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म.प्र. पर्यटन विभाग ने किये विशेष इंतजाम पर्यटन स्थल देखी जा रही अच्छी खासी भीड़

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डिजिटल भारत l स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रारंभ हो गया है जिसके साथ ही लोग इन दिनों सैर सपाटे पर निकल गए है। पसंदीदा स्पाट जंगली क्षेत्र है जहां सबसे ज्यादा पर्यटकों का रूझान है। अगले दो सप्ताह में एक लाख से ज्यादा पर्यटक जबलपुर के आसपास के पर्यटन स्थलों में घूमने आएंगे। मप्र पर्यटन विभाग ने भी त्योहार और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। बरगी में पर्यटन विभाग ने वाटर स्पोटर्स के अन्य खेल के साथ बनाना राइड शुरू की है। 25 दिसंबर को इसकी शुरुआत होगी।

मप्र राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा बरगी के मैकल रिसोर्ट में बनाना राइड प्रारंभ की है। 25 दिसंबर से पर्यटकों के लिए यह सुविधा प्रारंभ हो जाएगी। इस संबंध में राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष विनोद गोटियां ने कहा कि पर्यटन विस्तार एवं पर्यटन को नित नए तरह की सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए प्रयास किये जाते रहे है इसी श्रंखला में साहसिक पर्यटन को बढ़ाते हुए एमपीटी मैकल रिसोर्ट बरगी में बनाना राइड की सुविधा पर्यटकों हेतु शुरू कर दी जाएगी। अध्यक्ष गोंटिया द्वारा ने बताया की कुछ दिवस पूर्व बरगी में स्थानीय मछुआरों की नौका दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें उनके द्वारा बरगी में बनाना राइड की सुविधा जल्द ही देने के लिए बोला गया था। मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक केएल पटेल ने जानकारी देते हुए बताया की नए वर्ष के पूर्व निगम की समस्त इकाइयों की बुकिंग लगभग पूर्ण हो चुकी जिसमें काफी संख्या में बाहरी पर्यटक आ रहे है। पर्यटन निगम के सभी इकाइयों में पर्यटकों के मनोरंजन हेतु नव वर्ष की पूर्व संध्या पर आयोजन किये जा रहे है जिसमें पर्यटकों को तरह तरह व्यंजन परोसे जाएंगे और मनोरंजन की भी पूर्ण व्यवस्था की गई है। पर्यटकों के आकर्षण के लिए आदिवासी नृत्य, फोक डांस एवं संगीत, बोन फायर, कलचुरी रेसीडेंसी जबलपुर में आर्केस्ट्रा का आयोजन होगा।

मप्र पर्यटन निगम के क्षेत्रीय अधिकारी ने बताया कि पर्यटन विभाग के सारे होटल और रिसोर्ट में पहले ही बुकिंग फुल हो गई है। बरगी के मेकल रिसोर्ट या भेड़ाघाट के होटल इसके अलावा कान्हा,पेंच और बांधवगढ़,अमरकंटक हर होटल में जनवरी के पहले हफ्ते तक बुकिंग हो चुकी है।

पर्यटकों ने काफी पहले ही छुटि्टयों को देखते हुए अपनी योजना बना ली थी। सबसे अधिक रूझान जंगली क्षेत्रों में जाने का है। यहां हालात ये है कि अधिकांश जंगली क्षेत्र में पार्क के अंदर जाने की बुकिंग भी नहीं मिल रही है। पर्यटकों को पर्यटन करने का सबसे अनुकूल समय यहीं माना जाता है। इस दौरान होटल भी पर्यटकों के लिए आकर्षक आयोजन करते हैं। इसमें बोन फायर, गीत-संगीत के आयोजन होते हैं। बरगी में जहा पर्यटकों के लिए वाटर स्पोर्टस की गतिविधियां संचालित होगी वहीं सर्द रातों में यहां वक्त गुजारने कई पर्यटक आते हैं होटल में सीमित कमरे होने की वजह से यहां बुकिंग मिलना मुश्किल होता है। पर्यटन विभाग को अनुमान है कि बरगी में नववर्ष तक दस हजार पर्यटक घूमने आएंगे। इसी तरह भेड़ाघाट में भी 15 हजार से ज्यादा पर्यटकों के आने की उम्मीद जाहिर की जा रही है।

