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एक भारत उत्कृष्ट भारत

बागेश्वर धाम पहुंचे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

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डिजिटल भारत l बागेश्वरधाम पहुंचे कमलनाथ बोले हिंदू राष्ट्र को लेकर बोले “भारत संविधान से चलता है जो संविधान बाबा साहब ने लिखा वह सभी के लिए”

छतरपुर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आज दर्शन के लिए बागेश्वर धाम पहुंचे जहां उन्होंने धाम में विराजमान भगवान हनुमान के दर्शन किए और उसके बाद कुछ समय बागेश्वर धाम में बिताया हिंदू राष्ट्र के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि “भारत संविधान से चलता है बाबा साहब ने सबके लिए संविधान लिखा है और देश उसी से चलेगा”|

कमलनाथ से जब मीडियाकर्मियों ने पूछा कि पं. धीरेंद्र शास्त्री तो भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कहते हैं। आप क्या कहेंगे? इस पर पूर्व सीएम बोले- भारत अपने संविधान के अनुसार चलता है। बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान बनाया था। वही भारत का संविधान है।

कमलनाथ ने आगे कहा, मैंने छिंदवाड़ा में सबसे बड़ा हनुमान मंदिर बनवाया है। 101 फीट से भी ऊंचा। यहां मैंने हनुमान जी के दर्शन कर प्रार्थना की। मध्यप्रदेश का भविष्य सुरक्षित रहे। आज प्रदेश में जो चुनौतियां हैं, इन चुनौतियां का सामना हम सब मिलकर करें। महाराज ने मुझे अवश्य आशीर्वाद दिया। वह सभी को आशीर्वाद देते हैं।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के नेता कमलनाथ आज सुबह 11 बजे मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध बागेश्वरधाम पहुंचे जहां उन्होंने भगवान हनुमान की पूजा अर्चना की उसके बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मुलाकात की काफी देर तक धाम में रुकने के बाद कमलनाथ वहां से पन्ना के लिए रवाना हो गए |

आपको बता दें कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री लगातार हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं इसी मांग को लेकर जब जब पत्रकारों ने कमलनाथ से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि भारत संविधान से चलता है और बाबा साहब ने जो संविधान लिखा था वह सभी के लिए है|

सॉफ्ट हिंदुत्व ने नजर आए कमलनाथ…

बागेश्वर धाम पहुंचे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सॉफ्ट हिंदुत्व में नजर आए माथे पर त्रिकुंड एवं गले में पीला गमछा डाले हुए उन्होंने भगवान हनुमान की पूजा अर्चना की और उसके बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्र से मुलाकात करते हुए बागेश्वर धाम से पन्ना के लिए रवाना हो गए इस बीच कांग्रेस के कई नेता एवं विधायक उनके साथ मौजूद थे|

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हाइवा ने बाइक सवारों को मारी टक्कर, हाइवा के नीचे फसा पिता का शव

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जबलपुर मध्य प्रदेश
डिजिटल भारत l जबलपुर के खजिरि खिरिया में भीषण सड़क हादसा : पिता और बेटे की दर्दनाक मौत, पिता को आधा किलोमीटर तक हाइवा ने घसीटा

  • हाइवा ने बाइक सवारों को मारी टक्कर, हाइवा के नीचे फंसे पिता के शव को निकालने किया जा रहा रेस्क्यू, मौके पर भारी पुलिस बल तैनात, लोगों ने किया चक्काजाम

जबलपुर, माढोताल थाना अंतर्गत खजिरि खिरिया बायपास में आज सोमवार को उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक बेकाबू डंपर ने बाइक सवार बाप बेटे को सीधी टक्कर मार दी। पिता अपने नाबालिग बेटे को स्कूल छोडऩे जा रहा था। हादसे में बेटे की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गयी। तो वहीं पिता को करीब आधा किलो मीटर तक बेकाबू डंपर चालक ने घसीटा। जो डंपर के अंदर ही बाइक सहित फंस गया। जिसे रेस्क्यू करने के्रन बुलवाई गई है। सड़क हादसे के बाद आक्रोशित लेागों ने चक्काजाम कर दिया है। हादसे में दोनों की ही दर्दनाक मौत हो गयी।

