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भारत में मिलावटी(नकली) फलों का व्यापार बढ़ा: स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव

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डिजिटल भारत I भारत में मिलावटी फलों का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है, जिससे जनता के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। मिलावटी फल न केवल खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि वे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि मिलावटी फल कैसे बनाए जाते हैं, इनका व्यापार कैसे किया जाता है, और इन्हें खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं।

मिलावटी फल कैसे बनाए जाते हैं?
मिलावटी फल बनाने की प्रक्रिया में कई तरह के रसायनों और तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।

रंग मिलाना:
कई बार फल को अधिक आकर्षक और ताजगी भरा दिखाने के लिए आर्टिफिशियल रंगों का प्रयोग किया जाता है। इन रंगों में कभी-कभी ऐसे रसायन होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। उदाहरण के लिए, पपीते को पीला और चमकदार बनाने के लिए आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।
रिपेनिंग एजेंट्स (कृत्रिम पकाने वाले पदार्थ):
फलों को जल्दी पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड और एथिलीन गैस का उपयोग किया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड एक औद्योगिक रसायन है जो फलों को तेजी से पकाने में मदद करता है, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
मोम की कोटिंग:
फलों की चमक बढ़ाने और उन्हें ताजगी बनाए रखने के लिए उनके ऊपर मोम की परत चढ़ाई जाती है। यह मोम खाने योग्य नहीं होती और इसे खाने से पेट की समस्याएं हो सकती हैं।
रसायनों का छिड़काव:

फलों को कीड़ों से बचाने और लंबे समय तक ताजगी बनाए रखने के लिए कीटनाशकों और प्रिजर्वेटिव्स का उपयोग किया जाता है। इनमें कई रसायन होते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
मिलावटी फलों का व्यापार कैसे किया जाता है?
मिलावटी फलों का व्यापार करने वाले व्यापारियों के लिए यह एक लाभदायक व्यवसाय है, क्योंकि यह उन्हें अधिक मुनाफा कमाने में मदद करता है।
खरीदारी और स्टॉकिंग:
व्यापारी बड़े पैमाने पर फल खरीदते हैं, जिनमें से कई अधपके होते हैं। इन फलों को स्टोर करने के बाद, उन्हें मिलावटी प्रक्रिया से गुजारा जाता है।
मिलावट की प्रक्रिया:
खरीदे गए फलों पर रंग, मोम, और अन्य रसायनों का छिड़काव किया जाता है। इस प्रक्रिया में फल जल्दी पकते हैं और अधिक आकर्षक दिखते हैं।
बाजार में वितरण:
मिलावटी फल तैयार होने के बाद, इन्हें थोक बाजारों और रिटेल दुकानों में बेचा जाता है। कई बार इन फलों को स्थानीय बाजारों में बेचने के लिए छोटी-छोटी दुकानें लगाई जाती हैं।
खपत और उपभोक्ता:

आकर्षक और ताजगी भरे दिखने वाले ये फल उपभोक्ताओं को आसानी से आकर्षित कर लेते हैं, जो इनकी वास्तविकता से अनजान रहते हैं। इस प्रकार, ये मिलावटी फल बाजार में तेजी से बिकते हैं।
मिलावटी फलों को खाने से क्या नुकसान होते हैं?
मिलावटी फलों का सेवन करने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। इन फलों में इस्तेमाल होने वाले रसायन और प्रिजर्वेटिव्स कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। कुछ प्रमुख नुकसान निम्नलिखित हैं:

कैंसर का खतरा:
कैल्शियम कार्बाइड और अन्य हानिकारक रसायनों के सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ये रसायन शरीर में जाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
अंगों को नुकसान:
मिलावटी फलों में इस्तेमाल होने वाले रसायन लिवर, किडनी और आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह अंगों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और उन्हें स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
प्रजनन क्षमता पर असर: कुछ रसायनों का सेवन करने से प्रजनन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
एलर्जी और त्वचा की समस्याएं:
मिलावटी फलों में इस्तेमाल होने वाले रंग और रसायन त्वचा पर एलर्जी और अन्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। यह त्वचा में खुजली, लालिमा और सूजन का कारण बन सकते हैं।
पाचन समस्याएं: मोम और अन्य रसायनों से कोटेड फलों को खाने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यह पेट दर्द, गैस, उल्टी और दस्त का कारण बन सकते हैं।
हृदय रोग: मिलावटी फलों में उपयोग होने वाले कुछ रसायन हृदय को भी प्रभावित कर सकते हैं। यह रक्तचाप को बढ़ा सकते हैं और हृदय रोगों का खतरा बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष
मिलावटी फलों का व्यापार एक गंभीर समस्या है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। यह आवश्यक है कि उपभोक्ताओं को इस मुद्दे के प्रति जागरूक किया जाए और उन्हें मिलावटी फलों की पहचान करने के तरीके सिखाए जाएं। साथ ही, सरकार और संबंधित अधिकारियों को इस मुद्दे पर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि मिलावटी फलों का व्यापार रोका जा सके और लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
स्वस्थ जीवन के लिए, हमें प्राकृतिक और बिना मिलावट वाले फलों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए फलों को अच्छी तरह से धोना और जितना संभव हो सके स्थानीय और ताजगी भरे फलों का उपयोग करना आवश्यक है। मिलावटी फलों के नुकसान को समझते हुए, हमें अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए।

