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एक भारत उत्कृष्ट भारत

इतना पुराना है ग्वालियर शहर का इतिहास

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डिजिटल भारत I ग्वालियर का दुर्ग इतिहास के सैकड़ों-हजारों पन्नों को अपने आप में समेटे हुए है। कदम-कदम पर नजर आने वाले स्थलों में शामिल मानसिंह पैलेस तोमर राजवंश की कहानी बयां करता है। इस पैलेस का निर्माण 15वीं शताब्दी में राजा मानसिंह तोमर ने कराया था। गुजरे हुए इतिहास के अनुसार राजवंशों के बाद मानसिंह पैलेस पर राजपूतों का राज रहा। इनके बाद मुगल और फिर मराठाओं ने शासन किया। ब्रिटिश हुकूमत खत्म होने के बाद मानसिंह पैलेस की बागडोर सिंधिया राज परिवार ने संभाली। ग्वालियर दुर्ग घूमने के लिए पहुंचने वाले विदेशी सैलानियों के बीच मानसिंह पैलेस आकर्षण का केंद्र रहता है। बताया जाता है इस पैलेस पर की गई कारीगरी मनमोह लेती है। इसे देखने पर जहन में कई सवाल दौड़ने लगते हैं। हर सैलानी राजा रजवाड़ों के शासन की कल्पना करने लगता है। इतिहासकार बताते हैं कि ग्वालियर का दुर्ग उथल-पुथल भरे युग का गवाह रहा है।
अली बाबा और चालीस चोर नाम की एक कहानी आपने सुनी होगी. जिसमें अली बाबा नाम के एक गरीब लकड़हारे को चोरों का खज़ाना हासिल हो जाता है. कहानी में एक ख़ुफ़िया खज़ाना था, जिसके दरवाज़ों को खोलने के लिए एक पासवर्ड बोलना पड़ता था, ‘खुल जा सिमसिम’. कहानी के एक हिस्से में अली बाबा का एक दोस्त उसके ख़ज़ाने को चुराने की कोशिश करता है. लेकिन पासवर्ड पता न होने के कारण वो तहखाने के अंदर ही बंद रह जाता है, और चोर उसे मार डालते हैं. आज ऐसी ही एक और कहानी से आपको रूबरू करवाते हैं. जिसमें तहखाना भी है, तहखाने का कोड भी और मौत भी. सिर्फ इतना अंतर है कि ये कहानी असली है. और भारत में घटी थी.

अखबर के काल में ग्वालियर किले का उपयोग जेल के रूप में भी होता था। यह अखबर ही थे, जिन्होंने 1858 में इस किले को एक जेल में बदल दिया था। कई शाही लोगों को यहां कैद किया गया था। अखबर के चचेरे भाई को यहां कैद करके रखा गया था, वहीं उनके भतीजों को भी किले में मार दिया गया था।
किले की रक्षात्मक संरचना-
आपको जानकर हैरत होगी कि इस किले की संरचना रक्षात्मक है। कहने का मतलब ये है कि किला इतना मजबूत है कि अगर कोई किले पर अटैक करने की कोशिश करता है, तो किला गिरेगा नहीं, बल्कि सीधा खड़ा रहेगा।
किले के अंदर एक मंदिर है, जिसे सास बहू मंदिर के नाम से जाना जाता है। 9वीं शताब्दी में शाही सास और बहू के बीच विवाद हुआ कि किस देवता की पूजा करनी चाहिए। इस प्रकार उन्हें संतुष्ट करने के लिए यह अनेाखा मंदिर बनाया गया, जिसमें भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा की जाती है।

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उप निर्वाचन आयुक्त ने वीसी लेकर मतगणना की तैयारियों की समीक्षा ली

