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बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भारतीय छात्रों के लिए शिक्षा के अवसर और लाभ

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डिजिटल भारत I हाल ही में बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप देश में एक अंतरिम सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस सरकार का नेतृत्व मोहम्मद यूनुस करेंगे, जिन्हें बांग्लादेश में छात्रों की प्रमुख पसंद के रूप में देखा जा रहा है। यह स्थिति तब आई जब छात्रों के एक बड़े आंदोलन ने शेख़ हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। इस आंदोलन ने बांग्लादेश की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है और देश की वर्तमान स्थिति को बदल दिया है।

बांग्लादेश में छात्रों की राजनीतिक सक्रियता
बांग्लादेश में छात्रों की राजनीतिक सक्रियता एक महत्वपूर्ण विशेषता है, जो समय-समय पर राजनीतिक बदलावों की दिशा निर्धारित करती है। छात्र आंदोलन, जो समाज में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बांग्लादेश में एक अभिन्न हिस्सा हैं। वर्तमान राजनीतिक संकट की जड़ें भी इसी छात्र आंदोलन से जुड़ी हुई हैं, जिसने न केवल सरकार को चुनौती दी है बल्कि पूरे देश की राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है।

भारतीय छात्रों की बांग्लादेश में पढ़ाई
इस राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद, बांग्लादेश में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में वृद्धि हो रही है। जुलाई के अंत तक, क़रीब सात हजार भारतीय छात्र बांग्लादेश से वापस लौट चुके हैं। इन छात्रों में से कई ने बीबीसी से बातचीत करते हुए बांग्लादेश में पढ़ाई के विभिन्न लाभों की चर्चा की।

सुदीप्ता मैती, जो पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर ज़िले के निवासी हैं, ने बताया कि बांग्लादेश में पढ़ाई करने का एक प्रमुख लाभ यह है कि बांग्लादेश भारत के साथ अच्छी कनेक्टिविटी रखता है। सुदीप्ता के अनुसार, “बांग्लादेश अब इतने अच्छे ढंग से भारत से जुड़ा हुआ है कि कोई भी महज कुछ घंटों में कोलकाता पहुँच सकता है। शायद यही कारण है कि बांग्लादेश में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है।”
भारतीय छात्रों के लिए बांग्लादेश के फायदे
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में 13 लाख से ज़्यादा भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई के लिए गए थे, जिनमें से 9,308 छात्र बांग्लादेश गए थे। बांग्लादेश का रुख़ करने के प्रमुख कारणों में बेहतर कनेक्टिविटी, कम दूरी, समान संस्कृति, और भारतीय शिक्षण संस्थानों में सीमित सीटें और उच्च खर्च शामिल हैं।
मेडिकल शिक्षा की लागत में अंतर
भारत में मेडिकल शिक्षा की उच्च लागत और सीटों की कमी के कारण, कई भारतीय छात्र बांग्लादेश की ओर रुख कर रहे हैं। कश्मीर की काज़ी, जो वर्तमान में पांचवें साल की एमबीबीएस की छात्रा हैं, ने बांग्लादेश में मेडिकल शिक्षा की लागत को भारतीय लागत से तुलना की। काज़ी ने कहा, “भारत में मेडिकल की पढ़ाई में एक करोड़ से ज़्यादा रुपए खर्च हो जाते हैं, जबकि बांग्लादेश में यह लागत 40 से 50 लाख रुपए के बीच रहती है।”
बांग्लादेश में चिकित्सा शिक्षा की स्थिति
काज़ी ने यह भी बताया कि जब उन्होंने 2019 में ढाका के अद-दीन मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया, तब कश्मीर में केवल दो मेडिकल कॉलेज थे और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज का कोई विकल्प नहीं था। बांग्लादेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या अधिक होने के कारण, छात्रों को विभिन्न विकल्प प्राप्त होते हैं, जो उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।
बांग्लादेश में शिक्षा के अवसर
बांग्लादेश में भारतीय छात्रों के लिए शिक्षा के अवसर व्यापक और विविध हैं। यहाँ पर विभिन्न प्रकार की शैक्षणिक संस्थान उपलब्ध हैं, जो भारतीय छात्रों को गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने में सक्षम हैं। इसके अतिरिक्त, बांग्लादेश की शिक्षा प्रणाली में समान भाषा और सांस्कृतिक संदर्भ भारतीय छात्रों के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाते हैं।
राजनीतिक अस्थिरता और इसके प्रभाव
हालांकि बांग्लादेश में वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता ने कुछ छात्रों को भारत लौटने पर मजबूर किया है, फिर भी बांग्लादेश की शिक्षा प्रणाली और यहाँ की सुविधाएँ भारतीय छात्रों को आकर्षित करती हैं। यह अस्थिरता शिक्षा के अवसरों पर प्रभाव डाल सकती है, लेकिन बांग्लादेश में अध्ययन करने के लाभ छात्रों को इस चुनौतीपूर्ण समय में भी यहाँ की ओर आकर्षित करते हैं।
समापन विचार
बांग्लादेश में छात्रों की भूमिका और भारतीय छात्रों के लिए बांग्लादेश में शिक्षा के लाभ एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद, बांग्लादेश की शिक्षा प्रणाली और इसके द्वारा प्रदान किए गए अवसर भारतीय छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प बने हुए हैं। बांग्लादेश में पढ़ाई की लागत, कनेक्टिविटी, और समान संस्कृति इसे भारतीय छात्रों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं।
इस प्रकार, बांग्लादेश की शिक्षा प्रणाली और इसके अवसरों पर ध्यान देते हुए, हमें उम्मीद करनी चाहिए कि भविष्य में भी बांग्लादेश भारतीय छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र बना रहेगा।