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गर्मी के कारण हरी सब्जी की आवक में कमी तेजी से बढ़ रहे है रेट

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डिजिटल भारत I तेज धूप और भीषण गर्मी का असर सिर्फ लोगों पर नहीं फसलों पर भी पड़ा है। सब्जी के पौधे सूखने लगे हैं। इससे पैदावार करीब 50 फीसदी कम होने से बाजारों में हरी सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं। महज 15 दिनों में हरी सब्जियों की कीमतें तीन गुना तक महंगी हो गई है। जिले में एक महीने से प्रचंड गर्मी का असर बना हुआ है। पारा लगातार 40 से 44 डिग्री सेल्सियस के ऊपर बना रहा। ऐसे मौसम में न सिर्फ जनजीवन प्रभावित हैं, बल्कि सब्जियों के पैदावार पर भी असर पड़ा है। स्थिति यह है कि मौसमी सब्जियां भी आसानी से नहीं मिल रही है। जो सब्जियां इन मौसम में 10 रुपए किलो मिल जाती थी। अब उनकी कीमत 30 रुपए किलो तक पहुंच गई है। सब्जियों के दाम में बेतहाशा वृद्धि से गृहणियों के रसोई का बजट बढ़ गया है। लोगों की थाली से हरी सब्जी गायब होने लगी है। आलू प्याज जैसी सब्जी के दाम तो पहले से ही रुला रहे थे। लेकिन अब हरी सब्जियां भी तरेर रही है। मौसमी सब्जियां भी बजट से बाहर से बाहर हो चली है। पिछले पखवाड़े जिन सब्जियों के दाम 10 रुपए किलो थे, अब उनका दाम 30 रुपए तक पहुंच ग‌ए है। सब्जी के दामों में रोजाना वृद्धि देखी जा रही है
हरी सब्जियों का उत्पादन हुआ कम
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जनवरी- फरवरी में हुई बारिश की वजह से उत्पादन कम हुआ तो दूसरी तरफ अप्रैल- मई में हीटवेब रही। इसकी वजह से गर्मी के मौसम में हरी सब्जियों का उत्पादन कम हुआ और आलू की खपत ज्यादा रही।

प्रदेश की स्थिति
प्रदेश में करीब 198 कोल्ड स्टोर हैं। उद्यान विभाग की ओर से सीजन में करीब 245 लाख मीट्रिक टन आलू उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 222 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। इसमें 139 लाख मीट्रिक टन कोल्ड स्टोर में रखा गया, जिसमें करीब 20 फीसदी निकल चुका है। आलू के भाव में तेजी की वजह से कोल्ड स्टोर में रखने वाले व्यापारी अभी आलू निकाल नहीं रहे हैं। यूपी से करीब 102809.74 मीट्रिक टन आलू नेपाल भेजा गया, जिसकी कीमत करीब 94.44 करोड़ रुपये थी।

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क्या है पेपर लीक कानून, सजा सुनकर आप होजाएंगे हैरान

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डिजिटल भारत I पेपर लीक विवाद के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार रात एक सख्त कानून लागू कर दिया जिसका मकसद प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं को रोकना है। इस कानून में दोषियों के लिए अधिकतम 10 वर्ष कारावास की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
10 साल की कैद से लेकर 1 करोड़ जुर्माना तक का प्रावधान NEET और UGC-NET जैसी परीक्षाओं में गड़बड़ियों के बीच यह कानून लाने का फैसला सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। इस कानून के लागू होने के बाद अब पेपर लीक करने का दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की कैद से लेकर 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
एक दिन पहले ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से पूछा गया था कि यह कानून कब लागू होगा, तब उन्होंने कहा था कि कानून मंत्रालय नियम बना रहा है।
सर्विस प्रोवाइडर के दोषी होने पर लगेगा 1 करोड़ का जुर्माना
परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त सर्विस प्रोवाइडर अगर दोषी होता है तो उस पर 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना होगा। सर्विस प्रोवाइडर अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो उससे परीक्षा की लागत वसूली जाएगी। साथ ही, सेवा प्रदाता को 4 साल की अवधि के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी से भी रोका जा सकता है।
ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटा जाएगा
केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने पूर्व में कहा था कि यह अधिनियम अभ्यर्थियों की इसके प्रविधानों से सुरक्षा करता है। इस कानून से पहले केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन में शामिल विभिन्न संस्थाओं द्वारा अपनाए गए अनुचित साधनों या अपराधों से निपटने के लिए कोई विशिष्ट ठोस कानून नहीं था।
12 फरवरी को मिली थी कानून को मंजूरी
पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया गया था।

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21 जून इंटरनेशनल योग दिवस आज, जाने कितना चमत्कारी योग साधना