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डिजिटल भारत I उप निर्वाचन आयुक्त, भारत निर्वाचन आयोग अजय भादू ने बुधवार को लोकसभा निर्वाचन 2024 की मतगणना की तैयारियों के संबंध में प्रदेश के सभी अधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग से चर्चा कर व्यवस्थाओं की समीक्षा की। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने एनआईसी इंदौर से इस वीसी से जुड़कर प्रदेश के सभी लोकसभा संसदीय क्षेत्रों में मतगणना के लिये की गई तैयारियों एवं किये गये प्रबंधों की जानकारी दी। जबलपुर सहित प्रदेश के सभी 29 लोकसभा संसदीय क्षेत्रों के रिटर्निंग अधिकारी तथा कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी वीसी में वर्चुअली शामिल हुए।
वीसी में उप निर्वाचन आयुक्त भादू ने कहा कि मतगणना कार्य से जुड़ी सभी तैयारियां व जरूरी व्यवस्थाएं शीघ्र दुरूस्त कर ली जायें और बिना किसी बाधा के मतगणना कार्य संपन्न कराएं। मतगणना स्थल पर सभी जरूरी संसाधन एवं व्यवस्थाएँ उपलब्ध रहें। सभी मतगणना कर्मियों को 31 मई तक प्रशिक्षण दे दें। मतगणना स्थल में सिर्फ प्राधिकृत व्यक्तियों को ही प्रवेश की अनुमति दें। उप निर्वाचन आयुक्त ने सभी रिटर्निंग अधिकारियों तथा कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारियों व पुलिस अधिकारियों से चर्चा कर मतगणना की अब तक की तैयारियों का फीडबैक लिया और उन्हें स्मूथ काउंटिंग कराने के निर्देश दिये।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राजन ने सभी जिलों में मंगलवार, 4 जून को होने वाली मतगणना को लेकर की जा रही तैयारियों के बारे में उप निर्वाचन आयुक्त को विस्तार से जानकारी दी। राजन ने बताया कि सभी रिटर्निंग अधिकारियों तथा जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा पुलिस प्रशासन से बेहतर समन्वय स्थापित कर मतगणना की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। प्रथम चरण का काउंटिंग रेण्डमाईजेशन भी पूरा हो गया है। सभी जिलों में मतगणना कर्मियों की फाईनल ट्रेनिंग 31 मई तक पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने बताया कि मतगणना के संबंध में भारत निर्वाचन आयोग के सभी दिशा-निर्देशों एवं प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। सभी मतगणना स्थलों पर त्रि-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। सुचारू व निर्बाध मतगणना के लिये पर्याप्त टेबल्स गणनाकर्मी, माईक्रो ऑर्ब्जवर्स और अन्य जरूरी संसाधनों की व्यवस्था पूर्ण कर ली गई है। ऐसी व्यवस्थायें की जा रही है कि मतगणना के परिणाम शीघ्र आयें। उन्होंने बताया कि 4 जून को पोस्टल बैलेट की गिनती रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा मतगणना स्थल पर ही एक अलग कक्ष में की जायेगी।वीसी में अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राजेश कौल, पुलिस महानिरीक्षक तथा राज्य पुलिस नोडल अधिकारी अंशुमन सिंह, संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बसंत कुर्रे व तरूण राठी एवं अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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जाने कितने प्रकार के होते है आम, ये है सबसे मेहगा

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डिजिटल भारत l गर्मी का मौसम चल रहा है, ऐसे में अब आपने भी मौसमी फलों का सेवन शुरू कर दिया होगा। वहीं, जब भी फलों के राजा की बात होती है, तो आम का जिक्र होता है। इसमें भी आम की 14,00 प्रजातियां हैं। इसके अलावा कई जंगली प्रजातियां भी हैं। हालांकि, क्या आपको दुनिया के सबसे महंगे आम के बारे में पता है। खास बात यह है कि यह आम अब भारत में भी मौजूद है, जिसका दाम 3 लाख रुपये किलों तक चला जाता है।

उत्तर भारत समेत विभिन्न राज्य इस समय भीषण गर्मी झेल रहे हैं। ऐसे में लोग गर्मी से बचने के लिए ठंडी तासीर वाले फलों का सेवन कर रहे हैं, जिसमें खरबूज और तरबूज समेत अन्य फल शामिल हैं। वहीं, जब भी बात फलों के राजा की होती है, तो उसमें आम का नाम लिया जाता है। आम की प्रजातियों की बात करें, तो वे 1400 हैं, लेकिन हमें केवल कुछ ही प्रजातियों के बारे में जानकारी है, जिसमें लंगड़ा, चौसा, दशहरी और अल्फांसो शामिल है।
स्वादिष्ट होने के अलावा, आम कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करते हैं। वे विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली (Defence system) को बढ़ाता है, और आहार फाइबर में उच्च होता है, पाचन में सहायता करता है और कब्ज को भी रोकता है।
अल्फांसो आम
अल्फांसो आम, जिसे हापुस के नाम से भी जाना जाता है, इसे आमों का राजा माना जाता है। वे अपने मलाईदार बनावट, मीठे स्वाद और सुर्ख नारंगी रंग के लिए जाने जाते हैं। अल्फांसो आम मुख्य रूप से भारत के महाराष्ट्र के रत्नागिरी और देवगढ़ क्षेत्रों में उगाए जाते हैं। उनकी उच्च मांग और सीमित खेती उन्हें आम की सबसे महंगी किस्मों में से एक बनाती है।

ये आम मध्यम आकार के सुनहरे-पीले छिलके वाले होते हैं, जो कभी-कभी लाल रंग के हो सकते हैं। अल्फांसो आम का गूदा गहरा नारंगी, दृढ़ और रेशे रहित होता है, जो इसे अविश्वसनीय रूप से चिकना और रसदार बनाता है। अल्फांसो आम की सीमित मौसमी उपलब्धता होती है, आमतौर पर अप्रैल और जून के बीच पाए जाते हैं।

2. ताइयो नो तमागो आम
जापान के मियाजाकी प्रान्त में उगाए गए, ताइयो नो तमागो आमों को उनके असाधारण स्वाद के लिए जाना जाता है। यह अपने जीवंत रंग, स्वादिष्ट स्वाद और अनूठी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। इस फल ने अपने असाधारण स्वाद, सौंदर्य और मनमोहक सुगंध के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है। स्वाद, बनावट और सीमित आपूर्ति का अनूठा संयोजन इनकी उच्च कीमत का कारण है।

