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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. इस चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस को पराजित कर दिया. डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं. जब दुनिया के कई देश युद्धों में उलझे हुए हैं और इसके साथ दुनिया की अर्थव्यवस्था भी अस्थिरता के दौर में है तब अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव कहीं अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ईरान-इजराइल युद्ध और यूक्रेन-रूस संघर्ष के बीच ट्रंप की जात के क्या मायने हैं? ट्रंप की जीत जहां कुछ देशों के लिए खुशी लेकर आई है तो कुछ के लिए यह दुखदाई साबित हो सकती है. हम यहां चीन, रूस, यूक्रेन, इजरायल और ईरान की बात कर रहे हैं. इन देशों पर ट्रंप के जीतने से खासा असर पड़ने के आसार हैं.     

चुनावी समीकरण
उत्तर प्रदेश भारत के चुनावी समीकरण में निर्णायक भूमिका निभाता है, जबकि अमेरिका में कैलिफोर्निया का राजनीतिक प्रभाव सीमित और स्थिर है. यूपी की चुनावी धाक भारत में सत्ता का मार्ग तय करती है, जबकि अमेरिका में कैलिफोर्निया का असर इतना महत्वपूर्ण नहीं है.
ट्रंप एक सदी में पहले ऐसे शख्स होंगे, जो राष्ट्रपति बने. फिर चुनाव हारे और इसके बाद फिर अगले चुनाव को जीतकर राष्ट्रपति पद पर वापसी की. एक अजीब का साम्य और भी है कि उन्होंने दो बार प्रेसीडेंट का चुनाव तब जीता जब उनके खिलाफ महिला प्रत्याशी थीं. वर्ष 2016 में उन्होंने हिलेरी क्लिंटन को हराया था. 2020 में पुरुष कैंडीडेट जो बाइडन से हार गए. अब चार साल बाद फिर महिला कैंडीडेट कमला हैरिस को हराया.
वो 5 बातें जिन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को जिता दिया प्नेसीडेंट का चुनाव
अमेरिका के लोगों ने सोचा वह ऐसे मजबूत प्रेसीडेंट होंगे जिसकी देश को जरूरत है
महंगाई और बेरोजगार से त्रस्त जनता को उन्होंने महान खुशहाल अमेरिका का सपना दिखाया
मजबूत समर्थक बेस के बाद डेमोक्रेटिक समर्थक भी उनकी ओर स्विंग हुए
स्विंग स्टेट में भारी पड़े
ट्रम्प ने जॉर्जिया और उत्तरी कैरोलिना जैसे प्रमुख स्विंग राज्यों को सफलतापूर्वक फिर अपने नाम लिख दिया, जो उनकी चुनावी सफलता के लिए जरूरी थी. कहा जा रहा है कि इस बार ट्रंप ने जो समर्थन हासिल किया है, वो उनकी 2016 की जीत से ज्यादा जबरदस्त है. इन क्षेत्रों में उनके बार-बार के दौरे और लक्षित अभियान ने उन मतदाताओं के बीच उनके समर्थन को मजबूत करने में मदद की है जो पहले डेमोक्रेटिक थे
लोगों को लगा कि वह मजबूत प्रेसीडेंट होंगे
अमेरिका और दुनिया जिस दौर से गुजर रही है, उसमें अमेरिका के लोगों को लगा कि उन्हें एक मजबूत और साफ साफ बात करने वाले प्रेसीडेंट की जरूरत है. इसमें उन्हें ट्रंप एकदम परफेक्ट नजर आए. हालांकि ट्रंप विवादित हैं, मुकदमों में फंसे हुए हैं.
ताइवान का सपना 
वैश्विक व्यापार में चीन और अमेरिका बड़े आर्थिक प्रतिद्वंदी माने जाते हैं. डोनाल्ड ट्रंप पहले ही चीन के खिलाफ ट्रेड वार छेड़ने की बात कह चुके हैं. ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन से आयात पर 250 बिलियन डॉलर का टैरिफ लगाया था. इस बार चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वे यदि वे जीतते हैं तो चीनी माल के आयात पर टैरिफ 60 से 100 फीसदी तक बढ़ा देंगे. ट्रंप ने चीन के खिलाफ ट्रेड वार तेज करने के संकेत देते हुए ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा दिया है.

ट्रंप एक तरफ जहां चीन को आर्थिक मोर्चे पर परेशानी में डाल सकते हैं वहीं दूसरी तरफ उसकी ताइवान पर दावेदारी पर भी आघात कर सकते हैं. चीन का इरादा 2027 तक ताइवान पर कब्‍जा करने का है. इसके लिए उसने दुनिया की सबसे बड़ी सेना और नौसेना तैयार कर ली है. चीन के युद्धपोत अक्सर ताइवान को घेराबंदी करने की कोशिश करते रहते हैं. ताइवान और अमेरिका के बीच रक्षा संधि है और ट्रंप ताइवन के मुद्दे पर पहले से मुखर रहे हैं. चीन अगर ताइवान के खिलाफ कोई भी सैन्य अभियान चलाता है तो ट्रंप ताइवान को बचाने के लिए अमेरिकी सेना भेज सकते हैं. ऐसे में चीन के लिए ट्रंप की जीत तनाव बढ़ाने वाली हो सकती है.
रूस युद्ध
डोनाल्ड ट्रंप के दुबारा अमेरिका की सत्ता में आने से रूस खुश है. उसे आशा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध का अब समाप्त हो जाएगा. डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा भी है कि वे युद्ध खत्‍म करा देंगे. रूस यूक्रेन के बहुत बड़े हिस्से पर कब्‍जा कर चुका है. यदि बिना किसी समझौते के यह युद्ध समाप्त हो जाता है तो व्लादीमिर पुतिन को इससे खुशी मिलेगी. पूर्व में डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन के संबंध अच्छे रहे हैं. वे आपस में कई बार बातचीत भी कर चुके हैं. 

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