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डिजिटल भारत I 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के विशेष अवसर पर बेंगलुरु स्थित अक्षर योग केंद्र योग की परिवर्तनकारी शक्ति को उजागर करते हुए एक नई श्रृंखला आयोजित करने जा रहा है जो पूरी दुनिया में एक विशेष रिकॉर्ड स्थापित करने जा रहा है. योग एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करता है. इस आर्टिकल में हम ऐसे ही कुछ रिकॉर्ड की चर्चा करने जा रहे है जो International Day of Yoga 2024 को और भी प्रासंगिक बनाता है.
देश से लेकर विदेश तक 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उत्साह देखा जा रहा है। अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर भी योग को लेकर लोगों में एक अलग ही उत्साह देखते बन रहा है। यहां हजारों योग प्रेमी जमा हुए हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर यहां पूरे दिन कार्यक्रम चलने वाले हैं
एशियन योग चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता, 20 वर्षीय भूमि तिवारी ने बुधवार को मोती महल के लॉन में 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन के दौरान रामदूत आसन (Ramdoot Asana posture) की मुद्रा को 35 मिनट और 27 सेकंड तक बनाए रखते हुए नया कीर्तिमान स्थापित किया. यह विशेष कार्यक्रम जश्न-ए-आजादी ट्रस्ट और भारतीय आदर्श योग संस्थान के संयुक्त प्रयास में आयोजित किया गया था. भूमि तिवारी द्वारा बनाए गए इस नए रिकॉर्ड की सूचना योगासन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड काउंसिल (Yogasana Book of World Record Council) को दी गई है.
एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड की तैयारी:
International yoga day 2024 in hindi: चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान स्नातकोत्तर संस्थान (PGIMER) ने 21 जून को 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सबसे अधिक संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों के साथ योग करके एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी की गयी है.
योग का मतलब क्या है? “योग” शब्द संस्कृत शब्द “युज” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “एकसाथ होना।” यह हमारे शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ने का एक तरीका है। यह जीवन जीने का एक तरीका है जो हमें शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रहने में मदद करता है।
योग करने के फायदे
योग केवल शरीर की कुछ मुद्राओं या आसन तक सिमित नहीं है। बल्कि यह हमें स्वस्थ और संतुलित जीवन जीना सिखाता है। यह हमें अपनी सांसें, विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करना सिखाता है। इससे हम सभी परिस्थितियों में शांत रहना और अपना ध्यान केंद्रित करना सीखते हैं।
योग बच्चों के लिए भी फायदेमंद है। यह बच्चों की एकाग्रता, याददाश्त और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके साथ ही यह उनकी शारीरिक फिटनेस, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक जागरूकता को बेहतर बनाने में भी उनकी मदद करता है।

आज, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाते हुए, आइए हम सभी योग को अपनी डेली लाइफ में अपनाने का संकल्प लें। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन की ओर कदम बढ़ाएं। इसके साथ-साथ योग का संदेश अन्य लोगों तक पहुंचाने का भी प्रयास करें।

इस अवसर पर 2,000 प्रतिभागी रॉक गार्डन में योग दिवस की तैयारियों में लगे हुए थे जिनमें आईटीबीपी, पुलिस रक्षा बल, चंडीगढ़ नवीकरण ऊर्जा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संवर्धन सोसायटी, और स्कूली बच्चे शामिल थे. साथ ही राष्ट्रीय नर्सिंग शिक्षा संस्थान, PGIMER के निदेशक द्वारा योग केंद्र के एक नए विंग का उद्घाटन भी किया जायेगा.

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यूजीसी नेट परीक्षा में गड़बड़ी,परीक्षा के एक दिन बाद किया पेपर रद्द

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डिजिटल भारत l शिक्षा मंत्रालय ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित कराए गई यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द करने का एलान कर दिया है। परीक्षा आयोजित होने के एक दिन बाद ही सरकार ने परीक्षा रद्द करने का एलान कर सभी को चौंका दिया है। एनटीए द्वारा कराई जाने वाली नीट की मेडिकल एंट्रेस परीक्षा भी सवालों के घेरे में है और फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इसकी समीक्षा कर रहा है। अब यूजीसी-नेट की परीक्षा रद्द होने से गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। गौरतलब है कि एनटीए ने इस बार ऑफलाइन तरीके से ओएमआर शीट पर परीक्षा कराई। देशभर में 317 केंद्रों पर 11.21 लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी। हालांकि परीक्षा रद्द होने के बाद अब पूरी कवायद फिर से होगी।

