी अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है।
ऑनलाइन ट्यूशन: शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाली गृहणियां ऑनलाइन ट्यूशन देकर भी पैसा कमा सकती हैं।
ब्लॉगिंग और यूट्यूब: अगर किसी का लेखन में रुचि है तो वह ब्लॉगिंग कर सकता है। इसी तरह, यूट्यूब चैनल शुरू करके भी आय अर्जित की जा सकती है।
ऑनलाइन सेलिंग: ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, ईबे पर वस्तुएं बेचकर भी पैसा कमाया जा सकता है।
सर्वे और फीडबैक: कई कंपनियां सर्वे और फीडबैक के लिए पैसे देती हैं। इसमें भाग लेकर भी थोड़ा बहुत पैसा कमाया जा सकता है।
निष्कर्ष
गृहणियां परिवार की रीढ़ होती हैं और वे पैसे बचाने और निवेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। सही तरीके से बजट बनाकर, समझदारी से खर्च करके, और निवेश के सही विकल्पों का चुनाव करके वे न केवल पैसे बचा सकती हैं, बल्कि अच्छी आय भी अर्जित कर सकती हैं। उपरोक्त सुझावों को अपनाकर गृहणियां अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकती हैं और आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

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पुरे साल में बस ३ महीनो के लिए दिखाई देता है ये फल फायदे जानकर हो जिएंगे हैरान

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डिजिटल भारत I आलू बुखारा, जिसे अंग्रेजी में प्लम कहा जाता है, एक पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक फल है। यह न केवल अपने स्वाद के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। भारत में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है और यह गर्मियों के मौसम में उपलब्ध होता है। यह लेख आलू बुखारा के फायदे, इसका पोषण मूल्य, और इसे अपने आहार में शामिल करने के तरीकों पर प्रकाश डालेगा।

आलू बुखारा के पोषक तत्व
आलू बुखारा में कई प्रकार के विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी बनाते हैं। इसमें निम्नलिखित प्रमुख पोषक तत्व होते हैं:

विटामिन सी: रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और त्वचा को स्वस्थ रखता है।
विटामिन ए: दृष्टि को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
फाइबर: पाचन तंत्र को सुचारू बनाए रखने में सहायक।
पोटैशियम: दिल के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण।
आयरन: खून की कमी को पूरा करने में मददगार।
आलू बुखारा के स्वास्थ्य लाभ
पाचन तंत्र के लिए लाभकारी: आलू बुखारा में फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है। यह कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक है और आंतों की सफाई करता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए: इसमें मौजूद विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह सर्दी-जुकाम और अन्य संक्रमणों से बचाने में मदद करता है।
हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा: आलू बुखारा में पोटैशियम की उच्च मात्रा होती है, जो रक्तचाप को नियंत्रित रखने में सहायक होती है। यह दिल की बीमारियों से बचाव करता है और हृदय को स्वस्थ रखता है।
हड्डियों को मजबूत बनाए: आलू बुखारा में कैल्शियम और विटामिन के होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाव करता है।
वजन घटाने में सहायक: यह फल कम कैलोरी वाला होता है और इसमें फाइबर की अधिक मात्रा होती है, जो पेट को भरे रखने में मदद करती है। यह वजन घटाने में सहायक हो सकता है।
त्वचा को स्वस्थ बनाए: इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन सी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखते हैं। यह त्वचा के उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है और झुर्रियों को कम करता है।
आलू बुखारा को आहार में शामिल करने के तरीके
ताजे फल के रूप में: आलू बुखारा को ताजे फल के रूप में सीधे खाया जा सकता है। यह सबसे सरल और पोषक तरीका है।
जूस: आलू बुखारा का जूस बनाकर पीने से इसके पोषक तत्व सीधे शरीर में जाते हैं।
सलाद: इसे फलों की सलाद में शामिल किया जा सकता है। यह सलाद को स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाता है।
डेसर्ट: आलू बुखारा को केक, पाई और अन्य डेसर्ट में भी उपयोग किया जा सकता है।
सूखे फल: आलू बुखारा को सुखाकर भी खाया जा सकता है। सूखे आलू बुखारा को स्नैक के रूप में खाया जा

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हिना खान को हुआ स्तन कैंसर भारत स्तन कैंसर मामले में विश्व में तीसरे नंबर पर

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डिजिटल भारत Iटीवी की पॉपुलर एक्ट्रेस हिना खान के फैंस के लिए एक शॉकिंग खबर है. एक्ट्रेस को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है. हिना खान का कैंसर स्टेज थ्री पर है और उनका इलाज शुरू हो गया है. एक्ट्रेस ने पोस्ट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट किया है और फैंस से प्राइवेसी की रिक्वेस्ट की है.

हिना ने पोस्ट करके लिखा- ‘मैं सभी अफवाहों को एड्रेस करना चाहती हूं. मैं अपने फैंस और जो मुझसे प्यार करते हैं और केयर करते हैं उन्हें कुछ जरुरी न्यूज बताना चाहती हूं कि मुझे स्टेज थ्री ब्रेस्ट कैंसर हुआ है. इस चैलेंजिंग बीमारी के बावजूद मैं सभी को ये बताना चाहती हूं कि मैं ठीक कर रही हूं. मैं मजबूत, दृढ़ निश्चय और इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार हूं. मेरा इलाज शुरू हो गया है. मैं इससे लड़ने के लिए जो जरुरी है वो सबकुछ करने के लिए तैयार हूं.’
स्तन कैंसर के आंकड़ों की 2018 की रिपोर्ट में 1,62,468 नए पंजीकृत मामले और 87,090 मौतें दर्ज की गईं। कैंसर के विकास के उच्च चरणों में जीवित रहना अधिक कठिन हो जाता है, और 50% से अधिक भारतीय महिलाएँ स्तन कैंसर के चरण 3 और 4 से पीड़ित हैं

भारत में स्तन कैंसर महिलाओं के बीच एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। हर साल हजारों महिलाएं इस घातक बीमारी से जूझती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों के बावजूद, स्तन कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। इस लेख में, हम जानेंगे कि भारत में कितनी महिलाएं स्तन कैंसर से जूझ रही हैं, इसके प्रमुख कारण क्या हैं, और इस बीमारी से बचाव के उपाय क्या हो सकते हैं।

स्तन कैंसर का प्रसार
भारत में स्तन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारतीय कैंसर सोसायटी के अनुसार, प्रत्येक आठ भारतीय महिलाओं में से एक को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर होने का जोखिम होता है। साल 2020 में, भारत में स्तन कैंसर के लगभग 1.5 लाख नए मामले सामने आए थे। इसके अलावा, 2021 में यह आंकड़ा और भी बढ़ गया है। यह वृद्धि दर चिंता का विषय है और स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है।

स्तन कैंसर के प्रमुख कारण
स्तन कैंसर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

आनुवंशिक कारण: अगर किसी महिला के परिवार में पहले से ही किसी को स्तन कैंसर हुआ है, तो उसकी संभावना बढ़ जाती है।
हार्मोनल असंतुलन: हार्मोनल परिवर्तन, जैसे मासिक धर्म का जल्दी शुरू होना या रजोनिवृत्ति का देर से होना, स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।
जीवनशैली: अत्यधिक शराब का सेवन, धूम्रपान, और मोटापा भी स्तन कैंसर के कारकों में शामिल हैं।
बांझपन और देर से गर्भधारण: जो महिलाएं देर से गर्भधारण करती हैं या जिन्हें संतान नहीं होती, उनमें भी स्तन कैंसर का जोखिम अधिक होता है।
रेडिएशन: अगर किसी महिला ने पूर्व में किसी अन्य कारण से रेडिएशन थेरपी ली हो, तो उसे स्तन कैंसर होने का खतरा हो सकता है।
स्तन कैंसर से बचाव के उपाय
स्तन कैंसर से बचाव के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

