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राजस्थान में अशोक गहलोत ने इन 5 योजनाओं से चला बड़ा दांव

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जयपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से पूर्व कार्यकाल में शुरू की गई मुफ्त दवा योजना का लाभ राजस्थान के घर घर तक पहुंचा था। इस योजना के लिए देशभर में अशोक गहलोत की तारीफ हुई थी। इसके बावजूद भी कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं हो पाई। इस बार भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई ऐसी योजनाएं लॉन्च की हैं, जो अपने आप में अनूठी हैं और देश के कई राज्य राजस्थान सरकार की योजनाओं को लागू कर रहे हैं। इन दिनों राज्य सरकार की ओर से 10 योजनाओं का लाभ हर पात्र व्यक्ति को देने की गारंटी दी जा रही है। इसके लिए सरकार ने प्रदेश में करीब 2700 महंगाई राहत कैंप लगाए हैं, जिनमें राजस्थान के 1 करोड़ 41 लाख से ज्यादा परिवार लाभान्वित हो चुके हैं। सरकार की ओर से 6 करोड़ 37 लाख से ज्यादा गारंटी कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। इन 10 योजनाओं में कई योजनाएं ऐसी है, जिनका लाभ प्रदेश के हर परिवार को मिल रहा है। आइए जानते हैं इन योजनाओं के बारे में जो सरकार के रिपीट होने का आधार बन सकती हैं।

बिजली के बिल हर महीने लोगों को डराते हैं। महंगाई के दौर में राज्य सरकार ने हर परिवार को बिजली के बिल में बड़ी राहत दे दी है। प्रदेश के हर परिवार को 100 यूनिट मुफ्त बिजली दिए जाने का ऐलान किया जा चुका है। 200 यूनिट तक बिजली उपभोग करने वालों को भी 100 यूनिट मुफ्त बिजली के साथ स्थायी शुल्क, फ्यूल सरचार्ज सहित अन्य सभी तरह के शुल्क माफ होंगे। इस योजना का लाभ हर उपभोक्ता को मिलेगा। योजना का लाभ लेने के लिए महंगाई राहत कैंप में जाकर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।इस योजना के तहत राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के हर परिवार को मुफ्त इलाज की गारंटी दी गई है। सरकारी अस्पतालों में तो इलाज फ्री है ही, साथ ही निजी अस्पतालों में भी 25 लाख रुपए तक के इलाज का भुगतान सरकार वहन करेगी। इसके लिए परिवार की मुखिया महिला के जनाधार कार्ड को आधार बनाया गया है। इस जनाधार में जुड़े सदस्यों के इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी। सरकार की इस योजना का लाभ प्रदेश के हर परिवार को मिल रहा है। चिरंजीवी दुर्घटना बीमा योजना का लाभ भी हर परिवार को दिया जा रहा है। इसमें अगर हादसे में किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है तो राज्य सरकार की ओर से 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान हैं।

राज्य सरकार की ओर से बुजुर्गों, विधवाओं, निशक्तजनों, एकल नारी सहित कई अलग अलग श्रेणियों में 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन दी जा रही है। पहले 500 रुपए प्रति माह पेंशन दी जाती थी, जिसे बाद में 500 से बढ़ाकर 750 कर दिया था। अब राज्य सरकार ने हर श्रेणी के पात्र व्यक्ति की न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए प्रतिमाह कर दी है। इस योजना का लाभ भी अधिकतर परिवारों को मिल रहा है। यह योजना भी गहलोत सरकार के रिपीट में बड़ी भूमिका निभा सकती है।

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तेलंगाना में सरकार और राज्यपाल ने स्थापना दिवस समारोह में तमिलिसाई सुंदरराजन को नहीं किया निमंत्रण

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मिली है। हालांकि, दोनों में पहले भी टकराव की खबरें सामने आई है, लेकिन इस बार मुद्दा तेलंगाना स्थापना दिवस समारोह है, जिसमें राज्यपाल को ही नहीं बुलाया गया है।
समारोह में सरकार ने नहीं भेजा निमंत्रण