. सेकाई-इची मैंगो
सेकाई-इची का मतलब जापानी में “दुनिया का नंबर एक” है, और ये आम अपने नाम पर खरा उतरते हैं। जापान के मियाजाकी में उगाए जाने वाले सेकाई-इची आमों की सावधानी से खेती की जाती है और जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उन्हें अलग-अलग सुरक्षात्मक थैलियों में लपेटा जाता है। ये
5. बॉम्बे ग्रीन मैंगो
बॉम्बे ग्रीन मैंगो, जिसे हिंदी में “कैरी” के रूप में भी जाना जाता है, भारत में आमतौर पर पाए जाने वाले कच्चे आम की एक किस्म है। यह अपने तीखे और खट्टे स्वाद और सुगंध के लिए लोकप्रिय है, जिससे वे अत्यधिक मूल्यवान और मांग में हैं।

मध्य प्रदेश हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के ज्वाइंट डायरेक्टर आर एस कटारा ने बताया कि कि इन आमों के पेड़ों को देखा है। इस पर लगने वाले आम भारत में दुलर्भ हैं। उन्होंने कहा कि ये आम महंगे इसलिए हैं, क्योंकि इनका उत्पादन बहुत कम होता है। इनका स्वाद बहुत टेस्टी होता है। यह दूसरे आमों से अलग हैं। दूसरे देशों में लोग इन्हें गिफ्ट के तौर पर देते हैं।

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क्या मोदी कर रहे चाइना से अपने संबंध मधुर बनाने के प्रयास ?

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डिजिटल भारत I प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ सीमा विवाद को हल करने की जरूरत बताई है, जो कि बिल्कुल सही रुख है। दोनों देश पड़ोसी होने के साथ ही दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और ग्रोथ इंजन हैं। इसलिए किसी भी तरह के टकराव से दोनों का ही नुकसान है। ऐसे में पीएम मोदी का यह कहना सही है कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए भारत-चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध अहम हैं।

अड़ियल चीन
भारत का यह स्टैंड ऐसे समय सामने आया है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर एक बार फिर से अड़ियल रवैया अपनाया है। वह पहले भी अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा में कई जगहों के नाम बदल चुका है। चीन इस इलाके पर अपना दावा ठोकता रहा है और इस राज्य को जंगनान बुलाता है
जिम्मेदारी चीन पर
हालांकि, बेहतर यही होगा कि चीन, भारत में शीर्ष स्तर से की गई इस पहल को स्वीकार कर ले और बातचीत के जरिए आपसी विवाद को सुलझाए। भारत के साथ किसी भी तरह का विवाद दोनों ही देशों के लिए ठीक नहीं होगा। वहीं, अगर दोनों के बीच शांतिपूर्ण संबंध बनते हैं तो उनकी तरक्की का मार्ग प्रशस्त होगा।
चीन ने पीएम मोदी के बयान पर क्‍या-क्‍या कहा?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ ने कहा कि सीमा से जुड़ा सवाल भारत-चीन संबंधों की संपूर्णता का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और इसे द्विपक्षीय संबंधों में उचित रूप से रखा जाना चाहिए और ठीक से प्रबंधित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देश राजनयिक और सैन्य माध्यमों से करीबी संपर्क में हैं। माओ निंग ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारत समान दिशा में चीन के साथ काम करेगा, द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक ऊंचाइयों और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य के लिहाज से संभालेगा, आपसी विश्वास बढ़ाएगा, बातचीत और सहयोग पर कायम रहेगा, मतभेदों को ठीक से संभालेगा और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत और स्थिर बनाने की राह पर चलेगा।’
भारत-चीन सीमा विवाद
इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि चीन और भारत को जल्द से जल्द लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी का मसला सुलझा लेना चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लिए चीन के साथ संबंध महत्वपूर्ण हैं और इसलिए दोनों को लंबे वक्त से चल रही इस स्थिति को जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​है कि अपनी सीमाओं पर लंबे समय से चल रही स्थिति को हमें तुरंत सुलझाने की ज़रूरत है ताकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय चर्चा में मुश्किल स्थिति को पीछे छोड़ा जा सके.”
उन्होंने कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर होने वाली बातचीत का ज़िक्र किया.
पीएम मोदी ने कहा, “दोनों मुल्कों के बीच स्थायी और शांतिपूर्ण रिश्ते ना केवल हम दोनों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं. मुझे उम्मीद है कि सकारात्मक द्विपक्षीय बातचीत से हम सीमा पर शांति बहाल करने में सक्षम होंगे.”
विपक्ष ने कई बार ये आरोप लगाया है कि भारत की ज़मीन पर चीनी सेना कब्ज़ा कर रही है.
2020 में गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की जान गई थी.
तब पीएम मोदी ने कहा था- ना कोई हमारे क्षेत्र में घुसा है और ना किसी पोस्ट पर क़ब्ज़ा किया है.
भारत और चीन के बीच रिश्तों पर क्या बोले?
पीएम मोदी ने कहा कि एक लोकतांत्रिक राजनीति और वैश्विक आर्थिक विकास के इंजन के रूप में भारत उन लोगों के लिए स्वाभाविक पसंद है जो अपने सप्लाई चेन में विविधता देखना चाहते हैं
मोदी ने अर्थव्यवस्था से जुड़े अपनी सरकार के फ़ैसलों को परिवर्तन लाने वाले सुधार कहा.
उन्होंने कहा कि सरकार जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर), कॉर्पोरेट कर में कटौती, एफ़डीआई के नियमों में रियायत और लेबर क़ानूनों में सुधार लाई है.
उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​है कि वैश्विक आबादी के छठे हिस्से वाला मुल्क जब इन क्षेत्रों में वैश्विक मानदंडों को अपनाएगा, तो इसका पूरी दुनिया पर सकारात्मक असर पड़ेगा.”
मोदी ने कहा, “हमारी मज़बूती देखते हुए वैश्विक स्तर पर अब ये माना जाने लगा है कि भारत प्रतियोगी दरों पर विश्व स्तरीय सामान बना सकता है. हम दुनिया के लिए तो उत्पादन कर ही रहे हैं, हमारा अपना विशाल और आकर्षक घरेलू बाज़ार भी है. भारत उन लोगों के लिए आदर्श जगह है जो विश्वसनीय और लचीली सप्लाई चेन बनाना चाहते हैं.”
पाकिस्तान से जुड़े सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, “मैं पाकिस्तान के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करूंगा.”
मीडिया की आज़ादी पर क्या कहा
पीएम मोदी ने लोकतंत्र और मीडिया की आज़ादी पर कहा, “भारत एक लोकतंत्र इसलिए नहीं है क्योंकि ये उसके संविधान में है बल्कि इसलिए है क्योंकि ये हमारे जीन में है.”
उन्होंने कहा कि मतदाताओं की लगातार बढ़ती भागीदारी इस बात का सबूत है कि लोगों को भारतीय लोकतंत्र पर भरोसा है.
उन्होंने मीडिया की तरफ इशारा करते हुए कहा कि भारत जैसा एक विशाल लोकतंत्र इसलिए आगे बढ़ पा रहा है क्योंकि यहां एक जीवंत फीडबैक सिस्टम है.
उन्होंने कहा, “हमारा मीडिया इस संबंध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भारत में क़रीब डेढ़ लाख मीडिया पब्लिकेशन्स हैं और सौ के आसपास न्यूज़ चैनल हैं.”
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि भारत और पश्चिम में कुछ लोग ऐसे हैं जिनका भारत के लोगों के साथ जुड़ाव टूट चुका है.

