DIGITAL BHARAT

एक भारत उत्कृष्ट भारत

विटामिन B & E की कमी से होती है हाथ-पैर में झनझनाहट, जानिए लक्षण और उपाय

0 0
Read Time:2 Minute, 52 Second

डिजिटल भारत l कई बार छोटी-मोटी समस्याओं को हम नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन आपको ध्यान में रखना चाहिए कि शरीर इस तरह से संकेत तभी देता है, जब चीजें गंभीर होने लगी हों। अगर इन पर ध्यान नहीं दिया और समय रहते इनका इलाज नहीं किया, तो शरीर अंदर से खोखला होने लगता है और फिर ये बड़ी बीमारी बनकर उभरती है। खास तौर पर विटामिन की कमी से होनेवाली बीमारियों के लक्षण ऐसे ही सामान्य से होते हैं, लेकिन लंबे समय तक नजरअंदाज करने से शरीर को भारी नुकसान पहुंचता है।

हमारा शरीर, विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन, खनिज आदि पोषक तत्वों से मिलकर बना है। इन सभी का शरीर में पर्याप्त मात्रा में होना बहुत जरूरी है, तभी जाकर हमारा शरीर अच्छे ढंग से काम कर पाएगा। इसमें से किसी भी एक की कमी होती है तो सेहत संबंधी तमाम परेशानियां शुरु हो जाती हैं। अगर आपके हाथों या पैरों में झनझनाहट होने लगी है, तो ये विटामिन की कमी का संकेत है।

अगर आपको हाथ या पैर में लगातार झनझनाहट महसूस हो रहा हो, तो फौरन अपने डॉक्टर से मिलें और लक्षणों के आधार पर उचित विटामिन्स लेना शुरु कर दें। इसे इग्नोर करने से स्थिति गंभीर हो सकती है। इसके अलावा अगर आपको एक ही स्थिति में बिना करवट बदले सोने काी आदत है, तो उसे बदलें। क्योंकि इस वजह से भी पैर और हाथ में झनझनाहट हो सकती है। इसके अलावा रोजाना टहलना शुरु करें और हाथ-पैरों से जुड़े हल्के व्यायाम करें। इससे भी राहत मिलती है।

  1. विटामिन बी और ई (vitamin B & E) हमारे नर्वस सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करते हैं। इनमें कमी आने से पैरों और हाथों में झनझनाहट होने लगती है।
  2. कभी-कभी किसी दवा के साइड इफेक्ट की वजह से भी आपको झनझनाहट महसूस हो सकती है।
  3. हाई ब्लड प्रेशर या ट्यूबरक्लोसिस की बीमारी में भी ऐसा महसूस हो सकता है।
  4. बहुत ज्यादा शराब पीने से शरीर में विटामिन बी12 फोलेट की कमी हो जाती है। इससे भी हाथ और पैर में झनझनाहट होती है।
  5. थायराइड (Thyroid) की समस्या में भी आपके हाथ और पैर में झनझनाहट हो सकती है

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

घंटों इंतजार के बाद भी नहीं मिल पा रही दवा, सी जी एच एस डिस्पेंसरी नंबर दो में रोजाना बिना दवा के लौट रहे मरीज

0 0
Read Time:4 Minute, 3 Second

डॉक्टर गए सर्दियों की छुट्टी पर, बुजुर्ग मरीज हो रहे परेशान

डिजिटल भारत I अरे डॉक्टर साब मेरा नंबर आने से पहले ही बंद कर दिए मैं दो दिन से लौट रहा हूं, देख लीजिए कुछ हो जाए। मैं अपनी मां की दवाई लेने पिछले एक हफ्ते से आ रहा हूं, लेकिन लंबी लाइन और एक एक घंटे इंतजार के बाद भी मेरा नंबर नहीं आ पाता और सर्वर बंद हो जाता है मुझे रेफर बनवाना है, दो घंटे से खड़ा हूं लेकिन लाइन आगे ही नहीं बढ़ पा रही है ये नजारा शुक्रवार सुबह यादव कॉलोनी स्थित सीजीएचएस डिस्पेंसरी नंबर दो में देखने मिला। जहां बुजुर्ग और चलने फिरने में असमर्थ मरीज घंटों तक अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। पिछले करीब 12 दिनों से यही हाल है। बुजुर्गों ने बताया डॉक्टरों की कमी और धीमी गति से काम होने के कारण ऐसे हालात बन रहे हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी न तो सुन रहे हैं और न इसका कोई समाधान ही उपलब्ध करा रहे हैं।

यादव कॉलोनी स्थित सीजीएचएस डिस्पेंसरी में रोजाना करीब 250 से 300 मरीज आ रहे हैं। उन्हें दवाएं लिखने, रेफर करने और सलाह देने के लिए महज दो या तीन डॉक्टर ही मौजूद रहते हैं। जिनमें एक डॉक्टर मैडम पेशेंट देखने के बजाए अपने फाइलों के काम ज्यादा निपटाती हैं। वहीं दो डॉक्टर दो एवं चार नंबर कमरे में बैठ रहे हैं जिनके भरोसे सभी मरीज होते हैं

