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एक भारत उत्कृष्ट भारत

जल्द मिलेगी इस गर्मी से रहत मानसून की दस्तक पास, जाने कहा है रेड अलर्ट

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डिजिटल भारत l इतने वर्षों के आंकड़ों के आधार पर की जा रही तुलना
मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक, झांसी के 1892 से मौसम का रिकार्ड उपलब्ध है। वहीं आगरा के मौसम का रिकार्ड 1884 यानी 140 वर्षों का रिकार्ड है, जबकि वाराणसी का 1977 यानी 47 वर्षों का रिकार्ड उपलब्ध है। जिन तीनों शहरों में आज तापमान का रिकार्ड टूटा है, वहां इतने वर्षों में इतना गर्म कभी रहा ही नहीं।
जारी है चेतावनी, कई इलाकों में रेड अलर्ट
मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर व आसपास के इलाकों में भीषण लू चलने की चेतावनी जारी की गई है।
यहां हैं ऑरेंज अलर्ट
बांदा, चित्रकूट, कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर, संत रविदास नगर, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़, हाथरस, एटा, मैनपुरी व आसपास भी लू को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।प्रतापगढ़, चंदौली, फर्रूखाबाद, उन्नाव, रायबरेली, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, कासगंज व आसपास के इलाकों में भी लू चल सकती है।
मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि रविवार को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से गुजरे चक्रवात रेमल ने मानसून के प्रवाह को बंगाल की खाड़ी की ओर खींच लिया है, जो पूर्वोत्तर में मानसून के जल्दी आने का एक कारण हो सकता है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार केरल में पिछले कुछ दिन से भारी बारिश हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप मई में सामान्य से अधिक बारिश हुई है।
अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और असम में मानसून के आगमन की सामान्य तिथि पांच जून है। आईएमडी ने कहा कि इस अवधि के दौरान दक्षिण अरब सागर के कुछ और हिस्सों, मालदीव, कोमोरिन, लक्षद्वीप के शेष हिस्सों, दक्षिण-पश्चिम और मध्य बंगाल की खाड़ी, उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं।
मध्यम बारिश और गरज
अगले सात दिनों में अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में गरज, बिजली और तेज हवाओं (30-40 किमी प्रति घंटे) के साथ हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान है। इन इलाकों में 29-30 मई को कुछ जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश भी हो सकती है। आईएमडी ने अगले पांच दिनों के लिए बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों और ओडिशा में हल्की से मध्यम बारिश की चेतावनी दी है, जबकि 31 मई और 1 जून को आंधी, बिजली और तेज हवाएं चलने की संभावना है।

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कैसे रखे बच्चो को मोटिवेटेड, जाने कुछ अनोखे टिप्स

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डिजिटल भारत l कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो पढ़ाई से पूरी तरह विमूख होते हैं, जिन्‍हें पढ़ना-लिखना बिल्‍कुल अच्‍छा नहीं लगता। पढ़ाई के नाम से वो ऐसे भागते हैं जैसे उन्‍हें कितना बड़ा काम करने को दे दिया गया हो। कई बार ऐसा होता है कि माता-पिता को बच्चे को पढ़ाने का सही तरीका पता नहीं होता है और उन्हें लगता है कि बच्चे को डांट या मार देना ही एक ऐसा विकल्प है जिससे डरकर वह पढ़ाई करने लगेगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई में यह सही तरीका है। जी नहीं, यह सही तरीका नहीं है।
अगर आपके बच्चे को पढ़ाई करना बिल्कुल भी नहीं पसंद हैं उसे पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने का सबसे पहला स्टेप यह होना चाहिए कि सबसे पहले आप उसकी समस्या को पहचानें, जैसे कि बच्चे को पढ़ाई के दौरान कौन सा सब्जेक्ट अच्छा लगता है और कौन सा नहीं लगता, उसे कौन सी चीज याद करने में दिक्कत होती है, क्‍या उसे लिखने में परेशानी होती है। जब तक आप पढ़ाई को लेकर उसकी समस्या को नहीं समझेंगी तब तक आप पढ़ाई को लेकर उसके नकारात्मक रवैये को नहीं समझ पाएंगी। एक बार जब आप समस्या की जड़ तक पहुंच जाएंगी तो फिर आप उसका समाधान भी निकाल लेंगी।
बच्चे को डेली कम से कम बीस मिनट तक पढ़ने की आदत डालवाएं। डेली पढ़ने से ना केवल बच्चे का विकास होगा, बल्कि उसकी शब्दावली में भी वृद्धि होगी और उसका लर्निंग प्रोसेस बढ़ेगा। बच्चे को हमेशा सही टाइम पर पढ़ना, ब्रेक लेना और सोना सिखाएं। बिना ब्रेक के लगातार पढ़ते रहने से वो तनावग्रस्त हो सकते हैं।
पढ़ाई में बच्चे को आपके मदद की जरूरत होती है इसलिए लर्निंग प्रोसेस में उनकी मदद जरूर करें। उन विषयों के बारे में जानने का कोशिश करें करें, जिनमें बच्चे की रुचि है, और साथ ही उन विषयों के बारे में भी जानने की कोशिश करें जिनमें उनकी रुचि नहीं है।
अगर आप अपने जीवन में सीखना चाहते हैं, तो ये आपके लिए बहुत अच्छा होगा क्योंकि गलतियां हर किसी से होती है। इसमें समय के साथ सुधार बहुत जरूरी है। खासकर, अपने बच्चे के भविष्य को स्वर्णिम बनाने के लिए आपको भी सीखने की आदत डाल देनी चाहिए। इससे आप अपने बच्चे को हर परिस्थिति में जीवन जीने की कला सीखा सकते हैं। आइए तरीके जानें।
अपने बच्चों के प्रति स्नेह रखें
हर एक रिश्ते में स्नेह की भावना जरूरी है। अगर आप अपने बच्चों के साथ हमेशा स्नेह और लगाव रखेंगे तो आपके बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे, और आपको सारी बातें बताएंगे। इसके लिए आप अपने बच्चे को हमेशा जादू की झप्पी दें, उसे गले लगाएं, उनके साथ खेलें। बच्चों को प्यार दिखाने में बिल्कुल संकोच न करें। अगर आप अपने बच्चों के साथ स्नेह न रखेंगे, तो वे अवसाद के शिकार हो सकते हैं।
कई बार माता पिता के कहने पर बच्चा पढ़ने तो बैठ जाते हैं लेकिन उनका ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता। माता पिता डांट फटकार कर बच्चों पर दबाव बनाते हैं। हालांकि डांटने या जबरन पढ़ाने से बच्चे की रुचि पढ़ाई में नहीं बढ़ती। यहां अभिभावकों को कुछ ऐसे तरीके बताए जा रहे हैं जो उन्हें पढ़ाई से मुंह चुराने नहीं देंगे और खुद ब खुद उनका मन पढ़ाई में लगने लगेगा।
बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करें लेकिन उन पर दबाव न डालें। पढ़ाई का दबाव बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस कारण उनको पढ़ाई बोझ की तरह लगती है। उनपर जरूरत से अधिक दबाव न बनाएं, हंसते-खेलते बच्चों को पढ़ाई की कठिन बातें समझाने की कोशिश करें।