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कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार द्वारा चीन व भारत चुनावों में हस्तक्षेप का आरोप

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डिजिटल भारत I कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने चीन पर चुनावों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। दरअसल, कनाडा के खुफिया विभाग सीएसआईएस ने चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप को लेकर एक दस्तावेज तैयार किया है। इसमें उसने दावा किया है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) ने 2019 और 2021 के आम चुनावों में हस्तक्षेप किया है। सीएसआईएस ने इस बाबत प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भी जानकारी दी है। गौरतलब है कि कनाडा ने हाल ही में भारत पर भी आरोप लगाए थे कि हिंदुस्तान ने भी पिछले दो चुनावों में हस्तक्षेप किया है। हालांकि भारत ने उसके इन आरोपों को खारिज किया है।
भारत पर भी लगा चुका है आरोप
दोनों चुनावों में जस्टिन ट्रूडो की पार्टी को जीत मिली
गौरतलब है कि इन दोनों चुनावों में जस्टिन ट्रूडो की पार्टी को जीत मिली थी। दस्तावेज में आगे आरोप लगाया गया कि कई राजनीतिक दल शामिल थे और कम से कम 11 उम्मीदवारों और 13 स्टाफ सदस्यों को चीनी सरकार द्वारा विदेशी हस्तक्षेप में फंसाया गया था। इस बीच, जांच में पहले पेश किए गए एक अन्य सीएसआईएस दस्तावेज में सात लिबरल उम्मीदवारों और कनाडा की कंजर्वेटिव पार्टी के चार उम्मीदवारों का उल्लेख किया गया था।
China कंजरवेटिव पार्टी के खिलाफ क्यों?
कनाडा की विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी को आमतौर पर सत्ताधारी लिबरल पार्टी की तुलना में चीन को लेकर अधिक सख्त माना जाता है. कंजरवेटिव पार्टी ने 2021 के चुनाव में सार्वजनिक तौर पर चीन की आलोचना की थी. पार्टी ने चीन में उइगर मुस्लिमों की स्थिति को लेकर भी चीन को खूब सुनाया था. साथ ही पार्टी ने ये चुनाव जीतने पर चीनी कंपनी Huawei को कनाडा में 5G नेटवर्क से प्रतिबंधित करने का वादा भी किया था.
इससे पहले, सीएसआईएस ने भारत पर भी हस्तक्षेप के आरोप लगाया था। कनाडाई खुफिया विभाग ने कहा था कि कनाडा में भारत सरकार का एक सरकारी प्रॉक्सी एजेंट था, जिसका चुनावों में हस्तेक्षप करने का इरादा था। 2021 में भारत सरकार ने छोटे जिलों में हस्तेक्षप करने की कोशिश की थी। भारत को लगता था कि कनाडाई चुनाव का एक हिस्सा खालिस्तानी आंदोलन और पाकिस्तान समर्थक राजनीति से जुड़ा हुआ है। दस्तावेज के अनुसार, खुफिया जानकारी के अनुसार, प्रॉक्सी एजेंट ने भारत समर्थक उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में दखल दिया जा सके।