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घंटों इंतजार के बाद भी नहीं मिल पा रही दवा, सी जी एच एस डिस्पेंसरी नंबर दो में रोजाना बिना दवा के लौट रहे मरीज

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डॉक्टर गए सर्दियों की छुट्टी पर, बुजुर्ग मरीज हो रहे परेशान

डिजिटल भारत I अरे डॉक्टर साब मेरा नंबर आने से पहले ही बंद कर दिए मैं दो दिन से लौट रहा हूं, देख लीजिए कुछ हो जाए। मैं अपनी मां की दवाई लेने पिछले एक हफ्ते से आ रहा हूं, लेकिन लंबी लाइन और एक एक घंटे इंतजार के बाद भी मेरा नंबर नहीं आ पाता और सर्वर बंद हो जाता है मुझे रेफर बनवाना है, दो घंटे से खड़ा हूं लेकिन लाइन आगे ही नहीं बढ़ पा रही है ये नजारा शुक्रवार सुबह यादव कॉलोनी स्थित सीजीएचएस डिस्पेंसरी नंबर दो में देखने मिला। जहां बुजुर्ग और चलने फिरने में असमर्थ मरीज घंटों तक अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। पिछले करीब 12 दिनों से यही हाल है। बुजुर्गों ने बताया डॉक्टरों की कमी और धीमी गति से काम होने के कारण ऐसे हालात बन रहे हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी न तो सुन रहे हैं और न इसका कोई समाधान ही उपलब्ध करा रहे हैं।

यादव कॉलोनी स्थित सीजीएचएस डिस्पेंसरी में रोजाना करीब 250 से 300 मरीज आ रहे हैं। उन्हें दवाएं लिखने, रेफर करने और सलाह देने के लिए महज दो या तीन डॉक्टर ही मौजूद रहते हैं। जिनमें एक डॉक्टर मैडम पेशेंट देखने के बजाए अपने फाइलों के काम ज्यादा निपटाती हैं। वहीं दो डॉक्टर दो एवं चार नंबर कमरे में बैठ रहे हैं जिनके भरोसे सभी मरीज होते हैं

डिस्पेंसरी के कर्मचारी से जब इस मामले में बात की गई तो उसने बताया कि कुछ डॉक्टर सर्दियों की छुट्टी मनाने के गए हैं। जिसके चलते केवल दो ही डॉक्टर मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। वे कब आएंगे ये किसी को नहीं पता है। लंबी कतारें होने के चलते दोपहर 2 बजे तक भी कई लोगों का घंटों के इंतजार के बाद नंबर नहीं आ पाता है और सर्वर बंद होने से रोजाना बहुत से मरीज बिना परामर्श और दवाओं के ही लौट रहे हैं।

बुजुर्ग मरीजों की संख्या को देखते हुए डिस्पेंसरी परिसर में पर्याप्त बैठक व्यवस्था भी नहीं है। कई बुजुर्गों ने इस बावत् जब डॉक्टर्स से बात करनी चाही तो उन्होंने ये कहकर उन्हें टाल दिया कि ये काम हमारा नहीं है। मजबूरी में बुजुर्गों को लंबी कतारों में खड़े ही रहना पड़ रहा है।

कोरोना का अलर्ट होने के बाद से पिछले पांच दिनों से डिस्पेंसरी परिसर में मास्क पहनना जरूरी कर दिया गया है। बिना मास्क लगाए बुजुर्ग मरीजों को डॉक्टरों ने देखने से मना कर दिया है। हालांकि ये सभी की सुरक्षा की दृष्टि से लिया गया निर्णय है। लोग भी उनकी बात मानकर मास्क लगाकर ही पहुंचने लगे हैं।

पुणे और कानपुर से एक-एक डॉक्टर बाहर से ट्रांसफर किए हैं लेकिन वे ज्वाइन करने के बाद छुट्टी पर चले गए हैं। उन्हें हिदायत दी है, हो सकता है वे नए साल से आना शुरू हो जाएंगे। मरीजों को परेशानी हो रही है इस बात की जानकारी भी है। जल्द समस्या दूर होगी।