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क्या आप भी शौकीन है फ़ास्ट फ़ूड के, जाने इसके हानिकारक प्रभाव

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डिजिटल भारत l जंक फूड के दीर्घकालिक प्रभाव
जंक फूड हमारे दैनिक आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। फास्ट फूड चेन से लेकर सुविधा स्टोर तक, इसे ढूंढना और खाने के लिए ललचाना आसान है। हालांकि, जंक फूड के हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यहां कुछ सबसे महत्वपूर्ण तरीके दिए गए हैं जिनसे जंक फूड हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को आहार की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। हम जिस तरह की चीजों का सेवन करते हैं उसका सेहत पर सीधा असर होता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि हमारे शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान फास्ट और प्रोसेस्ड फूड्स से होता है। इस तरह की चीजें न सिर्फ तेजी से शरीर के वजन को बढ़ाने वाली हो सकती हैं, साथ ही इसके कारण कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों का खतरा भी हो सकता है। फास्ट फूड्स का शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की सेहत पर असर देखा जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को आहार की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। हम जिस तरह की चीजों का सेवन करते हैं उसका सेहत पर सीधा असर होता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि हमारे शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान फास्ट और प्रोसेस्ड फूड्स से होता है। इस तरह की चीजें न सिर्फ तेजी से शरीर के वजन को बढ़ाने वाली हो सकती हैं, साथ ही इसके कारण कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों का खतरा भी हो सकता है। फास्ट फूड्स का शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की सेहत पर असर देखा जाता है।
कुंजी ले जाएं
जंक फूड, जिसे विवेकाधीन भोजन या वैकल्पिक भोजन के रूप में भी जाना जाता है, किसी भी आहार के हिस्से के रूप में आवश्यक नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपको आवश्यक रूप से उन सभी स्वादिष्ट व्यंजनों को छोड़ना होगा, लेकिन आप इसे कभी-कभार और कम मात्रा में ही खा सकते हैं। इससे आपको अत्यधिक वजन बढ़ने और जंक फूड से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं से बचने में मदद मिलेगी। लब्बोलुआब यह है कि, अन्य स्वस्थ आदतों के साथ संतुलित आहार न केवल पुरानी बीमारियों के जोखिम को रोकने या कम करने में मदद करेगा बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देगा।

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जाने कितने प्रकार के होते है आम, ये है सबसे मेहगा

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डिजिटल भारत l गर्मी का मौसम चल रहा है, ऐसे में अब आपने भी मौसमी फलों का सेवन शुरू कर दिया होगा। वहीं, जब भी फलों के राजा की बात होती है, तो आम का जिक्र होता है। इसमें भी आम की 14,00 प्रजातियां हैं। इसके अलावा कई जंगली प्रजातियां भी हैं। हालांकि, क्या आपको दुनिया के सबसे महंगे आम के बारे में पता है। खास बात यह है कि यह आम अब भारत में भी मौजूद है, जिसका दाम 3 लाख रुपये किलों तक चला जाता है।