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ये फसल है चांदी से भी महंगी जाने कैसे और कहा हो सकती है इसकी खेती

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डिजिटल भारत I भारत में हर उस जगह पर वनीला की खेती हो सकती है, जहां का तापमान सामान्य रहता हो. इसके साथ ही इसकी खेती छायादार जगहों पर भी हो सकती है. वनीला की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं
जानें वनीला की खासियत
भारत में ज्यादातर किसानों को अभी ये नहीं पता होगा कि वनीला कैसा होता है. दरअसल, ये बाहर की फसल है और भारत में इसकी खेती बहुत कम होती है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है. वनीला एक पौधा होता है, जिसमें बीन्स के जैसे फल होते हैं, वहीं इसके फूल कैप्सूल जैसे होते हैं. वनीला के फूलों की खुशबू काफी शानदार होती है, उन्हीं के सूख जाने के बाद उसका पाउडर बनाया जाता है और फिर इसे बाजार में ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है. वनीला में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, वहीं इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं. कहा जाता है कि इसके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की शक्ति होती है और यह बेहद फायदेमंद होता है.
फसल की बात की है तो आपके जेहन में गेंहू, चना, सोयाबीन या फिर किसी दाल का नाम आया होगा जो आमतौर पर चांदी से बहुत सस्ती है, लेकिन इस दुनिया में एक ऐसी फसल है जो चांदी जितनी महंगी है और बाजार में खूब उपयोग की जाती है। ये फसल कौन सी है आइए आपको इसके बारे में बताते हैं:
जिस फसल की बात हम कर रहे हैं उसका नाम वनीला है जिसका उपयोग आइसक्रीम में फ्लेवर के रूप में किया जाता है। वनील की कीमत लगातार बढ़ रही है। ब्रिटेन के मार्केट में इसकी कीमत ६०० डॉलर प्रति किलो हैं तो भारतीय मुद्रा में एक किलो वनीला खरीदने के लिए आपको ४२ हजार रुपए खर्च करने होंगे। ब्रिटेन के स्नगबरी आइसक्रीम कंपनी हर हफ्ते पांच टन आइसक्रीम बनाती है। उनके 40 फ्लेवर्स में एक तिहाई में किसी न किसी तरह से वनीला का इस्तेमाल होता है। गत सालों की बात करें तो ये कम्पनी वनीला जिस कीमत पर खरीद रही थी, आज वे तीस गुना से भी ज्यादा कीमत चुका रहे हैं।
मुश्किल होती है वनीला की खेती
वनीला की खेती एक मुश्किल काम है। वनीला से इसका अर्क निकाला जाता है। यही वजह है कि केसर के बाद ये दुनिया की दूसरी सबसे महंगी फसल है। मैडागास्कर के अलावा पपुआ न्यू गिनी, भारत और यूगांडा में इसकी खेती होती है। दुनिया भर में इसकी मांग है। अमेरीका अपनी बड़ी आइसक्रीम इंडस्ट्री की वजह से काफी वनीला खपत करता है। न केवल आइसक्रीम, बल्कि वनीला का इस्तेमाल मिठाइयों और शराब से लेकर परफ्यूम तक में होता है।
अगर आप खेती में ज्यादा लाभ कमाना चाहते हैं तो वनीला आपके लिए सबसे बेहतरीन विकल्प है। आप वनीला की खेती करके मोटी कमाई कर सकते हैं। वनीला को फल की कई देशों में खूब मांग है। भारतीय मसाला बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में जितनी भी आइस्क्रीम बनती है, उसमें से 40 प्रतिशत वनीला फ्लेवर की होती हैं। वनीला की मांग भारत की तुलना में विदेशों में ज्यादा है। ऐसे में माल विदेश भेजने पर बड़ा मुनाफा होता है। दुनिया का 75 प्रतिशत वनीला मैडागास्कर में ही पैदा होता है। भारत में इसकी कीमतों में उछाल होता रहता है। हालंकि मूल्य स्तर कितना भी हो वनीला उत्पादक को कभी घाटे का मुंह नही देखना पड़ता। आज हम आपको वनीला की खेती कर ज्यादा कमाई के बारे में बता रहे हैं।
बीज की कीमत
भारत में 1 किलो वनीला खरीदने पर आपको 40 हजार रुपए तक देना पड़ सकता है। ब्रिटेन के बाजारों में इसकी कीमत 600 डॉलर प्रति किलो तक पहुंच गया है। मसाला बोर्ड की माने तो वनीला आर्किड परिवार का एक सदस्य है। यह एक बेल पौधा है जिसका तना लंबा और बेलनकार होता है। इसके फल सुगंधित और कैप्सूल के आकार के होते हैं। फूल सूख जाने पर खुशबूदार हो जाते हैं और एक फल से ढेरों बीज मिलते हैं।
नॉर्थ-ईस्ट में वनीला की खेती का अच्छा स्कोप
वहीं, नॉर्थ-ईस्ट में वनीला की खेती का अच्छा स्कोप है, क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुकूल है. भारतीय वनिला की विदेशी बाजारों में मांग काफी अधिक है. क्योंकि यह यहां जैविक रूप से इसकी खेती की जाती है.
इस बीच, मंदी के मद्देनजर विदेशी बाजारों में स्थिर मांग के बीच वनीला की कीमतें स्थिर रहीं.