नियमित स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से मैमोग्राफी और अन्य स्वास्थ्य जांच कराने से स्तन कैंसर का पता जल्दी लग सकता है।
स्वस्थ आहार: फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज का सेवन बढ़ाने से स्तन कैंसर का जोखिम कम हो सकता है।
व्यायाम: नियमित व्यायाम से मोटापा कम होता है और हार्मोनल संतुलन बना रहता है।
शराब और धूम्रपान से बचाव: शराब और धूम्रपान का सेवन कम करने से भी स्तन कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
हार्मोनल थेरपी से परहेज: हार्मोनल थेरपी लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, खासकर अगर परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास हो।
स्तनपान: स्तनपान कराने से स्तन कैंसर का जोखिम कम हो सकता है।
भारत में स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई
भारत सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम के लिए प्रयासरत हैं। विभिन्न जागरूकता अभियान, स्वास्थ्य जांच शिविर, और मुफ्त मैमोग्राफी सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके अलावा, मीडिया और सामाजिक मंचों पर भी स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है।

जागरूकता अभियान
स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं:

पिंक रिबन अभियान: पिंक रिबन अभियान के तहत स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
स्तन कैंसर जागरूकता माह: अक्टूबर महीने को स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, जिसमें विभिन्न कार्यक्रम और स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए जाते हैं।
मीडिया और सोशल मीडिया: मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करके भी स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है।
निवारक उपायों का महत्व
स्तन कैंसर से बचाव के उपायों का पालन करने से न केवल इस बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है, बल्कि इसके जल्दी पता लगाने में भी मदद मिल सकती है। इसके लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, नियमित स्वास्थ्य जांच कराना, और जागरूक रहना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष
स्तन कैंसर भारत में महिलाओं के बीच एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। हालांकि इसके प्रसार के कई कारण हैं, लेकिन बचाव के उपायों को अपनाकर इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। जागरूकता और स्वास्थ्य जांच के माध्यम से हम इस बीमारी का समय पर पता लगा सकते हैं और इसका प्रभावी उपचार कर सकते हैं। इसलिए, हर महिला को अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहना चाहिए और स्तन कैंसर के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में जागरूकता, समय पर जांच, और स्वस्थ जीवनशैली ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। मिलकर हम इस गंभीर बीमारी पर विजय पा सकते हैं।

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जॉनसन बेबी प्रोडक्ट्स की हकीकत: बच्चों की सेहत के लिए कितना सुरक्षित? कई देशो में बैन

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डिजिटल भारत I जॉनसन बेबी, जो कि जॉनसन एंड जॉनसन की एक प्रसिद्ध सहायक कंपनी है, ने दुनिया भर में अपनी बेबी केयर उत्पादों के लिए एक मजबूत प्रतिष्ठा बनाई है। हालांकि, हाल के वर्षों में, इस कंपनी को कई देशों में अपने उत्पादों में खतरनाक तत्वों के उपयोग के आरोपों का सामना करना पड़ा है। इस लेख में, हम उन देशों की चर्चा करेंगे जहां जॉनसन बेबी के उत्पाद प्रतिबंधित हैं और उन खतरनाक तत्वों का विश्लेषण करेंगे जो बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक साबित हुए हैं।

जॉनसन बेबी कंपनी: एक परिचय
जॉनसन एंड जॉनसन, जो 1886 में स्थापित हुई थी, ने अपने बेबी केयर उत्पादों के माध्यम से एक विशाल बाजार का निर्माण किया है। इनमें बेबी शैम्पू, बेबी पाउडर, बेबी ऑयल, बेबी लोशन, और बेबी साबुन जैसे उत्पाद शामिल हैं। जॉनसन बेबी उत्पादों का उपयोग नवजात शिशुओं और बच्चों की देखभाल के लिए व्यापक रूप से किया जाता है। हालांकि, कुछ उत्पादों में हानिकारक रसायनों की उपस्थिति ने कंपनी की छवि को धूमिल किया है।

प्रतिबंधित देश और कारण
1. भारत
भारत में, जॉनसन बेबी पाउडर पर प्रतिबंध लगाया गया था क्योंकि इसमें एस्बेस्टस जैसे खतरनाक तत्व पाए गए थे। एस्बेस्टस एक कार्सिनोजेनिक पदार्थ है, जिसका संपर्क कैंसर का कारण बन सकता है।

2. संयुक्त राज्य अमेरिका
अमेरिका में, जॉनसन बेबी पाउडर के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें आरोप लगाया गया कि टैल्कम पाउडर में एस्बेस्टस की मौजूदगी से ओवेरियन कैंसर हो सकता है। कई महिलाओं ने कंपनी के खिलाफ मुकदमे जीते और कंपनी को भारी जुर्माने का सामना करना पड़ा।

3. कनाडा
कनाडा में, सरकार ने जॉनसन बेबी पाउडर के उपयोग के खिलाफ चेतावनी जारी की थी और इसे बाजार से हटाने की सलाह दी थी। टैल्कम पाउडर में एस्बेस्टस की उपस्थिति को गंभीरता से लिया गया।

4. यूरोपियन यूनियन
यूरोपियन यूनियन के कुछ देशों में जॉनसन बेबी उत्पादों पर कड़ी निगरानी रखी गई है और कुछ उत्पादों को बाजार से हटाया गया है। यूरोपीय यूनियन की सख्त नियामक नीतियों के तहत, कई उत्पादों में पाए गए हानिकारक तत्वों को हटाने के लिए कहा गया है।

5. ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में भी जॉनसन बेबी पाउडर को लेकर चिंताएं जताई गई हैं और इसे बाजार से हटाने की मांग की गई है।

खतरनाक तत्व और उनके प्रभाव
टैल्कम पाउडर और एस्बेस्टस
टैल्कम पाउडर का उपयोग बेबी पाउडर में किया जाता है, लेकिन इसमें एस्बेस्टस के अंश मिल सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। एस्बेस्टस एक ज्ञात कार्सिनोजेन है, और इसके संपर्क में आने से मेसोथेलियोमा और ओवेरियन कैंसर हो सकता है।

पैराबेंस
पैराबेंस का उपयोग प्रिज़र्वेटिव के रूप में किया जाता है, लेकिन यह हार्मोनल असंतुलन और कैंसर से जुड़ा हुआ है। बच्चों के उत्पादों में इसका उपयोग गंभीर चिंताओं को जन्म देता है।

फ्रेगरेंस (सुगंध)
फ्रेगरेंस के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों में कई हानिकारक तत्व हो सकते हैं जो एलर्जी, त्वचा में जलन, और श्वसन समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

फॉर्मल्डिहाइड
फॉर्मल्डिहाइड एक ज्ञात कार्सिनोजेन है, और इसे जॉनसन बेबी शैम्पू में संरक्षक के रूप में पाया गया था। इसके संपर्क में आने से त्वचा में जलन और सांस की समस्याएं हो सकती हैं।

कंपनी की प्रतिक्रिया
जॉनसन एंड जॉनसन ने आरोपों का सामना करते हुए अपने उत्पादों की सुरक्षा का बचाव किया है। कंपनी का दावा है कि उनके उत्पादों में इस्तेमाल किए गए तत्वों का परीक्षण और समीक्षा की गई है और यह सभी नियामक मानकों को पूरा करते हैं। हालांकि, बढ़ते मुकदमों और प्रतिबंधों ने कंपनी को अपने उत्पादों के फॉर्मूले में बदलाव करने और खतरनाक तत्वों को हटाने के लिए मजबूर किया है।