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मनु भाकर की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात: भारतीय खेलों में मान्यता और समर्थन की नई दिशा

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डिजिटल भारत I नमस्कार! अमर उजाला के लाइव ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज पेरिस ओलंपिक 2024 का 13वां दिन है, और इस दिन भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर देशभर की निगाहें टिकी हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं कि आज भारत के लिए इस दिन का महत्व क्या है और क्या प्रमुख घटनाएँ हो रही हैं।

नीरज चोपड़ा: एक और ऐतिहासिक प्रदर्शन की उम्मीद
आज पेरिस ओलंपिक में भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में स्वर्ण पदक जीतने वाले भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने अपनी जबरदस्त फॉर्म और तकनीक से खेल प्रेमियों को प्रभावित किया है। पेरिस ओलंपिक में भी उनसे ऐसी ही उम्मीदें हैं कि वे एक और ऐतिहासिक प्रदर्शन करके देश को गर्वित करेंगे।
नीरज चोपड़ा की तैयारी और उनकी पिछले वर्षों की मेहनत इस बात का संकेत देती है कि वे एक बार फिर से अपने परफॉर्मेंस से सबको चौंका सकते हैं। उनका भाला फेंकना सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि भारत की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाता है। उनकी तकनीकी क्षमता और मानसिक दृढ़ता उन्हें ओलंपिक स्तर पर अद्वितीय बनाती है।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम: कांस्य पदक की ओर
वहीं, भारतीय पुरुष हॉकी टीम के लिए आज का दिन कांस्य पदक की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर है। स्वर्ण पदक की दौड़ से बाहर होने के बाद, टीम अब अपने अभियान को सकारात्मक तरीके से समाप्त करना चाहती है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पिछले कुछ वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन ओलंपिक के इस संस्करण में स्वर्ण पदक की उम्मीदों के मद्धम होने के बावजूद, कांस्य पदक एक संतोषजनक परिणाम होगा।
टीम की रणनीति और खेल की तकनीक इस बात पर निर्भर करेगी कि वे आज अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ कैसा प्रदर्शन करते हैं। भारतीय हॉकी की समृद्ध परंपरा और खिलाड़ी की सामर्थ्य को देखते हुए, टीम इस अवसर का पूर्ण उपयोग करने का प्रयास करेगी। इस प्रकार, कांस्य पदक जीतने से टीम की मेहनत और लगन का फल मिल सकता है।
मनु भाकर की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात
इसके अलावा, भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मुलाकात की। उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से नई दिल्ली स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। यह मुलाकात विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि मनु भाकर ने ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीते हैं, और उनकी सफलता को मान्यता देने के लिए इस मुलाकात का आयोजन किया गया।
मनु भाकर ने सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की जानकारी साझा करते हुए लिखा, “मुझे भारत के माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से नई दिल्ली स्थित उनके कार्यालय में मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। मैं आभारी हूं कि उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर मुझे अपना समर्थन दिया और अपने प्रेरणादायक शब्दों से मुझे प्रेरित किया।”
इस मुलाकात ने मनु भाकर को नई ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान की है। रक्षा मंत्री के साथ इस मुलाकात से उन्हें अपनी मेहनत और खेल के प्रति अपने समर्पण को मान्यता मिली है। यह भी दर्शाता है कि भारतीय खेलों में खिलाड़ियों की सफलता को सम्मानित करने के लिए उच्चस्तरीय समर्थन मौजूद है।
भारतीय खिलाड़ियों की सफलता और देश का गर्व
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने देश को गर्वित किया है। नीरज चोपड़ा की भाला फेंकने की कला और मनु भाकर की निशानेबाजी की सफलता ने भारतीय खेलों में एक नई ऊँचाई को छूने का संकेत दिया है। भारतीय खेल प्रशंसा के पात्र हैं और उनके प्रदर्शन ने दुनिया भर में भारत की पहचान को मजबूत किया है।
समापन विचार
आज पेरिस ओलंपिक के 13वें दिन, भारत की उम्मीदें नीरज चोपड़ा और भारतीय पुरुष हॉकी टीम पर टिकी हैं। जबकि नीरज चोपड़ा एक और ऐतिहासिक प्रदर्शन की कोशिश करेंगे, भारतीय पुरुष हॉकी टीम कांस्य पदक की दिशा में अपनी यात्रा को समाप्त करने की कोशिश करेगी। इसके अलावा, मनु भाकर की रक्षा मंत्री से मुलाकात ने उनके योगदान और सफलता को मान्यता दी है, जो भारतीय खेलों में समर्थन और प्रोत्साहन को दर्शाती है।
इस प्रकार, पेरिस ओलंपिक 2024 का 13वां दिन भारतीय खिलाड़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक दिन साबित हो सकता है। देशभर की नजरें इन महत्वपूर्ण आयोजनों पर हैं, और हम आशा करते हैं कि भारतीय खिलाड़ी अपने प्रयासों से देश का नाम रोशन करेंगे।

