राज्य की सभी तहसीलों में कामकाज प्रभावि तहसीलदार-पटवारियों की हड़ताल जारी, काम ठप, क्या आपको पता है पूरा मामला?
जबलपुर के तहसीलदार पर एफआइआर और गिरफ्तारी का प्रदेशभर में विरोध तहसीलदार-पटवारियों की
तहसीलदार-पटवारियों की हड़ताल जारी, क्या आपको पता है पूरा मामला?जबलपुर में पिछले दिनों तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे पर एफआइआर दर्ज करने के साथ ही उनकी गिरफ्तारी की गई है। मामले में पटवारी और अन्य आरोपी अभी फरार हैं। इसके विरोध में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी आदि अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
हड़ताल कर रहे अधिकारी एफआइआर में गलत प्रक्रिया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं। बहरहाल हड़ताल की वजह से राज्य की सभी तहसीलों में कामकाज प्रभावित हो रहा है। लोग अपने काम से कार्यालयों तक पहुंचते हैं, लेकिन ताले लटके देख निराश हो जाते हैं।
राजधानी भोपाल में कलेक्ट्रेट कार्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी तहसील कार्यालय में कामकाज लगभग बंद पड़ गया है। तहसीलदारों की अनुपस्थिति में एसडीएम, राजस्व निरीक्षक एवं पटवारी से वैकल्पिक इंतजाम करवाए जा रहे हैं। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में यही स्थिति है…
जबलपुर में 52 विभागों के काम प्रभावित
हड़ताल से 52 विभागों के काम प्रभावित हो रहे हैं, जिनमें राजस्व के नामांतरण, बंटवारा, ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र, और नक्शा तरमीम जैसे अहम काम अटके हुए हैं। लोगों को भटकना पड़ रहा है। बाबू पक्षकारों को अगली तारीख दे रहे हैं। जिले में 29 प्रभारी तहसीलदार और नायब तहसीलदार हैं।
कटनी में सीमांकन भी नहीं
जिले में न तो जमीनों का सीमांकन हो रहा है और न ही नामांतरण के लिए प्रकरण कार्यालयों तक पहुंच रहे हैं। आलम यह है कि नामांतरण, बंटवारा रिपोर्ट, जाति प्रमाण पत्र, पीएम किसान, सीएम किसान, बैंक बंधक सहित अन्य काम अटके हैं।
यहां जानें हड़ताल पर क्यों पटवारी, क्यों कर रहे प्रदर्शन
दरअसल जबलपुर की विजयनगर पुलिस ने तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे को घर से गिरफ्तार करके जेल भेजा है। हरि सिंह धुर्वे पर आरोप है कि उन्होंने अधारताल तहसील में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर की फर्जी वसीयत के आधार पर जमीन का गलत ढंग से ट्रांसफर किया।
गौरतलब है कि जबलपुर के रैगवा गांव में महावीर पांडे के नाम पर एक हेक्टेयर जमीन थी। महावीर पांडे की मौत के बाद यह जमीन उनके पुत्र शिवचरण पांडे के नाम पर दर्ज होनी थी, लेकिन अधारताल तहसील में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे ने इस जमीन को एक फर्जी वसीयत बनाकर अपने पिता श्याम नारायण दुबे के नाम पर ट्रांसफर करवा लिया।
इसके बाद यह जमीन दीपा दुबे और उनके भाइयों के पास आ गई। इसे इन लोगों ने मिलकर बेचने की कोशिश की, लेकिन इस बीच शिवचरण पांडे ने मामले में धोखाधड़ी की शिकायत की। मामले की जांच में हरि सिंह धुर्वे और पटवारी जोगेंद्र पिपरी की भूमिका संदिग्ध पाई गई। इसलिए पुलिस ने तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे को घर से गिरफ्तार किया और फिर जेल भेज दिया।
हरि सिंह धुर्वे की गिरफ्तारी के विरोध में जबलपुर जिले के तहसीलदार और नायब तहसीलदार हड़ताल पर उतर गए। इनकी मांग है कि जब तक हरि सिंह धुर्वे के खिलाफ दर्ज एफआईआर खत्म नहीं की जाती, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।
पटवारियों को कई दबावों में काम करना पड़ता है, जिनमें प्रमुख हैं:
1. राजनीतिक दबाव: कई बार स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों द्वारा उनसे अनियमित या अनुचित कार्य करवाने का दबाव होता है।
2. प्रशासनिक दबाव: उच्चाधिकारियों से समय पर काम पूरा करने और अन्य अतिरिक्त कार्यों की अपेक्षाएं होती हैं, जिनमें कृषि सर्वेक्षण और सामाजिक योजनाओं का क्रियान्वयन शामिल है।
3. सामाजिक दबाव: जनता से जुड़े कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखने के साथ-साथ लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने का तनाव होता है।
इन समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है:
1. अत्यधिक कार्यभार: भूमि रिकॉर्ड, कृषि सर्वेक्षण, और विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यों के साथ-साथ अन्य प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी पटवारियों पर होती है।
2. तकनीकी सुविधाओं की कमी: डिजिटल उपकरणों की कमी और अपर्याप्त तकनीकी प्रशिक्षण से उनका काम प्रभावित होता है।
3. वेतन और भत्तों की समस्याएं: उनके काम के अनुसार वेतन में असमानता और अन्य भत्तों में कमी की शिकायतें हैं।
4. नियुक्ति और प्रमोशन में देरी: पदोन्नति की धीमी प्रक्रिया और रिक्त पदों की समस्या।