वर्तमान स्थिति और उपाय
जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने बेबी पाउडर में टैल्क की जगह कॉर्नस्टार्च का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिससे उत्पाद को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। इसके अलावा, कंपनी ने अपने उत्पादों में पैराबेंस, फॉर्मल्डिहाइड और अन्य हानिकारक रसायनों को हटाने का वादा किया है।

वैकल्पिक उत्पाद
बाजार में कई वैकल्पिक बेबी केयर उत्पाद उपलब्ध हैं जो प्राकृतिक और सुरक्षित तत्वों से बने होते हैं। माता-पिता को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे उत्पादों का चयन करें जो बिना हानिकारक रसायनों के बने हों।

सरकारी निगरानी
सरकारों और नियामक निकायों को बेबी केयर उत्पादों की सख्त निगरानी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बाजार में उपलब्ध उत्पाद सुरक्षित हों।

जागरूकता
माता-पिता और उपभोक्ताओं को जागरूक रहना चाहिए और उत्पादों के लेबल और तत्वों की जानकारी को ध्यान से पढ़ना चाहिए।

निष्कर्ष
जॉनसन बेबी कंपनी के उत्पादों में खतरनाक तत्वों की उपस्थिति ने कई देशों में चिंताएं पैदा की हैं और कुछ स्थानों पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। हालांकि, कंपनी ने अपने उत्पादों को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाए हैं, फिर भी उपभोक्ताओं को सतर्क रहना चाहिए और सुरक्षित उत्पादों का चयन करना चाहिए।

इस प्रकार, जॉनसन बेबी कंपनी पर लगाए गए प्रतिबंध और उनके उत्पादों में पाए गए खतरनाक तत्वों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। माता-पिता और उपभोक्ताओं को इन जानकारीयों को ध्यान में रखते हुए ही अपने बच्चों के लिए उत्पादों का चयन करना चाहिए।

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भारत में शादियों की टूटने की संख्या लाखो पार,क्या हैं असफल शादियों के पीछे के कारण और समाधान?

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डिजिटल भारत I भारत में विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं होता, बल्कि दो परिवारों, रीति-रिवाजों और संस्कृतियों का संगम होता है। इसके बावजूद, हाल के वर्षों में असफल विवाहों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। आइए, हम इसके कारणों पर गहराई से विचार करें और समझें कि इसके समाधान क्या हो सकते हैं।

असफल विवाह के प्रमुख कारण
संवाद की कमी: एक स्वस्थ और सफल विवाह के लिए संवाद बहुत महत्वपूर्ण है। कई बार पति-पत्नी के बीच संवाद की कमी होती है, जिससे गलतफहमियां बढ़ती हैं और समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
परिवारों का हस्तक्षेप: भारत में कई विवाह संयुक्त परिवारों में होते हैं, जहां परिवारों का हस्तक्षेप बहुत अधिक होता है। इससे दंपत्ति के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा होती है।
आर्थिक समस्याएं: आर्थिक तनाव और वित्तीय समस्याएं भी विवाह के असफल होने के प्रमुख कारणों में से एक हैं। नौकरी की अस्थिरता, कर्ज का बोझ आदि कारणों से रिश्ते पर दबाव पड़ता है।
अनुचित अपेक्षाएं: पति-पत्नी के बीच एक दूसरे से अत्यधिक अपेक्षाएं भी असफल विवाह का कारण बन सकती हैं। जब ये अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं, तो निराशा और तनाव पैदा होता है।
सामाजिक दबाव: समाज के दबाव के चलते कई बार विवाह के बाद दंपत्ति पर एक निश्चित ढांचे में फिट होने का दबाव होता है, जिससे उनका व्यक्तिगत जीवन प्रभावित होता है।
समाधान और सुझाव
संवाद को प्रोत्साहित करें: पति-पत्नी के बीच खुले और ईमानदार संवाद को प्रोत्साहित करें। संवाद के माध्यम से वे अपनी भावनाओं, अपेक्षाओं और समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।
व्यक्तिगत स्थान का सम्मान: विवाह के बावजूद प्रत्येक व्यक्ति की अपनी निजी जगह होती है। इस व्यक्तिगत स्थान का सम्मान करना महत्वपूर्ण है।

पारिवारिक हस्तक्षेप को सीमित करें: परिवारों को यह समझना चाहिए कि पति-पत्नी का निजी जीवन उनका अपना होता है। अतः परिवारों को अनावश्यक हस्तक्षेप से बचना चाहिए।
आर्थिक समस्याओं का समाधान: वित्तीय समस्याओं को हल करने के लिए एक साथ योजना बनाएं। वित्तीय मामलों में पारदर्शिता और आपसी समझ से ही समस्याओं का समाधान संभव है।
समाज के दबाव से मुक्ति: समाज के दबाव से मुक्त रहकर अपने जीवन को अपने तरीके से जीने का प्रयास करें। इससे दंपत्ति के बीच आपसी समझ और सामंजस्य बढ़ेगा।
मनोवैज्ञानिक सहायता लें: अगर समस्याएं गंभीर हैं, तो पेशेवर मनोवैज्ञानिक या मैरिज काउंसलर की सहायता लें। यह दंपत्ति को उनकी समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करेगा।

निष्कर्ष
भारत में विवाह एक महत्वपूर्ण सामाजिक संस्था है, जिसे सफल बनाने के लिए संवाद, समझ और सामंजस्य की आवश्यकता है। असफल विवाह के कारणों को समझकर और उनके समाधान पर ध्यान देकर हम एक मजबूत और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं। असफल विवाहों को कम करने के लिए हमें व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर सामूहिक प्रयास करने होंगे।
आखिरकार, एक सफल विवाह केवल दो व्यक्तियों के बीच का संबंध नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है। इसलिए, हमें मिलकर प्रयास करना चाहिए कि विवाह की यह संस्था हमेशा मजबूत और स्थिर रहे।

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भारत में मिलावटी(नकली) फलों का व्यापार बढ़ा: स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव

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डिजिटल भारत I भारत में मिलावटी फलों का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है, जिससे जनता के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। मिलावटी फल न केवल खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि वे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि मिलावटी फल कैसे बनाए जाते हैं, इनका व्यापार कैसे किया जाता है, और इन्हें खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं।

मिलावटी फल कैसे बनाए जाते हैं?
मिलावटी फल बनाने की प्रक्रिया में कई तरह के रसायनों और तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।

रंग मिलाना:
कई बार फल को अधिक आकर्षक और ताजगी भरा दिखाने के लिए आर्टिफिशियल रंगों का प्रयोग किया जाता है। इन रंगों में कभी-कभी ऐसे रसायन होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। उदाहरण के लिए, पपीते को पीला और चमकदार बनाने के लिए आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।
रिपेनिंग एजेंट्स (कृत्रिम पकाने वाले पदार्थ):
फलों को जल्दी पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड और एथिलीन गैस का उपयोग किया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड एक औद्योगिक रसायन है जो फलों को तेजी से पकाने में मदद करता है, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
मोम की कोटिंग:
फलों की चमक बढ़ाने और उन्हें ताजगी बनाए रखने के लिए उनके ऊपर मोम की परत चढ़ाई जाती है। यह मोम खाने योग्य नहीं होती और इसे खाने से पेट की समस्याएं हो सकती हैं।
रसायनों का छिड़काव:

फलों को कीड़ों से बचाने और लंबे समय तक ताजगी बनाए रखने के लिए कीटनाशकों और प्रिजर्वेटिव्स का उपयोग किया जाता है। इनमें कई रसायन होते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
मिलावटी फलों का व्यापार कैसे किया जाता है?
मिलावटी फलों का व्यापार करने वाले व्यापारियों के लिए यह एक लाभदायक व्यवसाय है, क्योंकि यह उन्हें अधिक मुनाफा कमाने में मदद करता है।
खरीदारी और स्टॉकिंग:
व्यापारी बड़े पैमाने पर फल खरीदते हैं, जिनमें से कई अधपके होते हैं। इन फलों को स्टोर करने के बाद, उन्हें मिलावटी प्रक्रिया से गुजारा जाता है।
मिलावट की प्रक्रिया:
खरीदे गए फलों पर रंग, मोम, और अन्य रसायनों का छिड़काव किया जाता है। इस प्रक्रिया में फल जल्दी पकते हैं और अधिक आकर्षक दिखते हैं।
बाजार में वितरण:
मिलावटी फल तैयार होने के बाद, इन्हें थोक बाजारों और रिटेल दुकानों में बेचा जाता है। कई बार इन फलों को स्थानीय बाजारों में बेचने के लिए छोटी-छोटी दुकानें लगाई जाती हैं।
खपत और उपभोक्ता:

आकर्षक और ताजगी भरे दिखने वाले ये फल उपभोक्ताओं को आसानी से आकर्षित कर लेते हैं, जो इनकी वास्तविकता से अनजान रहते हैं। इस प्रकार, ये मिलावटी फल बाजार में तेजी से बिकते हैं।
मिलावटी फलों को खाने से क्या नुकसान होते हैं?
मिलावटी फलों का सेवन करने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। इन फलों में इस्तेमाल होने वाले रसायन और प्रिजर्वेटिव्स कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। कुछ प्रमुख नुकसान निम्नलिखित हैं:

कैंसर का खतरा:
कैल्शियम कार्बाइड और अन्य हानिकारक रसायनों के सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ये रसायन शरीर में जाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
अंगों को नुकसान:
मिलावटी फलों में इस्तेमाल होने वाले रसायन लिवर, किडनी और आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह अंगों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और उन्हें स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
प्रजनन क्षमता पर असर: कुछ रसायनों का सेवन करने से प्रजनन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
एलर्जी और त्वचा की समस्याएं:
मिलावटी फलों में इस्तेमाल होने वाले रंग और रसायन त्वचा पर एलर्जी और अन्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। यह त्वचा में खुजली, लालिमा और सूजन का कारण बन सकते हैं।
पाचन समस्याएं: मोम और अन्य रसायनों से कोटेड फलों को खाने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यह पेट दर्द, गैस, उल्टी और दस्त का कारण बन सकते हैं।
हृदय रोग: मिलावटी फलों में उपयोग होने वाले कुछ रसायन हृदय को भी प्रभावित कर सकते हैं। यह रक्तचाप को बढ़ा सकते हैं और हृदय रोगों का खतरा बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष
मिलावटी फलों का व्यापार एक गंभीर समस्या है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। यह आवश्यक है कि उपभोक्ताओं को इस मुद्दे के प्रति जागरूक किया जाए और उन्हें मिलावटी फलों की पहचान करने के तरीके सिखाए जाएं। साथ ही, सरकार और संबंधित अधिकारियों को इस मुद्दे पर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि मिलावटी फलों का व्यापार रोका जा सके और लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
स्वस्थ जीवन के लिए, हमें प्राकृतिक और बिना मिलावट वाले फलों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए फलों को अच्छी तरह से धोना और जितना संभव हो सके स्थानीय और ताजगी भरे फलों का उपयोग करना आवश्यक है। मिलावटी फलों के नुकसान को समझते हुए, हमें अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए।

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योग दिवस कब और क्यों मनाया जाता है, इसके फायदे !

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डिजिटल भारत l वजन में कमी, एक मजबूत एवं लचीला शरीर, सुन्दर चमकती त्वचा, शांतिपूर्ण मन, अच्छा स्वास्थ्य-जो आप चाहते हैं, योग आपको देता है। योग को केवल कुछ आसनो द्वारा आंशिक रूप से समझा जाता हैं परंतु इसके लाभ का आंकलन केवल शरीर स्तर पर समझा जाता हैं। हम ये जानने में असफल रहते हैं कि योग हमें शारीरिक, मानसिक रूप से तथा श्वसन में लाभ देता हैं। जब आप सुन्दर विचारो के संग होते हैं तो जीवन यात्रा शांति, ख़ुशी और अधिक ऊर्जा से भरी होती हैं।जानें क्यों है हमारे शरीर के लिए जरूरी21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। हम आपको इस मौके पर योग के कुछ ऐसे फायदों से रूबरू करवा रहे हैं, जिनका नियमित रूप से अभ्यास करअंतर्राष्ट्रीय योग दिवस [International Yoga Day 2024 ]जल्द आने वाला है। इस दिवस को पूरी दुनिया में 21 जून को मनाया जाता है। योग को ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी दिनचर्या में शामिल करें और इसके परिणाम से लाभान्वित हों, इसी के मद्देनजर योग दिवस मनाना शुरू किया गया।

कुछ शालो से लोगों में बहुत तनाव पैदा हुआ है। आप मानें या न मानें , लेकिन योग का तनाव खत्म करने में बहुत अहम योगदान देता है। योग फिजिकल और मेंटल
के लिए बहुत फायदेमंद है। हम आपको यहां कुछ कारण बता रहे हैं जिन्हें जानकर आप कभी भी योग को मना नहीं कर पाएंगे।
अच्छी नींद में मददगार लॉकडाउन में कई लोगों का पूरा शेड्यूल बदल जाने की वजह से नींद खराब हुई है। रिसर्च से पता चला है कि योग और उसके फायदों की वजह से इंसोमेनिया वाले लोगों को मदद मिलती है। नियमित रूप से अभ्यास करने पर दिमाग को आराम मिलता है और शरीर आराम लेने के लिए तैयार होता है। दीवार तक पैर करके आगे की ओर झुकते हुए (विपरीतकरणी), शवासन, रिक्लाइनिंग बटरफ्लाई कुछ योग मुद्रा हैं, जिनसे रात में अच्छी नींद आने में मदद मिल सकती है।शरीर और मन दोनों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए नियमित रूप से दिनचर्या में योगासनों को शामिल करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है। योगासन, शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ावा देने के साथ मन को शांत करते हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए योगासनों का नियमित अभ्यास आपके लिए काफी मददगार हो सकता है। योग का अभ्यास शरीर, श्वास और मन को जोड़ता है। समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योगासनों में शारीरिक मुद्राओं, सांस लेने के व्यायाम और ध्यान का संयोजन किया जाता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कई तरह की बीमारियों के जोखिम को कम करने से लेकर सेहत को बूस्ट देने तक के लिए योगासनों का अभ्यास करना सहायक हो सकता है। प्राणायाम से लेकर कई तरह की योग मुद्राओं का अभ्यास आपको शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मददगार हो सकते हैं। आइए आगे की स्लाइडों में इसके फायदों के बारे में जानते हैं। नियमित योग के क्या फायदे हैं?
योग आपके संपूर्ण फिटनेस स्तर में सुधार करके आपके शरीर की मुद्रा और लचीलेपन को भी बेहतर बनाता है। कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिमों को कम करने के लिए योगासनों का रोजाना अभ्यास करना फायदेमंद हो सकता है।
रक्तचाप और हृदय गति को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
शरीर को आराम मिलता है।
आपके आत्मविश्वास में सुधार होता है।
तनाव की समस्या कम होती है।
शरीर के समन्वय में सुधार होता है।
आपकी एकाग्रता में सुधार होता है।
बेहतर नींद प्राप्त करने में मदद करता है।
पाचन और डायबिटीज की समस्या से राहत दिला सकता है। ये योगासन माने जाते हैं फायदेमंद
शरीर में रक्त के संचार को बढ़ावा देने के साथ कमर-पीठ के दर्द को कम करने के लिए सेतुबंधासन और भुजंगासन योग का अभ्यास काफी फायदेमंद हो सकता है। वहीं सूर्य नमस्कार, वृक्षासन जैसे अभ्यास शारीरिक समन्वय और एकाग्रता को बढ़ावा देते हैं। प्राणायाम का अभ्यास आपके मानसिक स्वास्थ्य को बूस्ट देने के साथ कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को कम करने में मददगार हो सकता है।इन बातों का रखें विशेष ध्यान
वैसे तो योग आमतौर पर सुरक्षित होते हैं, फिर भी यदि आप गलत मुद्रा में इसका अभ्यास करते हैं तो इससे मांसपेशियों में खिंचाव आने की दिक्कत हो सकती है। योग करते समय सुरक्षित रहने के लिए इसका सही तरीके से अभ्यास किया जाना आवश्यक है। पहले धीरे-धीरे इसकी शुरुआत करें और समय के साथ इसे बढ़ाते जाएं। अपनी सेहत के हिसाब से योग का चयन करने के लिए किसी विशेषज्ञ की सहायता ले लें।
नोट: यह लेख योगगुरु के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। आसन की सही स्थिति के बारे में जानने के लिए किसी विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।

