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डिजिटल भारत I हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति के अवसर पर स्नान और दान को बेहद अहम माना जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इसके साथ ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन में भी जाते हैं। इसलिए ये स्नान बेहद अहम हो जाता है। स्नान के बाद खिचड़ी, तिल, वस्त्र आदि का दान किया जाता है।

हिंदू धर्म में सूर्यदेवता से जुड़े कई प्रमुख त्‍योहारों को मनाने की परंपरा है। उन्‍हीं में से एक है मकर संक्राति। आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। शीत ऋतु के पौस मास में जब भगवान भास्‍कर उत्‍तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्य की इस संक्रांति को मकर संक्राति के रूप में देश भर में मनाया जाता है। वैसे तो मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है, लेकिन पिछले कुछ साल से गणनाओं में आए कुछ परिवर्तन के कारण इसे 15 जनवरी को भी मनाया जाने लगा है। इस साल भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है।

स्नान और दान कर लगाई आस्था की डुबकी; 7 सौ से अधिक पुलिस बल तैनात

जबलपुर में मकर संक्रांति के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के घाटों पर पहुंचने का सिलसिला जारी है। शहर में तड़के की ठंड होने के बावजूद श्रद्धालु मकर संक्रांति के पर्व पर स्नान करने गौरीघाट सहित तमाम घाटों में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। सुबह से ही भक्तों का तांता गौरीघाट, तिलवारा घाट, लम्हेटा घाट सहित अन्य घाटों में लगा हुआ हैं। हालांकि जिले में मकर संक्रांति आज और कल दोनों ही दिन मनाई जाएगी

मकर संक्रांति के अवसर पर जबलपुर पुलिस ने भी खास तैयारियां की है। पुलिस प्रशासन के मुताबिक कोरोना के दो साल बाद मकर संक्रांति स्नान हो रहा है। ऐसे में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। जिसे देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए हैं। जिले के तमाम घाटों में 6 सौ से अधिक पुलिस बल तैनात किया गया है।

गौरी घाट में अधिक भीड़ होने के कारण इसे 4 जोन में विभाजित किया गया है। पुलिस के द्वारा संदिग्ध लोगों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी लगाए गए हैं। इसके साथ ही घाटों में होम गार्ड के जवान भी तैनात किए गए हैं। साथ ही सड़कों में बैरिकेट्स भी लगाए गए हैं घाटों में पार्किंग के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। गौरी घाट में रामलला मंदिर के नजदीक से डायवर्सन किया गया है। जहां दशहरा मैदान में पार्किंग की गई है। पुलिस के द्वारा घाट स्थल में दोपहिया और चार पहिया वाहन को प्रतिबंधित किया गया है।

शास्‍त्रों में मकर संक्रांति के दिन स्‍नान, ध्‍यान और दान का विशेष महत्‍व बताया गया है। पुराणों में मकर संक्रांति को देवताओं का दिन बताया गया है। मान्‍यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर वापस लौटता है

मान्यता है कि इस अवसर पर दिया गया दान 100 गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।

श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण के मुताबिक, शनि महाराज का अपने पिता से वैर भाव था क्योंकि सूर्य देव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेद-भाव करते देख लिया था, इस बात से नाराज होकर सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था। इससे शनि और छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था।

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