राजभवन के अनुसार, Telangana Formation Day की पूर्व संध्या पर राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को समारोह के लिए राज्य सरकार से कोई निमंत्रण नहीं दिया गया। अब राज्यपाल राजभवन में तेलंगाना स्थापना दिवस समारोह में भाग लेंगी।
पहले भी कई बार हुआ टकराव

इससे पहले भी राज्यपाल और सरकार में टकराव देखा गया था, जब राज्य सरकार ने राज्यपाल को तेलंगाना सचिवालय के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया था। इसको लेकर हाल ही में राज्यपाल ने नाराजगी भी जताई थी।
राज्यपाल ने विपक्ष पर जताई थी नाराजगी

नई संसद के उद्घाटन का विपक्षी दलों द्वारा विरोध जताने और राष्ट्रपति को इसमें बुलाने की मांग को लेकर तेलंगाना की राज्यपाल ने फटकार लगाई थी। सुंदरराजन ने एक समारोह में कहा था कि विपक्ष के नेता राष्ट्रपति को तो गैर-राजनीतिक व्यक्ति मानते हैं, लेकिन राज्यपाल को ऐसा नहीं मानते।

उन्होंने इसी के साथ केसीआर सरकार द्वारा सचिवालय के उद्घाटन समारोह में उन्हें न बुलाने की भी बात कही।
तेलंगाना की आज हुई थी स्थापना

तेलंगाना की आज ही के दिन 2014 को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापना हुई थी। इससे पहले तेलंगाना आंध्र प्रदेश का हिस्सा था। वैसे तो तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग 1969 में ही उठ गई थी, लेकिन 1972 और 2009 में इसके लिए दो बड़े आंदोलन हुए। इन आंदोलनों के चलते ही तेलंगाना अस्तित्व में आया।

बता दें कि 2009 का आंदोलन काफी बड़े स्तर पर हुआ था और चंद्रशेखर राव (केसीआर) भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। इसके बाद कई सालों तक शांतिपूर्ण विरोध के बाद तेलंगाना के लोगों की मांग मान ली गई ।

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राहुल गांधी ने फिर विदेश में की मोदी सरकार की आलोचना

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अमेरिका -अमेरिका की यात्रा पर पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार विदेश में जाकर मोदी सरकार की आलोचना की। उन्होंने सरकार की नीतियों के अलावा भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस पर कई गंभीर आरोप लगाये। उन्होंने सरकारी एजेंसियों के गलत इस्तेमाल की बात कही और बीजेपी सरकार की दमनकारी नीतियों की आलोचना की। आपको बता दें कि खास बात है कि हाल ही में की गई ब्रिटेन यात्रा के दौरान भी उन्होंने इसी तरह के आरोप लगाए थे।

राहुल गांधी ने देश में अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया और कहा कि आज मुस्लिम हमेशा हमले का खतरा महसूस करते हैं, वैसा ही सिख, बौद्ध और अन्य सभी अल्पसंख्यक लोग महसूस कर रहे होंगे। आपके लिए उसी तरह डर का माहौल बन गया है, जैसा 1980 के दशक में दलितों के लिए था। उन्होंने भारत में राजनीति करने को बेहद मुश्किल बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने उनकी भारत जोड़ो यात्रा को रोकने की कोशिश की थी और पार्टी के खिलाफ पुलिस और एजेंसियों का इस्तेमाल किया।एक हफ्ते के लिए यूएस टूर पर गये राहुल गांधी मीडिया, भारतीय अमेरिकी ग्रुप, वॉल स्ट्रीट के अधिकारियों और विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत करने वाले हैं। चार जून को न्यूयॉर्क में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के साथ उनकी यात्रा समाप्त होगी।

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फर्जी गांधी हैं राहुल’ अमेरिका में दिए बयान पर देश का अपमान बीजेपी ने कहा

