डिजिटल भारत I हम सभी अपनी जॉब में गलतियो से बचना चाहते है और ऑफिस में अच्छे संबंधन बनाये रखना चाहते है और ये काम इतना कठिन भी नहीं है बस आप इन कुछ बातो को ख्याल रखना चाहिए
ऑफर लेटर
जब भी आप किसी नई कंपनी में ज्वाइन करते है तो कंपनी की तरफ से आपको ऑफर लेटर दिया जाता है, जिसमें आपकी सैलरी की सारी डिटेल रहती हैं। कई मौकों पर लोग जल्दबाजी में ऑफर स्वीकार कर लेते हैं, जिससे बचना चाहिए। ऑफर लेटर को ध्यान से पढ़कर उसे स्वीकार करना चाहिए। साथ ही, नई कंपनी ज्वाइन करते वक्त आपसे पुराना ऑफर लेटर मांगा जाता है। इसलिए कंपनी से ऑफर लेटर की हार्ड कॉपी भी लेना चाहिए।
प्रोबेशन पीरियड
सभी तरह की सरकारी और प्राइवेट कंपनियों में कर्मचारी को पहले प्रोबेशन पीरियड से गुजरना होता है। यह एक तरह से आपके काम के आकलन का दौर होता है। इस दौरान गलतियां न करें, क्योंकि इस दौरान कर्मचारी के खिलाफ कंपनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होती है। कई मौकों पर आपकी नौकरी भी जा सकती है।
नोटिस पीरियड
जॉब छोड़ने से पहले आपको कंपनी को नौकरी छोड़ने के बारे में सूचित करना होता है, ताकि वह अपने काम के लिए नए कर्मचारी की तलाश कर ले। इसलिए पहले से ही अपने नोटिस पीरियड के बारे में जान लें, क्योंकि नौकरी छोड़ते वक्त आपको नोटिस पीरियड पूरा करना होता है। विभिन्न कंपनियों में अलग-अलग नोटिस पीरियड होता है। ज्यादातर कंपनियों में यह एक से तीन महीने का होता है।
मेडिकल इन्श्योरेंस
लेबर कानून के तहत कंपनियों की तरफ से कर्मचारी को मेडिकल इन्श्योरेंस की सुविधा मिलती है, जिसका प्रीमियम आपकी सैलरी से डिडक्ट किया जाता है। इसके अंतर्गत किसी बीमारी की चपेट में आने पर आपको और आपकी फैमिली को मेडिकल कवर मिलता है।
अपने कार्यस्थल को राजनीति से दूर रखें। अपने काम से काम रखें। लोगों के फालतू के पचड़े में पड़ने से बचें।
गलती करने पर अपने सीनियर से बहस न करें। अपनी गलती मानें और उसे दोबारा न दोहराने की बात करें।
पे-रोल
आजकल कई कंपनियां लोगों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखती हैं। मतलब उन्हें पे-रोल पर नहीं रखा जाता है। इस स्थिति में कंपनी कर्मचारी को पीएफ, मेडिकल इन्श्योरेंस जैसी सुविधाएं देने से बच जाती हैं। इसलिए नौकरी ज्वाइन करते वक्त पे-रोल को लेकर एचआर से बातचीत कर लेनी चाहिए।
ग्रैच्युटी
लेबर मंत्रालय के कानून के तहत कंपनी को अपने कर्मचारी को एक साल में 15 दिन का वेतन ग्रैच्युटी के तौर पर देना होता है। हालांकि, इसके लिए आपको एक कंपनी में 5 साल लगातार काम करना होगा। कई कंपनियां आपकी सैलरी से ग्रैच्युटी डिडक्ट करती हैं। ऐसे में, ज्वाइन करने के वक्त इसके बारे में जानकारी ले लेनी चाहिए।