सीएसपी तुषार सिंग ने बताया कि खजिरि खिरिया बायपास के पहले एक बेकाबू लोडिड डंपर एमपी 20 एचबी 6393 के चालक ने तेज रफ्तार वाहन को चलाते हुए बाइक सवार 15 वर्षीय बेटे अभि उर्फ अंश चौबे और पिता शुरेश चौबे उम्र 45 साल को जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में बेटे की मौके पर ही मौत हो गयी तो वहीं पिता बाइक सहित डंपर के नीचे फंसा रहा गया। जिसे डंपर चालक ने काफी दूर तक घसीटा। जिसकी भी डंपर के अंदर फंसे होने के चलते दर्दनाक मौत हो गयी। वहीं आक्रोशित लेागों ने घटना के विरोध में चक्काजाम कर दिया है। पुलिस मौके पर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।

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राहुल गाँधी का भाजपा पर हमला, बोले- जम्मू कश्मीर को रोजगार और प्यार चाहिए

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डिजिटल भारत l कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज भाजपा पर जमकर निशाना साधा। राहुल ने जम्मू-कश्मीर में चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान को लेकर भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर रोजगार, बेहतर कारोबार और प्यार चाहता है लेकिन इसके बदले उसे ‘‘भाजपा का बुलडोजर’’ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस अभियान को जल्द से जल्द रोकना चाहिए।

दशकों पुरानी जमीन छीनने का लगाया आरोप
एक ट्वीट में राहुल गांधी ने कहा, ”जम्मू और कश्मीर रोजगार, बेहतर व्यवसाय और प्यार चाहता था, लेकिन उन्हें क्या मिला? भाजपा का बुलडोजर!” पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि जिस जमीन को लोगों ने कई दशकों तक अपनी मेहनत से पाला है, उसे उनसे छीना जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि लोगों को बांटने से नहीं, एकजुट करने से शांति और कश्मीरियत की रक्षा होगी।
100 प्रतिशत अतिक्रमण हटाने का आदेश
गांधी ने इसी के साथ एक मीडिया रिपोर्ट को भी टैग किया जिसमें दावा किया गया था कि बेदखली अभियान से जम्मू-कश्मीर में लोग परेशान हैं। गौरतलब है कि राजस्व विभाग के आयुक्त सचिव विजय कुमार बिधूड़ी ने सभी उपायुक्तों को जम्मू-कश्मीर से 100 प्रतिशत अतिक्रमण हटाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद अब तक जम्मू और कश्मीर में 10 लाख कनाल से अधिक भूमि पर बुलडोजर चलाया गया है।

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जस्टिस नजीर को राज्यपाल बनाए जाने पर बोले कानून मंत्री,भारत किसी की जागीर नहीं, अब संविधान से चलता है

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डिजिटल भारत l राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को 13 राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति की घोषणा की. इनमें से एक राज्यपाल की नियुक्ति पर सवाल खड़े होने लगे. इन 13 लोगों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर भी शामिल हैं. उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. जस्टिस नजीर 39 दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे.
कांग्रेस ने जस्टिस नजीर की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने इसे लेकर कई सवाल उठाए, उन्होंने इसे सही प्रैक्टिस नहीं माना. कांग्रेस की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं कि न्यायिक व्यवस्था के लोगों को सरकारी पद क्यों दिए जा रहे हैं.
इस पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट किया है. किरेन रिजिजू ने इस पूरे विवाद को लेकर पलटवार करते हुए लिखा है, राज्यपाल की नियुक्ति पर एक बार फिर से पूरा इको सिस्टम जोरों पर है. उन्हें बेहतर तरीके से यह समझना चाहिए कि वे अब भारत को अपनी निजी जागीर नहीं मान सकते. अब भारत, संविधान के प्रावधानों के अनुसार भारत के लोगों द्वारा चलता है.
कांग्रेस नेता ने उठाए थे सवाल

दरअसल जस्टिस अब्दुल नजीर की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए राशिद अल्वी ने कहा था कि जज को सरकारी पद देना दुर्भाग्यपूर्ण है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 50 फीसदी रिटायर्ड जज सुप्रीम कोर्ट के हैं, सरकार कहीं ना कहीं उन्हें दूसरे पदों के लिए भेज देती है जिससे लोगों का यकीन न्यायिक व्यवस्था पर कम हो रहा है.