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प्रेगनेंसी के बाद कैसे रखे माँ का खयाल

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डिजिटल भारत l मां बनना दुनिया में सबसे बड़ी ब्लेसिंग है। क्योंकि नन्हें कदमों के घर में आते ही घर की रौनक बढ़ जाती है। मां के साथ साथ घर के सभी सदस्यों का ध्यान बच्चे की ओर चला जाता है। लेकिन ये भी सच है कि न्यू मॉम को प्रेग्रेंसी के टाइम में जितनी केयर की जरूरत थी, उतनी ही डिलीवरी के बाद भी। क्योंकि डिलीवरी के बाद महिला के शरीर में कई शारीरिक व भावनात्मक बदलाव होते हैं। ऐसे में सबके बच्चे की केयर में लगे रहने के कारण मां खुद को काफी अकेला फील करने लगती है, जो तनाव का कारण बनता है। ऐसे में खुद को हेल्दी रखने व पोस्टपार्टम डिप्रेशन से दूर रखने के लिए नीचे बताए कुछ टिप्स को फॉलो करना न भूलें।
डिलीवरी के बाद के 40 डेज अहम
आपको अपनी डिलीवरी के बाद भी अपनी डाइट का वैसे ही ध्यान रखने की जरूरत है, जैसे आप प्रेग्रेंसी के दौरान खुद का ध्यान रखती थीं। इसके लिए आपको पौष्टिक डाइट लेने की जरूरत है, जिससे शरीर को ताकत मिले। आप अपनी डाइट में दूध, दाल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दलिया, मखाने, फ्रूट्स, पनीर शामिल करके फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम व आयरन की भरपूर मात्रा लें। छोटी-छोटी मील दिन में कई बार लें।डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते है जिसे ये बदलाव कई बार आपके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालते है। जो महिलाएं पहली बार मां बनती हैं उन्हें यह जानकारी नहीं होती कि उन्हें डिलीवरी के बाद किन बातों का ध्यान रखना है, क्या खाना है, क्या करना है, किस तरह की एक्सरसाइज करनी चाहिए, किस तरह के आहार का सेवन करना चाहिए।इस बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने बात की अपोलो दिल्ली और आर्केडी वीमेन हेल्थ केयर एंड फर्टिलिटी की डायरेक्टर, स्त्री रोग विशेषज्ञ और टेस्ट ट्यूब बेबी स्पेशलिस्ट डॉ. पूजा दिवान से।

नई मां के लिए जरूरी है पोस्ट-डिलीवरी केयर में इन 7 बातों का ध्यान रखना (post delivery care of mother)
1 आराम है सबसे ज्यादा जरूरी
बच्चे को जन्म देना कठिन काम है और आप शायद अस्पताल में ज्यादा सो न पाई हों। प्रसव के बाद पहले कुछ सप्ताह आपके लिए जब भी संभव हो आराम करने का एक महत्वपूर्ण समय होता है। जब आपका बच्चा सोता है, तो सोने या आराम करने की कोशिश करें। यह आराम आपको ठीक होने में मदद करेगा।2 2 भारी सामान उठाने से बचें
ठीक होने के दौरान आपको अपने बच्चे के वजन से ज्यादा भारी कुछ भी उठाने से बचना चाहिए। यदि आपकी सी-सेक्शन डिलीवरी हुई है, तो यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। भारी सामान उठाने से आपके पेट में जोर पड़ सकता है।
3 अपने हाथ धोएंयह एक छोटी सी बात लग सकती है, लेकिन सुनिश्चित करें कि आप अपने हाथों को बार-बार धोते रहें। बाथरूम जाने के बाद, अपने बच्चे का डायपर बदलने के बाद और अपने बच्चे को दूध पिलाने से पहले भी अपने हाथ धोएं।
4 सीढ़ियां चढ़ने से बचेंपहले सप्ताह के दौरान, आपको सीढ़ियां चढ़ने की मात्रा को कम करने का प्रयास करना चाहिए। इस दौरान प्रतिदिन सीढ़ियां चढ़ने और उतरने की संख्या को सीमित करना आपके लिए अच्छा होगा। किसी भी तरह की अतिरिक्त शारीरिक गतिविधि या प्रेशर आपकी रिकवरी को धीमा कर सकता है
5 बच्चे की हाइपर केयर से बचेंपहले कुछ हफ्तों में अपने बच्चे के शेड्यूल और जरूरतों को सीखना काफी कठिन होता है। आपको अपने शिशु को हर दिन नहलाने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय गीले कपड़े से पोंछे ताकि आपके बच्चे का चेहरा, हाथ और डायपर क्षेत्र रोजाना साफ हो। लोगों से मिलना सिमित करें
6 लोग आपके पास आना और आपके बच्चे से मिलना चाहेंगे। पहले कुछ हफ्तों के लिए लोगों को सीमित करना या उनसे मिलने के लिए मना करना पूरी तरह से ठीक है। इस समय के दौरान, आप अपने बच्चे के साथ अपने नए जीवन के साथ तालमेल बिठा रही होंगी, साथ ही अपने प्रसव से ठीक हो रही होंगी। तो ऐसे में लोगों से भी मिलना आपको प्रभावित कर सकता है।
7 खुद को करें एक्सप्रेस, बच्चे के जन्म के बाद महिला को कई तरह के मूड स्विंग्स होते हैं, लेकिन वह अपने मन की भावनाओं को अपने भीतर ही दबाकर रखती है, जिससे उसका इमोशनल ब्रेकडाउन भी होता है। इसलिए खुद का ख्याल रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप खुद को एक्सप्रेस करना सीखें। भले ही आपके मन में जो भी फीलिंग हो, उसे अपने पार्टनर से शेयर करें।Postpartum Diet Tips: ड‍िलीवरी के बाद नई मां ऐसे रखें अपनी डाइट का खास ख्यालPostpartum Diet Tips: मां बनना एक महिला के जीवन का सबसे अहम पल होता है. प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी डाइट का खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि जितना प्रेगनेंसी के दौरान सेहत और खान-पान का ख्याल रखना जरूरी है उतना ही डिलीवरी के बाद भी.Postpartum Diet Tips In Hindi: मां बनना एक महिला के जीवन का सबसे अहम पल होता है. प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी डाइट का खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है. क्योंकि इस दौरान मां के साथ गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत का ख्याल भी जरूरी होता है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि जितना प्रेगनेंसी के दौरान सेहत और खान-पान का ख्याल रखना जरूरी है उतना ही डिलीवरी के बाद भी. डिलीवरी (After Pregnancy Care) के बाद महिलाओं की सेहत पर काफी असर पड़ता है ऐसे में उन्हें अपनी सेहत का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए. डिलीवरी के बाद इम्यूनिटी काफी कमजोर पड़ जाती है, ऐसे में शरीर को कई समस्याएं हो सकती हैं. लेकिन अगर आप अपनी डाइट में कुछ चीजों को शामिल करते हैं, तो आप अपने शरीर को डिलीवरी के बाद भी हेल्दी रख सकती हैं.

