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दिल्ली-देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ के 3.25 लाख जवानों को बाल कटाने और जूते ठीक कराने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, पीएम नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ पर भी असर पड़ने के आसार हैं। साथ ही जवानों को कपड़े धुलवाने और प्रेस कराने में भी दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं। वजह, सीआरपीएफ ने ‘ग्रुप सी’ के तहत आने वाले सफाई कर्मी, बाल काटने वाले, जूते मरम्मत करने वाले और धोबी के पदों में खासी कटौती कर दी है। फ़ोर्स हेडक्वार्टर में एक सिपाही ‘मोची’ था, उसका पद भी खत्म कर दिया। ‘धोबी’ के दो पद थे और ‘नाई’ का एक पद, कैडर रिव्यू में अब इन्हें भी हटा दिया गया है। हैरानी की बात तो ये है कि सीजीओ कांप्लेक्स स्थित बल मुख्यालय में अब सफाई कौन करेगा। यहां से चारों सफाई कर्मी (चार सिपाही) के पदों को अब जीरो कर दिया गया है।

केवल एक सफाई कर्मी के भरोसे ग्रुप सेंटर-पिछले दिनों सीआरपीएफ ने ग्रुप सी के तहत आने वाले विभिन्न पदों की समीक्षा की है। इसमें सफाई कर्मी, नाई, धोबी और मोची के 1006 पद खत्म कर दिए हैं। यह समीक्षा रिपोर्ट, सीआरपीएफ द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई थी। उसी आधार पर विभिन्न पदों में कटौती की गई है। रिपोर्ट में 450 सिपाही/हवलदार सफाई कर्मी, 213 सिपाही/हवलदार नाई, 247 सिपाही/हवलदार धोबी और 96 सिपाही/हवलदार मोची के पद घटा दिए गए हैं। कुल मिलाकर इन चारों वर्गों के लिए 1865 पद सृजित हुए हैं, जबकि 2871 पदों पर कैंची चला दी गई। यहां पर सबसे बड़ी दिक्कत बल के ग्रुप सेंटरों को होगी। वजह, इन सेंटरों का विशाल दायरा होता है। वहां कई तरह के दफ्तर होते हैं। मौजूदा समय में एक ग्रुप सेंटर पर 12-12 सफाई कर्मियों के पद स्वीकृत थे, लेकिन अब इन सेंटरों से 11-11 पद खत्म कर दिए गए हैं। एक ग्रुप सेंटर को एक कर्मी कैसे साफ करेगा, ये देखने वाली बात होगी। वहां पर कम से कम दस सफाई कर्मी जरूरी हैं।

महानिदेशालय में एक मोची का पद भी खत्म-कैडर रिव्यू में सीआरपीएफ मुख्यालय के लिए एक सिपाही ‘मोची’ का पद स्वीकृत था। अब वह खत्म हो गया है। बल के 43 ग्रुप सेंटरों पर मोची हवलदार और सिपाही के दो-दो पद थे। अब हवलदार के पद खत्म कर दिए गए हैं, केवल सिपाही मोची रहेंगे। बल के पास चार सेंट्रल ट्रेनिंग कालेज हैं। यहां अभी तक एक हवलदार मोची और एक सिपाही मोची रहता था। अब दो हवलदार व दो सिपाही मोची हो गए हैं। रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर आठ हैं। इनमें एक-एक सिपाही मोची और एक-एक हवलदार मोची का पद था। अब इन पदों को बढ़ाकर दो-दो कर दिया गया है। नक्सल क्षेत्र, जेएंडके, उत्तर पूर्व और अन्य इलाकों की बटालियनों में मोची सिपाही के 630 पद थे। अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात बटालियनों में एक-एक हवलदार और दो-दो सिपाही मोची रहेंगे। उत्तर पूर्व की बटालियनों में एक-एक हवलदार और दो-दो सिपाही मोची रहेंगे। जेएंडके में स्थित बटालियनों में एक-एक हवलदार और दो-दो सिपाही होंगे। अन्य बटालियनों में दो-दो सिपाही मोची रहेंगे।  

