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डिजिटल भारत l जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर व्यक्ति के शरीर में दो गुर्दे होते हैं, जो मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड, आदि जैसे नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थों को रक्त में से छानने के लिए जिम्मेदार होते हैं। (जो सभी शरीर में चयापचय के उत्पाद हैं) और इस तरह मूत्र का उत्पादन करते हैं।

लाखों लोग विभिन्न प्रकार के गुर्दे की बीमारियों के साथ रह रहे हैं और उनमें से अधिकांश को इसके बारे भनक तक नहीं है। यही कारण है कि गुर्दे की बीमारी को अक्सर एक ‘साइलेंट किलर’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि अधिकांश लोगों को बीमारी का पता तब तक नहीं चलता जब तक यह उग्र रूप धारण नहीं कर लेता। जबकि लोग अपने रक्तचाप, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की नियमित रूप से जांच करवाते रहते हैं, वे अपने गुर्दे की किसी भी समस्या का पता लगाने के लिए अपने रक्त में एक सरल क्रिएटिनिन परीक्षण भी नहीं करवाते। 2015 के ग्लोबल बर्डन डिजीज (GBD) के अध्ययन के अनुसार, क्रोनिक किडनी रोग (CKD) को भारत में मृत्यु दर के आठवें प्रमुख कारणों में से एक के रूप में स्थान दिया गया है।

किडनी विकार के चेतावनी के कई संकेत होते हैं, हालांकि, अधिकांश समय इन्हें अनदेखा किया जाता है या किसी और तरह की समस्या समझकर लोग भ्रमित हो जाया करते हैं। इसलिए, हर व्यक्ति को बहुत ही सतर्क रहना चाहिए और किडनी विकार का कोई भी लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द पुष्टिकरण परीक्षण (रक्त, मूत्र और इमेजिंग सहित) करवाना चाहिए। ऐसे किसी व्यक्ति को किसी नेफ्रोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए और अपने संदेह को स्पष्ट करना चाहिए।

लेकिन अगर आपको उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, या कोरोनरी आर्टरी डिजीज, और / या किडनी फेल होने का पारिवारिक इतिहास है या आप 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं तो आज के युग में आपको नियमित रूप से गुर्दे की जांच करवाते रहना चाहिए।हमारे हृदय,मस्तिष्क और फेफड़ों की तरह,हमारी किडनी भी हमारी संपूर्ण हेल्थ और तंदुरूस्ती को बनाए रखने में अहम किरदार निभाती है। यूके नेशनल हेल्थ सर्विसेज के मुताबिक किडनी हमारी बॉडी का अहम अंग है जिसका काम बॉडी से टॉक्सिन को बाहर निकालना है और खून को साफ करना है। किडनी हमारे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती है और लाल रक्त कोशिकाओं को बनाती है। किडनी का काम शरीर में पीएच स्तर को नियंत्रित करना है।

किडनी हमारी बॉडी के कई जरूरी काम करती है अगर इसमें किसी तरह की कोई परेशानी हो जाए तो हमारी सेहत को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। किडनी में खराबी होने पर बॉडी में कुछ वॉर्निंग साइन दिखने लगते हैं। आइए जानते हैं कि किडनी में खराबी होने पर बॉडी में कौन-कौन से लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं।

आंखों के आसपास सूजन,चेहरे और पैरों में सूजन किडनी की परेशानी के संकेत:
किडनी का काम बॉडी से टॉक्सिन को निकालना है। जब किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती तो शरीर के ऊतकों में अतिरिक्त पानी और नमक के संचय के साथ-साथ विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों का निर्माण होता है। बॉडी में जमा होने वाले इन टॉक्सिन की वजह से पैरों में सूजन और आंखों के आसपास सूजन हो सकती है
अत्यधिक थकान:
किडनी रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करती है,जिसकी कमी से एनीमिया हो सकता है। यह शरीर में मस्तिष्क और मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति को बाधित कर सकता है। किडनी में परेशानी होने पर आप बेहद थका हुआ महसूस कर सकते हैं।

पेशाब में बदलाव हो सकता है:
अस्वस्थ किडनी कुछ पैटर्न बदल सकती हैं या पेशाब में बदलाव कर सकती हैं। आमतौर पर किडनी ब्लड को फ़िल्टर करने में मदद करती हैं जिससे मूत्र का उत्पादन होता है। किडनी बॉडी से टॉक्सिन को बाहर निकालती है।जब किडनी ठीक से काम नहीं करती तो यह यूरीनरी ट्रेक में अनियमितता पैदा कर सकती है।

स्किन का ड्राई होना और उसमें खुजली होना:
स्किन का ड्राई होना, स्किन में खुजली होना,रूखी त्वचा किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है। यह रक्त में खनिजों और पोषक तत्वों के असंतुलन का संकेत है। यह परेशानी फास्फोरस का ब्लड में स्तर बढ़ने के कारण भी हो सकती है।


कमजोरी: गुर्दे की बीमारी का एक सामान्य लक्षण है शुरुआत में थकावट का होना। जैसे-जैसे गुर्दे की खराबी बढती जाती है यह लक्षण और अधिक स्पष्ट होता जाता है। सामान्य दिनों की तुलना में वह व्यक्ति अधिक थका हुआ महसूस कर सकता है और ज्यादा गतिविधियों को करने में असमर्थ होता है, तथा उसे बार-बार आराम की आवश्यकता होती है। ऐसा काफी हद तक रक्त में विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों के संचय के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे खराब होते जाते हैं। गैर-विशिष्ट लक्षण होने के नाते इसे अक्सर अधिकांश लोगों द्वारा अनदेखा किया जाता है और इसकी पूरी तरह से जांच नहीं की जाती है।


भूख में कमी: यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे विषाक्त पदार्थों के जमा होने से व्यक्ति की भूख कम होने लगती है। इसके अलावा, जैसे-जैसे गुर्दे की बीमारी बढती जाती है, रोगी के स्वाद में बदलाव होता जाता है, जिसे अक्सर रोगियों द्वारा धातु के रूप में बताया जाता है। यदि किसी को दिन में बिना कुछ खाए भी पेट भरे का अहसास होता हो, तो दिमाग में खतरे की घंटी बजनी चाहिए और उसके गुर्दे की जांच करवानी चाहिए।


सुबह की मिचली और उल्टी: गुर्दे के खराब होने के शुरुआती लक्षणों में से एक और लक्षण है सुबह-सुबह मिचली और उल्टी का होना, और इसका पता तब चलता है जब रोगी सुबह बाथरूम में अपने दांतों को ब्रश करता है। इससे व्यक्ति की भूख भी कम होती जाती है। गुर्दे फेल होने के अंतिम चरण में, मरीज को बार-बार उल्टी आती है और भूख कम लगती है।

किडनी को हेल्दी कैसे रखें:
किडनी को हेल्दी रखने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (NIDDKD) ने बताया है कि डाइट में कुछ बदलाव करके किडनी को हेल्दी रखा जा सकता है।


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