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राजा भैया का बयान: बांग्लादेश हिंसा पर केंद्र सरकार उठाए कदम

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डिजिटल भारत I जनसत्ता दल के मुखिया और कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद हो रहे हिन्दुओं पर हमलों को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने केंद्र सरकार से बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की अपील की है। राजा भैया ने सवाल उठाया कि तख्ता पलट के बाद हिंसा का क्या औचित्य है और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत आने पर भी टिप्पणी की है।

राजा भैया ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर बांग्लादेश की स्थिति पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “बांग्लादेश की स्थिति से मन बहुत उद्विग्न है। छात्र आन्दोलन के नाम पर आतंकवाद, आगजनी, हत्या, बलात्कार और लूटपाट क्यों हो रही है? तख्ता पलट तो हो गया, अब हिंसा किस लिए? हिन्दुओं की हत्याएं हो रही हैं, मंदिर जलाए जा रहे हैं। अंतरिम सरकार और बांग्लादेशी सेना अविलम्ब प्रभावी कदम उठाए। भारतीयों की सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करे। और हां, विश्व में 57 मुस्लिम देश हैं, शेख हसीना ने वहां ना तो शरण मांगी ना किसी देश ने शरण दी, ऐसा क्यों? सोचिएगा अवश्य।”

मंदिरों और हिन्दुओं पर हमले
शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़ने के बावजूद बांग्लादेश में हिंसा का दौर जारी है। उपद्रवी खासकर वहां रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं और उनके घरों व मंदिरों को निशाना बना रहे हैं। अब तक लगभग 30 मंदिरों को तोड़ा जा चुका है। हिंसा में कई हिन्दुओं की हत्या भी हुई है और उनके घरों व दुकानों में लूटपाट और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में इस स्थिति पर जानकारी दी थी।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता
बांग्लादेश में जारी हिंसा पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी नजरें टिकी हुई हैं। विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने इस हिंसा की निंदा की है और बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। भारत भी इस स्थिति पर नजर रखे हुए है और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है।

राजा भैया की मांग
राजा भैया ने बांग्लादेश में फंसे हिन्दुओं की सुरक्षित वापसी के लिए सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हिंसा के इस दौर में हिन्दुओं को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है और उनकी जान-माल की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। राजा भैया ने अंतरिम सरकार और बांग्लादेशी सेना से भी हिंसा पर काबू पाने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

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बांग्लादेश: हिन्दू छात्रा ने लिखी मदद की चिट्ठी, सोशल मीडिया पर वायरल

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बांग्लादेश में चल रही हिंसा के बीच सोशल मीडिया पर एक चिट्ठी वायरल हो रही है। इस चिट्ठी को अंग्रेजी में लिखा गया है और दावा किया जा रहा है कि इसे बांग्लादेश में 12वीं कक्षा की एक हिन्दू छात्रा ने लिखा है। स्पुतनिक इंडिया द्वारा साझा की गई इस चिट्ठी में छात्रा ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है।

चिट्ठी में छात्रा ने देश में हो रही हिंसा के हालात का बखान करते हुए कहा है कि सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, असल स्थिति उससे कहीं अधिक भयावह है। देश में हिन्दुओं को निशाना बनाकर हमले किए जा रहे हैं, जिनका वर्णन शब्दों में करना मुश्किल है। विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों को उत्पीड़न और रेप का शिकार बनाया जा रहा है। हिन्दुओं के व्यवसाय भी हमलों से प्रभावित हो रहे हैं और उनकी दुकानों को तोड़ा जा रहा है।

चिट्ठी में यह भी बताया गया है कि हिंसा के बीच हिन्दुओं से लाखों रुपए वसूले जा रहे हैं। उपद्रवी लोग हिन्दुओं से जान और घरों की सुरक्षा के बदले पैसे मांग रहे हैं। हिन्दुओं को देश छोड़ने या गंभीर परिणाम भुगतने की धमकियां भी दी जा रही हैं।

बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंसा के दौरान अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय को विशेष तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद हिंसा का नया दौर शुरू हुआ है। भीड़ ने हिन्दुओं के घरों और दुकानों पर हमला किया, मंदिरों में तोड़फोड़ की और धार्मिक स्थानों को भी निशाना बनाया। बंगाली गायक राहुल आनंद के ढाका स्थित घर पर भी हमला हुआ, जिसमें आग लगा दी गई और घर के सामान को लूट लिया गया। सोमवार से शुरू हुई इस नई हिंसा में अब तक कम से कम 100 स्थानों पर हिन्दुओं को निशाना बनाया गया है, जिनमें 10 हिन्दू मंदिर भी शामिल हैं।