जस्टिस गोगोई को राज्यसभा भेजने को भी बताया गलत

जस्टिस गोगोई को अभी तो राज्यसभी दी थी ओर अब आपने जस्टिस नजीर को गवर्नर बना दिया. राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद का सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बहुत लोग सवालिया निशान लगाते चले आ रहे हैं कि सरकार के दबाव में हुआ है. राशिद अल्वी ने आगे कहा, जस्टिस गोगोई के बनने के बाद जस्टिस नजीर को गवर्नर बनाना उन लोगों के शक को और मजबूत करता है.

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भारत की बेटियों का कमाल, पाकिस्तान को एक बार फिर से धोया, विश्व कप में किया धमाकेदार आगाज

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डिजिटल भारत l आईसीसी महिला टी20 विश्व कप 2023 में टीम इंडिया पाकिस्तान को 7 विकेट से हराते हुए धमाकेदार जीत दर्ज है। दोनों टीमों का विश्व कप में यह पहला मैच था। विश्व कप का यह मैच केपटाउन के न्यूलैंड्स में खेला गया था। मैच में टीम इंडिया ने एक ओवर शेष रहते ही जीत हासिल कर लिया।
महिला विश्व कप के इस मैच में पाकिस्तान की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 20 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 149 रनों का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया था। भारत को मैच मैच में जीत के लिए 150 रनों का लक्ष्य मिला।
पाकिस्तान के लिए मैच में कप्तान बिस्माह महरूफ बेहतरीन अर्धशतकीय पारी खेली। बिस्माह ने 55 गेंद में 68 रनों की धमाकेदार पारी खेली जिसमें उन्होंने 7 बेहतरीन चौके लगाए। इसके अलावा आयशा नसीम ने भी 25 गेंद में 43 रनों की दमदार पारी खेली।
लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया के लिए ओपनर बल्लेबाज यस्तिका भाटिया और शेफाली वर्मा ने दमदार शुरुआत की और दोनों के बीच पहले विकेट के लिए 38 रनों की साझेदारी हुई। यस्तिका 17 रन बनाकर आउट हुईं जबकि शेफाली ने 33 रनों का योगदान दिया
हालांकि असली खेल तो इसके बाद हुआ जब जेमिमा रोड्रिगेज बैटिंग के लिए मैदान पर उतरीं। जेमिमा ने टीम इंडिया के लिए 38 गेंद में तूफानी पारी खेलते हुए 58 रन बनाए जिसमें उनके 8 चौके भी शामिल रहे।
इसके अलावा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋचा घोष का भी बल्ला खूब चला। ऋचा ने भारत के लिए 20 गेंद में 31 रन बनाए जिसमें उन्होंने 5 बेहतरीन चौके जड़े जबकि हरमनप्रीत कौर ने 16 रनों का योगदान दिया।

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कंट्रोल होगा High BP, वेट लॉस और अन्य बीमारियों में भी असरदार ये चॉकलेट

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चॉकलेट खाना तो लगभग सभी को पसंद होता है. लेकिन डार्क चॉकलेट के अपने अलग फायदे होते हैं. इसके सेवन से हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है. आज जानेंगे डार्क चॉकलेट के अन्य फायदे
डिजिटल भारत l आजकल ज्यादातर लोगों के गलत खानपान, खराब दिनचर्या और तनाव की वजह से कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप की समस्या बढ़ने लगी है. साथ ही हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल से हृदय रोग का खतरा अधिक रहता है. इसके लिए जरूरी है कि हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल पूरी तरह से कंट्रोल में रहे. अगर आप भी हाई बीपी के मरीज हैं, और इसे कंट्रोल करना चाहते हैं, तो इसमें डार्क चॉकलेट असरदार साबित हो सकती है. इसके सेवन से हाई बीपी, मोटापा, हृदय रोग समेत कई अन्य बीमारियों में फायदा मिलता है. आइए, जानें डार्क चॉकलेट खाने के अन्य फायदे के बारे में…