उत्तर भारत समेत विभिन्न राज्य इस समय भीषण गर्मी झेल रहे हैं। ऐसे में लोग गर्मी से बचने के लिए ठंडी तासीर वाले फलों का सेवन कर रहे हैं, जिसमें खरबूज और तरबूज समेत अन्य फल शामिल हैं। वहीं, जब भी बात फलों के राजा की होती है, तो उसमें आम का नाम लिया जाता है। आम की प्रजातियों की बात करें, तो वे 1400 हैं, लेकिन हमें केवल कुछ ही प्रजातियों के बारे में जानकारी है, जिसमें लंगड़ा, चौसा, दशहरी और अल्फांसो शामिल है।
स्वादिष्ट होने के अलावा, आम कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करते हैं। वे विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली (Defence system) को बढ़ाता है, और आहार फाइबर में उच्च होता है, पाचन में सहायता करता है और कब्ज को भी रोकता है।
अल्फांसो आम
अल्फांसो आम, जिसे हापुस के नाम से भी जाना जाता है, इसे आमों का राजा माना जाता है। वे अपने मलाईदार बनावट, मीठे स्वाद और सुर्ख नारंगी रंग के लिए जाने जाते हैं। अल्फांसो आम मुख्य रूप से भारत के महाराष्ट्र के रत्नागिरी और देवगढ़ क्षेत्रों में उगाए जाते हैं। उनकी उच्च मांग और सीमित खेती उन्हें आम की सबसे महंगी किस्मों में से एक बनाती है।

ये आम मध्यम आकार के सुनहरे-पीले छिलके वाले होते हैं, जो कभी-कभी लाल रंग के हो सकते हैं। अल्फांसो आम का गूदा गहरा नारंगी, दृढ़ और रेशे रहित होता है, जो इसे अविश्वसनीय रूप से चिकना और रसदार बनाता है। अल्फांसो आम की सीमित मौसमी उपलब्धता होती है, आमतौर पर अप्रैल और जून के बीच पाए जाते हैं।

2. ताइयो नो तमागो आम
जापान के मियाजाकी प्रान्त में उगाए गए, ताइयो नो तमागो आमों को उनके असाधारण स्वाद के लिए जाना जाता है। यह अपने जीवंत रंग, स्वादिष्ट स्वाद और अनूठी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। इस फल ने अपने असाधारण स्वाद, सौंदर्य और मनमोहक सुगंध के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है। स्वाद, बनावट और सीमित आपूर्ति का अनूठा संयोजन इनकी उच्च कीमत का कारण है।

. सेकाई-इची मैंगो
सेकाई-इची का मतलब जापानी में “दुनिया का नंबर एक” है, और ये आम अपने नाम पर खरा उतरते हैं। जापान के मियाजाकी में उगाए जाने वाले सेकाई-इची आमों की सावधानी से खेती की जाती है और जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उन्हें अलग-अलग सुरक्षात्मक थैलियों में लपेटा जाता है। ये
5. बॉम्बे ग्रीन मैंगो
बॉम्बे ग्रीन मैंगो, जिसे हिंदी में “कैरी” के रूप में भी जाना जाता है, भारत में आमतौर पर पाए जाने वाले कच्चे आम की एक किस्म है। यह अपने तीखे और खट्टे स्वाद और सुगंध के लिए लोकप्रिय है, जिससे वे अत्यधिक मूल्यवान और मांग में हैं।

मध्य प्रदेश हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के ज्वाइंट डायरेक्टर आर एस कटारा ने बताया कि कि इन आमों के पेड़ों को देखा है। इस पर लगने वाले आम भारत में दुलर्भ हैं। उन्होंने कहा कि ये आम महंगे इसलिए हैं, क्योंकि इनका उत्पादन बहुत कम होता है। इनका स्वाद बहुत टेस्टी होता है। यह दूसरे आमों से अलग हैं। दूसरे देशों में लोग इन्हें गिफ्ट के तौर पर देते हैं।

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जाने कुछ सबसे मेहगे विशेष हीरे या उनसे बने आभूषण के बारे में

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डिजिटल भारत l दुनिया के सभी हीरों का राजा ‘कोहिनूर हीरा’ है. यह 106 कैरेट का बेहद ही खूबसुरत हीरा है. यह कई भारतीय शासकों के पास रहा. दुनिया के सबसे बड़े हीरों में से एक 106 कैरेट के कोहिनूर हीरे को 19वीं सदी में भारत से ब्रिटेन ले जाया गया था. तब से आज तह यह हीरा ब्रिटिश शाही परिवार के मुकुट की शोभा है. लेकिन आपको बता दें कोहिनूर सबसे महंगा हीरा नहीं है, इससे भी कीमती हीरे दुनिया में मौजूद हैं. इन हीरों की कीमत इतनी है कि पूरा का पूरा शहर बस जाए.
विश्व का यह सबसे बड़ा नीला हीरा ‘द ओप्पेनहैमेयर ब्लू’ नाम से जाना जाता है जिसे क्रिस्टी ने यहां एक निजी संग्रहकर्ता को भेजा है। हालांकि खरीदने वाली की पहचान गुप्त रखी गई है।
दुनिया में कहां-कहां पाए जाते हैं हीरे
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि दुनिया में ऐसी कौन-सी जगह हैं, जहां हीरे पाए जाते हैं। आपको बता दें कि हीरे की करीब 50 फीसदी खानें दक्षिणी और मध्य अफ्रीक में मौजूद हैं। हालांकि, इसके अलावा यह भारत, कनाडा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और रूस में भी पाया जाता है।
इतना है हीरे का वजन
कलिनन हीरा दुनिया का सबसे बड़ा हीरा है। इसके कुल वजन की बात करें, तो यह कैरेट में 3106.75 है, जो कि इसे अन्य हीरों से अलग बनाती है। इसकी तुलना में यदि कोहिनूर हीरे की बात करें, तो वह केवल 105.6 कैरेट का है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह हीरा क्यों दुनिया का सबसे बड़ा हीरा है।