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सीएम अरविंद केजरीवाल को नैतिकता के कारण पहले ही दे देना चाहिए था इस्तीफा

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डिजिटल भारत l आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता, दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के खिलाफ आज सामूहिक उपवास रखेंगे. बता दें कि दिल्ली शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं.
कुमार महानिदेशक (जेल) के पद पर भी काम किया. कुमार ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उन्हें तिहाड़ जेल में अपने कार्यकाल के दौरान ‘‘अधिकतम संख्या में वीवीआईपी के ध्यान रखने” का मौका मिला था.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अधिकतम संख्या में वीवीआईपी का ध्यान रखने का मौका मिला था. उस समय राष्ट्रमंडल खेल घोटाला हुआ था. सुरेश कलमाड़ी, कनिमोइ, ए राजा (2जी स्पेक्ट्रम घोटाला) से लेकर, रिलायंस के लोग, सीडब्ल्यूजी, अमर सिंह, आईएएस अधिकारी, आईपीएस अधिकारी वहां थे.”
हिंदू सेना की याचिका में क्या कहा गया है?

हिंदू सेना ने याचिका में एलजी को यह आदेश जारी करने की मांग की है कि वे केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त करें. इसके साथ ही यह भी तय किया जाए कि दिल्ली की सरकार एलजी के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा चले. याचिका में कहा गया है कि देश के संविधान में ऐसी कोई कल्पना नहीं है कि एक मुख्यमंत्री गिरफ्तारी की स्थिति में न्यायिक या पुलिस हिरासत से सरकार चला सकें.
कुमार की याचिका को न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की अदालत में आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. इस याचिका में कुमार ने कहा है कि दिल्ली के लिए अब रद्द की गई आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया है और वह संविधान के तहत मुख्यमंत्री के कार्यों को करने में ‘अक्षमता’ महसूस कर रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि आप नेता की ‘अनुपलब्धता’ संवैधानिक तंत्र को जटिल बनाती है और वह संविधान के निर्देश के अनुसार जेल से कभी भी मुख्यमंत्री के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं.

नैतिकता के कारण पहले ही दे देना चाहिए था इस्तीफा
याचिका हिंदू सेना के वकील बरुण सिन्हा ने दायर की है, जिसमें कहा गया है, “दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल ने संविधान द्वारा उन पर जताए गए संवैधानिक विश्वास का उल्लंघन किया है. धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत ईडी द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया है.” याचिका में कहा गया है, “इसलिए, संवैधानिक नैतिकता के कारण, उन्हें जांच एजेंसी द्वारा हिरासत में लिए जाने से पहले इस्तीफा दे देना चाहिए था.”

इस याचिका में कहा गया, ‘‘संविधान का अनुच्छेद 239एए(4) उपराज्यपाल को उनके उन कार्यों को करने में सहायता और सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद का प्रावधान करता है जिनके संबंध में विधानसभा के पास कानून बनाने की शक्ति है. उपराज्यपाल को सहायता और सलाह व्यावहारिक रूप से तब तक संभव नहीं है जब तक मुख्यमंत्री संविधान के तहत अपनी सहायता और सलाह देने के लिए स्वतंत्र व्यक्ति उपलब्ध न हो.”

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सीएम मोहन यादव का बड़ा फैसला, ट्रक ड्राइवर से ‘औकात’ पूछने वाले शाजापुर कलेक्टर को हटाया, ऋजु बाफना बनीं नई कलेक्टर

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डिजिटल भारत l मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बड़ा फैसला लेते हुए शाजापुर कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल को हटा दिया है। उनके स्थान पर ऋजु बाफना को शाजापुर का नया कलेक्टर बनाया गया गया है। बता दें कि एक दिन पहले कलेक्टर का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें ट्रक चालकों के साथ बैठक के दौरान वो गुस्से में एक ड्राइवर को डपटते हुए कह रहे थे कि ‘तुम्हारी क्या औकात है।’ ये वीडियो सामने आने के बाद अब राज्य सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए उन्हें हटा दिया है।

शाजापुर कलेक्टर पर गिरी गाज

शाजापुर कलेक्टर को हटाते हुए सीएम डॉ यादव ने कहा कि मंगलवार को शाजापुर में ट्रक ड्राइवर और जिला प्रशासन की बैठक में जिस प्रकार की भाषा बोली गई है, एक अधिकारी को ये भाषा बोलना उचित नहीं है। खासकर ये सरकार गरीबों की सरकार है। मोदी जी के नेतृत्व में हम गरीब उत्थान के लिए काम करते हैं। कोई कितना भी बड़ा अधिकारी हो, हर अधिकारी को सबके काम का सम्मान करना चाहिए और भाव का भी सम्मान करना चाहिए।, मनुष्यता के नाते ये भाषा हमारी सरकार में बर्दाश्त नहीं है।

सीएम ने कहा ‘मुझे पीड़ा हुई’

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं खुद मजदूर परिवार का बेटा हूं और इस तरह की बात कतई स्वीकार्य नहीं है। उन्होने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि आगे अधिकारी इस बात का ध्यान रखेंगे और अगर कोई इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करता है तो उस अधिकारी को मैदान में रहने का अधिकार नहीं है। उन्होने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि अब जो अधिकारी आएंगे वो भाषा का और व्यवहार का ध्यान रखेंगे। सीएम यादव ने कहा कि उन्हें इस बात की बहुत पीड़ा हुई है और वो इसे कभी क्षमा नहीं करेंगे।.