सीबीआई जांच का निर्णय लिया गया

यूजीसी नेट परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने बड़ा निर्णय लिया है. इसकी जांच सीबीआई को देने का निर्णय लिया गया. NEET -UG परीक्षा का विवाद अभी थमा ही नहीं था कि यह एक दूसरा मामला आ गया है. मेडिकल में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एनटीए के द्वारा आयोजित होने वाली NEET-UG परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक और ग्रेस मार्क देने का विवाद पहले से ही चल रहा है.
क्या है नेशनल टेस्टिंग एजेंसी
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एक स्वायत्त निकाय है, जो देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करती है। परीक्षा पेपर तैयार करने से लेकर इसे परीक्षा केंद्र तक वितरित करने और परीक्षा पेपर जांच की जिम्मेदारी भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ही संभालती है। केंद्र सरकार ने साल 2017 में इसका एलान किया था और दिसंबर 2018 में एनटीए ने पहली यूजीसी-नेट की परीक्षा कराई थी। यूजीसी-नेट, नीट के अलावा एनटीए इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा जॉइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन (मेन) भी आयोजित कराती है। इसी परीक्षा के आधार पर देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों जैसे आईआईटी और एनआईटी में एडमिशन मिलते हैं।
क्या है नेशनल टेस्टिंग एजेंसी
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एक स्वायत्त निकाय है, जो देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करती है। परीक्षा पेपर तैयार करने से लेकर इसे परीक्षा केंद्र तक वितरित करने और परीक्षा पेपर जांच की जिम्मेदारी भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ही संभालती है। केंद्र सरकार ने साल 2017 में इसका एलान किया था और दिसंबर 2018 में एनटीए ने पहली यूजीसी-नेट की परीक्षा कराई थी। यूजीसी-नेट, नीट के अलावा एनटीए इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा जॉइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन (मेन) भी आयोजित कराती है। इसी परीक्षा के आधार पर देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों जैसे आईआईटी और एनआईटी में एडमिशन मिलते हैं।

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क्या है कांग्रेस का अगला कदम ? प्रियंका गांधी ने तरह से रायबरेली में पारंपरिक सीट गंवाने का रिस्क टाला

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डिजिटल भारत l राहुल गांधी कौन सी सीट छोड़ेंगे और कहां से सांसद बने रहेंगे? इस पर फैसला करने के लिए कांग्रेस ने 13 दिन का समय लिया। निर्णय लेने में इतने दिन लगे इसका अर्थ स्पष्ट है कि यह फैसला बड़ा होगा
प्रियंका गांधी चुनावी राजनीति में क़दम कब रखेंगी, इसका इंतज़ार दशकों से था. सोमवार को कांग्रेस पार्टी ने घोषणा कर दी कि प्रियंका गांधी केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी.
बड़े पैमाने पर 2019 में हुए थे बदलाव
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में बड़े पैमाने पर सांगठनिक बदलाव हुए। कई पुराने चेहरों को हाशिये पर डाल दिया गया। यूपी के तमाम बड़े नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दी। नए चेहरों को जिम्मेदारी दी गई, जिसमें भी एक विचारधारा खास के लोगों की संख्या ज्यादा थी। इस तरह के बदलावों के दौर से कांग्रेस गुजरी। 2022 का चुनाव इसी नए नवेले संगठन की बदौलत लड़ा गया था, जिसमें पार्टी का प्रदर्शन खासा निराशाजनक रहा था और विधानसभा में उसकी संख्या सिमटकर दो रह गई थी।

इस घोषणा के साथ ही दशकों के इंतज़ार पर विराम लग गया.
चार जून को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जब यूपी की रायबरेली और केरल की वायनाड सीट से विजेता घोषित किए गए तभी तय हो गया था कि उन्हें एक सीट छोड़नी होगी.
पारंपरिक सीट गंवाने का रिस्क नहीं
राहुल गांधी ने रायबरेली सीट से सांसद बने रहने का फैसला कर के कांग्रेस और गांधी परिवार की पारंपरिक सीट गंवाने का ख़तरा टाल दिया है। राहुल गांधी अगर रायबरेली की सीट छोड़ते तो यहां उपचुनाव होता। प्रियंका गांधी भले ही एक मजबूत दावेदार के तौर पर देखी जातीं। लेकिन पारंपरिक सीट गंवाने का रिस्क बना रहता। लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है, और जब वह मन बदलती है तो दिग्गज से दिग्गज राजनेता को जमीन पर पटक देती है।

वायनाड में आसान होगी प्रियंका की राह
कांग्रेस की इस फैसले ने जिस तरह से रायबरेली में पारंपरिक सीट गंवाने का रिस्क टाला है। ठीक उसी तरह पहली बार चुनावी मैदान में उतरने जा रही प्रियंका गांधी की हार के रिस्क को भी कम किया है। वायनाड सीट पर हिंदू-मुस्लिम वोटर्स करीब 40-40 फीसदी हैं। इसके अलावा यहां 20 प्रतिशत मतदाता ईसाई समुदाय से भी हैं। सियासी हलकों में चर्चा है कि यही 20 प्रतिशत वोट यहां निर्णायक भूमिका निभाता है जो कि एकमुश्त कांग्रेस के खाते में पड़ता है। बीजेपी का यहां उतना जनाधार नहीं है। जबकि हिंदू और मुस्लिम वोटर्स लेफ्ट और कांग्रेस को लगभग बराबर समर्थन करता है। यही वजह है कि यहां प्रियंका गांधी के लिए राह आसान होगी।

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नालंदा में 20 देशों के छात्र कर रहे पढ़ाई,नालंदा विश्वविद्यालय ज्ञान का पुराना वैभव :प्रधान मंत्री मोदी