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जबलपुर में रात को रेलवे ट्रैक की निगरानी करेंगे पांच सौ निजी गार्ड

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डिजिटल भारत I जबलपुर में ट्रेनों को सुरक्षित पटरियों पर चलाने के लिए रेलवे द्वारा निजी गार्डों की मदद ली जाएगी। निजी गार्ड रेलवे पटरियों में होने वाले क्रेक के साथ ही इनमें होने वाले नुकसान पता समय पर लगाएंगे I

म.प्र भोपाल ट्रेनों को सुरक्षित पटरियों पर चलाने के लिए अब रेलवे द्वारा निजी गार्डों की मदद ली जाएगी। जबलपुर में ट्रेनों को सुरक्षित पटरियों पर चलाने के लिए निजी गार्डों की तैनाती होगी। ये गार्ड रेलवे पटरियों में होने वाले क्रेक के साथ ही इनमें होने वाले नुकसान पता समय पर लगाएंगे। जिसके लिए जबलपुर रेल मंडल द्वारा कवायद प्रारंभ कर दी गई है। यह निजी गार्ड रात को पटरियों की सुरक्षा करने के लिए गश्त भी करेंगे।


रेलवे कर्मियों के साथ निजी गार्ड करेंगे निगरानी
दरअसल, रेलवे, पटरियों की सुरक्षा के लिए ट्रैकमेन, पेट्रोलमेन तैनात करता है। इन्हें इस बार भी किया गया, लेकिन ठंड के दिनों में पटरियों में क्रेक आने, ट्रैक को नुकसान पहुंचने और कोहरे होने से दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। यही वजह है कि इस बार रेलवे इस काम में अपने कर्मचारियों के साथ निजी कर्मचारियों की भी मदद ले रहा है। बता दें कि पटरियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जबलपुर रेल मंडल के इंजीनियर विभाग की रहती है।

रेलवे सूत्रों की मानें तो ठण्ड के दिनों में कोहरे व खराब मौसम के कारण रेलवे पटरियों में क्रेक आने, ट्रैक को नुकसान पहुंचने और कोहरे से होने वाली दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती हैं। रेलवे विभाग द्वारा ट्रैक की देखरेख के लिए ट्रैकमैन व पेट्रोलमैन तैनात किया जाता है। इस बार इनके साथ ही निजी गार्ड की भी तैनाती की जाएगी। पटरियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जबलपुर रेल मंडल के इंजीनियर विभाग की रहती है। रेलवे द्वारा तैनात कर्मचारियों के माध्यम से ठण्ड के दिनों में रात के समय पटरियों की सुरक्षा करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अब इस कार्य में निजी गार्ड को भी शामिल किया जाएगा। इन निजी कर्मचारियों को कलेक्ट्रेट गाइड लाइन के मुताबिक वेतन का भुगतान होगा।

जबलपुर मंडल के लगभग 800 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक की निगरानी इन निजी गार्ड द्वारा कि जाएगी। वर्तमान में एक ट्रैकमैन के जिम्मे आठ किलोमीटर लंबी पटरियों की निगरानी की जाती है। किंतु कर्मचारी कम होने के कारण ठण्ड के इन दिनों में एक कर्मचारी 12 किलोमीटर लंबी पटरियों की सुरक्षा के लिहाज से गश्त कर रहा है। डबल ट्रैक होने के कारण एक बार में दोनों ट्रैक देखने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में लगभग 500 निजी सुरक्षा कर्मचारियों को भी पटरियों की निगरानी में तैनात किया जाएगा। जिसके लिए रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग द्वारा टेंडर भी जारी कर दिया गया है। बताया गया है कि जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

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मुख्यमंत्री कन्या विवाह निकाह योजना सम्मेलन 25 जनवरी को, 10 जनवरी तक कराये जा सकते है पंजीयन 