चालकों से चर्चा करने के लिए बुलाई बैठक

गौरतलब है कि बस-ट्रक चालकों की हड़ताल के बीच मंगलवार को शाजापुर कलेक्ट्रेट में हड़ताल के चलते बने हालात से निपटने और वाहन चालकों से चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में एक ड्राइवर ने कहा था कि तीन दिन तक हमारी हड़ताल है, इसके बाद हम कुछ भी करेंगे। इस पर कलेक्टर किशोर कन्याल भड़क गए थे। उन्होंने कहा था कि समझ क्या रखा है? क्या करोगे तुम, तुम्हारी औकात क्या है? ड्राइवर बोला कि हमारी यही तो लड़ाई है कि हमारी कोई औकात नहीं है। हालांकि बाद में ड्राइवर ने माफी मांग ली थी और मामला शांत हो गया था।

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नहीं रहे सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय, 75 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

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डिजिटल भारत l सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार (14 नवंबर) को मुंबई में निधन हो गया। उन्होंने 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। सुब्रत रॉय का मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में इलाज चल रहा था। वह पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सहारा ग्रुप की प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर खबर जारी की है। लंबी बीमारी के बाद निधन
बयान में बताया गया है कि हाइपर टेंशन और डायबिटीज से पैदा हुई मुश्किलों के साथ लंबी लड़ाई के बाद सुब्रत रॉय को कार्डियक अरेस्ट आया और रात 10.30 बजे उनका निधन हो गया. सुब्रत रॉय को सेहत खराब होने के बाद 12 नवंबर को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल और मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था. सुब्रत रॉय ने रिटेल, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग, एविएशन, मीडिया और फाइनेंशियल सर्विसेज के सेक्टर में एक विशाल साम्राज्य खड़ा किया था, लेकिन वो विवादों में भी घिरे रहे. उन्हें अपनी ग्रुप कंपनियों को लेकर कई रेगुलेटरी और कानूनी लड़ाइयों का भी सामना करना पड़ा, जिन पर पोंजी स्कीम चलाने का भी आरोप लगा, हालांकि कंपनी ने हमेशा इन आरोपों से इनकार किया.
सुब्रत रॉय ने अपने साथ उन लाखों ग़रीब और ग्रामीण भारतीयों को जोड़ा, जिनके पास बैंकिंग की सुविधा नहीं थी और इन्हीं के सहारे सहारा ग्रुप खड़ा किया, लेकिन बाज़ार नियामक सेबी ने जब उनके ख़िलाफ़ क़दम उठाए तो दशकों का बनाया हुआ साम्राज्य हिलने लगा. दरअसल, यह मामला सहारा ग्रुप की कंपनियों से जुड़ा था, जिन्होंने रीयल एस्टेट में निवेश के नाम पर तीन करोड़ से ज़्यादा निवेशकों से क़रीब 24 हज़ार करोड़ रुपये जुटाए थे. एक समय ऐसा था जब सुब्रत रॉय के पास एक एयरलाइन, एक फॉर्मूला वन टीम, एक आईपीएल क्रिकेट टीम, लंदन और न्यूयॉर्क में आलीशान होटल थे. उन्होंने अपनी एयरलाइन-एयर सहारा, जेट एयरवेज को बेच दी, जो बाद में ख़ुद भी बंद हो गई. एक समय पर माना जाता था कि सहारा ग्रुप में भारतीय रेलवे के बाद सबसे ज़्यादा लोग काम करते हैं. इन लोगों की संख्या क़रीब 12 लाख बताई जाती थी.

फ़िल्मी सितारों से लेकर सभी राजनीतिक दलों में सुब्रत रॉय के दोस्त थे, लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के ज़्यादा क़रीब माना जाता था. दिसंबर 1993 में जब मुलायम सिंह दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो रॉय के साथ उनके रिश्ते और गहरे हो गए. वे मुलायम सिंह के क़रीबी अमर सिंह भी गहरे दोस्त सहारा का पतन
सुब्रत रॉय को 10 हजार करोड़ रुपये की बकाया राशि न चुकाने पर 4 मार्च 2014 को जेल जाना पड़ा. अदालत ने तब कहा था कि जब तक वे पाँच हज़ार करोड़ रुपये नक़द और पाँच हज़ार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी नहीं देंगे, तब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा. 2013 में सहारा ग्रुप ने सेबी ऑफिस को 127 ट्रक भेजे थे, जिसमें तीन करोड़ से ज्यादा आवेदन फॉर्म और दो करोड़ रिडेम्पशन वाउचर शामिल थे. उन्हें दो साल से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा और 2016 में वे पैरोल पर बाहर आए. प्रॉपर्टी के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फिर से जेल भेज दिया था. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अगर सुब्रत, नवंबर 2020 में 62 हज़ार 600 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करते हैं तो उनकी पैरोल रद्द कर दी जाए. टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा सहारा
साल 2001 से 2013 तक सहारा ग्रुप टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा. सहारा की टीम पुणे वॉरियर्स ने साल 2011 में आईपीएल में एंट्री ली थी. 2013 में सहारा ग्रुप की वित्तीय स्थिति ख़राब होने के बाद यह क़रार ख़त्म कर दिया.

