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डिजिटल भारत l वित्त मंत्री ने बजट में मोटे अनाज को दुनिया में बढ़ावा देने का एलान किया। मोटे अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है।
इस बार के बजट में मोटे अनाज को श्री अन्न नाम मिला है। वित्त मंत्री ने मोटे अनाज को दुनिया में बढ़ावा देने का एलान किया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में मोटे अनाज का जिक्र कर चुके हैं। केंद्र सरकार लगातार मोटे अनाज को बढ़ाव दे रही है।
आखिर ये मोटा अनाज क्या होता है? इसे बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है? भारत में इसका कितना उत्पादन होता है? दुनिया में मोटे अजान के उत्पादन में हम कहां हैं? हमारी सेहत के लिए यह कितना फायदेमंद होता है? कौन से देश मोटे अनाज के सबसे बड़े निर्यातक हैं?
मोटा अनाज क्या होता है?
पुराने ववक्त में भारतीय लोगों का भोजन रहे मोटे अनाज ‘सुपर फूड’ के नाम से जाने जाते हैं। मोटे अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है क्योंकि इससे प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
मोटे अनाज के अंतर्गत आठ फसलें शामिल हैं। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मोटा अनाज की फसल कहा जाता है। ये फसलें आम तौर पर सीमांत और असिंचित भूमि पर उगाई जाती हैं, इसलिए इनकी उपज स्थायी खेती और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करती है। सरकार के प्रोत्साहन और स्वास्थ्य के प्रति लोगों की सजगता बढ़ने से इनकी खरीद बढ़ी है। खरीद बढ़ने से लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ी है।

विस्तार
इस बार के बजट में मोटे अनाज को श्री अन्न नाम मिला है। वित्त मंत्री ने मोटे अनाज को दुनिया में बढ़ावा देने का एलान किया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में मोटे अनाज का जिक्र कर चुके हैं। केंद्र सरकार लगातार मोटे अनाज को बढ़ाव दे रही है।

क्या होता है मोटा अनाज?

भारत में 60 के दशक के पहले तक मोटे अनाज की खेती की परंपरा था. कहा जाता है कि हमारे पूर्वज हजारों वर्षों से मोटे अनाज का उत्पादन कर रहे हैं. भारतीय हिंदू परंपरा में यजुर्वेद में मोटे अनाज का जिक्र मिलता है. 50 साल पहले तक मध्य और दक्षिण भारत के साथ पहाड़ी इलाकों में मोटे अनाज की खूब पैदावार होती थी. एक अनुमान के मुताबिक देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन में मोटे अनाज की हिस्सेदारी 40 फीसदी थी.

मोटे अनाज के तौर पर ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), जौ, कोदो, सामा, बाजरा, सांवा, लघु धान्य या कुटकी, कांगनी और चीना जैसे अनाज शामिल हैं.

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