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रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता में हालिया घटनाक्रमों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंतित कर दिया है। हाल ही में इस्तांबुल में प्रस्तावित शांति वार्ता में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों की अनुपस्थिति ने वार्ता की सफलता पर सवाल उठाए हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर शांति समझौता फिलहाल मुश्किल दिखाई दे रहा है, और इसकी प्रमुख वजह है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही प्रस्तावित शांति वार्ता में शामिल नहीं हो रहे हैं। यह वार्ता तुर्की के इस्तांबुल में प्रस्तावित थी, लेकिन दोनों नेताओं की अनुपस्थिति ने इस प्रक्रिया को कमजोर कर दिया है।
क्यों नहीं हो रहा समझौता?
1. पुतिन की अनुपस्थिति:
• पुतिन ने शांति वार्ता में खुद शामिल होने से इनकार कर दिया और अपने प्रतिनिधियों को भेजा है।
• यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की साफ कर चुके हैं कि वह केवल पुतिन से सीधे बात करना चाहते हैं, न कि किसी अन्य रूसी अधिकारी से।
2. डोनाल्ड ट्रंप का रुख:
• ट्रंप ने पहले इच्छा जताई थी कि वह मध्यस्थता करना चाहते हैं, लेकिन पुतिन की अनुपस्थिति के कारण उन्होंने भी खुद को वार्ता से अलग कर लिया।
• अमेरिकी चुनावी माहौल को देखते हुए ट्रंप का ऐसा निर्णय राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
3. यूक्रेन की स्थिति:
• यूक्रेन मानता है कि अगर पुतिन सीधे शामिल नहीं होते, तो किसी भी वार्ता का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
• ज़ेलेंस्की यह भी कह चुके हैं कि बिना संप्रभुता की गारंटी और क्षेत्रीय अखंडता के कोई समझौता नहीं हो सकता।
4. अंतरराष्ट्रीय चिंता:
• यूरोपीय संघ और अमेरिका समेत कई देशों को इस वार्ता से बहुत उम्मीद थी।
• लेकिन उच्च-स्तरीय भागीदारी के अभाव में इस शांति प्रक्रिया की प्रभावशीलता पर गंभीर संदेह है।

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