  1. मूड स्विंग्स में फायदेमंद

कई बार शरीर में हार्मोनल असंतुलन के चलते लोग मूड स्विंग्स का शिकार हो जाते हैं. इससे व्यक्ति मानसिक रूप से व्यथित रहता है. उसके मन और मस्तिष्क में कई प्रकार के विचार एक साथ उमड़ते रहते हैं. साथ ही मन में उथल-पुथल रहती है. पल में वह खुश होता है, तो पल में बैचेन रहने लगता है. इससे निजात पाने के लिए आप डार्क चॉकलेट का सेवन कर सकते हैं. जानकारों के अनुसार, डार्क चॉकलेट मूड स्विंग्स में बहुत फायदेमंद होती है.

  1. वेट लॉस में सहायक

आजकल मोटापा लोगों की एक अलग समस्या हो गई है. इस समय 10 में से हर 8 व्यक्ति मोटापे से परेशान है. वेट लॉस करने के लिए लोग क्या-क्या जतन नहीं करते, लेकिन मोटापा कम नहीं होता है. अगर आप भी बढ़ते वजन को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो डार्क चॉकलेट का सेवन शुरू कर दें. इससे क्रेविंग की समस्या से निजात मिलता है. साथ ही इसमें कैलोरी बहुत कम होती है. डार्क चॉकलेट में फाइबर पाया जाता है.

  1. हाई बीपी को कंट्रोल करता है

डार्क चॉकलेट खाने से हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं. आसान शब्दों में कहें तो डार्क चॉकलेट में फ्लेवानोल्स पाया जाता है, जो उच्च रक्तचाप को कंट्रोल करने में सहायक होता है. इसके लिए हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल के रोगी रोजाना डार्क चॉकलेट का सेवन करें.

  1. तनाव में राहत

अगर आप तनाव से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो डार्क चॉकलेट खाएं. एक शोध में पाया गया है कि डार्क चॉकलेट में गुणकारी आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो तनाव के प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं. इसमें सेरोटोनिन, डोपामाइन और फेनाइलेथैलामाइन के गुण पाए जाते हैं, जो तनाव से राहत दिलाते हैं.

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बैंक, पुलिस, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में निकली हैं सरकारी नौकरी

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डिजिटल भारत l सरकारी नौकरी की तलाश करने वालों के लिए देशभर के अलग अलग विभागों में सरकारी नौकरियां निकली हुई हैं. अगर आप भी सरकारी नौकरी की तलाश में हैं तो हम आपको यहां ऐसी ही नौकरियों की जानकारी दे रहे हैं. इस बात का ध्यान रखना है कि आप केवल उसी नौकरी के लिए आवेदन करें जिसकी जरूरी शर्तों को पूरा करते हों. अगर जरूरी पात्रताएं पूरी नहीं करने पर आवेदन करेंगे तो आपके आवेदन को रद्द कर दिया जाएगा.

BOI Recruitment 2023
बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने प्रोबेशनरी ऑफिसर (PO) के पदों पर भर्ती के लिए इच्‍छुक उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं. कैंडिडेट्स आधिकारिक वेबसाइट bankofindia.co.in से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. अप्‍लाई करने की आखिरी तारीख 25 फरवरी है. इस भर्ती अभियान से 500 वैकेंसी भरी जानी हैं, जिनमें से 350 वैकेंसी जनरल बैंकिंग स्ट्रीम में क्रेडिट ऑफिसर के पद के लिए हैं, और 150 वैकेंसी स्पेशलिस्ट स्ट्रीम में आईटी ऑफिसर के पद के लिए हैं.