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डिजिटल भारत l मुख्यमंत्री कन्या विवाह एवं निकाह योजना का उद्देश्य गरीब, जरूरतमंद और बेसहारा परिवारों की बेटियों/विधवाओं/तलाकशुदा महिलाओं की शादी के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है। साल 2006 में इसे मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के नाम से शुरू किया गया था लेकिन नवंबर 2015 में इसका नाम बदलकर मुख्यमंत्री कन्या विवाह एंव निकाह योजना कर दिया। इस योजना के तहत सामूहिक विवाह करने वाली सभी कन्याओं की शादी पर सरकार 51,000 रुपए खर्च करती है। इसके अलावा आदिवासी अंचलों में प्रचलित जनजातीय विवाह पद्धति से एकल विवाह करने पर भी योजना का लाभ मिलता है।
योनजा से जुड़ी हर जानकारी

इस योजना के तहत हर लाभार्थी कन्या की शादी पर कुल 51,000 रुपए हजार खर्च किए जाएंगे। यह पूरा अमाउंट अलग-अलग मदों में बांट कर व्यय किया जाता है।

नवदंपति अच्छे से अपनी गृहस्थी बसा सकें इसके लिए 43,000 रुपए कन्या के बचत खाते में जमा किए जाते हैं।
योजना के तहत हर कन्या के विवाह संस्कार में लगने वाली सामग्री खरीदने के लिए 5000 रुपए खर्च किए जाते हैं।
सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित कराने वाली संस्था को कार्यक्रम की तैयारी के लिए प्रति कन्या 3,000 रुपए भुगतान किया जाता है।
इस योजना के तहत लाभ लेने के लिए कन्या और उसके परिजनों को कुछ पात्रता मापदंड पूरे करने होते हैं।

मध्यप्रदेश शासन, सामाजिक न्याय एवं निःशक्त जनक्लयाण विभाग के अंतर्गत नगर निगम सीमा क्षेत्रान्तर्गत दिनांक 25 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना अंतर्गत सामूहिक विवाह का आयोजन किया जा रहा है। महापौर , निगमाध्यक्ष , नेताप्रतिपक्ष के साथ-साथ नगर निगम आयुक्त ने समस्त नागरिकों से विनम्र अपील की है कि विवाह/निकाह योजना अंतर्गत अविवाहित युवक/युवती अपना आवेदन फार्म संभागीय कार्यालयों से प्राप्त करें और आवश्यक जानकारी भरकर दस्तावेजों के साथ संभागीय कार्यालय में जमा कराएॅं। इस संबंध में योजना प्रभारी इन्द्र कुमार वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया है कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना में आवेदक को किसी प्रकार की समस्या हो तो संबंधित वार्ड पार्षद, नगर निगम के कमरा नं. 40 योजना शाखा के साथ-साथ अध्यक्ष कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं।

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वर्ष 2022-23 के लिए 8.71% दर बढ़ाने दायर याचिका म.प्र. राज्य नियामक आयोग की प्राप्त हुई स्वीकृति, प्रति यूनिट 58 पैसे तक बढ़ सकते हैं बिजली के दाम

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डिजिटल भारत l मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के साथ तीनों वितरण कम्पनियों ने बुधवार को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बिजली दर निर्धारण याचिका मप्र विद्युत नियामक आयोग में दाखिल की. कंपनी ने 1500 करोड़ रुपए के आय और व्यय के अंतर को खत्म करने के लिए औसत 3.2 प्रतिशत बिजली की दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, मध्य प्रदेश में बिजली कंपनी के बिजली दर बढ़ाने के प्रस्ताव पर 23 जनवरी 2023 को जनसुनवाई होगी। मप्र विद्युत नियामक आयोग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। बिजली याचिका में राज्य सरकार बडे घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देकर मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं की बिजली महंगी करने की तैयारी में है। सरकार 300 से अधिक का स्लैब खत्म करने जा रही है। इस स्लैब वाले उपभोक्ताओं की संख्या करीब पांच लाख है। अब ये 150 से 300 यूनिट की स्लैब में आ जाएंगे। वहीं, 150 से 300 यूनिट की खपत करने वाले करीब 25 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को ज्यादा बिजली बिल चुकाना होगा।

प्रदेश में करीब सवा करोड़ उपभोक्ता है, जिनमें से करीब 90 लाख छोटे उपभोक्ताओं को सब्सिड़ी मिलती है।

म.प्र. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की ओर से मप्र विद्युत नियामक आयोग को वर्ष 2023-24 के लिए बिजली दर निर्धारण की टैरिफ पिटीशन सौंपी गई है। कंपनियों ने बिजली दर में औसत 3.20 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव रखा है।

आयोग ने इस पर जनसुनवाई के लिए सूचना गुरुवार को जारी कर दी है। पूर्व विद्युत विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर में 23 जनवरी, पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी इंदौर में 24 और मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भोपाल में 25 जनवरी को जनसुनवाई होगी। जनसुनवाई के बाद मार्च में आयोग नए वित्तीय वर्ष के लिए दर निर्धारित करेगा। ये दरें एक अप्रैल से लागू होने की संभावना है।

आगामी वर्ष के लिए बिजली कंपनियों को सभी मदों से 49,530 करोड़ के राजस्व की जरूरत होगी, लेकिन उसे 47,992 करोड़ रुपए का राजस्व ही प्राप्त हो सकेगा। उसे प्रस्तावित हानि 1,537 करोड़ रुपए की होगी। इस हानि को पूरा करने के लिए बिजली दरों में औसत रूप से 3.20 प्रतिशत वृद्धि करने की अनुमति आयोग से मांगी है।

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जबलपुर जिले के सकल जैन समाज ने मौन रैली निकालकर सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा।

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जैन समाज के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने के विरोध में जैन समाज ने मौन रैली निकालकर सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा।

डिजिटल भारत I आज सुबह से ही दुकानदारों ने यहां अपने-अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर विरोध दर्ज करवाया है। जिले में निवाड़ी नगर समेत ओरछा और पृथ्वीपुर तहसील में भी जैन समाज के लोगों ने अपने व्यापार बंद कर प्रतिष्ठान में तालाबंदी की और झारखंड सरकार के आदेश की जमकर आलोचना की।

आदेश वापसी की मांग को लेकर सैकड़ों जैन व्यापारियों का समूह ज्ञापन देने के लिए पृथ्वीपुर तहसील कार्यालय पहुंचा था, लेकिन अधिकारी कार्यालय में नहीं थी। इसको लेकर जैन समाज के लोगों में अधिकारियों और सिस्टम को लेकर काफी आक्रोश दिखाई दिया।

समाज के लोग हाथों में तख्तियां बैनर लेकर उत्तराखंड एवं केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यटन मंत्रालय के खिलाफ नारेबाजी लिखकर चल रहे थे।

लोगों का कहना है कि I

यह पवित्र तीर्थ स्थल है, यहां जैन धर्म की अगाध आस्था जुड़ी हुई है। साथ यहां तीर्थंकरों समेत जैन धर्मगुरुओं ने मोक्ष प्राप्त किया है। यहां पर्यटन स्थल बनने से इसकी पवित्रता नष्ट हो रही है, साथ ही लोग मांस मदिरा का सेवन कर रहे हैं। जो कि अनुचित है। यदि समय रहते इस आदेश को वापस नहीं लिया गया तो जैन समाज अपना विरोध तेज करेगा।

झारखंड के गिरिडीह जिले में सम्मेद शिखर पर्वत मौजूद है, जो जैन समाज का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है। जैन समाज के लोगों ने का विरोध इस बात को लेकर है कि शिखर के एक हिस्से को झारखंड सरकार ने वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित कर दिया है। इसके अलावा केन्द्र व झारखंड सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने की बात भी कही गई है। जिसको लेकर देशभर का जैन समाज आक्रोशित है। इसी बात को लेकर जबलपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में जैन समाज के लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं

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छात्रों को मिलेगा कौशल प्रशिक्षण

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पढ़ाई छोड़ चुके छात्रों को बना रहे आत्मनिर्भर I