देश में हिन्दू समुदाय की सुरक्षा के लिए भारत सरकार से मदद की अपील की जा रही है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस चिट्ठी ने स्थिति की गंभीरता को और अधिक उजागर कर दिया है

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तेज़ रफ्तार जिंदगी में योग से पेट की देखभाल: विशेषज्ञ की सलाह

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डिजिटल भारत I आजकल की तेज़ रफ्तार जिंदगी में खान-पान और स्वास्थ्य का ध्यान रखना मुश्किल हो जाता है। इसके कारण पेट से संबंधित समस्याएँ, जैसे गैस, कब्ज, और अपच आम हो गई हैं। इन समस्याओं के कारण सिर दर्द, मुंह में दाने, और जीभ में छाले जैसी समस्याएँ भी देखने को मिलती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए योग के कुछ आसन काफी प्रभावी साबित हो सकते हैं।
लोकल 18 की टीम ने योग निलयम शोध संस्थान के योग ट्रेनर अमितेश सिंह से इस विषय पर विशेष बातचीत की। उन्होंने बताया कि योग के आसन पेट संबंधित समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं। इनमें वज्रासन, पवन मुक्तासन, अग्निसार, और कपालभाति प्रमुख हैं।
वज्रासन
वज्रासन पेट संबंधित रोगों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को फोल्ड करते हुए घुटनों को मिलाना होता है। इस आसन को करते समय कमर और गर्दन सीधी होनी चाहिए। यह एक ऐसा आसन है जिसे खाना खाने के बाद भी किया जा सकता है, जिससे खाना अच्छे से पच जाता है।
अमितेश सिंह ने बताया:
“वज्रासन से पेट की कई समस्याएँ, जैसे गैस और अपच, दूर हो सकती हैं। इसे नियमित रूप से करने से पाचन क्रिया सुधरती है और भोजन का अवशोषण बेहतर होता है।”
पवन मुक्तासन
यह आसन पेट में गैस की समस्या को दूर करने के लिए अत्यधिक प्रभावी है। इसे करने के लिए पीठ के बल लेटकर एक पैर को घुटने से मोड़कर छाती तक लाना होता है और हाथों से पकड़कर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सिर को उठाकर घुटने से मिलाना होता है।
अग्निसार
अग्निसार का अभ्यास पेट की अग्नि को बढ़ाने और पाचन तंत्र को मजबूत करने के लिए किया जाता है। इसे करने के लिए सीधे खड़े होकर सांस को बाहर निकालकर पेट को अंदर की ओर खींचना और छोड़ना होता है।
कपालभाति
कपालभाति एक प्रकार का प्राणायाम है जिसमें तेजी से सांस छोड़ना और धीरे-धीरे सांस लेना होता है। यह आसन पाचन क्रिया को सुधारने और पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
योग प्रशिक्षक अमितेश सिंह के अनुसार, “इन आसनों को नियमित रूप से करने से पेट की समस्याओं से राहत मिलती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसके साथ ही, यह आसन मानसिक शांति और तनावरहित जीवन के लिए भी लाभकारी होते हैं।”
इस प्रकार, योग के आसनों का नियमित अभ्यास न केवल पेट की समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है, बल्कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक साबित होता है।
इस रिपोर्ट के माध्यम से, लोकल 18 की टीम ने योग के महत्व को उजागर किया है और विशेषज्ञ की राय के साथ यह जानकारी साझा की है कि कैसे योग के आसन हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
योगासन के फायदे:
वज्रासन: पेट की समस्याएँ, गैस और अपच से राहत।
पवन मुक्तासन: पेट में गैस की समस्या से मुक्ति।
अग्निसार: पाचन तंत्र को मजबूत करना।
कपालभाति: पाचन क्रिया को सुधारना और मानसिक शांति प्राप्त करना।
विशेषज्ञ की राय:
“योग के आसनों का नियमित अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक शांति के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।”
इस प्रकार, अपने जीवन में योग को शामिल कर हम स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

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सरकार करेगी ईपीएस-95 पेंशनधारकों की समस्याओं का समाधान: मनसुख मांडविया

