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डिजिटल भारत I देश की पहली किन्नर महामंडलेश्वर हेमांगी सखी वाराणसी लोकसभा सीट से मैदान में उतरेंगी। अखिल भारत हिंदू महासभा ने हेमांगी सखी को बनारस से टिकट दिया है। वह 12 अप्रैल को बनारस पहुंचेंगी और बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेकर अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगी।
महामंडलेश्वर हेमांगी सखी ने कहा कि पूरे देश में किन्नर समाज की स्थिति दयनीय है। किन्नर समाज के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गई है। किन्नर समाज अपनी बात लोकसभा और विधानसभा में कैसे रखेगा? किन्नर समाज का नेतृत्व कौन करेगा? किन्नर समाज की भलाई के लिए मैंने धर्म से राजनीति की ओर रुख किया है।
हेमांगी सखी ने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में नहीं हैं, उन्होंने भी धर्म का काम किया है। हमारा प्रयास सिर्फ इतना ही है कि हमारी बात सरकार के कानों तक पहुंचे। इसीलिए वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
अर्धनारीश्वर को सरकार ने भुला दिया
महामंडलेश्वर ने कहा कि सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया है। हम इसकी सराहना करते हैं, बेटियां जगत जननी का स्वरूप हैं, लेकिन सरकार अर्धनारीश्वर को भूल गई है।’ हम भी यह सूत्र सुनना चाहते हैं कि वह दिन कब आएगा? केंद्र सरकार ने ट्रांसजेंडर पोर्टल लॉन्च किया लेकिन क्या किन्नरों को इसके बारे में पता है? जो लोग सड़क पर भीख मांगते हैं उन्हें नहीं पता कि उनके लिए कोई पोर्टल है।
सरकार को किन्नर समाज के लिए सीटें आरक्षित करनी होंगी
उन्होंने सवाल किया कि जब सरकार ने पोर्टल जारी किया तो उसका प्रचार-प्रसार क्यों नहीं किया? ट्रांसजेंडर बोर्ड बनाने से कुछ नहीं होता। सरकार को किन्नर समाज के लिए सीटें आरक्षित करनी होंगी, तभी हालात बदलेंगे.
देश की हर पार्टी को ये पहल करनी होगी
अगर आज भाजपा सरकार ने किन्नरों के लिए अपने दरवाजे खुले रखे होते तो शायद महामंडलेश्वर हेमांगी सखी को यह कदम उठाने की नौबत नहीं आती। उनका कहना है, ‘हिंदू महासभा ने मुझे हाशिए पर रहने वाले लोगों को मुख्यधारा में लाने और उनके विचारों को समाज के सामने पेश करने के लिए नामांकित किया है। और ये पहल देश की हर पार्टी को करनी होगी.
कौन हैं महामंडलेश्वर हिमांगी सखी
हिमांगी सखी किन्‍नर महामंडलेश्‍वर हैं. वह 5 भाषाओं में भागवत कथा सुनाने के लिए जानी जाती हैं. उन्हें किन्नर समाज के लिए कई बार लड़ते देखा गया है. हिमांगी सखी ने कहा कि किन्नर समाज को उनका अधिकार व सम्मान दिलाने के लिए वह चुनावी मैदान में उतरी हैं. प्रधानमंत्री का ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ नारा अच्छा है लेकिन ‘किन्नर बचाओ-किन्नर पढ़ाओ’ की आवश्यकता नहीं समझी गई. ‘

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