गर्लफ्रेंड उसकी

संसद की सुरक्षा में तैनात दस्ते को मिले दो मोची-संसद की सुरक्षा के लिए तैनात ‘पीडीजी’ में मोची सिपाही का कोई पद नहीं था। अब यहां पर दो सिपाही मोची के पद स्वीकृत किए गए हैं। महिला बटालियन में चार-चार सिपाही मोची होते थे। अब वहां पर दो हवलदार और दो सिपाही रहेंगे। आरएएफ की बटालियनों में चार-चार सिपाही मोची थे, अब वहां 1-1 हवलदार और 3-3 सिपाही मोची रहेंगे। कोबरा बटालियनों में दो-दो सिपाही मोची होते थे, अब वहां दो हवलदार मोची और दो सिपाही मोची होंगे। कादरपुर स्थित अकादमी में एक हवलदार व एक सिपाही मोची का पद था। अब केवल हवलदार मोची रहेगा। बल के सौ बेड वाले कंपोजिट अस्पताल, पचास बेड वाले कंपोजिट अस्पताल और फील्ड अस्पताल, ऐसे 28 संस्थान हैं, इनमें पहले भी कोई मोची नहीं था, अब भी कोई पद सृजित नहीं किया गया है। मेरठ स्थित आरएएफ अकादमी में एक सिपाही मोची का पद है, उसे अब बढ़ाया नहीं गया है।

बल में खत्म हो गए धोबी के पद-सीआरपीएफ मुख्यालय में सिपाही धोबी के दो पद थे, अब उन्हें समाप्त कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि वैसे भी यहां पर इस तरह का जो पद होता है, उसका फायदा किसी न किसी अफसर के खाते में जाता है। बल के सभी ग्रुप सेंटरों से धोबी के 129 पद खत्म किए गए हैं। ग्रुप सेंटरों में पहले धोबी के 344 पद थे, कैडर समीक्षा के बाद अब 215 बच गए हैं। इसी तरह से सीटीसी में 12 पद खत्म हुए हैं। आरटीसी में भी 14 पद खत्म कर दिए हैं। बल में कुल मिलाकर 247 पदों पर कैंची चली है।

फोर्स हेडक्वार्टर में नहीं बचा कोई बाल काटने वाला-सीजीओ कांप्लेक्स स्थित बल मुख्यालय में नाई सिपाही का एक ही पद था, अब उसे समाप्त कर दिया है। बल के ग्रुप सेंटरों से भी 172 पद खत्म किए गए हैं। हर सेंटर से चार पद हुए हैं। सभी जगह से कुल 213 पद खत्म कर दिए गए हैं। आरएएफ बटालियनों से भी दो-दो पद खत्म किए गए हैं। यहां पर कुल पद समाप्त हुए हैं। महिला बटालियनों में इन पदों को बढ़ाया गया है। पहले 9-9 पद थे, अब हर बटालियन में दस-दस पद हो गए हैं। इसी तरह मेरठ में चार पद स्वीकृत थे, यहां भी अब तीन पद कम कर दिए गए हैं।

कैसे होगी सफाई, 450 पदों पर चली हैं कैंची-सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटरों पर 516 सफाई कर्मी होते थे। एक सेंटर पर लगभग 12 सिपाही सफाई कर्मी थे। अब केवल एक-एक पद रह गया है। कुल 450 पद खत्म किए गए हैं। नई दिल्ली के फोर्स हेडक्वार्टर में चार सिपाही कर्मी ‘सफाई’ थे, अब इनकी संख्या जीरो हो गई है। बल के 21 सेक्टर दफ्तरों में केवल पांच पद थे, अब वे भी खत्म हो गए हैं। सभी जगह के मिलाकर ग्रुप सेंटरों पर 473 पद खत्म कर दिए गए हैं। बटालियनों में कहीं कहीं पर पदों में बढ़ोतरी भी की गई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थित बटालियनों में पद घटे हैं, तो वहीं उत्तर पूर्व क्षेत्र की बटालियनों में 612 पद सृजित किए गए हैं। जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में स्थित बटालियनों में 198 पद बढ़ाए गए हैं। कई दूसरी बटालियनों में भी पदों की संख्या बढ़ी है।

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