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डिजिटल भारत I ईपीएस-95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति (एनएसी) ने शुक्रवार को घोषणा की कि सरकार ने उनकी अधिक पेंशन की मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है। ईपीएस-95 योजना के लगभग 78 लाख पेंशनभोगी न्यूनतम मासिक पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये करने की मांग कर रहे हैं।
सरकारी आश्वासन
ईपीएस-95 पेंशनधारकों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिया कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। एनएसी ने एक बयान में कहा कि यह बैठक बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित विरोध प्रदर्शन के बाद हुई। इस प्रदर्शन में देश के विभिन्न हिस्सों से आए पेंशनधारकों ने भाग लिया और औसत 1,450 रुपये मासिक पेंशन की बजाय अधिक पेंशन की मांग की।
विरोध प्रदर्शन
विरोध प्रदर्शन के दौरान, पेंशनधारकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मांग की कि उनकी मासिक पेंशन को बढ़ाया जाए। एनएसी ने बताया कि लगभग 36 लाख पेंशनधारकों को प्रति माह 1,000 रुपये से भी कम पेंशन मिल रही है, जो उनके जीवनयापन के लिए पर्याप्त नहीं है।
पेंशनभोगियों की समस्याएं
समिति के अध्यक्ष अशोक राउत ने कहा, “श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने हमें भरोसा दिया है कि सरकार हमारी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए गंभीर है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भी हमारी समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” राउत ने यह भी कहा कि नियमित पेंशन कोष में दीर्घकालिक योगदान देने के बावजूद पेंशनभोगियों को बहुत कम पेंशन मिलती है, जिससे बुजुर्ग दंपतियों के लिए जीवनयापन मुश्किल हो जाता है।
निष्कर्ष
ईपीएस-95 पेंशनधारकों की मांग है कि उनकी मासिक पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये किया जाए ताकि वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। सरकार ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है, और पेंशनधारकों को उम्मीद है कि जल्द ही उनके मुद्दों का समाधान होगा।

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कृषि विकास के लिए 2 लाख करोड़ रुपये: 2024 के बजट में किसानों को बड़ी राहत

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डिजिटल भारत I बजट क्या होता है?
बजट एक वित्तीय योजना होती है जो किसी देश की सरकार आगामी वित्तीय वर्ष के दौरान अपनी आय और व्यय की योजना बनाती है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी खर्च और प्राप्तियों का विवरण शामिल होता है।
बजट कौन तय करता है?
बजट को वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाता है और फिर इसे संसद में पेश किया जाता है। संसद में बहस और विचार-विमर्श के बाद, इसे पारित किया जाता है। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर यह बजट लागू हो जाता है।
बजट से देश में क्या फर्क पड़ता है?
बजट का देश की आर्थिक स्थिति और विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। यह तय करता है कि सरकार किस क्षेत्र में कितना निवेश करेगी और किस प्रकार के कर लगाएगी। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं।
बजट किन-किन क्षेत्रों को प्रभावित करता है?
शिक्षा: शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ने से शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार होता है।
स्वास्थ्य: स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अधिक बजट आवंटन से अस्पतालों, चिकित्सा सुविधाओं और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सुधार होता है।
रोजगार: रोजगार सृजन के लिए सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं में निवेश बढ़ने से बेरोजगारी कम होती है।
बुनियादी ढांचा: सड़क, रेलवे, और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन आवंटन से देश का आधारभूत ढांचा मजबूत होता है।
कृषि: कृषि क्षेत्र के लिए सब्सिडी और योजनाओं का बजट बढ़ने से किसानों की स्थिति में सुधार होता है।
2024 के बजट में आए बदलाव
2024 के बजट में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं जो देश की अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे:
कर नीति में बदलाव: मध्यम वर्ग के लिए कर में राहत दी गई है और उच्च आय वर्ग के लिए कर दरें बढ़ाई गई हैं।
बुनियादी ढांचा निवेश: सड़क, रेलवे, और हवाई अड्डों के विकास के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
कृषि और ग्रामीण विकास: किसानों के लिए कर्ज माफी और नए कृषि योजनाओं के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
स्वास्थ्य क्षेत्र: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जिसमें नए अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण शामिल है।
शिक्षा: शिक्षा क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसमें नई यूनिवर्सिटी और रिसर्च सेंटर की स्थापना शामिल है।
डिजिटल इंडिया: डिजिटल इंडिया अभियान के तहत नई तकनीक और इंटरनेट सुविधा को बढ़ावा देने के लिए 30,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
2024 के बजट में किए गए ये बदलाव देश के विकास और विभिन्न क्षेत्रों की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण हैं। सरकार का लक्ष्य है कि इन परिवर्तनों के माध्यम से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया जाए और जनता को अधिक सुविधाएं प्रदान की जाएं।

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युवाओं में ब्रेकअप के बाद आत्महत्या की प्रवृत्ति: एक गंभीर समस्या

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डिजिटल भारत I भारत में दिल टूटना और ब्रेकअप एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, खासकर युवा पीढ़ी में। यह समस्या न केवल भावनात्मक स्तर पर बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालती है। कई युवा दिल टूटने के बाद आत्महत्या का रास्ता अपनाते हैं। इस लेख में हम विभिन्न शोध और रिपोर्ट्स के आधार पर यह जानने की कोशिश करेंगे कि भारत में कितने लोग दिल टूटने और ब्रेकअप के बाद अपनी जान दे देते हैं, और इस समस्या के पीछे के कारण क्या हैं।

दिल टूटने और आत्महत्या के आंकड़े
1. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में भारत में आत्महत्या करने वालों की संख्या 1,53,052 थी। इनमें से 10-15% मामले दिल टूटने या प्रेम संबंधों में विफलता से संबंधित थे। इस प्रकार, लगभग 15,000 लोग प्रतिवर्ष दिल टूटने के बाद आत्महत्या करते हैं।
2. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का विश्लेषण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 2019 के विश्लेषण के अनुसार, 15-29 आयु वर्ग में आत्महत्या की दर भारत में सबसे अधिक है। यह आयु वर्ग वह है जो सामान्यतः प्रेम संबंधों में अधिक सक्रिय होता है और दिल टूटने के बाद गंभीर मानसिक तनाव का सामना करता है।

3. भारतीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (NIMHANS) का अध्ययन
बंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS) के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 18-30 आयु वर्ग के 60% युवा कभी न कभी दिल टूटने का अनुभव करते हैं। इनमें से 20% युवा मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की तलाश करते हैं, जबकि 10% आत्महत्या का प्रयास करते हैं।

दिल टूटने के बाद युवाओं की मानसिक स्थिति
1. डिप्रेशन और चिंता
दिल टूटने के बाद युवाओं में डिप्रेशन और चिंता की समस्या बढ़ जाती है। एक अध्ययन के अनुसार, दिल टूटने के बाद 40% युवा डिप्रेशन का शिकार होते हैं। यह डिप्रेशन उन्हें आत्महत्या के विचारों की ओर ले जाता है।
2. अकेलापन और समाज से दूरी
दिल टूटने के बाद कई युवा अपने दोस्तों और परिवार से दूरी बना लेते हैं। वे खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और खराब हो जाती है।
3. आत्मविश्वास की कमी
ब्रेकअप के बाद युवाओं का आत्मविश्वास कम हो जाता है। वे खुद को बेकार और असहाय महसूस करने लगते हैं। इस स्थिति में आत्महत्या का विचार उन्हें तेजी से घेर लेता है।

आत्महत्या के कारण
1. सामाजिक दबाव
भारत में समाज प्रेम संबंधों को लेकर आज भी काफी संकीर्ण दृष्टिकोण रखता है। कई बार समाज का दबाव और सामाजिक प्रतिष्ठा का डर युवाओं को आत्महत्या की ओर धकेलता है।
2. परिवार का विरोध
परिवार का प्रेम संबंधों को न स्वीकारना और शादी के लिए मना करना भी युवाओं में मानसिक तनाव बढ़ा देता है। यह स्थिति आत्महत्या की ओर ले जाती है।
3. ब्रेकअप का दर्द
ब्रेकअप के बाद युवाओं के दिल पर गहरा आघात लगता है। यह दर्द इतना गहरा होता है कि उन्हें आत्महत्या ही एकमात्र समाधान नजर आता है।

समाधान और सुझाव
1. मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं
युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता होनी चाहिए। उन्हें डिप्रेशन और चिंता से निपटने के लिए मनोवैज्ञानिक और सलाहकारों की सहायता मिलनी चाहिए।
2. समाज का सहयोग
समाज को प्रेम संबंधों के प्रति अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना चाहिए। युवाओं को सहयोग और समर्थन मिलना चाहिए, न कि आलोचना और दबाव।
3. परिवार का समर्थन
परिवार को अपने बच्चों के प्रेम संबंधों को समझना और समर्थन करना चाहिए। यह न केवल युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष
भारत में दिल टूटने और ब्रेकअप के बाद आत्महत्या एक गंभीर समस्या है। विभिन्न शोध और रिपोर्ट्स से यह स्पष्ट होता है कि इस समस्या को गंभीरता से लेने और समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, समाज का सहयोग, और परिवार का समर्थन इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।
इस लेख में प्रस्तुत आंकड़े और जानकारी हमें यह समझने में मदद करते हैं कि दिल टूटने के बाद आत्महत्या की प्रवृत्ति क्यों बढ़ रही है और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जहां युवाओं को मानसिक और भावनात्मक समर्थन मिल सके और वे अपने जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से जी सकें।

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भारत में सड़क हादसों का कहर: हर घंटे होती है 19 लोगों की मौत

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डिजिटल भारत I भारत में सड़क हादसों से मौत की रिपोर्ट: एक गंभीर समस्या
भारत में सड़क हादसे एक प्रमुख समस्या बने हुए हैं। हाल ही में जारी सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,68,491 लोगों की जान गई और 4,43,366 लोग घायल हो गए। यह आंकड़े हर घंटे 53 सड़क हादसे और हर घंटे 19 लोगों की मौत की ओर इशारा करते हैं।

प्रमुख कारण
तेज रफ्तार: तेज गति से गाड़ी चलाना एक प्रमुख कारण है, जिससे हादसों की संभावना बढ़ जाती है।
लापरवाही से गाड़ी चलाना: ड्राइवरों की लापरवाही, जैसे कि मोबाइल फोन का उपयोग या यातायात नियमों का उल्लंघन, हादसों की संख्या बढ़ाते हैं।
नशे में गाड़ी चलाना: शराब या ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग करना भी एक बड़ा कारण है।
सुरक्षा उपायों की कमी: सीट बेल्ट और हेलमेट का सही ढंग से उपयोग न करना हादसों में बढ़ोतरी करता है।
प्रभावित क्षेत्र
तमिलनाडु में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में सबसे अधिक मौतें हुईं। यह दिखाता है कि हादसे पूरे देश में फैलाव के साथ एक बड़ी समस्या बने हुए हैं।