डिजिटल भारत I आर्थिक अथवा परिवारिक कारणों के चलते बीच में पढ़ाई छोड़ चुके छात्रों को अब आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। ऐसे छात्रों को स्किल इंडिया के माध्यम से ट्रेंड करने के साथ ही उन्हें रोजगार से जोड़ने की तैयारी की जा रही है। जिले में इस तरह का प्रयोग स्किल इंडिया के तहत किया जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पहले चरण में ऐसे ड्रॉप आउट 200 छात्रों को जोड़ा गया है, जिन्होंने कक्षा 8वीं के बाद किन्हीं कारणों के चलते पढ़ाई छोड दी थी। अब इन छात्रों की पहली स्किल परीक्षा ली जा रही है।

शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों को स्किल इंडिया पोर्टल पर रजिस्टर्ड किया जा रहा है

ऐसे ड्रॉप आउट छात्रों की जानकारी एकत्रित कराने के साथ छात्रों के रजिस्ट्रेशन कराए जा रहे हैं। इसके लिए नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन भी मदद कर रहा है। साथ ही वीटीपी संस्थान इसके लिए स्किल हब सेंटरों को आवश्यक सहयोग प्रदान कर रहा है। व्यवसायिक शिक्षा से जुड़े शिक्षकों की सेवाएं ली जा रहीं हैं। छह माह की स्पेशल नि:शुल्क ट्रेनिंग के साथ ही स्टाइपंड दिया जा रहा है।

सीखने के लिए रखे आसान विषय

छात्रों को आसानी के साथ ट्रेंड किया जा सके, ऐसे विषयों को लिया गया है। जनरल डयूटी अस्टिेंट, फील्ड टैक्नीशियन, इलेक्ट्रानिक्स, हेल्थ केयर, रिटेल जैसे जॉब रोल में ट्रेनिंग की शुरुआत की गई है।

जिले में इसके लिए सात स्कूलों का चयन किया गया है।

इनमें कन्या महारानी लक्ष्मी बाई हायर सेकेंडरी स्कूल, शासकीय उमावि अधारताल, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बरेला, उत्कृष्ठ विद्यालय पाटन, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गांधीग्राम, कन्या उमावि रानी दुर्गावती के अलावा शासकीय कन्या पनागर शामिल है।

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अब निखरेगा डुमना नेचर पार्क का सौंदर्य, करीब से होंगे वन्य जीवों के दीदार, एक करोड़ किए जाएंगे खर्च

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 डिजिटल भारत I डुमना नेचर पार्क हरियाली से सराबोर, आकर्षक जलाश्य और वन्य जीवों की अटखेलियों से गुलजार शहर से 12 किमी दूर डुमना नेचर पार्क का सौंदर्य और निखरेगा। नगर निगम प्रशासन पर्यटकों को रिझाने के लिए करीब दो हजार एकड़ में फैले डुमना नेचर पार्क को एक करोड़ रुपये खर्च निखार लाएगा।

इस राशि से पार्क में पर्यटन को बढ़ावा देने संबंधी विकास कार्य कराए जाएंगे। इसके लिए नगर निगम ने टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। दावा किया जा रहा है कि टेंडर प्रक्रिया होते ही विकास कार्य आरंभ करा दिए जाएंगे। विदित हो कि प्राकृतिक सौंदर्य से ओप-प्रोत ये पार्क वाइल्ड लाइफ के शौकीनों के लिए जंगल से कम नहीं है। डुमना नेचर पार्क में हरे-भरे वृक्ष, खंदारी जलाशय, सुंदर उद्यान सहित वन्य जीव और म्यूजियम मुख्य आकर्षण हैं।

साल भर पहुंचते है पर्यटक, सर्द सीजन में बढ़ी भीड़

डुमना नेचर पार्क में यूं तो पर्यटक वर्ष भर आते रहते हैं, पर सर्द सीजन में पर्यटन प्रेमियों की संख्या बढ़ गई है। रोजाना 300 से ज्यादा लोग प्रकृति का दीदार करने पहुंच रहे हैं। उद्यान की खासियत ये है कि यहां हरे-भरे वृक्ष जंगल सफारी का मजा देते हैं। वहीं खंदारी जलाश्य ऐसा है जो हमेशा लबालब रहता है। वन्य जीव यहीं आकर अपनी प्यास बुझाते हैं और पर्यटक उनके दीदार कर खुश होते हैं।