1. गुड़ डिलीवरी के बाद नई मां अपनी डाइट में गुड़ को शामिल कर सकती हैं. क्योंकि गुड़ में ज‍िंक और सेलेन‍ियम जैसे पोषक तत्‍व पाए जाते हैं, जो शरीर में खून की कमी को दूर करने और इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं.

Root Vegetables Benefits: ठंड के मौसम में क्यों करना चाहिए इन 5 सब्जियों का सेवन, यहां जानें कारण और फायदे-

2. अनार अनार में आयरन, फाइबर, ओमेगा-6 फैटी एसिड और विटामिन सी की अच्‍छी मात्रा पाई जाती है, जो इम्यूनिटी और खून को बढ़ाने के साथ शरीर को कई लाभ पहुंचा सकते हैं. प्रेगनेंसी के दौरान और डिलीवरी के बाद आप अनार को डाइट में शामिल कर सकते हैं.

Radish With Curd: सर्दियों में मूली के साथ करें दही का सेवन मिलेंगे ये कमाल के फायदे

3. खजूर-

सर्दियों के मौसम में खजूर का सेवन फायदेमंद माना जाता है. नई मां के लिए खजूर खाना लाभकारी हो सकता है. खजूर में फाइबर, खन‍िज और व‍िटाम‍िन्‍स की अच्‍छी मात्रा होती है. डिलीवरी के बाद शरीर कमजोर हो सकता है, ऐसे में खजूर का सेवन शरीर को एनर्जी देने में मददगार हो सकता है.

4. हरी पत्तेदार सब्‍ज‍ियां-

हरी पत्तेदार सब्जियों को प्रेगनेंसी के दौरान खाना फायदेमंद माना जाता है. इनमें पाए जाने वाले गुण शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मदद कर सकते हैं. आप डिलीवरी के बाद भी अपनी डाइट में हरी सब्जियों को शामिल कर सकते हैं.

Soaked Peanuts: अगर आप भी हैं इन समस्याओं से ग्रेसित तो भूलकर भी न करें भीगी मूंगफली का सेवन, नहीं तो पड़ सकता है पछतानाअस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.aa

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इन चीजों को खाने से हो सकता है केंसर

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डिजिटल भारत I आजकल के दौर में कैंसर एक आम समस्या हो गया है। गलत लाइफस्टाइल व खराब खानपान इसका मुख्य कारण तो है ही। साथ ही गलत चीजों का सेवन करने से भी कैंसर होता है जिसमें मुख्य कारण है धुम्रपान। लेकिन क्या आपको पता है कि सिगरेट पीने के अलावा और किन कारणों से कैंसर की शिकायत होती है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि धुम्रपान के अलावा और किन चीजों से कैंसर होता है। शराब के अधिक सेवन करने से डायबिटीज, मोटापा जैसी गंभीर बीमारियां तो होती ही हैं। साथ में कैंसर होने का भी खतरा बना रहता है। एक ताजा स्टडी के अनुसार शराब का सेवन करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर की संख्या में तीस फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। इसलिए शराब का सेवन करने से बचें। विटामिन, प्रोटीन और मिनरल युक्त आहार
कैंसर के दौरान सर्जरी और थेरेपी के बाद चोट को भरने और इन्फेक्शन से लड़ने के लिए अधिक मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है. इसके लिए मछली, अंडे, लीन मीट, कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट, नट बटर, सूखे बीज और मेवे, मटर और मसूर की दाल, सोयाबीन का सेवन कर सकते हैं. इन फूड्स का सेवन आप अपने टेस्ट और लक्षण के हिसाब से कर सकते हैं.Health Tips : कैंसर में क्या खाएं, क्या नहीं खाएं और किन चीजों से करें परहेज?
Health Tips : कैंसर के इलाज के दौरान कई थेरेपी और सर्जरी की जाती हैं. इलाज के समय कई बातों का खयाल रखना आवश्यक होता है. इस दौरान डाइट का भी खासतौर से ध्यान रखा जाता है. आइए जानें डाइट में किन चीजों को शामिल कर सकते हैं.”कैंसर से लड़ने वाले खाद्य पदार्थ”
जब आप “कैंसर से लड़ने वाले खाद्य पदार्थों” की सूची देखते हैं, तो वे अक्सर फाइटोकेमिकल्स से भरपूर पादप खाद्य पदार्थ होते हैं , जिन्हें फाइटोन्यूट्रिएंट्स भी कहा जाता है। फाइटोकेमिकल्स पौधों में पाए जाने वाले यौगिक हैं जो कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों को रोकने में मदद कर सकते हैं।

सूची में आमतौर पर जामुन, ब्रोकोली, टमाटर, अखरोट, अंगूर और अन्य सब्जियां, फल और मेवे सबसे ऊपर हैं।

“यदि आप उन विशिष्ट खाद्य पदार्थों को देखें जो कैंसर के खतरे को कम करते हैं, तो यह लगभग सभी पौधों के खाद्य पदार्थ हैं जिनमें फाइटोकेमिकल्स होते हैं,” वोह्लफोर्ड कहते हैं।

लेकिन वह खरीदारों को चेतावनी देती है कि वे उत्पाद अनुभाग में अन्य स्वस्थ खाद्य पदार्थों को छोड़कर “कैंसर से लड़ने वाले” खाद्य पदार्थों की एक विशिष्ट सूची पर ध्यान केंद्रित न करें।

“ध्यान रखें कि 4,000 से अधिक फाइटोकेमिकल्स हैं जिनकी खोज और शोध किया गया है,” वह कहती हैं। “ऐसा कोई एक सुपर-फूड नहीं है जिसमें ये सभी शामिल हों। वे सभी अलग-अलग कार्य और लाभ प्रदान करते हैं।”

अपने कैंसर से लड़ने वाले भोजन की सूची में विविधता जोड़ने का एक अच्छा तरीका यह सुनिश्चित करना है कि आप विभिन्न प्रकार के रंगों को शामिल करें। आप विभिन्न प्रकार के पादप खाद्य पदार्थ खाकर अधिकतम सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं।अपना वजन नियंत्रित करने में मदद के लिए स्वस्थ भोजन की एक सूची बनाएं
किसी भी चीज को बहुत अधिक खाने से शरीर में वसा बढ़ सकती है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। मोटापा 12 प्रकार के कैंसर से जुड़ा हुआ है ।

वोह्लफोर्ड कहते हैं, “जिन खाद्य पदार्थों में कैलोरी और चीनी कम होती है और फाइबर अधिक होता है, वे आपके वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। ये सभी चीजें आपके द्वारा उपभोग की जाने वाली कैलोरी की संख्या को कम करती हैं।” स्वस्थ वजन बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है जो आप कर सकते हैं। आपके कैंसर के खतरे को कम करने के लिए।”

