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डिजिटल भारत I भारत, अपने विशाल भू-भाग और विविधतापूर्ण भू-प्राकृतिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। नदियों का भारतीय संस्कृति, जीवन और इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। भारतीय नदियों को केवल जलस्रोत के रूप में नहीं, बल्कि जीवनदायिनी, पवित्रता और समृद्धि के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। आइए, भारत की प्रमुख नदियों और एक ऐसी नदी के बारे में जानते हैं, जिसका सच चौकाने वाला है।

गंगा नदी
गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नदी मानी जाती है। यह गंगोत्री हिमालय से निकलती है और लगभग 2525 किलोमीटर की दूरी तय करके बंगाल की खाड़ी में गिरती है। गंगा नदी का धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व है। इसे हिन्दू धर्म में मां गंगा के रूप में पूजा जाता है और इसकी जल से पवित्रता प्राप्त की जाती है। गंगा के किनारे कई प्रमुख शहर स्थित हैं, जैसे हरिद्वार, वाराणसी, इलाहाबाद और कोलकाता।

यमुना नदी
यमुना नदी, गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदी है। यह यमुनोत्री हिमालय से निकलती है और लगभग 1376 किलोमीटर की दूरी तय करके इलाहाबाद में गंगा नदी से मिलती है। यमुना नदी के किनारे दिल्ली, आगरा और मथुरा जैसे प्रमुख शहर स्थित हैं। यमुना नदी का धार्मिक महत्व भी बहुत है और इसे यमराज की बहन माना जाता है।

सरस्वती नदी
सरस्वती नदी का नाम भारतीय पौराणिक कथाओं और वेदों में प्रमुखता से आता है। प्राचीनकाल में सरस्वती नदी को एक महत्वपूर्ण नदी माना जाता था, जो अब अदृश्य हो गई है। कहा जाता है कि यह नदी राजस्थान, हरियाणा और गुजरात के क्षेत्रों से बहती थी और समुद्र में मिलती थी। आधुनिक शोधों और सैटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि सरस्वती नदी के अस्तित्व के प्रमाण मिलते हैं, जो वैज्ञानिकों के लिए एक रोचक खोज है।

नर्मदा नदी
नर्मदा नदी मध्य भारत की महत्वपूर्ण नदी है। यह अमरकंटक पहाड़ियों से निकलती है और पश्चिम की ओर बहती हुई अरब सागर में गिरती है। नर्मदा नदी लगभग 1312 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह नदी धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और इसे गंगा की तरह पवित्र माना जाता है। नर्मदा नदी के किनारे कई महत्वपूर्ण शहर और तीर्थस्थान हैं, जैसे ओंकारेश्वर, महेश्वर और जबलपुर।

गोदावरी नदी
गोदावरी नदी भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। यह महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर से निकलती है और लगभग 1465 किलोमीटर की दूरी तय करके बंगाल की खाड़ी में गिरती है। गोदावरी नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है और इसे दक्षिण गंगा के रूप में भी जाना जाता है। गोदावरी के किनारे नासिक, राजमुंद्री और नांदेड जैसे प्रमुख शहर स्थित हैं।

कृष्णा नदी
कृष्णा नदी दक्षिण भारत की प्रमुख नदी है। यह महाबलेश्वर से निकलती है और लगभग 1400 किलोमीटर की दूरी तय करके बंगाल की खाड़ी में गिरती है। कृष्णा नदी का जल कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है। इसके किनारे विजयवाड़ा और नागार्जुन सागर जैसे प्रमुख स्थल स्थित हैं।

कावेरी नदी
कावेरी नदी दक्षिण भारत की प्रमुख नदी है। यह कर्नाटक के कोडागु जिले से निकलती है और तमिलनाडु होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। कावेरी नदी का जल सिंचाई और पेयजल के लिए महत्वपूर्ण है। कावेरी के किनारे तिरुचिरापल्ली और मैसूर जैसे प्रमुख शहर स्थित हैं। कावेरी नदी का धार्मिक महत्व भी बहुत है और इसे कर्नाटक और तमिलनाडु की जीवनरेखा माना जाता है।