पार्क में एक वाच टावर भी बना हुआ है जिसे सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया है। डुमना नेचर पार्क में बहुत सारे वन्य जीव देखने के लिए है। हिरणों के झुंड, मोर, जंगली सूअर, लाल और काले मुंह के बंदर, विभिन्ना प्रजातियों के पक्षी भी कलरव मचाते हैं। खंदारी जलाश्य में कभी कभार मगरमच्छ के दर्शन भी हो जाते हैं।

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शाहरुख खान की फिल्म पठान को लेकर विवाद गरमाता जा रहा है

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शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ का पहला गाना ‘बेशर्म रंग’ हाल ही में रिलीज हुआ. रिलीज के कुछ देर बाद ही ये गाना विवाद में भी आ गया I

डिजिटल भारत I शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण अभिनीत फिल्म ‘पठान’ पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. खास तौर पर फिल्म को लेकर मध्यप्रदेश में विवाद लगातार गहरा रहा है. सिनेमाघरों में फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की बढ़ती मांग को देखते हुए माना जा रहा है कि सोमवार से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इसका असर दिखाई दे सकता है. यह मुद्दा वहां भी गर्मा सकता है.

शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ रिलीज से पहले ही विवादों में फंस गई है. फिल्म के रिलीज हुए एक गाने को लेकर विवाद और ज्यादा बढ़ गया है और ट्विटर पर पठान बायकॉट ट्रेंड कर रहा है.

बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख खान अपनी मच अवेटेड फिल्म ‘पठान’ से चार साल बाद सिल्वर स्क्रीन पर कमबैक कर रहे हैं. लेकिन फिल्म रिलीज से पहले ही विवादों में फंस गई है. फिल्म के टीजर रिलीज होने के बाद से ही फिल्म को लेकर विवाद हो रहा है और हालिया रिलीज हुए गाने ने मामला और बढ़ा दिया है. यहां तक कि अब ट्वीटर पर पठान बायकॉट ट्रेंड कर रहा हैI

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चीन में एक बार फिर कोरोना वायरस के संक्रमण से हाहाकार मचा

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चीन में कोरोना से मचा हाहाकार, अस्पतालों में बेड नहीं, श्मशानों में भी लंबी कतार I

डिजिटल भारत I अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों का सैलाब आ गया है। इतना ही नहीं मेडिकल स्टाफ भी संक्रमित हो रहे हैं। कुछ डॉक्टर्स कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

यहां कोरोना के मामलों में फिर एक बार तेजी दिख रही है। कोरोना के मामलों में तेजी की वजह जीरो कोविड पॉलिसी में दी गई ढील को बताया जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों का सैलाब आ गया है। इतना ही नहीं मेडिकल स्टाफ भी संक्रमित हो रहा है। कुछ डॉक्टर्स कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

चीन के अस्पतालों में आईसीयू बेड की कमी भी होने लगी है।

दवाई की दुकानों में लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। दवा की कमी के कारण उनकी कीमतें कई गुना ज्यादा बढ़ गई हैं। इस समय चीन में एक कोरोना संक्रमित 16 अन्य लोगों को संक्रमित कर रहा है। कोरोना से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों को है और चीन के लिए भी यही चिंता बन सकता है, क्योंकि अब भी बहुत से बुजुर्गों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। एक्सपर्ट की मानें तो अगर ऐसे ही हालात रहे तो 2023 तक चीन में कोरोना के कारण 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होगी।

चीन के ज़ुहाई शहर में हॉस्पिटल के कॉरिडोर में स्ट्रेचर पर लाशों की कतार लगी है। शवगृह में शवों के रखने की जगह नहीं बची है। बीजिंग की हालत तो ज़ुहाई से भी ज्यादा खराब है। यहां चुइयांग्लु अस्पताल का यह हाल है कि मरीज और शव एक ही कमरे में हैं। एक तरफ लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं तो उसके ठीक बगल में कई शव रखे हुए हैं।

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