कितनी होगी हीरे की कीमत
हीरे की कीमत की बात करें, तो यह हीरे के आकार, पॉलिशिंग तकनीक समेत अन्य कारकों पर निर्भर करती है। ऐसे में एक कैरेट की कीमत कम से कम एक लाख रुपये से लेकर 17 से 18 लाख रुपये तक हो सकती है। हालांकि, यह कीमत सफेद हीरे के लिए है।

यदि हीरे का रंग अलग है, यानि कि गुलाबी, लाल या पीला और हरा, तो इसकी कीमत और अधिक हो सकती है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कलिनन की कीमत क्या हो सकती है। हालांकि, बाद में इस हीरे को कई टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया था।

इस हीरे को प्लैटिनम की एक अंगूठी में जड़ा गया है और नीलामी से पहले इसकी कीमत 3.8 से 4.5 करोड़ डॉलर तक आंकी गई थी।

सीएनएन की एक खबर के मुताबिक इस हीरे का नाम उसके पुराने मालिक फिलिप ओप्पेनहैमेयर के नाम पर रखा गया है जिनका परिवार हीरों का कारोबार करने वाली कंपनी डी बियर्स का स्वामित्व रखता है।

ब्लैक डायमंड ऑरलॉव
काले हीरे अपने आप में अदभुत होते हैं लेकिन जब ये तकिये के आकार का काला हीरा 67.49 कैरट का हो तो क्या कहना.

एक क़िस्से के मुताबिक इसे 19वीं शताब्दी में भारत के एक ब्रह्मा मंदिर से चुराया गया था.

कहते हैं तब से हीरा अभिशप्त है. इसे चुराने वाला वक्त से पहले मरा ही था, इसके बाद के तीन मालिकों ने आत्महत्या कर ली थी. इनमें एक नाडिया विगिन-ऑरलॉव नाम की रूसी प्रिंसेज़, उनके एक रिश्तेदार और अमेरिका में इस डायमंड को आयात करने वाला डीलर जे डब्ल्यू पेरिस भी शामिल है.

हालांकि हाल की कुछ रिसर्च ने इन क़िस्सों पर प्रश्चचिन्ह लगाए हैं. अब एक्सपर्ट ये भी कह रहे हैं कि इसमें भी संदेह है कि हीरा भारत से चोरी हुआ था.

एक्सपर्ट तो प्रिंसेज़ नाडिया के अस्तित्व पर भी सवाल उठा रहे हैं.

‘द होप’
अपने काले अतीत के लिए मशहूर एक और अभिशप्त हीरा है – होप डायमंड. ये अमेरिका के स्मिथसोनियन म्यूज़ियम की नेशनल जेम कलेक्शन की शान है.

लंदन में क्रिस्टीज़ की ज्वेलरी एक्सपर्ट अराबेला हिस्कॉक्स कहती हैं, “ये 45.52 कैरट का बहुत ही ख़ास और दुर्लभ नीला हीरा है. जब इसे अल्ट्रावॉयलेट रोशनी के सामने लाया जाता है तो इसका रंग सुर्ख़ लाल हो जाता है. ये इसे और रहस्यमयी बनाता है.”

वर्ष 1966 में आई कार्ल शुकर की किताब ‘द अनएक्सप्लेंड’ में इसके इतिहास की दिलकश कहानी दर्ज है. क़िस्सा कुछ यूँ है –

एक हिंदू पुजारी ने इसे बेईमानी से मंदिर की मूर्ति से उतार लिया था. वर्ष 1668 में फ़्रांस के सम्राट लूई 14वें ने इसे ख़रीदा और फिर से फ़्रांस के क्रांति के दौरान इसे किसी ने चुरा लिया.

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गर्मियों में रखे इन बातो का खास ख्याल – टिप्स

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डिजिटल भारत – l होली का त्योहार खत्म हुए काफी दिन बीत चुके हैं और इसी के साथ ही गर्मियों की शुरुआत हो गई है। धीरे-धीरे टेंपरेचर बढ़ने लगा है और कई तरह की मौसमी बीमारियां भी होने का डर भी लगा रहता है। गर्मियों में खुद को हेल्दी रखना एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि कुछ दिन पहले तिवारीपुर थाना क्षेत्र स्थित सूरजकुंड ओवर ब्रिज पर एक स्कूटी सवार महिला तेज धूप के कारण चक्कर खाकर नाले में गिर गई।
मौके पर मौजूद लोगों ने नाले से निकालकर घायल महिला को अस्पताल भिजवाया और इलाज करवाया। अक्सर लोग गर्मियों के आने पर जल्दी-जल्दी बीमार होते रहते हैं या तेज धूप में रहने से चक्कर जैसी समस्या से जूझते हैं। अगर गर्मी की शुरुआत में ही कुछ टिप्स को फॉलो करते हैं, तो हेल्थ का आप अच्छे से ध्यान रख सकते हैं। आइए जानें कुछ ऐसे टिप्स, जो आपको गर्मियों में बीमार पड़ने नहीं देंगे।
गर्मी के मौसम में शरीर का खास ध्यान रखना जरूरी है। गर्मी से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें-
पानी भरपूर पीना
गर्मी में शरीर से पानी की अधिक मात्रा बह जाती है, इसलिए ध्यान दें कि आप पानी की पर्याप्त मात्रा लें। रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए।
व्यायाम करें
गर्मी में अधिक व्यायाम नहीं करना चाहिए, लेकिन नियमित रूप से थोड़ा समय व्यायाम करना अच्छा होता है।
लू से बचाव करें
लू लगने से बचने के लिए ठंडे पानी का सेवन करें और गर्मी में बाहर जाते समय सिर पर कपड़ा बांधें।
समय से आराम करें
गर्मी में अधिक समय तक जागने से बचें और समय-समय पर आराम लें।
इन सावधानियों का पालन करने से आप गर्मी के मौसम में स्वस्थ रह सकते हैं। अगर आपको गर्मी के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या महसूस होती है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

गर्मी में न सिर्फ वातावरण, बल्कि शरीर का तापमान भी बढ़ता है। बेचैनी, घबराहट, सुस्ती के अलावा पेट संबंधी परेशानियां इस मौसम में आम हैं। डाइट में थोड़ी फेरबदल करके और दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करके परेशानियों से बचा जा सकता है। जानिए एक्सप‌र्ट्स से गर्मियों में चुस्त रहने के कुछ नुस्खे।

डाइट टिप्स
1. ताजा खाना खाएं और स्वस्थ रहें। गर्मियों में तुरंत पकाया हुआ भोजन ही करें, क्योंकि इस मौसम में सब्जी (खासतौर पर टमाटर-आलू वाली रसेदार सब्जियां), दालें जल्दी खराब हो जाती हैं। सुपाच्य भोजन करें और गरिष्ठ भोजन से दूर रहें।
2. सुबह उठने के एक-डेढ घंटे के भीतर कुछ न कुछ अवश्य खा लें या फिर ग्रीन टी लें। देर तक बिना खाए रहने से शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। थोडी-थोडी देर में खाने से ओवरईटिंग से भी बचा जा सकता है। बेहतर होगा कि दिन की शुरुआत हलके गुनगुने पानी में नीबू और शहद के साथ करें।
3. गर्मियों में चाय-कॉफी का सेवन कम करें। कैफीन से शरीर में डिहाइड्रेशन बढता है। इसके बजाय जूस, आइस-टी, दही, लस्सी, छाछ, सत्तू, नीबू-पानी, आम पना, बेल शर्बत, नारियल पानी, गन्ने के रस को अपनी डाइट में शामिल करें।
4. घर में हर समय ग्लूकोज, इलेक्ट्रॉल के अलावा पुदीना और आम पना अवश्य रखें।
5. बाहर की गर्मी से आकर तुरंत फ्रिज का ठंडा पानी न पिएं। इसके बजाय सुराही, मटके या घडे के पानी को प्राथमिकता दें।

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यूसीसी क्या ये नियम जिसे बदलने की चल रही है बात

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डिजीटल भारत I यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का मतलब है कि पूरे देश में हर धर्म, जाति, संप्रदाय, और वर्ग के लिए एक ही नियम हो. दूसरे शब्दों में कहें, तो समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मतलब है कि पूरे देश के लिए एक समान कानून हो. यह कानून विवाह, तलाक, विरासत, और गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होगा. यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आती है.

असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव के बाद बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भी लेकर आएंगे। थोड़ा उत्तराखंड का असर देख रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी लेनी है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है 2026 में वो हो जाना चाहिए
100 साल भी ज्यादा पुराना है UCC का इतिहास
UCC का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। यूसीसी का इतिहास 19वीं शताब्दी में खोजा जा सकता है जब शासकों ने अपराधों, सबूतों और अनुबंधों से संबंधित भारतीय कानून के संहिताकरण में एकरूपता की आवश्यकता पर बल दिया था।
हालांकि, तब विशेष रूप से सिफारिश की गई थी कि हिंदुओं और मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को इस तरह के कानून से बाहर रखा जाना चाहिए।
ब्रिटिश क्योंकि एकेश्वरवादी ईसाई थे, इसलिए उनके लिए भारत में चल रही जटिल प्रथाओं को समझना मुश्किल था। साथ ही अंग्रेजो का मुख्य उद्देश्यी से भारत से पैसा लूटना था, इसलिए वे किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहते थे।

पहली बार कब हुआ था यूसीसी का जिक्र
समान नागरिक कानून का जिक्र 1835 में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में भी किया गया था. इसमें कहा गया था कि अपराधों, सबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत है. इस रिपोर्ट में हिंदू-मुसलमानों के धार्मिक कानूनों से छेड़छाड़ की बात नहीं की गई है.
हालांकि, 1941 में हिंदू कानून पर संहिता बनाने के लिए बीएन राव समिति का गठन किया गया. राव समिति की सिफारिश पर 1956 में हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और सिखों के उत्तराधिकार मामलों को सुलझाने के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम विधेयक को अपनाया गया. हालांकि, मुस्लिम, ईसाई और पारसियों लोगों के लिये अलग कानून रखे गए थे.
डॉ. आंबेडकर ने यूसीसी पर क्‍या कहा था
भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि हमारे पास पूरे देश में एक समान और पूर्ण आपराधिक संहिता है. ये दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता में शामिल है. साथ ही हमारे पास संपत्ति के हस्तांतरण का कानून है, जो संपत्ति और उससे जुड़े मामलों से संबंधित है. ये पूरे देश में समान रूप से लागू है.
यूनिफॉर्म सिविल कोड या यूसीसी है क्‍या?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के लिए पूरे देश में एक ही नियम. दूसरे शब्‍दों में कहें तो समान नागरिक संहिता का मतलब है कि पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिये विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक ही होंगे. संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है.
अनुच्छेद-44 संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है. इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ के सिद्धांत का पालन करना है. बता दें कि भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान ‘आपराधिक संहिता’ है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं है.
अभी क्या है समान नागरिक संहिता का हाल
भारतीय अनुबंध अधिनियम-1872, नागरिक प्रक्रिया संहिता, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम-1882, भागीदारी अधिनियम-1932, साक्ष्य अधिनियम-1872 में सभी नागरिकों के लिए समान नियम लागू हैं. वहीं, धार्मिक मामलों में सभी के लिए कानून अलग हैं. इनमें बहुत ज्‍यादा अंतर है.
हालांकि, भारत जैसे विविधता वाले देश में इसको लागू करना इतना आसान नहीं है. देश का संविधान सभी को अपने-अपने धर्म के मुताबिक जीने की पूरी आजादी देता है. संविधान के अनुच्छेद-25 में कहा गया है कि कोई भी अपने हिसाब धर्म मानने और उसके प्रचार की स्वतंत्रता रखता है.
अब तक देश में क्‍यों लागू नहीं हो पाया यूसीसी
भारत का सामाजिक ढांचा विविधता से भरा हुआ है. हालात ये हैं कि एक ही घर के सदस्‍य अलग-अलग रीति-रिवाजों को मानते हैं. अगर आबादी के आधार पर देखें तो देश में हिंदू बहुसंख्‍यक हैं. लेकिन, अलग राज्‍यों के हिंदुओं में ही धार्मिक मान्‍यताएं और रीति-रिवाजों में काफी अंतर देखने को मिल जाएगा. इसी तरह मुसलमानों में शिया, सुन्‍नी, वहावी, अहमदिया समाज में रीति रिवाज और नियम अलग हैं. ईसाइयों के भी अलग धार्मिक कानून हैं. वहीं, किसी समुदाय में पुरुष कई शादी कर सकते हैं. कहीं विवाहित महिला को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिल सकता तो कहीं बेटियों को भी संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया है. समान नागरिक संहिता लागू होते ही ये सभी नियम खत्म हो जाएंगे. हालांकि, संविधान में नगालैंड, मेघालय और मिजोरम के स्‍थानीय रीति-रिवाजों को मान्यता व सुरक्षा देने की बात कही गई है.
दुनिया के किन देशों में लागू है यूसीसी
दुनिया के कई देशों में समान नागरिक संहिता लागू है. इनमें हमारे पड़ोसी देश पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश भी शामिल हैं. इन दोनों देशों में सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों पर शरिया पर आधारित एक समान कानून लागू होता है. इनके अलावा इजरायल, जापान, फ्रांस और रूस में भी समान नागरिक संहिता लागू है. हालांकि, कुछ मामलों के लिए समान दीवानी या आपराधिक कानून भी लागू हैं. यूरोपीय देशों और अमेरिका में धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो सभी धर्म के लोगों पर समान रूप से लागू होता है. दुनिया के ज्‍यादातर इस्लामिक देशों में शरिया पर आधारित एक समान कानून है, जो वहां रहने वाले सभी धर्म के लोगों को समान रूप से लागू होता है.

यूसीसी के बाद क्या होंगे बदलाव
अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी. इससे वे कम से कम ग्रेजुएट तक की पढ़ाई पूरी कर सकेंगी. वहीं, गांव स्‍तर तक शादी के पंजीकरण की सुविधा पहुंचाई जाएगी.
अगर किसी की शादी पंजीकृत नहीं होगी तो दंपति को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा. पति और पत्‍नी को तलाक के समान अधिकार मिलेंगे. एक से ज्‍यादा शादी करने पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी. नौकरीपेशा बेटे की मौत होने पर पत्‍नी को मिले मुआवजे में माता-पिता के भरण पोषण की जिम्‍मेदारी भी शामिल होगी. उत्‍तराधिकार में बेटा और बेटी को बराबर का हक होगा.
ये बड़े बदलाव भी किए जाएंगे लागू
पत्‍नी की मौत के बाद उसके अकेले माता-पिता की देखभाल की जिम्‍मेदारी पति की होगी. वहीं, मुस्लिम महिलाओं को बच्‍चे गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा. उन्‍हें हलाला और इद्दत से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा. लिव-इन रिलेशन में रहने वाले सभी लोगों को डिक्लेरेशन देना पड़ेगा. पति और पत्‍नी में अनबन होने पर उनके बच्‍चे की कस्‍टडी दादा-दादी या नाना-नानी में से किसी को दी जाएगी. बच्‍चे के अनाथ होने पर अभिभावक बनने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी.

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एम्बुलेंस ना मिलने के कारन गोद में उठा कर पत्नी को अस्पताल पहुंचाया…….वीडियो वाइरल