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हर मतदाता दे सकेगा वोट,आयोग ने पहचान के लिए निर्धारित किये बारह वैकल्पिक दस्तावेज

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डिजिटल भारत l विधानसभा चुनाव के लिये शुक्रवार 17 नवंबर को होने वाले मतदान में ऐसे प्रत्येक मतदाता को मत
देने का अधिकार होगा जिसका नाम मतदाता सूची में शामिल है। ऐसे मतदाता जिन्हें फोटो परिचय पत्र जारी किये
गये हैं उन्हें वोट डालने के लिए फोटो परिचय पत्र मतदान केन्द्र ले जाना जरूरी होगा।
लेकिन किन्ही कारणों से फोटो मतदाता पहचान पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाने वाले मतदाताओं के लिये
निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित 12 वैकल्पिक फोटोयुक्त पहचान के दस्तावेजों में से कोई एक वैकल्पिक
दस्‍तावेज प्रस्तुत करना होगा। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार इस बार बीएलओ द्वारा मतदाताओं की सुविधा के
लिये घर-घर वितरित की गई मतदाता सूचना पर्ची को मतदाता की फोटो नहीं होने के कारण पहचान स्थापित करने
के लिये निर्धारित दस्तावेजों में मान्य नहीं किया जायेगा।
आयोग के मुताबिक कोई ऐसे मतदाता जो बीएलओ द्वारा मतदाता सूचना पर्ची के वितरण के दौरान घर
पर मौजूद नहीं थे वो भी अपना वोट डाल सकेंगे। लेकिन ऐसे मतदाता का नाम पीठासीन अधिकारी के पास मौजूद
एएसडी (एबसेंट, शिफ्टेड या डुप्लीकेट) वोटर्स की सूची में शामिल होना चाहिए।
आयोग के निर्देशों के अनुसार मतदान के दिन यदि ऐसा मतदाता मतदान केन्द्र पहुंचता है जिसे
मतदाता सूचना पर्ची प्राप्त नहीं हुई और उसका नाम एएसडी वोटर्स की सूची में शामिल है तो उसे अपना फोटो
मतदाता परिचय पत्र या आयोग द्वारा पहचान साबित करने के लिए निर्धारित किये गये वैकल्पिक दस्तावेज
पीठासीन अधिकारी को बताना होगा । पीठासीन अधिकारी फोटो मतदाता परिचय पत्र अथवा वैकल्पिक दस्तावेज के
आधार पर ऐसे मतदाता की पहचान संबंधी जांच करेगा तथा जांच के बाद ही उसे वोट डालने की अनुमति देगा ।
ऐसे मतदाता को मतदाता रजिस्टर में न केवल हस्ताक्षर करने बल्कि उसके अंगूठे का निशान भी मतदान रजिस्टर
में लिया जायेगा ।
आयोग ने मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए बारह वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेजों को
भी मान्य किया है। लेकिन मतदान केंद्र पर वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेज प्रस्तुत करने की ये अनुमति केवल
उन्हीं मतदाताओं के लिए होगी जो मतदाता फोटो परिचय पत्र नहीं ला सके हैं। मतदाता को इसमें से कोई एक
फोटो पहचान दस्तावेज को मतदान के पहले अपनी पहचान स्थापित करने के लिए मतदान अधिकारियों के समक्ष
प्रस्तुत करना होगा। फोटो मतदाता परिचय पत्र के फोटोग्राफ से मिलान करने पर यदि किसी मतदाता की पहचान
करना संभव नहीं है तो उस स्थिति में भी उस मतदाता को पहचान स्थापित करने के लिये मान्य बारह दस्तावेजों
में से कोई एक दस्तावेज दिखाना होगा।
निर्वाचन आयोग ने जिन फोटो पहचान दस्तावेजों को मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए मान्य
किया है, उनमें आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटो सहित पेंशन
दस्तावेज, केंद्र अथवा राज्य सरकार या सार्वजनिक उपक्रम अथवा सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा कर्मियों को
जारी फोटो सहित सेवा पहचान पत्र, बैंक अथवा डाकघर द्वारा जारी फोटो सहित पासबुक, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के अधीन आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजनाओं के अधीन जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट
कार्ड, सांसद या विधानसभा एवं विधान परिषद के सदस्यों को जारी किये गये आधिकारिक पहचान पत्र तथा भारत
सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा दिव्यांगजनों को जारी यूनिक डिसेबिलिटी आईडी शामिल शामिल हैं।
आयोग ने कहा है कि प्रवासी निर्वाचक जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 20 क के अधीन
पासपोर्ट में दर्ज विवरणों के आधार पर मतदाता सूची में पंजीकृत हुए हैं मतदान केंद्र में उन्हें मूल पासपोर्ट के
आधार पर पहचाना जायेगा किसी अन्य पहचान के दस्तावेज से नहीं।

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