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डिजिटल भारत l सरकार नालंदा विश्वविद्यालय को पुराना वैभव दिलाने के प्रयास में जुट गई है। इसी क्रम में पीएम मोदी ने आज प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास नए कैंपस का आज उद्घाटन किया। 2010 में इस विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना होने के बाद से ही यह अस्थाई भवन में चल रहा था। जिसके बाद 2017 में नए कैंपस का निर्माण शुरू किया गया था।
इस दौरान पीएम ने कहा कि मै इसे भारत की विकास के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। नालंदा केवल नाम नहीं, यह पहचान है। नालंदा मंत्र, गौरव और गाथा है। आग की लपटों में पुस्तकें में भले जल जाए, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकती।
प्राचीन अवशेषों के समीप नालंदा का नया कैंपस विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा। नालंदा भारत के अतीत का पुनर्जागरण नहीं है। इसमें एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है।
प्राचीन वैभव लौटाएगी सरकार
विदेश मंत्रालय के अनुसार मौजूदा नालंदा विश्वविद्यालय को सरकार वैसा ही वैभव दिलाना चाहती है, जैसा 800 साल पहले था। सरकार विश्वविद्यालय को शिक्षा का नया केंद्र बनाना चाहती है। नालंदा विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना साल 2010 में की गई थी, जिसके लिए सरकार ने बकायदा कानून भी बनाया था। हालांकि तब से अब तक यह अस्थाई भवन में ही चल रहा था। बताया गया कि विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में करीब 8 लाख किताबें रहेंगी।

नालंदा प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। महायान बौद्ध धर्म के इस शिक्षा-केन्द्र में हीनयान बौद्ध-धर्म के साथ ही अन्य धर्मों के तथा अनेक देशों के छात्र पढ़ते थे। वर्तमान बिहार राज्य में पटना से ८८.५ किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से ११.५ किलोमीटर उत्तर में एक गाँव के पास अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा खोजे गए इस महान बौद्ध विश्वविद्यालय के भग्नावशेष इसके प्राचीन वैभव का बहुत कुछ अंदाज़ करा देते हैं। अनेक पुराभिलेखों और सातवीं शताब्दी में भारत के इतिहास को पढ़ने आया था के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग के यात्रा विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। यहाँ १०,००० छात्रों को पढ़ाने के लिए २,००० शिक्षक थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने ७ वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। प्रसिद्ध ‘बौद्ध सारिपुत्र’ का जन्म यहीं पर हुआ था।
परिसर
अत्यंत सुनियोजित ढंग से और विस्तृत क्षेत्र में बना हुआ यह विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना था। इसका पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था। उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी और उनके सामने अनेक भव्य स्तूप और मंदिर थे। मंदिरों में बुद्ध भगवान की सुन्दर मूर्तियाँ स्थापित थीं। केन्द्रीय विद्यालय में सात बड़े कक्ष थे और इसके अलावा तीन सौ अन्य कमरे थे। इनमें व्याख्यान हुआ करते थे। अभी तक खुदाई में तेरह मठ मिले हैं। वैसे इससे भी अधिक मठों के होने ही संभावना है। मठ एक से अधिक मंजिल के होते थे। कमरे में सोने के लिए पत्थर की चौकी होती थी। दीपक, पुस्तक इत्यादि रखने के लिए आले बने हुए थे। प्रत्येक मठ के आँगन में एक कुआँ बना था।
नालंदा पुरातात्विक संग्रहालय
विश्वविद्यालय परिसर के विपरीत दिशा में एक छोटा सा पुरातात्विक संग्रहालय बना हुआ है। इस संग्रहालय में खुदाई से प्राप्त अवशेषों को रखा गया है। इसमें भगवान बुद्ध की विभिन्न प्रकार की मूर्तियों का अच्छा संग्रह है। इनके साथ ही बुद्ध की टेराकोटा मूर्तियां और प्रथम शताब्दी के दो मर्तबान भी इस संग्रहालय में रखा हुआ है। इसके अलावा इस संग्रहालय में तांबे की प्लेट, पत्थर पर खुदे अभिलेख, सिक्के, बर्त्तन तथा १२वीं सदी के चावल के जले हुए दाने रखे हुए हैं।

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बून्द बून्द को तरस रहा है दिल्ली, AAP पर जल व्यवस्था को बिगाड़ने की साजिश का आरोप

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डिजिटल भारत I दिल्ली जल संकट दिन- प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वहीं अब इस बीच दिल्ली की जलमंत्री आतिशी मार्लेना ने आज दिल्ली पुलिस कमिश्नर को एक पत्र लिखा और आरोप लगाया कि दिल्ली की पानी की व्यवस्था को बिगाड़ने की साजिश की जा रही है|
दिल्ली प्यासी है, जनता बूंद बूंद पानी के लिए तरस रही है. भीषण गर्मी में प्यासी जनता सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है. जलसंकट पर सियासी पारा भी गर्म हैं. बीजेपी का कहना है कि दिल्ली सरकार की लापरवाही के कारण जल संकट है, वहीं आम आदमी पार्टी कह रही है कि पानी की व्यवस्था को लेकर साजिश रची जा रही है.
जल मंत्री अतिशी ने कहा, ‘अभी दिल्ली में गंभीर हीटवेव भी चल रही है और पानी की कमी भी हो रही है। इस सब के दौरान ऐसा लग रहा है कि कुछ लोग पानी की पाइपलाइन तोड़ कर इस पानी की कमी को और बदतर बनाने का षड्यंत्र रच रहे हैं। कल साउथ दिल्ली की सप्लाई पाइप लाइन में बहुत बड़ा लीकेज हुआ। जब हमारी टीम को पता चला तो रिपेयर के लिए टीम भेजी गई तो वहां यह पाया गया कि बहुत बड़े-बड़े बोल्ट को काट कर छेद किया गया है। मैंने इसी संदर्भ में आज पुलिस कमिश्नर को लिखा है कि हमारी मुख्य पाइप लाइन को पुलिस द्वारा सुरक्षा दी जाए।’
साउथ दिल्ली में 25 फीसदी कम पहुंचा पानी
उन्होंने कहा, ‘यह पानी की पाइपलाइन रिपेयर करने में दिल्ली जल बोर्ड को 6 घंटे लगे. शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक रिपेयर चला. इस दौरान साउथ दिल्ली की पानी की सप्लाई को बंद करना पड़ा. इसका नतीजा है कि तकरीबन 25 फीसदी कम पानी आज साउथ दिल्ली पहुंचा. यह कौन लोग हैं जो दिल्ली की पानी की व्यवस्था बिगाड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं?
दिल्ली सरकार में मंत्री व आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘कुछ दिनों पहले कुछ वीडियो को कुछ खास तरह के लोगों ने वायरल किया कि दिल्ली में बहुत लीकेज हो रही है। मुझे नहीं लगता कि वह लीकेज प्राकृतिक है, मुझे लगता है कुछ लोग जानबुझकर लीकेज कर रहे हैं। कल दक्षिण दिल्ली में पाइप को बांधने वाले नट-बोल्ट कटे हुए मिले, वह किसने काटे? उसकी वजह से आज पूरे दक्षिण दिल्ली में पानी नहीं आया। मैं जनता से निवेदन करूंगा कि वे इसपर निगरानी रखें क्योंकि कुछ लोग इन पाइपलाइनों को तोड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं।’
दिल्ली में कहां-कहां पानी संकट?
दिल्ली में मुनिरका, वसंत कुंज, मीठापुर, किराड़ी, संगम विहार, छतरपुर, बलजीत नगर, संजय कैंप, गीता कॉलोनी, रोहिणी, बेगमपुर, वसंत कुंज, इंद्र एन्क्लेव, सराय रोहिल्ला, मानकपुरा, डोलीवालान, प्रभात रोड, रैगरपुरा, बीडनपुरा, देवनगर, बापा नगर और बलजीत नगर में पानी का संकट है.

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सोना चंदी के भाव आसमान से भी ऊपर,क्यों है चंदी निवेश के लिए बेस्ट

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डिजिटल भारत l भारतीय सर्राफा बाजार में 3 जून 2024 को सोने के भाव में कमी आई है। अब सोने की कीमत 71405 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है। 31 मई 2024 को सोने के शाम के भाव की तुलना में 951 रुपये की तेजी आई है। चांदी के भाव में कमी देखी गई है।भारतीय सर्राफा बाजार में 3 जून 2024 को सोने के भाव में कमी आई है। अब सोने की कीमत 71405 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है। 31 मई 2024 को सोने के शाम के भाव की तुलना में 951 रुपये की तेजी आई है। चांदी के भाव में कमी देखी गई है। चांदी के भाव में 88950 रुपये प्रति किलो हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर 999 शुद्धता वाले चांदी के भाव में 31 मई से 3499 रुपये की कमी आई है31 मई की शाम को 999 शुद्धता वाले 23 कैरेट सोने की कीमत 71405 रुपये थी। 3 जून को 999 वाले 24 कैरेट सोने की कीमत 71405 रुपये हो गई है। 31 मई की शाम को 999 शुद्धता वाली चांदी की कीमत 92449 रुपये थी। 3 जून को 999 शुद्धता वाली चांदी की कीमत 88950 रुपये हो गई है।3 जून को 995 शुद्धता वाले सोने की कीमत 71119 रुपये हो गई है। 916 शुद्धता वाले सोने की कीमत 65407 रुपये हो गई है। 750 शुद्धता वाले सोने की कीमत 53554 रुपये हो गई है। 585 शुद्धता वाले सोने की कीमत 41772 रुपये हो गई है।बस कुछ दिनों में फिर सोने-चांदी में आएगी तेजीसोने, चांदी की कीमत में तेजी से गिरावट का कारण अर्थशास्त्री भले ही वायदा कारोबार और साईप्रस द्वारा काफी मात्रा में जमा सोना बाजार में उतारने की बात कह रहे है लेकिन असलियत कुछ और है। ज्योतिषशास्त्री और स्टॉक गुरू जयगोविंद शास्त्री कहते हैं कि यह घटना ऐसे समय में ही क्यों हुई जब बुध कुंभ से अपनी नीच राशि मीन में पहुचे।

वास्तव में बाजार का इस तरह लुढ़कने का कारण कुछ और नहीं बुध की यह स्थिति है। ज्योतिष का नियम है कि जब बुध अपनी नीच राशि मीन में होते हैं तब अर्थव्यवस्था में गिरावट एवं आर्थिक अपराध की घटनाओं में वृ्द्धि होती है। बुध कालपुरुष की बुद्धि हैं इसलिए जब ये नीच राशिगत होते हैं तो अपने से संबंधित क्षेत्र जैसे बैंक, बीमा एवं कमोडिटी बाज़ार के निवेशकों को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

बुध के मीन राशि में होने के कारण ही पश्चिम बंगाल में हुआ आर्थिक घोटाला सामने आया! ऐसे अवसरों का पहले भी कई लोगों ने दुरूपयोग किया है जैसे हर्षद मेहता, अब्दुकरीम तेलगी जिनके कारण हज़ारों निवेशकों को अर्श से फर्श पर आना पड़ा है और कई निवेशक तो इसी नुकसान के कारण आत्महत्या भी कर चुके हैं!