सरकारी प्रयास
भारत सरकार ने सड़क हादसों को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50% की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए ड्राइवर शिक्षा, सड़कों की स्थिति में सुधार और यातायात नियमों के सख्त पालन पर जोर दिया जा रहा है। सरकार ने सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एनिमेशन फिल्म्स और कार्टून फिल्मों का सहारा लिया है, ताकि बच्चे और युवा सेफ ड्राइविंग के महत्व को समझ सकें।

सामाजिक जागरूकता
सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एनिमेशन फिल्म्स और कार्टून फिल्मों का सहारा लिया जा रहा है ताकि बच्चे और युवा सेफ ड्राइविंग के महत्व को समझ सकें।

निष्कर्ष
सड़क हादसे भारत में एक गंभीर समस्या हैं, जिन्हें रोकने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ लोगों की जागरूकता और जिम्मेदारी भी आवश्यक है। यातायात नियमों का पालन, सुरक्षा उपायों का सही ढंग से उपयोग, और ड्राइवर प्रशिक्षण में सुधार से ही सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। सरकारी आंकड़ों और प्रयासों के बावजूद, यह आवश्यक है कि समाज भी अपनी भूमिका को समझे और सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दे।

महत्वपूर्ण आंकड़े
हर घंटे 53 हादसे: भारत में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।
हर घंटे 19 मौतें: हर घंटे 19 लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं।
सालाना 1.68 लाख मौतें: 2022 में 1,68,491 लोगों की मौत हुई।
तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश: तमिलनाडु में सबसे अधिक हादसे और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मौतें दर्ज की गईं।
सुधार के उपाय
सख्त नियमों का पालन: यातायात नियमों का कड़ाई से पालन करना आवश्यक है।
सुरक्षा उपकरणों का उपयोग: सीट बेल्ट और हेलमेट का सही उपयोग सुनिश्चित करना।
शिक्षा और प्रशिक्षण: ड्राइवरों की शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
सड़क संरचना में सुधार: सड़कों की स्थिति में सुधार और बेहतर सड़क डिजाइन।
जागरूकता अभियान: सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाना।
सड़क हादसों की संख्या को कम करने के लिए यह आवश्यक है कि सरकार, समाज और व्यक्ति सभी मिलकर प्रयास करें। सड़क सुरक्षा सभी की जिम्मेदारी है और इसे प्राथमिकता देना अनिवार्य है।

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“अजंता और एलोरा की गुफाएं: प्राचीन भारतीय कला की धरोहर”

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डिजिटल भारत I भारत, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं जो प्राचीन समय की गाथा और संस्कृति को दर्शाते हैं। इन स्थलों ने न केवल भारत की इतिहास की धरोहर को संजोए रखा है, बल्कि वे पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी हैं। आइए, भारत के कुछ प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जानते हैं।

ताज महल, आगरा
ताज महल, मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया गया था। इसे सफेद संगमरमर से बनाया गया है और यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। इसकी वास्तुकला और सुंदरता इसे दुनिया के सात अजूबों में से एक बनाती है। यमुना नदी के किनारे स्थित यह मकबरा प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

कुतुब मीनार, दिल्ली
दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार भारत की ऊंची मीनारों में से एक है। इसे कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1193 में बनवाया था और इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में पूरा हुआ। यह मीनार लाल बलुआ पत्थर से बनी है और इसमें कुरान की आयतें उकेरी गई हैं। कुतुब मीनार परिसर में कई अन्य महत्वपूर्ण संरचनाएं भी हैं, जैसे कि कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और अलाई दरवाजा।

हुमायूं का मकबरा, दिल्ली
हुमायूं का मकबरा मुगल सम्राट हुमायूं की याद में बनाया गया था। इसे 1565 में हुमायूं की विधवा, हमीदा बानो बेगम ने बनवाया था। यह मकबरा मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है और यह भी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। हुमायूं का मकबरा चारबाग शैली में बनाया गया है और इसमें सुंदर बाग, जलाशय और रास्ते हैं।

लाल किला, दिल्ली
लाल किला, दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। इसे शाहजहां ने 1648 में बनवाया था। यह किला लाल बलुआ पत्थर से बना है और इसमें कई महत्वपूर्ण इमारतें हैं, जैसे कि दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंग महल, मोती मस्जिद और हमाम। स्वतंत्रता दिवस पर हर साल प्रधानमंत्री द्वारा यहां से देश को संबोधित किया जाता है।

फतेहपुर सीकरी, उत्तर प्रदेश
फतेहपुर सीकरी, मुगल सम्राट अकबर द्वारा 16वीं शताब्दी में बनवाया गया एक ऐतिहासिक शहर है। यह शहर अकबर की राजधानी था, लेकिन जल संकट के कारण इसे छोड़ दिया गया था। यहां कई महत्वपूर्ण इमारतें हैं, जैसे कि बुलंद दरवाजा, जामा मस्जिद, पंच महल, दीवान-ए-खास और जोधाबाई का महल। यह स्थल भी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।