डिस्पेंसरी के कर्मचारी से जब इस मामले में बात की गई तो उसने बताया कि कुछ डॉक्टर सर्दियों की छुट्टी मनाने के गए हैं। जिसके चलते केवल दो ही डॉक्टर मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। वे कब आएंगे ये किसी को नहीं पता है। लंबी कतारें होने के चलते दोपहर 2 बजे तक भी कई लोगों का घंटों के इंतजार के बाद नंबर नहीं आ पाता है और सर्वर बंद होने से रोजाना बहुत से मरीज बिना परामर्श और दवाओं के ही लौट रहे हैं।

बुजुर्ग मरीजों की संख्या को देखते हुए डिस्पेंसरी परिसर में पर्याप्त बैठक व्यवस्था भी नहीं है। कई बुजुर्गों ने इस बावत् जब डॉक्टर्स से बात करनी चाही तो उन्होंने ये कहकर उन्हें टाल दिया कि ये काम हमारा नहीं है। मजबूरी में बुजुर्गों को लंबी कतारों में खड़े ही रहना पड़ रहा है।

कोरोना का अलर्ट होने के बाद से पिछले पांच दिनों से डिस्पेंसरी परिसर में मास्क पहनना जरूरी कर दिया गया है। बिना मास्क लगाए बुजुर्ग मरीजों को डॉक्टरों ने देखने से मना कर दिया है। हालांकि ये सभी की सुरक्षा की दृष्टि से लिया गया निर्णय है। लोग भी उनकी बात मानकर मास्क लगाकर ही पहुंचने लगे हैं।

पुणे और कानपुर से एक-एक डॉक्टर बाहर से ट्रांसफर किए हैं लेकिन वे ज्वाइन करने के बाद छुट्टी पर चले गए हैं। उन्हें हिदायत दी है, हो सकता है वे नए साल से आना शुरू हो जाएंगे। मरीजों को परेशानी हो रही है इस बात की जानकारी भी है। जल्द समस्या दूर होगी।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

बच्चो को ऐसे बिलकुल न खिलाये दबाई ,जाने सही तरीका

0 0
Read Time:2 Minute, 53 Second

बच्चे (Kids) जब बीमार हो जाते हैं तो माता-पिता की रातों की नींद उड़ जाती है. खासकर बदलते मौसम में बच्चे अचानक से बीमार हो जाते हैं. बुखार, खांसी, जुकाम, सिर दर्द, उल्टी, दस्त आदि बीमारियां हो जाने पर पैरेंट्स घबरा जाते हैं. कई बार वो कुछ सोच समझ नहीं पाते और खुद ही उनका इलाज करना शुरू कर देते हैं. माता- पिता बच्चों के बीमार हो जाने पर दवाई देने में छोटी -छोटी गलतियां कर देते हैं. जो उनको बिलकुल नहीं करनी चाहिए. इससे बच्चे की दिक्कत बढ़ सकती है. इसलिए जजरूरी है बच्चे जब बीमार हों तो उनको सबसे पहले डॉक्टर (Doctor) को दिखाएं.

डॉक्टर के परामर्श के अनुसार कब, कौन सी दवा देनी है, वो देते रहें. आइये जानते हैं कुछ बातें जिससे  पेरेंट्स बच्चों को दवा देने में गलतियां करने से बच सकें

सही खुराक देना:- बच्चे के बीमार होने पर माता-पिता जिम्मेदारी होती है कि बोतल पर लिखे गए इंस्ट्रक्शन्स के हिसाब से उनको दवा दें. आमतौर पर डाक्टर की सलाह के अनुसार ही बच्चों को दवा देनी चाहिए. फिर अगर बच्चों को डॉक्टर द्वारा दी गई दवा से आराम नहीं मिल रहा है तो फौरन डॉक्टर से मिलकर अपने बच्चे की सारी परेशानियां बतानी चाहिए.

दवा खुराक को दोहराना:- खांसी आने पर अक्सर ऐसा होता है. पैरेंट्स बच्चों को अगर बार- बर खांसी आ रही है, तो हर बार खांसी का सिरप पिला देते हैं. ताकि बच्चों की खांसी बंद हो सके. ऐसा करने से बचें क्योंकि ज्यादातर कफ सिरप पीने के बाद सुस्ती आती है. जो बच्चे की सेहत के लिए ठीक नहीं है.

दर्द से मिले आराम:- बच्चे जब बाहर खेलते हैं या थक-हार कर घर आते हैं, उनको अगर पैर में दर्द हो या सिर दर्द आदि की शिकायत होती है तो अक्सर कुछ पैरेंट्स बच्चों को पेन किलर दे देतें हैं. जो बिल्कुल नहीं करना चाहिए. दर्द निवारक दवा खाने से बच्चों को आगे चल कर गंभीर दिक्कतें हो सकती ंहै. ऐसे में पैरेंट्स बच्चों को घरेलू नुस्खे अपनाकर दर्द से निजात पा सकते हैं. बच्चे का दर्द भी दूर हो जाएगा.

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %