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राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार प्रदेश में 11 सितंबर को उच्च न्यायालय स्तर से लेकर जिला न्यायालयों, तालुका न्यायालयों, श्रम न्यायालयों, कुटुम्ब न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा हैं। जिसमें न्यायालयीन लंबित दीवानी एवं आपराधिक शमनीय मामलों एवं बैंक, विद्युत, श्रम, जलकर, संपत्तिकर आदि प्री-लिटिगेशन प्रकरणों सहित सभी प्रकार के मामले निराकरण के रखे गये।नेशनल लोक अदालत में सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में लगभग 1382 खण्डपीठों का गठन किया गया था। लगभग 1 लाख 90 हजार से अधिक लंबित प्रकरणों तथा 2 लाख से अधिक प्री-लिटिगेशन प्रकरणों को लोक अदालत हेतु रैफर्ड किया गया है। नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ शनिवार 11 सितम्बर को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं मुख्य संरक्षक, म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जस्टिस श्री मोहम्मद रफीक के कर कमलों से कार्यपालन अध्यक्ष म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं न्यायमूर्ति श्री प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति श्री अतुल श्रीधरन, अध्यक्ष उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति सहित अन्य न्यायमूर्तिगण उच्च न्यायालय तथा अन्य गणमान्य अतिथिगण की गरिमामय उपस्थिति में किया गया। इस अवसर पर मासिक न्यूज लेटर मैगजीन एवं वृक्षारोपण अभियान बुकलेट का विमोचन किया गया। नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण पर कोर्ट फीस पक्षकार को वापसी योग्य होती है। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों की जीत हुई , किसी भी पक्ष की हार नहीं हुई है। लोक अदालत में दोनों पक्षों की सहमति से मामला रखा गया। सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में विवाद का निराकरण किया गये है, जिससे पक्षकारों के अमूल्य समय तथा व्यय होने वाले धन की बचत हुई ।और पक्षकारों में परस्पर स्नेह भी बना रहता है। लोक अदालत में मामला अंतिम रूप से निराकृत होता है, इसके आदेश की कोई अपील अथवा रिवीजन नहीं होती है। सदस्य सचिव मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण धरमिंदर सिंह राठौड़ ने सभी से आह्वान किया गया था। ऐसे इच्छुक पक्षकारगण जो न्यायालय में लंबित एवं मुकदमेबाजी के पूर्व (प्रिलिटिगेशन प्रकरण) उल्लेखित प्रकार के चिन्हित किये गये प्रकरणों, विवादों का उचित समाधान कर आपसी सहमति से लोक अदालत में निराकरण कराना चाहते थे। वो संबंधित न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से सम्पर्क कर अपना मामला लोक अदालत में रखे जाने हेतु, अपनी सहमति व आवश्यक कार्यवाही 11 सितंबर के पूर्व पूर्ण करवा ली थी। ताकि मामला नेशनल लोक अदालत, 11 सितंबर को विचार में लेकर निराकृत किया जा सके।

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