लेकिन अब ये स्थिति समाप्त होने वाली है क्योंकि आज शाम बुध मीन से निकलकर मेष राशि में पहुंच रहा है। जहां पर यह सूर्य, मंगल, शुक्र, और केतु के साथ इनका मेल होगा। इसी मेल के परिणामस्वरूप सोने-चांदी में हो रही भारी गिरावट थमेगी साथ ही 4 मई की मध्यरात्रि में शुक्र अपने घर वृष राशि में आ जाएंगे।

जिससे खरीदारी में भारी वृद्धि होगी। शुक्र की दशा-दिशा भी कमोडिटी बाज़ार को खासा प्रभावित करती है इसलिए इनका मंगल-सूर्य के चंगुल से मुक्त होकर अपने घर में पहुचना निवेशकों और स्टॉक मार्केट के लिए उम्मीद की किरण जगाएगा। निवेशकों के लिए सलाह है कि अबतक आपने धैर्य रखा है तो कुछ दिन और धैर्य बनाए रखिए। अप्रैल माह के अंत के साथ बाज़ार में गिरावट का अंत हो सकता है। बुध का मेष राशि में और शुक्र का वृष में पहुंचना आमजनता के लिए शुभ फलदायी रहेगाचांदी में निवेश किस तरह से आपके लिए फायदेमंद है यह जानने के लिए हमने ज्वेलरी बेचने वाली लागू बंधू फर्म के डायरेक्टर कुणाल लागू से बात की। उन्होंने चांदी के गहनों में निवेश के कुछ फायदे बताए हैं। उनके मुताबिक, चांदी के गहनों में इस वक्त निवेश करना आगे चलकर आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी होगा।

चांदी में निवेश आपकी जेब पर नहीं पड़ेगा भारी
कुणाल के मुताबिक, चांदी के गहने सोने या प्लेटिनम की तुलना में ज्यादा सुविधाजनक और किफायती हैं। यही कारण है कि इन्हें खरीदना और कलेक्ट करके रखना आसान है। अगर आप अपनी संपत्ति को अलग-अलग जगह में निवेश करना चाहते हैं, तो चांदी भी एक ऑप्शन हो सकती है। हां, आप बॉन्ड्स, गोल्ड और डायमंड खरीद सकते हैं, लेकिन चांदी को भी अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाएं।चांदी है फिजिकल निवेश
महंगाई के दौरान क्या होता है यह हम सभी को पता है। कैश से ज्यादा फिजिकल चीजों का दाम बढ़ जाता है और ऐसे समय में चांदी के गहने ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इसमें जरूरी मेटल जैसे गोल्ड, सिल्वर आदि शामिल हैं। जरूरत के समय पर इन मेटल्स की ज्यादा कीमत मिल सकती है। अगर मार्केट में कोई उतार-चढ़ाव आता है, तो भी फिजिकल निवेश ज्यादा फायदेमंद लगता है। मार्केट के उतार-चढ़ाव के समय चांदी के जेवर ज्यादा आसानी से बेचे जा सकते हैं।फैशन के मामले में बेस्ट है चांदी
सिल्वर ज्वेलरी के डिजाइन ज्यादा आकर्षक बनाए जा सकते हैं और डिमांड के हिसाब से इन्हें हल्का या भारी किया जा सकता है। जिन लोगों को भारी सिल्वर सेट चाहिए उन्हें भी बेहतर डिजाइन के ऑप्शन मिल सकते हैं। सिल्वर ज्वेलरी के साथ एक बात और देखी जा सकती है कि इसकी डिमांड समय के साथ-साथ बढ़ती है और साथ ही इसकी वैल्यू भी बढ़ती है। इसके मेकिंग चार्जेस भी सोने की तुलना में कम होते हैं जिसके कारण आपको ज्यादा फायदा मिलता है।चांदी की कीमत नहीं होती कम
ज्वेलरी के मेकिंग चार्जेस काफी ज्यादा होते हैं, लेकिन यहीं चांदी की बात करें, तो यह सोने की तुलना में कम मेकिंग चार्जेस के साथ बनाई जा सकती है। ऐसे में अगर आप कुछ गहने, मूर्तियां या सिक्के खरीदते हैं, तो समय के साथ उनकी कीमत में इजाफा होगा। यह कलेक्शन के लिए भी अच्छे हो सकते हैं और इन्हें सालों-साल सहेज कर रखा जा सकता है।चांदी को बेचना है सबसे आसान
हां, कोई भी खुद गहना बेचने के हिसाब से नहीं खरीदता है, लेकिन अगर जरूरत पड़े, तो चांदी को किसी भी तरीके से बेचना ज्यादा आसान होगा। सिक्के, गहने, मूर्तियां, बर्तन आदि सब कुछ बेचना ज्यादा आसान है। निवेश के तौर पर देखें तो चांदी की लिक्विडिटी ज्यादा है और मौजूदा अर्थव्यवस्था में इसका ज्यादा फायदा लिया जा सकता है।

