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डिजिटल भारत l मैं पूरी तरह से ठीक हूं, लेकिन आपका सतर्क रहना जरुरी है। मुझे कुछ दिनों से बुखार आ रहा था। घर पर दवा ली थी, लेकिन इसका कोई असर मुझ पर नहीं हो रहा था। मैं मंगलवार को जांच के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंचा था। जहां मेरे सैंपल लिए गए। इसके बाद मेरी रिपोर्ट एच3एन2 पाजिटिव बताई गई।

यह बात बैरागढ़ के 26 वर्षीय युवक ने कही है। उसने बताया कि अभी तक वह पूरी तरह से स्वस्थ है, उसे किसी तरह की परेशानी नहीं है।
प्रदेश में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा से बचाव के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है। सोमवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से सभी जिलों को विस्तृत गाइडलाइन भेज दी गईं। सभी जिलों में जिला अस्पतालों में 10-10 बेड के आइसोलेशन वार्ड बनाए जाएंगे। सामान्य, गंभीर व अति गंभीर रोगियों के उपचार व जांच की पुख्ता व्यवस्था की जा रही है। 13 लैब में लक्षण वाले रोगियों के सैंपल भेजकर जांच कराई जा सकेगी। जिलों में रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया जाएगा और मरीजों को ओसेल्टामिविर दवा खिलाई जाएगी।
ए श्रेणी के रोगी
ए श्रेणी में हल्के बुखार, खांसी व गले में खराश वाले रोगियों को घर में ही अलग कक्ष में आइसोलेट होने की सलाह दी जाएगी। इन्हें ओसेल्टामिविर औषधि की आवश्यकता भी नहीं है। रैपिड रिस्पांस टीम जिसमें विशेषज्ञ चिकित्सक होंगे वह ऐसे मरीजों की 48 घंटे तक निगरानी करेंगे और फिर पुनर्मूल्यांकन कर निर्णय लेंगे। अगर स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है तो एच3एन2 इन्फ्लूएंजा की जांच की जरूरत नहीं है। वहीं बी श्रेणी में दो वर्ग में रोगियों को बांटा गया है।
बी-वन श्रेणी के रोगी
बी-वन श्रेणी में अगर इन्फ्लूएंजा के लक्षणों के साथ अगर तेज बुखार है तो भी इन्हें घर में ही अलग कक्ष में आइसोलेट होने की सलाह दी जाएगी। ऐसे रोगियों को ओसेल्टामिविर दवा जरूरत के अनुसार दी जाएगी। इनकी भी जांच के लिए सैंपल भेजने की जरूरत नहीं होगी।

बी-टू श्रेणी के रोगी
वहीं बी-टू श्रेणी में ऐसे लक्षण युक्त बच्चे जो अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं, गर्भवती, 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग, कैंसर, एड्स, डायबिटीज, फेफड़े, हृदय, यकृत, गुर्दा रोगियों व दीर्घावधि से कार्टीसोना उपचार प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भी घर में ही अलग कमरे में आइसोलेट होने की सलाह दी जाएगी। इनके भी सैंपल जांच के लिए लैब नहीं भेजे जाएंगे।

सी श्रेणी के रोगी
वहीं सी श्रेणी में अति गंभीर रोगी होंगे। सांस फूलना, सीने में दर्द, ब्लड प्रेशर कम होना और रक्त युक्त बलगम के साथ-साथ नाखून अगर नीले हो रहे हैं। वहीं पुरानी पुरानी के कारण स्थिति खराब हो रही है तो ऐसे रोगियों को ओसेल्टामिविर दवा दी जाएगी और इनके सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे जाएंगे

रोगी मास्क लगाएं और मुंह पर हाथ या कपड़ा रखकर छींकें
एच3एन2 इन्फ्लूएंजा से पीड़ित रोगियों को मास्क अनिवार्य रूप से लगाना होगा। ट्रिपल लेयर व एन-95 मास्क लगाएंगे। इनके उपचार में लगे डाक्टर व कर्मी भी यही मास्क लगाएंगे। वह छींकते व खांसते समय मुंह पर कपड़ा या हाथ अवश्य लगाएंगे। टिश्यू पेपर का प्रयोग करें और रूमाल को विसंक्रमित कर साफ करें। एक हाथ यह उससे अधिक की दूरी से ही लोगों से बात करें।

स्वास्थ्य कर्मियों व उच्च जोखिम वाले रोगियों का टीकाकरण
एच3एन2 इन्फ्लूएंजा से पीड़ित रोगियों की देखभाल में लगे डॉक्टरों, पैरामेडिकल कर्मियों, लैब के कर्मियों व विशेषज्ञों को सीजनल इन्फ्लूएंजा का टीका लगाया जाएगा। रैपिड रिस्पांस टीम के विशेषज्ञ डॉक्टरों व कर्मियों के साथ-साथ एंबुलेंस चालकों के साथ-साथ गर्भवती व गंभीर रोगियों को यह टीका लगाया जाएगा।

ऐसे रखें खुद का ख्याल – देश में एच3एन2 के मामले तेजी से बढ़ते हुए देख एक्सपर्ट लोगों को न घबराने की सलाह दे रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक इंफ्लूएंजा का बढ़ना मामूली बात है। इससे आसानी से बचा जा सकता है, यदि अगर आप कहीं बाहर निकलते हैं तो मास्क लगाना न भूलें। लोगों से गले मिलने और हाथ मिलाने के स्थान पर अभिवादन के लिए नमस्कार करें।

मध्‍य प्रदेश में चार लैबों में जांच संभव
प्रदेश में अभी तक सिर्फ चार शासकीय लैबों में वायरस एन3एच2 के पुष्टि के लिए जांच संभव है। इसमें भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और गांधी मेडिकल कालेज हैं। इसके अतिरिक्त जबलपुर में नेशनल इंस्टिट्यूट आफ रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ और ग्वालियर के डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट इस्टेबलिशमेंट में जांच होना संभव है।

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