डिजिटल भारत l अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया के सवाल पर चुनाव आयुक्त ने ये प्रतिक्रिया दी.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “एक देश एक चुनाव व्यवस्था के तहत निश्चित रूप से एक बहुत बड़े तंत्र की ज़रूरत है लेकिन ये एक ऐसा मुद्दा है जिसपर संसद को फ़ैसला करना होगा. संसदीय और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना चुनाव आयोग के क्षेत्राधिकार में नहीं आता. हालांकि, हमने सरकार को ये बता दिया है कि एक साथ चुनाव के प्रबंधन के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह तैयार है.”
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार बुधवार को पुणे में चुनाव आयोग के विषेश अभियान की शुरुआत करने के लिए पहुंचे थे.
इस दौरान उन्होंने कहा, “मेट्रो शहरों में चुनाव के लिए लोगों की उदासीनता सबसे बड़ी चुनौती है और इससे लोगों की भागीदारी बढ़ाकर ही निपटा जा सकता है.”
लोकसभा और विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने की व्यवस्था लागू कराना आसान नहीं होगा.
इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा, दल-बदल क़ानून में संशोधन करना होगा. इसके अलावा जनप्रतिनिधि क़ानून और संसदीय प्रक्रिया से जुड़े अन्य क़ानूनों में भी बदलाव करने होंगे.
चुनाव आयुक्त ने ये भी बताया कि देश में 100 साल से अधिक उम्र वाले 2.49 लाख मतदाता हैं और करीब 1.8 करोड़ वोटर 80 साल से अधिक उम्र के हैं. चुनाव आयोग अब उन युवाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो 18 साल के होने जा रहे हैं.
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, “चूंकि एयरवेव्स/फ़्रीक्वेंसी सार्वजनिक संपत्ति है और इसका इस्तेमाल समाज की बेहतरी के लिए होना चाहिए, इसलिए जिन कंपनियों के पास चैनल अपलिंक करने और भारत में इसे डाउनलिंक करने की मंज़ूरी है उन्हें एक दिन में कम से कम 30 मिनट के लिए राष्ट्री महत्व और समाज से जुड़े मुद्दे पर कार्यक्रम दिखाने होंगे.” “ये कार्यक्रम शिक्षा और साक्षरता का प्रसार, कृषि और ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान एवं तकनीकी, महिला कल्याण, समाज के कमज़ोर वर्गों के कल्याण, पर्यावरण और सांस्कृति धरोहरों के संरक्षण और राष्ट्रीय अखंडता से जुड़े होने चाहिए.”
अख़बार ने सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्र के हवाले से बताया है कि प्रसारकों और अन्य संबंधित इकाइयों से चर्चा के बाद जल्द ही इस कार्यक्रम के लिए टाइम स्लॉट और लागू करने की तारीख भी जारी कर दी जाएगी.
उन्होंने कहा मंत्रालय चैनल पर चलने वाले कंटेंट की निगरानी करेगा और अगर कोई नियमों की अनदेखी करता पाया गया तो उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा.
मंत्रालय ने कहा कि वाइल्डलाइफ़ और विदेशी चैनलों को नियमों से छूट मिल सकती है. वहीं, स्पोर्ट्स चैनल को लाइव टेलीकास्ट के दौरान नियमों से छूट मिलेगी.
नए दिशानिर्देशों में समाचार एजेंसियों के लिए पाँच साल की मंज़ूरी पाने का भी प्रावधान किया गया है, जबकि ये अभी एक साल के लिए मिलता है.
केंद्रीय कैबिनेट ने ‘भारत में टेलिविज़न चैनलों के लिए अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए नए दिशानिर्देशों’ को मंज़ूरी दे दी है. इसके तहत अब हर चैनल के लिए रोज़ाना राष्ट्र और समाज के हित में कार्यक्रम चलाना अनिवार्य हो जाएगा.