Navy Recruitment 2023
10वीं पास कैंडिडेट्स के लिए भारतीय नौसेना में शामिल होने का मौका है. नेवी ने सिविलियन पर्सनल के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं. कैंडिडेट भारतीय नौसेना की आधिकारिक वेबसाइट joinindiannavy.gov.in से आवेदन कर सकते हैं. इस भर्ती अभियान से कुल 248 पद भरे जाएंगे. आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के पास किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से मैट्रिकुलेशन (कक्षा 10वीं पास) या समकक्ष होना चाहिए.

Teacher Recruitment 2023
शिक्षक भर्ती का इंतजार करने वालों के लिए एक्सीलेंस स्कूल एवं मॉडल स्कूलों में नौकरी पाने का मौका है. यह भर्तियां झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के विद्यालय एवं मॉडल विद्यालयों में निकाली गई है. पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर जिला प्रशासन के वेबसाइट jamshedpur.nic.in पर भर्ती का नोटिफिकेशन उपलब्ध कराया गया है. कुल 157 वैकेंसी निकाली गई है. जिनमें टीजीटी के 98 एवं पीजीटी के 59 पद शामिल हैं. हिंदी, इंग्लिश, संस्कृत, इतिहास, भूगोल, गणित, भौतिकी, जीव विज्ञान, केमिस्ट्री, कॉमर्स एवं इकोनॉमिक्स सब्जेक्ट के टीचर्स की भर्तियां की जानी हैं.

Police Recruitment 2023
स्टेट लेवल पुलिस रिक्रूटमेंट बोर्ड (SLPRB) कॉन्स्टेबल के अलग अलग पदों पर नियुक्तियां करने जा रहा है. कॉन्स्टेबल भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है, जो 22 फरवरी तक चलेगी. कैंडिडेट रिक्रूटमेंट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट slprbassam.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. असम पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती 2023 के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 22 फरवरी 2023 है.

Medical Jobs
मेडिकल क्षेत्र में नौकरी की तलाश करने वालों के लिए राजस्थान में मौका है. मेडिकल एजुकेशन सेक्टोरेल पोर्टल राजस्थान में भर्ती प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए कैंडिडेट्स आधिकारिक वेबसाइट medicaleducation.rajasthan.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. कैंडिडेट्स इसके लिए 15 फरवरी 2023 तक आवेदन कर सकते हैं.

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413 पन्नों के अपने जवाब में अदानी समूह ने कहा है कि झूठ से भरी ये रिपोर्ट, जाने पूरा मामला

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डिजिटल भारत l कुछ दिन पहले जब अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदानी समूह के ख़िलाफ़ अपनी एक रिपोर्ट में “लेखांकन धोखाधड़ी, स्टॉक में हेरफेर, और मनी लॉन्ड्रिंग” जैसे इल्ज़ाम लगाए तब इसकी कंपनियों के स्टॉक की कीमतें तेज़ी से गिरने लगीं और जानकारों ने कई तरह के सवाल उठाने शुरू कर दिए.

इसमें एक महत्वपूर्ण सवाल था कि क्या अब इन आरोपों से समूह को अपने अधूरे और नए मेगा प्रोजेक्ट्स के लिए धन जुटा पाना आसान होगा?

अदानी समूह की छाप भारत में हर जगह है, चाहे इसके कई प्रकार के उत्पाद हों या बंदरगाह या एयरपोर्ट में निवेश हो.

संकट से पहले अदानी ग्रुप ख़ुद को 260 अरब डॉलर का समूह बताता था. लेकिन इसकी जिन मौजूदा योजनाओं पर काम चल रहा है या इसकी आने वाली योजनाओं पर अगर अमल हुआ तो विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ ही सालों में समूह का आकार दोगुना हो सकता है.
अदानी समूह की कंपनियों का मार्केट कैप लगभग 220 अरब डॉलर था, लेकिन 25 जनवरी को अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक सनसनीखेज रिपोर्ट सामने आने के बाद से अदानी समूह के शेयर लगातार गिर रहे हैं.

अदानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज किया है और इसे कंपनी को नुक़सान पहुँचाने की कोशिश बताया है.