किराने की दुकान पर जाने से पहले इन सुझावों को ध्यान में रखें। जब आप स्टोर पर पहुंचेंगे तो वे आपकी सूची को सरल बनाने और स्वास्थ्यप्रद विकल्प चुनने में आपकी मदद कर सकते हैं।

अपना मेनू सरल रखें. एक स्वस्थ, स्वादिष्ट भोजन बनाने के लिए आपको सामग्री की जटिल सूची की आवश्यकता नहीं है।

जमी हुई सब्जियों और फलों से डरो मत (सॉस या जूस में नहीं)।
साबुत अनाज चुनें . फाइबर रक्त शर्करा नियंत्रण और वजन प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है
ऐसे खाद्य पदार्थ चुनें जो सूजन से लड़ें । इसमें सैल्मन और सार्डिन जैसी वसायुक्त मछली, ब्राउन चावल जैसे साबुत अनाज और दही और कोम्बुचा जैसे प्रोबायोटिक्स शामिल हैं।
एक और युक्ति: स्टोर के बाहरी किनारों से खरीदारी करें। स्टोर की परिधि में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ कम हैं।

वोह्लफ़ोर्ड कहते हैं, “हालांकि कुछ खाद्य पदार्थ हैं जो गलियारे के नीचे बहुत अच्छे हैं, एक सामान्य नियम के रूप में, पूरे खाद्य पदार्थ स्टोर की परिधि के आसपास होते हैं।”

यदि आप किसी पैकेज में कुछ खरीदने जा रहे हैं, तो पहले पोषण लेबल पढ़ें। यदि आइटम में दो या तीन से अधिक सामग्रियां हैं, तो एक अलग विकल्प के बारे में सोचें। पोषण लेबल आपको उस भोजन में नमक और चीनी के बारे में बहुमूल्य जानकारी भी देगा , जिस पर आप विचार कर रहे हैं।क्या कृत्रिम मिठास से कैंसर होता है?
इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि एस्पार्टेम जैसे कृत्रिम मिठास कैंसर का कारण बनते हैं।

सुक्रालोज़ या एस्पार्टेम जैसे कृत्रिम मिठास फ़िज़ी पेय के आहार संस्करणों से लेकर च्यूइंग गम तक कई उत्पादों में पाए जा सकते हैं।

कृत्रिम मिठास और कैंसर के बारे में और पढ़ें  ।

क्या अंडे से होता है कैंसर?
नहीं, अंडे खाने से कैंसर नहीं होता है।

अध्ययनों में अंडे और विभिन्न प्रकार के कैंसर के बीच संबंध को देखा गया है, लेकिन इस बात का कोई अच्छा सबूत नहीं है कि अंडे कैंसर के खतरे को प्रभावित करते हैं। स्वस्थ संतुलित आहार के हिस्से के रूप में अंडे प्रोटीन का स्रोत प्रदान कर सकते हैं ।

क्या डिब्बाबंद भोजन खाने से कैंसर होता है?
नहीं, डिब्बाबंद या डिब्बाबंद भोजन खाने से कैंसर का खतरा प्रभावित नहीं होता है।

कुछ टिन और डिब्बे बिस्फेनॉल-ए (बीपीए) नामक किसी चीज़ से ढके होते हैं। कुछ लोगों को आश्चर्य हुआ है कि क्या बीपीए कैंसर के खतरे को प्रभावित करता है, लेकिन इसका कोई अच्छा सबूत नहीं है। BPA युक्त डिब्बों में रखा भोजन खाने से कैंसर नहीं होता है।

क्या सोया (सोया) खाने से कैंसर का खतरा प्रभावित होता है?
सोया उत्पाद खाने से स्तन कैंसर सहित कैंसर का खतरा प्रभावित नहीं होता है।

टोफू और सोया दूध जैसे सोया उत्पादों में आइसोफ्लेवोन्स नामक रसायन होते हैं। ये मानव हार्मोन एस्ट्रोजन की तरह होते हैं, लेकिन इनका प्रभाव बहुत हल्का होता है। इसीलिए कुछ लोगों को आश्चर्य हुआ है कि क्या सोया उत्पादों और स्तन कैंसर के बीच कोई संबंध है। लेकिन न तो सोया उत्पाद और न ही आइसोफ्लेवोन्स कैंसर के खतरे को प्रभावित करते हैं। जब आप स्वस्थ होते हैं, तो आपके लिए आवश्यक पोषक तत्व और कैलोरी प्राप्त करने के लिए पर्याप्त भोजन करना आमतौर पर कोई समस्या नहीं होती है। अधिकांश पोषण दिशानिर्देश बहुत सारी सब्जियाँ, फल और साबुत अनाज उत्पाद खाने पर जोर देते हैं; आपके द्वारा खाए जाने वाले लाल मांस की मात्रा को सीमित करना, विशेष रूप से प्रसंस्कृत या उच्च वसा वाले मांस; वसा, चीनी, शराब और नमक में कटौती करना; और स्वस्थ वजन पर बने रहें। लेकिन जब आपका कैंसर का इलाज चल रहा हो, तो ये चीजें करना कठिन हो सकता है, खासकर यदि आपके दुष्प्रभाव हों या आप ठीक महसूस नहीं कर रहे हों।

यदि आपको कैंसर है तो अच्छा पोषण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि बीमारी और उसके उपचार दोनों ही आपके खाने के तरीके को बदल सकते हैं। वे आपके शरीर द्वारा कुछ खाद्य पदार्थों को सहन करने और पोषक तत्वों के उपयोग के तरीके को भी प्रभावित कर सकते हैं।

कैंसर के उपचार के दौरान आपको अपनी ताकत बढ़ाने और कैंसर और उसके उपचार के प्रभावों का सामना करने में मदद करने के लिए अपने आहार में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है। इसका मतलब यह हो सकता है कि जब आप अच्छे स्वास्थ्य में हों तो ऐसी चीज़ें खाना जिनकी आमतौर पर अनुशंसा नहीं की जाती है। उदाहरण के लिए, आपको अपना वजन बनाए रखने के लिए उच्च-प्रोटीन, उच्च-कैलोरी खाद्य पदार्थों की आवश्यकता हो सकती है, या आइसक्रीम या मिल्क शेक जैसे गाढ़े, ठंडे खाद्य पदार्थों की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि आपके मुंह और गले में घावों के कारण कुछ भी खाना मुश्किल हो रहा है। आपके शरीर को आवश्यक पोषण प्राप्त करने के सर्वोत्तम तरीकों का पता लगाने का प्रयास करते समय कैंसर के प्रकार , आपके उपचार और आपके किसी भी दुष्प्रभाव पर विचार किया जाना चाहिए।

कैंसर से पीड़ित लोगों की पोषण संबंधी ज़रूरतें हर व्यक्ति में अलग-अलग होती हैं। आपकी कैंसर देखभाल टीम आपके पोषण लक्ष्यों की पहचान करने और उन्हें पूरा करने में आपकी मदद करने के तरीकों की योजना बनाने में आपकी मदद कर सकती है। जब आप कैंसर का इलाज करा रहे हों तो अच्छा भोजन करने से आपको मदद मिल सकती है:

बेहतर महसूस करना।
अपनी ताकत और ऊर्जा बनाए रखें.
अपना वजन और अपने शरीर में पोषक तत्वों का भंडार बनाए रखें।
उपचार संबंधी दुष्प्रभावों को बेहतर ढंग से सहन करें ।
संक्रमण का खतरा कम करें.
ठीक हो जाओ और तेजी से ठीक हो जाओ।
अच्छा भोजन करने का अर्थ है कैंसर से लड़ने के लिए आपके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खाना। इन पोषक तत्वों में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, पानी, विटामिन और खनिज शामिल हैं।

प्रोटीन
हमें विकास के लिए, शरीर के ऊतकों की मरम्मत के लिए और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। जब आपके शरीर को पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिलता है, तो यह आवश्यक ईंधन के लिए मांसपेशियों को तोड़ सकता है। इससे बीमारी से उबरने में अधिक समय लगता है और संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। कैंसर से पीड़ित लोगों को अक्सर सामान्य से अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है। सर्जरी, कीमोथेरेपी या विकिरण थेरेपी के बाद, ऊतकों को ठीक करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करने के लिए आमतौर पर अतिरिक्त प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

प्रोटीन के अच्छे स्रोतों में मछली, मुर्गी पालन, दुबला लाल मांस, अंडे, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, नट्स और नट बटर, सूखे बीन्स, मटर और दाल और सोया खाद्य पदार्थ शामिल हैं।

वसा
वसा पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वसा और तेल शरीर के लिए ऊर्जा के समृद्ध स्रोत के रूप में काम करते हैं। शरीर वसा को तोड़ता है और उनका उपयोग ऊर्जा को संग्रहीत करने, शरीर के ऊतकों को बचाने और रक्त के माध्यम से कुछ प्रकार के विटामिनों के परिवहन के लिए करता है।

आपने सुना होगा कि कुछ वसा आपके लिए दूसरों की तुलना में बेहतर हैं। अपने हृदय और कोलेस्ट्रॉल स्तर पर वसा के प्रभाव पर विचार करते समय, संतृप्त वसा की तुलना में मोनोअनसैचुरेटेड (जैतून, कैनोला और मूंगफली के तेल) और पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (ये मुख्य रूप से कुसुम, सूरजमुखी, मक्का और अलसी के तेल और समुद्री भोजन में पाए जाते हैं) का चयन करें। या ट्रांस वसा.

संतृप्त वसा मुख्य रूप से मांस और मुर्गी, संपूर्ण या कम वसा वाले दूध, पनीर और मक्खन जैसे पशु स्रोतों में पाए जाते हैं। कुछ वनस्पति तेल जैसे नारियल, पाम कर्नेल तेल और पाम तेल संतृप्त होते हैं। संतृप्त वसा कोलेस्ट्रॉल बढ़ा सकती है और हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकती है। आपकी 10% से कम कैलोरी संतृप्त वसा से आनी चाहिए।

हमारे आहार में अधिकांश ट्रांस वसा स्नैक फूड और आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल या वनस्पति शॉर्टिंग से बने बेक किए गए सामानों से आते हैं। ट्रांस वसा के इन स्रोतों को अमेरिका में खाद्य आपूर्ति से काफी हद तक हटा दिया गया है। ट्रांस वसा कुछ पशु उत्पादों, जैसे डेयरी उत्पादों, में भी कम मात्रा में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। ट्रांस वसा खराब कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। जितना हो सके ट्रांस वसा से बचें।

कार्बोहाइड्रेट
कार्बोहाइड्रेट शरीर की ऊर्जा का प्रमुख स्रोत हैं। कार्बोहाइड्रेट शरीर को शारीरिक गतिविधि और उचित अंग कार्य के लिए आवश्यक ईंधन देते हैं। कार्बोहाइड्रेट के सबसे अच्छे स्रोत – फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज – आवश्यक विटामिन और खनिज, फाइबर और फाइटोन्यूट्रिएंट्स भी प्रदान करते हैं। (फाइटोन्यूट्रिएंट्स पौधे-आधारित खाद्य पदार्थों में मौजूद रसायन हैं जिनकी हमें जीवित रहने के लिए आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं।)

फाइबर पौधों के खाद्य पदार्थों का वह हिस्सा है जिसे शरीर पचा नहीं पाता है। फाइबर 2 प्रकार के होते हैं. अघुलनशील फाइबर भोजन के अपशिष्ट को शरीर से तेजी से बाहर निकालने में मदद करता है, और घुलनशील फाइबर मल में पानी के साथ जुड़कर मल को नरम रखने में मदद करता है।

कार्बोहाइड्रेट के अन्य स्रोतों में ब्रेड, आलू, चावल, स्पेगेटी, पास्ता, अनाज, मक्का, मटर और बीन्स शामिल हैं। मिठाइयाँ (मिठाइयाँ, कैंडी और चीनी के साथ पेय) कार्बोहाइड्रेट की आपूर्ति कर सकती हैं, लेकिन विटामिन, खनिज, या फाइटोन्यूट्रिएंट्स के रूप में बहुत कम प्रदान करती हैं।

पानी
पानी और तरल पदार्थ या तरल पदार्थ स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। शरीर की सभी कोशिकाओं को कार्य करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। यदि आप पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं लेते हैं या उल्टी या दस्त के कारण तरल पदार्थ खो देते हैं, तो आप निर्जलित हो सकते हैं (आपके शरीर में उतना तरल पदार्थ नहीं है जितना होना चाहिए)। यदि ऐसा होता है, तो आपके शरीर को काम करने में मदद करने वाले तरल पदार्थ और खनिज खतरनाक रूप से असंतुलित हो सकते हैं। आप जो भोजन खाते हैं उससे आपको पानी मिलता है, लेकिन एक व्यक्ति को हर दिन लगभग चार 8-औंस गिलास तरल पदार्थ भी पीना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शरीर की सभी कोशिकाओं को वह तरल पदार्थ मिले जिनकी उन्हें ज़रूरत है। यदि आपको उल्टी हो रही है, दस्त हो रहा है, या फिर आप अधिक नहीं खा रहे हैं तो आपको अतिरिक्त तरल पदार्थों की आवश्यकता हो सकती है। ध्यान रखें कि सभी तरल पदार्थ (सूप, दूध, यहां तक ​​कि आइसक्रीम और जिलेटिन) आपके तरल लक्ष्यों में गिने जाते हैं।जड़ी बूटी
जड़ी-बूटियों का उपयोग सैकड़ों वर्षों से बीमारी के इलाज के लिए किया जाता रहा है, जिसके परिणाम मिश्रित रहे हैं। आज, जड़ी-बूटियाँ कई उत्पादों में पाई जाती हैं, जैसे गोलियाँ, तरल अर्क, चाय और मलहम। इनमें से कई उत्पाद हानिरहित और उपयोग में सुरक्षित हैं, लेकिन अन्य हानिकारक दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं। कुछ लोग कैंसर के उपचार और सर्जरी से ठीक होने में भी बाधा डाल सकते हैं। यदि आप जड़ी-बूटियों वाले उत्पादों का उपयोग करने में रुचि रखते हैं, तो पहले अपने कैंसर डॉक्टर, नर्स या फार्मासिस्ट से इस बारे में बात करें।कैंसर के मरीजों को आमतौर पर खाने में मन न लगना, भूख कम होना, उपचार के कारण खाने का स्वाद न आना, उल्टी और दस्त जैसे कई प्रकार की दिक्‍कतों का सामना करते हैं। जिसके कारण उनके शरीर में पर्याप्त पोषण नहीं पहुंच पाता। पर्याप्त पोषण की कमी रोगी की सामान्य स्थिति को प्रभावित करती है, जिससे वे कमजोर हो जाते हैं और अधिक दुष्प्रभावों और संक्रमणों की चपेट में आ जाते हैं। जिसके बाद, ये समस्याएं कैंसर के उपचार में काफी दिक्‍कतों का कारण बनती हैं और इस रुकावट से उपचार का सही परिणाम आना काफी मुश्किल हो जाता है।

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