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अमेरिका दौरे पर दिए बयान को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है। भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी के बयान पर पलटवार किया है। अनुराग ठाकुर ने उनके बयान को देश का अपमान बताया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अमेरिका दौरे पर दिए बयान को लेकर उन पर निशाना साधा है। प्रह्लाद जोशी ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को ‘फर्जी गांधी’ बताया है और कहा कि वह कुछ नहीं जानते हैं, लेकिन हर एक चीज के विशेषज्ञ बन गए हैं। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस नेता के इतिहास का ज्ञान उनके परिवार से आगे नहीं बढ़ पाया है। उन्होंने कहा, ‘यह हास्यास्पद है कि जो कुछ भी नहीं जानता है वह अचानक हर चीज का विशेषज्ञ बन जाता है। एक व्यक्ति जिसका इतिहास ज्ञान अपने परिवार से परे नहीं जाता, वह इतिहास के बारे में बात कर रहा है।’

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कांग्रेस कल करेगी चुनावी राज्यों के नेताओं से मंथनः अपना रही पायलट पर नरम रुख

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सचिन पायलट पर रंधावा के रुख को देखकर कहा जा सकता है कि पार्टी ने पायलट के मामले में सख्त रुख के बजाय नरम रुख अपनाने का फैसला किया है. पार्टी नेताओं ने कहा कि सुलह के लिए बीच का रास्ता निकाले जाने के संकेत मिल रहे हैं।

लगता है कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के प्रति नरमी बरतने का मन बना लिया है. राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयानों का मूल्यांकन किया जाए तो ऐसा ही लगता है. 

हालांकि पायलट ने राज्य सरकार को उनकी तीन मांगें पूरी करने के लिए 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है. ये मांगें हैं : राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग कर उसका पुनर्गठन करना, पेपर लीक के कारण आर्थिक रूप से पीड़ित लाखों छात्रों को मुआवजा देना और वसुंधरा राजे की अगुआई वाली पिछली बीजेपी सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामलों की उच्चस्तरीय जांच कराना. उनका 15 दिन का अल्टीमेटम मई के अंत तक का है. गहलोत सरकार फिलहाल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुई है ।

रंधावा ने गुरुवार को चुनावी साल में कांग्रेस में अंदरूनी कलह को खत्म करने की बात कही. उन्होंने कहा, ‘जिस पार्टी में एक्शन होगा, वहां लड़ाई-झगड़े होंगे. वह पार्टी या घर ही क्या, जहां कुछ नहीं होता.’ जयपुर सर्किट हाउस में उन्होंने कहा, ‘हम लड़ाई को कंट्रोल करेंगे.’

चुनावी रणनीति तय करने के लिए दिल्ली में शुक्रवार को होने वाली कांग्रेस की बैठक में सचिन पायलट के शामिल होने के सवाल पर रंधावा ने कहा, ‘क्या आपको इसमें कोई शक है? क्या ये कांग्रेस पार्टी के नेता नहीं हैं? कल की बैठक में आपको इसका जवाब मिल जाएगा.’

सचिन पायलट के अल्टीमेटम पर रंधावा ने कहा, ‘पायलट ने कांग्रेस को कोई अल्टीमेटम नहीं दिया है. जिन्हें अल्टीमेटम दिया गया है, वह इसका जवाब देंगे. मुझे अभी तक कोई अल्टीमेटम नहीं मिला है. अगर पायलट ने कांग्रेस आलाकमान को अल्टीमेटम दिया होता, तो मैं जवाब देता.’

कांग्रेस ने शुक्रवार को दिल्ली में चुनावी राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नेताओं की बैठक बुलाई है, जिसमें विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. रंधावा ने कहा कि शुक्रवार को एआईसीसी के दफ्तर में चारों राज्यों के पार्टी नेताओं की बैठक होगी. इसमें राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेता व चारों सह प्रभारी भाग लेंगे. उन्होंने दावा किया कि सचिन पायलट इस बैठक में हिस्सा लेंगे.

पायलट पर रंधावा के रुख को देखकर कहा जा सकता है कि पार्टी ने पायलट के मामले में सख्त रुख के बजाय नरम रुख अपनाने का फैसला किया है. पार्टी नेताओं ने कहा कि सुलह के लिए बीच का रास्ता निकाले जाने के संकेत मिल रहे हैं.