ब्रह्मपुत्र नदी
ब्रह्मपुत्र नदी पूर्वोत्तर भारत की महत्वपूर्ण नदी है। यह तिब्बत के मानसरोवर से निकलती है और अरुणाचल प्रदेश, असम और बांग्लादेश होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। ब्रह्मपुत्र नदी का जल कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है। इसके किनारे गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ जैसे प्रमुख शहर स्थित हैं। ब्रह्मपुत्र नदी का धार्मिक महत्व भी बहुत है और इसे पूर्वोत्तर भारत की जीवनरेखा माना जाता है।

महानदी
महानदी पूर्वी भारत की प्रमुख नदी है। यह छत्तीसगढ़ के सिहावा से निकलती है और ओडिशा होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। महानदी का जल सिंचाई और पेयजल के लिए महत्वपूर्ण है। इसके किनारे कटक और संबलपुर जैसे प्रमुख शहर स्थित हैं। महानदी के किनारे हिराकुद बांध भी स्थित है, जो विश्व का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध है।

गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना डेल्टा
गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों का डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है। यह डेल्टा भारत और बांग्लादेश में स्थित है और इसे सुंदरबन के नाम से भी जाना जाता है। सुंदरबन डेल्टा में मैंग्रोव वनों का विशाल क्षेत्र है और यह विश्व धरोहर स्थल भी है। यहां बाघ, मगरमच्छ और अन्य वन्यजीवों का निवास स्थान है। गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना डेल्टा का पर्यावरणीय और आर्थिक महत्व बहुत है।

असम की चाय बगान के पास बहती लोहित नदी
लोहित नदी, जिसे लाल नदी भी कहा जाता है, अरुणाचल प्रदेश के हिमालय से निकलती है और असम के चाय बगानों के पास बहती है। इस नदी का जल लाल रंग का होता है, जो इसमें घुले लौह अयस्क के कारण होता है। लोहित नदी का जल कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है। यह नदी ब्रह्मपुत्र नदी में मिलती है और इसका धार्मिक महत्व भी बहुत है।

चम्बल नदी: डाकुओं की गाथा और पर्यावरणीय संकट
चम्बल नदी मध्य भारत की महत्वपूर्ण नदी है, जो मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों से होकर बहती है। चम्बल नदी के बारे में कई रोचक और चौंकाने वाले तथ्य हैं। चम्बल नदी का क्षेत्र एक समय डाकुओं के लिए प्रसिद्ध था और यहां के बीहड़ जंगलों में कई कुख्यात डाकुओं ने अपनी छाप छोड़ी। इसके अलावा, चम्बल नदी के किनारे घड़ियाल और मगरमच्छ जैसे दुर्लभ प्राणी पाए जाते हैं। चम्बल नदी का जल पर्यावरणीय संकट का भी सामना कर रहा है और इसके संरक्षण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत की नदियों के पर्यावरणीय और सामाजिक पहलू
भारत की नदियाँ केवल जलस्रोत नहीं हैं, बल्कि वे हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। इन नदियों का संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनकी महत्ता को समझ सकें और लाभ उठा सकें। नदियों के प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अतिक्रमण जैसे मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। नदियों के संरक्षण के लिए जनजागृति और सरकारी प्रयासों को और सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष
भारत की नदियाँ हमारी धरोहर और जीवनरेखा हैं। इनकी महत्ता को समझना और इनका संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है। गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, महानदी और चम्बल जैसी नदियों के बारे में जानकारी हमें हमारे इतिहास, संस्कृति और पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाती है। आइए, हम सभी मिलकर इन नदियों की पवित्रता और स्वच्छता को बनाए रखने में अपना योगदान दें।

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