डिजीटल भारत I यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का मतलब है कि पूरे देश में हर धर्म, जाति, संप्रदाय, और वर्ग के लिए एक ही नियम हो. दूसरे शब्दों में कहें, तो समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मतलब है कि पूरे देश के लिए एक समान कानून हो. यह कानून विवाह, तलाक, विरासत, और गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होगा. यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आती है.
असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव के बाद बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भी लेकर आएंगे। थोड़ा उत्तराखंड का असर देख रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी लेनी है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है 2026 में वो हो जाना चाहिए
100 साल भी ज्यादा पुराना है UCC का इतिहास
UCC का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। यूसीसी का इतिहास 19वीं शताब्दी में खोजा जा सकता है जब शासकों ने अपराधों, सबूतों और अनुबंधों से संबंधित भारतीय कानून के संहिताकरण में एकरूपता की आवश्यकता पर बल दिया था।
हालांकि, तब विशेष रूप से सिफारिश की गई थी कि हिंदुओं और मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को इस तरह के कानून से बाहर रखा जाना चाहिए।
ब्रिटिश क्योंकि एकेश्वरवादी ईसाई थे, इसलिए उनके लिए भारत में चल रही जटिल प्रथाओं को समझना मुश्किल था। साथ ही अंग्रेजो का मुख्य उद्देश्यी से भारत से पैसा लूटना था, इसलिए वे किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहते थे।
पहली बार कब हुआ था यूसीसी का जिक्र
समान नागरिक कानून का जिक्र 1835 में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में भी किया गया था. इसमें कहा गया था कि अपराधों, सबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत है. इस रिपोर्ट में हिंदू-मुसलमानों के धार्मिक कानूनों से छेड़छाड़ की बात नहीं की गई है.
हालांकि, 1941 में हिंदू कानून पर संहिता बनाने के लिए बीएन राव समिति का गठन किया गया. राव समिति की सिफारिश पर 1956 में हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और सिखों के उत्तराधिकार मामलों को सुलझाने के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम विधेयक को अपनाया गया. हालांकि, मुस्लिम, ईसाई और पारसियों लोगों के लिये अलग कानून रखे गए थे.
डॉ. आंबेडकर ने यूसीसी पर क्या कहा था
भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि हमारे पास पूरे देश में एक समान और पूर्ण आपराधिक संहिता है. ये दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता में शामिल है. साथ ही हमारे पास संपत्ति के हस्तांतरण का कानून है, जो संपत्ति और उससे जुड़े मामलों से संबंधित है. ये पूरे देश में समान रूप से लागू है.
यूनिफॉर्म सिविल कोड या यूसीसी है क्या?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के लिए पूरे देश में एक ही नियम. दूसरे शब्दों में कहें तो समान नागरिक संहिता का मतलब है कि पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिये विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक ही होंगे. संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है.
अनुच्छेद-44 संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है. इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ के सिद्धांत का पालन करना है. बता दें कि भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान ‘आपराधिक संहिता’ है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं है.
अभी क्या है समान नागरिक संहिता का हाल
भारतीय अनुबंध अधिनियम-1872, नागरिक प्रक्रिया संहिता, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम-1882, भागीदारी अधिनियम-1932, साक्ष्य अधिनियम-1872 में सभी नागरिकों के लिए समान नियम लागू हैं. वहीं, धार्मिक मामलों में सभी के लिए कानून अलग हैं. इनमें बहुत ज्यादा अंतर है.
हालांकि, भारत जैसे विविधता वाले देश में इसको लागू करना इतना आसान नहीं है. देश का संविधान सभी को अपने-अपने धर्म के मुताबिक जीने की पूरी आजादी देता है. संविधान के अनुच्छेद-25 में कहा गया है कि कोई भी अपने हिसाब धर्म मानने और उसके प्रचार की स्वतंत्रता रखता है.
अब तक देश में क्यों लागू नहीं हो पाया यूसीसी
भारत का सामाजिक ढांचा विविधता से भरा हुआ है. हालात ये हैं कि एक ही घर के सदस्य अलग-अलग रीति-रिवाजों को मानते हैं. अगर आबादी के आधार पर देखें तो देश में हिंदू बहुसंख्यक हैं. लेकिन, अलग राज्यों के हिंदुओं में ही धार्मिक मान्यताएं और रीति-रिवाजों में काफी अंतर देखने को मिल जाएगा. इसी तरह मुसलमानों में शिया, सुन्नी, वहावी, अहमदिया समाज में रीति रिवाज और नियम अलग हैं. ईसाइयों के भी अलग धार्मिक कानून हैं. वहीं, किसी समुदाय में पुरुष कई शादी कर सकते हैं. कहीं विवाहित महिला को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिल सकता तो कहीं बेटियों को भी संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया है. समान नागरिक संहिता लागू होते ही ये सभी नियम खत्म हो जाएंगे. हालांकि, संविधान में नगालैंड, मेघालय और मिजोरम के स्थानीय रीति-रिवाजों को मान्यता व सुरक्षा देने की बात कही गई है.
दुनिया के किन देशों में लागू है यूसीसी
दुनिया के कई देशों में समान नागरिक संहिता लागू है. इनमें हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल हैं. इन दोनों देशों में सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों पर शरिया पर आधारित एक समान कानून लागू होता है. इनके अलावा इजरायल, जापान, फ्रांस और रूस में भी समान नागरिक संहिता लागू है. हालांकि, कुछ मामलों के लिए समान दीवानी या आपराधिक कानून भी लागू हैं. यूरोपीय देशों और अमेरिका में धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो सभी धर्म के लोगों पर समान रूप से लागू होता है. दुनिया के ज्यादातर इस्लामिक देशों में शरिया पर आधारित एक समान कानून है, जो वहां रहने वाले सभी धर्म के लोगों को समान रूप से लागू होता है.
यूसीसी के बाद क्या होंगे बदलाव
अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी. इससे वे कम से कम ग्रेजुएट तक की पढ़ाई पूरी कर सकेंगी. वहीं, गांव स्तर तक शादी के पंजीकरण की सुविधा पहुंचाई जाएगी.
अगर किसी की शादी पंजीकृत नहीं होगी तो दंपति को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा. पति और पत्नी को तलाक के समान अधिकार मिलेंगे. एक से ज्यादा शादी करने पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी. नौकरीपेशा बेटे की मौत होने पर पत्नी को मिले मुआवजे में माता-पिता के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी शामिल होगी. उत्तराधिकार में बेटा और बेटी को बराबर का हक होगा.
ये बड़े बदलाव भी किए जाएंगे लागू
पत्नी की मौत के बाद उसके अकेले माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी पति की होगी. वहीं, मुस्लिम महिलाओं को बच्चे गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा. उन्हें हलाला और इद्दत से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा. लिव-इन रिलेशन में रहने वाले सभी लोगों को डिक्लेरेशन देना पड़ेगा. पति और पत्नी में अनबन होने पर उनके बच्चे की कस्टडी दादा-दादी या नाना-नानी में से किसी को दी जाएगी. बच्चे के अनाथ होने पर अभिभावक बनने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी.