डिजिटल भारत l अपने बच्चे की देखभाल करना आपके जीवन के सबसे खास अनुभवों में से एक हो सकता है, लेकिन शुरुआत में आपको यह समझ नहीं आएगा कि आपको क्या करना है और क्या नहीं। जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम होता है। इसलिए आपको बच्चे की हर जरूरत का ध्यान देना होगा। उसके इशारों को समझकर उसे अपनी बात भी समझानी होगी। आज हम आपको बता रहे हैं अपनी नन्ही-सी जान की देखभाल कैसे करें। डफरिन अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ़.सलमान के मुताबिक बच्चे के हावभाव और हरकतों से उसे होने वाली समस्या और परेशानी को समझना बहुत जरूरी है। आमतौर पर बच्चा यूं ही नहीं रोता। अगर बच्चा रो रहा तो देखें कि उसके कपड़े गीले तो नहीं है। कोई चीज उसे चुभ तो नहीं रही या भूखा तो नहीं है। अगर सारी कोशिशों के बाद भी बच्चा चुप नहीं हो रहा तो यह चिंता की बात है और बिना देर किए उसे तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाना चाहिए।
कामकाजी मांओं के लिए शिशु को छोड़कर काम पर जाना मुश्किल होता है खासकर उन मांओं के लिए जिनकी कॉर्पोरेट जॉब है और वो बच्चे को ज्यादा समय नहीं दे पाती हैं ऐसे में आपको ऑर्गेनाइस्ड होने की बहुत जरूरत पड़ेगी, आपको घर से बाहर जाने से पहले बच्चे के दूध से लेकर उसकी सही नींद, हाईजीन आदि सभी बातों का ध्यान रखना होगा। करियर के बावजूद आप बच्चे की सेहत को नजरअंदाज नहीं कर सकते क्योंकि बच्चों की इम्यूनिटी वीक होती है, जरा सी लापरवाही के चलते उनकी तबीयत बिगड़ सकती है इसलिए आपको कुछ आसान टिप्स अपनाने चाहिए जिनकी मदद से आप काम के साथ शिशु की सेहत का ख्याल रख पाएंगी।
आप वर्किंग मदर हैं तो आपके लिए शिशु की सेहत को ट्रैक करना मुश्किल हो सकता है इसलिए आप एक हेल्थ चार्ट बनाएं। हेल्थ चार्ट में आप बच्चे का वजन, कद, उसके टीकाकारण से जुड़ी बात, जरूरी दवा का डोज आदि जानकारी लिखें, आप उसमें ये भी लिख सकते हैं कि आपने बच्चे को कितनी बार ब्रेस्टफीडिंंग करवाई है, इससे बच्चे की ग्रोथ को ट्रैक करने में मदद मिलती है और शिशुओं में होने वाली बीमारियों के बारे में भी जानकारी मिलती है।
दांतों की देखभाल : न्यू यॉर्क स्थित डेंटिस्ट एलेक्स कहती हैं कि कई बार मां-बाप बहुत देर में बच्चों के हाथ में ब्रश थमाते हैं। दूध के दांत बहुत नाजुक होते हैं और इन्हें बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। एलेक्स का कहना है कि जब दांत आने लगें, तो बच्चे को ठीक सोने से पहले दूध पिलाना बंद कर दें। अगर ब्रश कराना शुरू नहीं किया है, तो दूध पिलाने के बाद गीले कपड़े से दांत साफ करें।
दूध से गैस : नवजात शिशु रात में अक्सर रोते हैं। इससे घबराएं नहीं। अक्सर गैस या भूख के कारण बच्चे रात को रोते हैं। बच्चों को दूध पीने से गैस भी हो जाती है, जिससे बच्चों को दिक्कत होती है। ऐसे में दूध पिलाने के बाद उसका सिर अपने कंधे पर रखकर 10 मिनट तक हल्की थपकी देते रहें।
ऐसा न करें : माता-पिता बच्चों को सुलाने से पहले उन्हें कपड़ों की कई परतें पहना देते हैं, खास कर रात को। वे उन्हें बेबी बैग में भी डाल देते हैं और उसके ऊपर से कंबल भी ओढ़ा देते हैं। ये गलत तरीका है।
तलवों में ठंड
बच्चों को ठंड से बचाने के लिए आप अपने बच्चों के तलवे पर तेल लगाएं और साथ ही उन्हें मोजा पहनाएं या पैरों की तरफ कपड़ा लपेटना जरुरी है. मोजा पहनने से शिशु के तलवों के साथ पूरे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है.
नाक को गर्म
शिशु के नाक के रास्ते कई सारे बैक्टीरिया चले जाते हैं, ऐसे में शिशु के नाक की सुरक्षा करनी भी जरुरी है. मगर इसके लिए आपको शिशु की नाक को ढकना नहीं है, क्योंकि बहुत महीन कपड़ा भी उसको सांस लेने की तकलीफ पैदा कर सकता है. इसके बजाय यह करें कि शिशु की नाक को बीच-बीच में गर्म हाथों से सिंकाई करें या गर्म तेल से मसाज करें, कोशिश करें कि कमरे का तापमान बहुत कम न हो.