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डिजिटल भारत I सरई थाना क्षेत्र के बिलवानी गांव में एक युवक की पत्नी की तबीयत अचानक खराब हो गई, तमाम कोशिशों के बाद जब एंबुलेंस नहीं मिली तो वह कंधे पर लादकर अस्पताल ले गया.प्रदेश के उर्जाधानी जिले सिंगरौली से एक दुर्भाग्यपूर्ण खबर सामने आई है, यहां एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी पत्नी को ईलाज कराने के लिए करीब 10 किलोमीटर तक कंधे पर लादकर चलना पड़ा,सरकारी एंबुलेंस के लिए उसने कई बार प्रयास किया लेकिन नहीं मिली, जिसके बाद उसे यह कदम उठाना पड़ा, घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया में वायरल हो गया है, वीडियो वायरल होने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग की किरकिरी होने लगी है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल सिंगरौली जिले के सरई थाना क्षेत्र के बिलवानी गांव में आदिवासी युवक की पत्नी की तबीयत अचानक खराब हो गई। तमाम कोशिशों के बाद जब एम्बुलेंस नहीं मिली तो पत्नी को कंधे पर लादकर पैदल चल दिया। 10 किलोमीटर दूर सरई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने इलाज किया। पत्नी की हालत तो अब सुधर गई, पर बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की ये तस्वीर कब सुधरेगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
घटना का वीडियो आया सामने
इस घटना को जिसने भी देखा दंग रह गया। स्थानीय लोगों ने इसका वीडियो बना लिया और इसे सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। घटना गुरुवार की है। मामले में जब अमर उजाला की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क करना चाहा तो कई बार कॉल करने के बाद फ़ोन रिसीव नही किया गया। बहरहाल इस तरह की शर्मनाक तस्वीर से एक बार फिर स्वास्थ्य की किरकिरी शुरू हो गई है।

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क्या मोदी कर रहे चाइना से अपने संबंध मधुर बनाने के प्रयास ?

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डिजिटल भारत I प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ सीमा विवाद को हल करने की जरूरत बताई है, जो कि बिल्कुल सही रुख है। दोनों देश पड़ोसी होने के साथ ही दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और ग्रोथ इंजन हैं। इसलिए किसी भी तरह के टकराव से दोनों का ही नुकसान है। ऐसे में पीएम मोदी का यह कहना सही है कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए भारत-चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध अहम हैं।

अड़ियल चीन
भारत का यह स्टैंड ऐसे समय सामने आया है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर एक बार फिर से अड़ियल रवैया अपनाया है। वह पहले भी अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा में कई जगहों के नाम बदल चुका है। चीन इस इलाके पर अपना दावा ठोकता रहा है और इस राज्य को जंगनान बुलाता है
जिम्मेदारी चीन पर
हालांकि, बेहतर यही होगा कि चीन, भारत में शीर्ष स्तर से की गई इस पहल को स्वीकार कर ले और बातचीत के जरिए आपसी विवाद को सुलझाए। भारत के साथ किसी भी तरह का विवाद दोनों ही देशों के लिए ठीक नहीं होगा। वहीं, अगर दोनों के बीच शांतिपूर्ण संबंध बनते हैं तो उनकी तरक्की का मार्ग प्रशस्त होगा।
चीन ने पीएम मोदी के बयान पर क्‍या-क्‍या कहा?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ ने कहा कि सीमा से जुड़ा सवाल भारत-चीन संबंधों की संपूर्णता का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और इसे द्विपक्षीय संबंधों में उचित रूप से रखा जाना चाहिए और ठीक से प्रबंधित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देश राजनयिक और सैन्य माध्यमों से करीबी संपर्क में हैं। माओ निंग ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारत समान दिशा में चीन के साथ काम करेगा, द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक ऊंचाइयों और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य के लिहाज से संभालेगा, आपसी विश्वास बढ़ाएगा, बातचीत और सहयोग पर कायम रहेगा, मतभेदों को ठीक से संभालेगा और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत और स्थिर बनाने की राह पर चलेगा।’
भारत-चीन सीमा विवाद
इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि चीन और भारत को जल्द से जल्द लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी का मसला सुलझा लेना चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लिए चीन के साथ संबंध महत्वपूर्ण हैं और इसलिए दोनों को लंबे वक्त से चल रही इस स्थिति को जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​है कि अपनी सीमाओं पर लंबे समय से चल रही स्थिति को हमें तुरंत सुलझाने की ज़रूरत है ताकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय चर्चा में मुश्किल स्थिति को पीछे छोड़ा जा सके.”
उन्होंने कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर होने वाली बातचीत का ज़िक्र किया.
पीएम मोदी ने कहा, “दोनों मुल्कों के बीच स्थायी और शांतिपूर्ण रिश्ते ना केवल हम दोनों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं. मुझे उम्मीद है कि सकारात्मक द्विपक्षीय बातचीत से हम सीमा पर शांति बहाल करने में सक्षम होंगे.”
विपक्ष ने कई बार ये आरोप लगाया है कि भारत की ज़मीन पर चीनी सेना कब्ज़ा कर रही है.
2020 में गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की जान गई थी.
तब पीएम मोदी ने कहा था- ना कोई हमारे क्षेत्र में घुसा है और ना किसी पोस्ट पर क़ब्ज़ा किया है.
भारत और चीन के बीच रिश्तों पर क्या बोले?
पीएम मोदी ने कहा कि एक लोकतांत्रिक राजनीति और वैश्विक आर्थिक विकास के इंजन के रूप में भारत उन लोगों के लिए स्वाभाविक पसंद है जो अपने सप्लाई चेन में विविधता देखना चाहते हैं
मोदी ने अर्थव्यवस्था से जुड़े अपनी सरकार के फ़ैसलों को परिवर्तन लाने वाले सुधार कहा.
उन्होंने कहा कि सरकार जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर), कॉर्पोरेट कर में कटौती, एफ़डीआई के नियमों में रियायत और लेबर क़ानूनों में सुधार लाई है.
उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​है कि वैश्विक आबादी के छठे हिस्से वाला मुल्क जब इन क्षेत्रों में वैश्विक मानदंडों को अपनाएगा, तो इसका पूरी दुनिया पर सकारात्मक असर पड़ेगा.”
मोदी ने कहा, “हमारी मज़बूती देखते हुए वैश्विक स्तर पर अब ये माना जाने लगा है कि भारत प्रतियोगी दरों पर विश्व स्तरीय सामान बना सकता है. हम दुनिया के लिए तो उत्पादन कर ही रहे हैं, हमारा अपना विशाल और आकर्षक घरेलू बाज़ार भी है. भारत उन लोगों के लिए आदर्श जगह है जो विश्वसनीय और लचीली सप्लाई चेन बनाना चाहते हैं.”
पाकिस्तान से जुड़े सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, “मैं पाकिस्तान के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करूंगा.”
मीडिया की आज़ादी पर क्या कहा
पीएम मोदी ने लोकतंत्र और मीडिया की आज़ादी पर कहा, “भारत एक लोकतंत्र इसलिए नहीं है क्योंकि ये उसके संविधान में है बल्कि इसलिए है क्योंकि ये हमारे जीन में है.”
उन्होंने कहा कि मतदाताओं की लगातार बढ़ती भागीदारी इस बात का सबूत है कि लोगों को भारतीय लोकतंत्र पर भरोसा है.
उन्होंने मीडिया की तरफ इशारा करते हुए कहा कि भारत जैसा एक विशाल लोकतंत्र इसलिए आगे बढ़ पा रहा है क्योंकि यहां एक जीवंत फीडबैक सिस्टम है.
उन्होंने कहा, “हमारा मीडिया इस संबंध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भारत में क़रीब डेढ़ लाख मीडिया पब्लिकेशन्स हैं और सौ के आसपास न्यूज़ चैनल हैं.”
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि भारत और पश्चिम में कुछ लोग ऐसे हैं जिनका भारत के लोगों के साथ जुड़ाव टूट चुका है.