चांदी के जेवर साफ करना भी सोने के मुकाबले ज्यादा आसान होता है जिसके कारण इनकी चमक सालों साल बरकरार रहती है। ऐसे में आजकल मार्केट में सोने का पानी चढ़े हुए चांदी के जेवर भी मिलने लगे हैं। ऐसे में अगर आप कम पैसा निवेश कर सोने जैसे दिखने वाले जेवर चाहते हैं, तो वो भी आसानी से मिल सकते हैं। स्टाइल और क्वालिटी के मामले में आपको चांदी का सर्टिफिकेट भी मिलता है। बेहतर होगा कि आप जहां से भी चांदी खरीद रहे हैं वहां से उसकी शुद्धता की पहचान जरूर कर लें।

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Akasa Air में मिला ‘सिक्योरिटी अलर्ट चालक दल समेत 193 लोग थे सवार विमान को किया अहमदाबाद डायवर्ट

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डिजिटल भारत l Akasa Air: अकासा एयर के प्रवक्ता ने बताया है कि 03 जून, 2024 को दिल्ली से मुंबई के लिए उड़ान भरने वाली एयरलाइन की फ्लाइट क्यूपी 1719 के बोर्ड को एक सुरक्षा अलर्ट मिला। विमान में 186 यात्री, 1 शिशु और चालक दल के छह सदस्य समेत कुल 193 लोग सवार थे।विस्तार
दिल्ली से मुंबई जा रहे अकासा एयर के एक विमान के बारे में बड़ी खबर सामने आ रही है। अकासा एयर के प्रवक्ता ने बताया है कि 03 जून, 2024 को दिल्ली से मुंबई के लिए उड़ान भरने वाली एयरलाइन की फ्लाइट क्यूपी 1719 के बोर्ड को एक सुरक्षा अलर्ट मिला। विमान में 186 यात्री, 1 शिशु और चालक दल के छह सदस्य समेत कुल 193 लोग सवार थे।सुरक्षा खतरे के डर से पायलट ने मुंबई एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग की और सुरक्षा अधिकारियों को इस घटना की सूचना दी गई। आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 336, 504, 506 और 323 के तहत मामला दर्ज किया गया है।New Delhi: उड़ानों में बम मिलने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। एक बार फिर, एक फ्लाइट में बम की सूचना के कारण उड़ानों को डायवर्ट किया गया है। दरअसल, बम धमकी के चलते दिल्ली (New Delhi) से मुंबई जा रही फ्लाइट को अहमदाबाद डायवर्ट किया गया।

अहमदाबाद में सुरक्षा के मद्देनजर सभी यात्रियों को फ्लाइट से बाहर निकाला गया और फिर फ्लाइट की जांच की जा रही है। यह फ्लाइट अकासा एयरलाइन्स की है, जिसमें बम की सूचना मिली थी। फ्लाइट में बम की खबर के बाद यात्रियों में हड़कंप मच गया। फिलहाल जांच जारी है।यात्रियों के बीच मचा हड़कंप
फ्लाइट में बम की जानकारी सामने आने के बाद अकासा एयरलाइन्स ने आधिकारिक बयान जारी किया है। बयान के अनुसार, अकासा एयर के प्रवक्ता को जिम्मेदार ठहराया गया है। बता दें कि 3 जून 2024 को दिल्ली से मुंबई के लिए उड़ान भरने वाली अकासा एयर की उड़ान QP 1719 को सुरक्षा चेतावनी मिली थी। इस फ्लाइट में 186 यात्री सवार थे, जिसमें 1 बच्चा और 6 चालक दल के सदस्य भी थे।अहमदाबाद में हुई इमरजेंसी लैंडिंग
सुरक्षा चेतावनी मिलने के बाद निर्धारित सुरक्षा प्रक्रियाओं के अनुसार विमान को अहमदाबाद की ओर मोड़ दिया गया। फ्लाइट के कैप्टन ने सभी आवश्यक आपातकालीन प्रक्रियाओं का पालन किया। दिल्ली से मुंबई जा रही फ्लाइट को सुबह 10:13 बजे सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुरक्षित रूप से उतारा गया।

यहां लैंड करने के बाद सभी यात्रियों को विमान से नीचे उतारा गया और फ्लाइट की जांच की जा रही है। अकासा एयर जमीन पर सभी सुरक्षा उपायों और प्रोटोकॉल का पालन और समर्थन कर रहा है।अहमदाबाद में हुई इमरजेंसी लैंडिंग
सुरक्षा चेतावनी मिलने के बाद निर्धारित सुरक्षा प्रक्रियाओं के अनुसार विमान को अहमदाबाद की ओर मोड़ दिया गया। फ्लाइट के कैप्टन ने सभी आवश्यक आपातकालीन प्रक्रियाओं का पालन किया।

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