अजंता और एलोरा की गुफाएं, महाराष्ट्र
अजंता और एलोरा की गुफाएं भारत की प्राचीन वास्तुकला और कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। अजंता की गुफाएं 2वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 6वीं शताब्दी ईस्वी तक बनाई गई थीं। इन गुफाओं में बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण चित्र और मूर्तियां हैं। वहीं, एलोरा की गुफाएं 6वीं से 9वीं शताब्दी के बीच बनी थीं और इनमें हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के मंदिर हैं। कैलाश मंदिर, जो एलोरा की सबसे प्रसिद्ध गुफा है, को एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है।

खजुराहो के मंदिर, मध्य प्रदेश
खजुराहो के मंदिर अपनी उत्कृष्ट मूर्तिकला और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर चंदेल वंश के राजाओं द्वारा 950 से 1050 ईस्वी के बीच बनवाए गए थे। खजुराहो के मंदिरों में कामुक मूर्तियों का विशेष महत्व है, जो प्रेम और यौवन का प्रतीक मानी जाती हैं। इन मंदिरों में कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर और विश्वनाथ मंदिर प्रमुख हैं।

महाबलीपुरम, तमिलनाडु
महाबलीपुरम, जिसे मामल्लापुरम भी कहा जाता है, तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थित एक प्राचीन बंदरगाह शहर है। इसे पल्लव राजाओं ने 7वीं से 9वीं शताब्दी के बीच बनवाया था। महाबलीपुरम में पंच रथ, अर्जुन तपस्या, शोर मंदिर और कृष्णा की बटर बॉल प्रमुख आकर्षण हैं। यह स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है।

सांची का स्तूप, मध्य प्रदेश
सांची का स्तूप भारत का सबसे पुराना पत्थर का ढांचा है। इसे मौर्य सम्राट अशोक ने 3री शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया था। यह बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण स्थल है और इसमें बुद्ध के अवशेष रखे गए हैं। सांची के स्तूप के चारों ओर सुंदर तोरण द्वार हैं, जिन पर बुद्ध के जीवन की घटनाएं उकेरी गई हैं। यह स्थल भी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।

हम्पी, कर्नाटक
हम्पी, कर्नाटक के बल्लारी जिले में स्थित एक प्राचीन शहर है। यह विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था और 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच इसका विकास हुआ था। हम्पी में कई महत्वपूर्ण मंदिर, महल और बाजार हैं। इनमें विट्ठल मंदिर, विरुपाक्ष मंदिर, हज़ारा राम मंदिर, हेमकुटा पर्वत और हम्पी बाजार प्रमुख हैं। हम्पी भी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।

रणथंभौर किला, राजस्थान
रणथंभौर किला राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित है। यह किला 10वीं शताब्दी में बनवाया गया था और यह चौहान राजाओं की प्रमुख रक्षा संरचना था। किले के भीतर कई महत्वपूर्ण मंदिर और जलाशय हैं। रणथंभौर किला अपने आसपास के वन्यजीव अभयारण्य के लिए भी प्रसिद्ध है, जहां बाघ, तेंदुए और अन्य वन्यजीव देखे जा सकते हैं।

ग्वालियर किला, मध्य प्रदेश
ग्वालियर किला मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित है। इसे 8वीं शताब्दी में बनवाया गया था और यह भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किले के भीतर कई महत्वपूर्ण इमारतें हैं, जैसे कि मान मंदिर महल, गुजरी महल, सास-बहू के मंदिर और तेली का मंदिर। ग्वालियर किला अपनी स्थापत्य कला और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।

चित्तौड़गढ़ किला, राजस्थान
चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है। यह किला 7वीं शताब्दी में बनवाया गया था और यह मेवाड़ के राजपूत राजाओं की प्रमुख रक्षा संरचना था। किले के भीतर कई महत्वपूर्ण इमारतें हैं, जैसे कि विजय स्तंभ, कीर्ति स्तंभ, राणा कुंभा महल, पद्मिनी महल और कालिका माता मंदिर। चित्तौड़गढ़ किला भी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
सूरजकुंड, हरियाणा
सूरजकुंड, हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित एक प्राचीन जलाशय है। इसे 10वीं शताब्दी में तोमर राजा सूरजमल ने बनवाया था। सूरजकुंड का नाम सूर्य देवता के नाम पर रखा गया है और यहां हर साल सूरजकुंड मेला आयोजित होता है, जिसमें भारत और विदेशों से कारीगर और हस्तशिल्पी अपनी कला और संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे 1780 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने पुनर्निर्मित करवाया था। काशी विश्वनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। वाराणसी को विश्व की सबसे पुरानी जीवित शहरों में से एक माना जाता है।
मीनाक्षी मंदिर, मदुरै
मीनाक्षी मंदिर, तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर देवी मीनाक्षी (पार्वती) और भगवान सुंदरेश्वर (शिव) को समर्पित है। मीनाक्षी मंदिर अपनी भव्यता, स्थापत्य कला और सुंदर गुम्बदों के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर तमिलनाडु की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कुम्भलगढ़ किला, राजस्थान
कुम्भलगढ़ किला राजस्थान के राज

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