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नई संसद के बह‍िष्‍कार को लेकर वि‍पक्ष ने कहा अबकी बार इतनी सीटें भी नहीं आएगा

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई संसद के बह‍िष्‍कार को लेकर व‍िपक्ष पर जमकर हमला बोला है। अमित शाह ने कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा कि आपके बहिष्कार से कुछ नहीं होगा और देश की जनता का आशीर्वाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जो कर रही है, उसे देश की 130 करोड़ जनता देख रही है और अगले चुनाव में जनता इसका जवाब देंगी।

शाह ने कहा क‍ि जिस असम में महिनों तक कर्फ्यू रहता था गोलीबारी होती थी उस असम में पीएम मोदी ने विकास का एक नया युग शुरु किया। शाह ने कहा एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरी ये बताता है कि असम के लोग आज शांति और विकास चाहते हैं।

शाह ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ सहयोग नहीं करने को जनता के जनादेश का अपमान बताते हुए कांग्रेस का साथ देने वाले विपक्षी दलों को भी चेताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर रास्ते पर चलोगे तो कांग्रेस जैसी ही स्थिति होगी।गृह मंत्री शाह गुवाहाटी में 44,703 युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में बोल रहे थे। 

नए संसद भवन का बहिष्कार करने वाली कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर गृहमंत्री अमित शाह ने तीखा हमला बोला। शाह ने विपक्ष के बहिष्कार को दो-तिहाई बहुमत से दो-दो बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने वाली जनता के जनादेश का अपमान बताया। कांग्रेस के साथ बहिष्कार में शामिल होने वाली पार्टियों को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि जनमत का सम्मान नहीं करने के कारण जो हाल कांग्रेस का हुआ है, वैसा ही हाल ही उनका भी होगा।

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सत्येंद्र जैन की सेहत को लेकर टेंशन में केजरीवाल

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नई दिल्ली । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को सत्येंद्र जैन के स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त की और आप नेताओं को निशाना बनाने के लिए केंद्र सरकार पर हमला बोला. जेल में बंद पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को तिहाड़ जेल के वॉशरूम में फिसल जाने के बाद दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया.केजरीवाल ने ट्वीट में कहा, जो इंसान जनता को अच्छा इलाज और अच्छी सेहत देने के लिए दिन-रात काम कर रहा था, आज उस भले इंसान को एक तानाशाह मारने पर तुला है. उस तानाशाह की एक ही सोच है – सबको खत्म कर देने की, वो सिर्फ मैं में ही जीता है. वो सिर्फ खुद को ही देखना चाहता है. भगवान सब देख रहे हैं, वो सबके साथ न्याय करेंगे. ईश्वर से सत्येंद्र जी के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं. भगवान उन्हें इन विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति दें. बता दें कि सत्येंद्र जैन को गुरुवार सुबह अस्पताल में भर्ती कराया गया. सत्येंद्र जैन बीते कई महीनों से दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं. गौरतलब है कि गुरुवार को तिहाड़ जेल के ही बाथरूम में चक्कर आने के बाद सत्येंद्र जैन फर्श पर गिर गए. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है।

जेल के एक अधिकारी के अनुसार, गुरुवार सुबह 6 बजे वह बाथरूम में गिर गए, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. कमजोरी के कारण उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है. डॉक्टरों ने उनकी जांच की. जेल अधिकारियों ने कहा, डॉक्टरों ने उन्हें आगे डीडीयू अस्पताल रेफर किया. उन्होंने पीठ, बाएं पैर और कंधे में दर्द की शिकायत की है।

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वर्कर्स से बोले 135 सीटें जीतने के बाद भी खुश नहीं हैं : शिवकुमार

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बेंगलुरु में पार्टी कैडर को संबोधित करते हुए कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि ‘विधानसभा चुनाव में हमें 135+ सीटें मिलीं, लेकिन मैं खुश नहीं हूं, मेरे या सिद्धारमैया के घर मत आना. हमारा अगला लक्ष्य लोकसभा चुनाव है और हमें अच्छी तरह से लड़ना चाहिए.’ कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में शिवकुमार की अगुवाई में पार्टी ने 10 मई को हुए चुनावों में 224 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस ने 135 सीटों पर शानदार जीत हासिल की. इस जीत का श्रेय काफी हद तक शिवकुमार को दिया जा रहा है.

इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बेंगलुरु में केपीसीसी कार्यालय में पूर्व पीएम राजीव गांधी को उनकी 32वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि पीएम मोदी आतंकवाद की बात करते हैं, बीजेपी से किसी ने भी आतंकवाद के कारण अपनी जान नहीं गंवाई है. बीजेपी कहती रहती है कि हम आतंकवाद का समर्थन करते हैं लेकिन इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे कई कांग्रेस नेता आतंकी हमलों में मारे गए.

शिवकुमार को कांग्रेस के संकटमोचक के रूप में जाना जाता है. 61 वर्षीय आठ बार के विधायक शिवकुमार के संगठन कौशल ने उन्हें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की नजरों में काफी ऊंची जगह दिला दी है. विशेष रूप से हाल के बड़े-दांव वाले कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत ने उनको पूरी प्रशंसा दिलाई है. शिवकुमार की अगुवाई में कांग्रेस ने बड़े जोश से चुनावी लड़ाई लड़ी. इसके बावजूद उनको उपमुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा. कांग्रेस ने शिवकुमार पर कई बार भरोसा किया. जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख विश्वास मत का सामना कर रहे थे या अहमद पटेल गुजरात में राज्यसभा चुनाव लड़ रहे थे, तो पार्टी के विधायकों को एकजुट रखने में कांग्रेस ने शिवकुमार की मदद ली थी. कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार के लिए एक मजबूत वोक्कालिगा चेहरा शिवकुमार पर भरोसा कर रही है.

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नए संसद भवन के उद्घाटन पर 6 दलों ने किया ऐलान बायकॉट

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नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है. उसने इस कार्यक्रम का संयुक्त रूप से बहिष्कार कर दिया है. उन्होंन बिल्डिंग का उद्घाटन पीएम से करवाने पर बीजेपी को घेर लिया है. वह इसे राष्ट्रपति का अपमान बता रहे हैं. वहीं उन्होंने उद्घाटन की तारीख पर भी सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि इस दिन सावरकर की जयंती है. देश के नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भवन का उद्घाटन करेंगे लेकिन अब इस खूबसूरत बिल्डिंग को लेकर देश में सियासत छिड़ गई है. वे पीएम मोदी की आलोचना कर रहे हैं. विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. आइए सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं कि कैसे यह समारोह राजनीति का मुद्दा बन गया.

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क़ानून मंत्रालय से बाहर किए जाने के बाद विपक्ष ने रिजिजू को असफल क़ानून मंत्री क़रार दिया

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नई दिल्ली । केंद्रीय कानून मंत्री के पद से हटाए जाने के बाद कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के विभिन्न नेताओं किरेन रिजिजू पर कटाक्ष किया है. रि​जिजू को बीते बृहस्पतिवार (18 मई) को कानून मंत्रालय से ​पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में ट्रांसफर कर दिया गया.केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में इस फेरबदल के विपक्षी नेताओं ने रिजिजू को एक ‘विफल कानून मंत्री’ करार दिया है मोदी मंत्रिमंडल में अचानक किए गए बदलाव के बाद रिजिजू का स्थान अर्जुन राम मेघवाल [राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)] ने ले लिया. बीते बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति भवन से एक संक्षिप्त विज्ञप्ति में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर केंद्रीय मंत्रिपरिषद में मंत्रियों के बीच विभागों का पुनर्आवंटन किया है.

इसमें कहा गया, ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का पोर्टफोलियो किरेन रिजिजू को सौंपा जाए.’-कानून मंत्रालय से हटाए जाने के बाद रि​जिजू ने एक ​ट्वीट में कहा, ‘विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में नई जिम्मेदारी मिलने पर मेरे सहयोगी अर्जुन राम मेघवाल जी को शुभकामनाएं! मुझे पूर्ण विश्वास है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में वह आम नागरिकों को बेहतर न्याय दिलाने की दिशा में समर्पित रूप से काम करेंगे.’

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