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देश की पहली किन्नर महामंडलेश्वर हेमांगी सखी वाराणसी लोकसभा सीट जमाया अपना पैर,मोदी के आगे टक्कर से खड़ी

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डिजिटल भारत I देश की पहली किन्नर महामंडलेश्वर हेमांगी सखी वाराणसी लोकसभा सीट से मैदान में उतरेंगी। अखिल भारत हिंदू महासभा ने हेमांगी सखी को बनारस से टिकट दिया है। वह 12 अप्रैल को बनारस पहुंचेंगी और बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेकर अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगी।
महामंडलेश्वर हेमांगी सखी ने कहा कि पूरे देश में किन्नर समाज की स्थिति दयनीय है। किन्नर समाज के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गई है। किन्नर समाज अपनी बात लोकसभा और विधानसभा में कैसे रखेगा? किन्नर समाज का नेतृत्व कौन करेगा? किन्नर समाज की भलाई के लिए मैंने धर्म से राजनीति की ओर रुख किया है।
हेमांगी सखी ने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में नहीं हैं, उन्होंने भी धर्म का काम किया है। हमारा प्रयास सिर्फ इतना ही है कि हमारी बात सरकार के कानों तक पहुंचे। इसीलिए वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
अर्धनारीश्वर को सरकार ने भुला दिया
महामंडलेश्वर ने कहा कि सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया है। हम इसकी सराहना करते हैं, बेटियां जगत जननी का स्वरूप हैं, लेकिन सरकार अर्धनारीश्वर को भूल गई है।’ हम भी यह सूत्र सुनना चाहते हैं कि वह दिन कब आएगा? केंद्र सरकार ने ट्रांसजेंडर पोर्टल लॉन्च किया लेकिन क्या किन्नरों को इसके बारे में पता है? जो लोग सड़क पर भीख मांगते हैं उन्हें नहीं पता कि उनके लिए कोई पोर्टल है।
सरकार को किन्नर समाज के लिए सीटें आरक्षित करनी होंगी
उन्होंने सवाल किया कि जब सरकार ने पोर्टल जारी किया तो उसका प्रचार-प्रसार क्यों नहीं किया? ट्रांसजेंडर बोर्ड बनाने से कुछ नहीं होता। सरकार को किन्नर समाज के लिए सीटें आरक्षित करनी होंगी, तभी हालात बदलेंगे.
देश की हर पार्टी को ये पहल करनी होगी
अगर आज भाजपा सरकार ने किन्नरों के लिए अपने दरवाजे खुले रखे होते तो शायद महामंडलेश्वर हेमांगी सखी को यह कदम उठाने की नौबत नहीं आती। उनका कहना है, ‘हिंदू महासभा ने मुझे हाशिए पर रहने वाले लोगों को मुख्यधारा में लाने और उनके विचारों को समाज के सामने पेश करने के लिए नामांकित किया है। और ये पहल देश की हर पार्टी को करनी होगी.
कौन हैं महामंडलेश्वर हिमांगी सखी
हिमांगी सखी किन्‍नर महामंडलेश्‍वर हैं. वह 5 भाषाओं में भागवत कथा सुनाने के लिए जानी जाती हैं. उन्हें किन्नर समाज के लिए कई बार लड़ते देखा गया है. हिमांगी सखी ने कहा कि किन्नर समाज को उनका अधिकार व सम्मान दिलाने के लिए वह चुनावी मैदान में उतरी हैं. प्रधानमंत्री का ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ नारा अच्छा है लेकिन ‘किन्नर बचाओ-किन्नर पढ़ाओ’ की आवश्यकता नहीं समझी गई. ‘

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