413 पन्नों के अपने जवाब में अदानी समूह ने कहा है कि झूठ से भरी ये रिपोर्ट भारत पर हमला है.
इस ख़बर को जहां अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपने पहले पन्ने पर जगह दी है, वहीं लगभग सभी अख़बारों ने आज इसे प्रमुखता से छापा है.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अदानी समूह के शेयर लगातार गिर रहे हैं और कंपनी के मूल्य में भारी कमी आई है.

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अदानी समूह पर धोखाधड़ी और स्टॉक मैनिपुलेशन के आरोप लगाए हैं लेकिन अदानी समूह ने इन आरोपों से पूरी तरह इनकार किया है.

अदानी मामला: अब तक क्या-क्या हुआ?
4 फ़रवरी 2023 – शेयर बाज़ार नियामक सेबी ने कहा कि वो मार्केट के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होनी देगी और इस मामले में हर ज़रूरी क़दम उठाएगी.

4 फ़रवरी 2023 – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नियामक अपना काम करने के लिए स्वतंत्र हैं इसमें सरकार का कोई दबाव नहीं है.

3 फ़रवरी 2023 – एक टेलीविज़न चैनल को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर अच्छी स्थिति में है और वित्तीय बाज़ार नियमों के साथ काम कर रहे हैं.

2 फ़रवरी 2023 -निवेशकों के बीच घबराहट के माहौल के बीच आरबीआई ने कंपनी को लोन देने वाली कंपनियों से इस सिलसिले में पूरी जानकारी मांगी.

2 फ़रवरी 2023 – कंपनी के मालिक गौतम अडानी ने 4 मिनट 5 सेकंड का एक वीडियो जारी कर एफ़पीओ वापिस लेने की वजह बताई.

1 फ़रवरी 2023 – अदानी कंपनी ने अपना एफ़पीओ वापस लिया.

31 जनवरी 2023 – इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से मुलाक़ात करने के लिए गौतम अदानी हाइफ़ा बंदरगाह पहुंचे थे. हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद पहली बार वो यहां सार्वजनिक तौर पर देखे गए.

31 जनवरी 2023 – एफ़पीओ की बिक्री इस दिन बंद होनी थी. इसी दिन ख़बर आई कि नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर के तौर पर सज्जन जिंदल और सुनील मित्तल समेत कुछ और जानेमाने अरबपतियों ने कंपनी के 3.13 करोड़ शेयर खरीदने के लिए बोली लगाई.

30 जनवरी 2023 – इस दिन तक एफ़पीओ को केलव 3 फ़ीसदी सब्स्क्रिप्शन मिला. इसी दिन अबू धाबी की कंपनी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने कहा कि वो अपनी सब्सिडियरी ग्रीन ट्रांसमिशन इन्वेस्टमेंट होल्डिंग आरएससी लिमिटेड के ज़रिए अदानी के एफ़पीओ में 40 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी.

27 जनवरी 2023 – अदानी ने 2.5 अरब डॉलर का एफ़पीओ बाज़ार में उतारा.

26 जनवरी 2023 – हिंडनबर्ग ने कहा कि वो अपनी रिपोर्ट पर क़ायम है और क़ानूनी कार्रवाई का स्वागत करेगी.

26 जनवरी 2023 – अदानी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज किया. कंपनी ने कहा कि वो क़ानूनी कार्रवाई के बारे में विचार कर रही है.

24 जनवरी 2023 – हिंडनबर्ग ने अदानी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट ‘अदानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड्स थर्ड रिचेस्ट मैन इज़ पुलिंग द लार्जेस्ट कॉन इन कॉर्पोरेट हिस्ट्री’ जारी की

अब हिंडनबर्ग रिसर्च की इस रिपोर्ट ने अदानी को उनके कॉर्पोरेट जीवन के सबसे बुरे संकट में डाल दिया है, इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के सामने भारत की विश्वसनीयता के बारे में भी बड़े सवाल उठ रहे हैं.

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में समूह पर शेयरों में हेराफेरी करने और टैक्स हेवन का अनुचित तरीके से उपयोग करने का आरोप लगाया गया है. अदानी ने इसका ज़ोरदार खंडन किया है.

अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार के जानकार मानते हैं कि इस घटना का एक बड़ा नुकसान भारत का भी हुआ है. इससे व्यावसायिक नियमन के मामले में देश की छवि प्रभावित हुई है जिसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं.

एक ज़माने से विदेशी निवेशक और ऋण देने वाली बड़ी विदेशी संस्थाएं भारत की अर्थव्यवस्था को निवेश के लिए आकर्षक ठिकाना मानती रही हैं.

भारत सरकार के अनुसार साल 2022 में 25 दिसंबर तक भारत को लगभग 85 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) मिला.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 के बीच भारत में कुल एफ़डीआई 888 अरब डॉलर के क़रीब पहुँच गया.

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ईरान प्राकृतिक गैस का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, बावजूद इसके भारी गैस की कमी से जूझ रहा देश

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डिजिटल भारत l ईरान के पट्रोलियम मंत्री जवाद ओउजी ने एक अजीबोगरीब फरमान जारी किया है. ईरान इंटरनेशनल के मुताबिक, मंत्री जवाद ओउजी ने फरमान में कहा कै कि अगर “पड़ोसी ज्यादा गैस इस्तेमाल करते हैं तो लोग इसकी जानकारी खुफिया एजेंसियों को दें.” पट्रोलियम मंत्री की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सर्दियों के मौसम के बीच ईरान को भारी गैस की कमी का सामना करना पड़ रहा है. गैस की कमी से ईरान में घरोलू खपत से लेकर उद्योगों को परेशानी हो रही है.
ईरान बीते कई हफ़्तों से जबरदस्त ठंड की मार झेल रहा है. इसी दरमियान ईरान के तेल मंत्री जवाद ओउजी ने एक अजीबोग़रीब फ़रमान जारी किया है.

उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि कोई भी शख़्स अगर ज़रूरत से ज़्यादा गैस का इस्तेमाल करते पाया गया, तो उसकी शिकायत पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों से की जा सकती है.

तेल मंत्री ने ये भी कहा कि जो लोग गैस का इस्तेमाल ज़रूरत से अधिक कर रहे हैं, उनके गैस कनेक्शन काट दिए जाएंगे.

ख़ुद गैस के एक बड़े भंडार पर बैठा ईरान अपने ही नागरिकों को पर्याप्त मात्रा में इसकी सप्लाई नहीं कर पा रहा है, लिहाज़ा इस कड़ाके की ठंड में ये एक बड़ा संकट बनकर उभरा है.
ऊर्जा बचाने के लिए स्कूल, कार्यालय बंद
ईरान सरकार ने 31 ईरानी प्रांतों में से आठ प्रांतों में ऊर्जा बचाने के लिए अपने कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया है. प्रभावित प्रांतों में माजंदरान, इस्फहान, काज़्विन, पूर्वी अजरबैजान, अल्बोर्ज़, गिलान, कोम और दक्षिण खुरासान हैं. दरअसल, ईरान में गैस की कमी की समस्या पहले से ही है. देश में इतना बड़ा गैस भंडार होने के बावजूद ईरान कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण उतनी गैस का उत्पादन नहीं कर पाता है.

ईरान इंटरनेशनल के अनुसार, गैस ले जाने के दौरान 25 फीसदी से ज्यादा गैस उड़ जाती है. इसके अलावा ईरान के सामने अमेरिका के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध भी हैं. अमेरिकी प्रतिबंधों ने ईरान के लिए अपने गैस वितरण नेटवर्क को अपग्रेड करना मुश्किल बना दिया है, क्योंकि प्रतिबंध ईरान को नई तकनीकों तक पहुंचने में मुश्किल पैदा कर रहे हैं. .
ईरान के कट्टरपंथी राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी को पहले ही बीते कई महीनों से सरकार विरोधी प्रदर्शनों का सामना करना पड़ रहा है. अब इस नए मुद्दे ने उनकी मुसीबतों में और इजाफ़ा कर दिया है.

कड़ी सर्दी में गैस का अभाव
शून्य से कहीं नीचे तापमान और बर्फ़बारी की वजह से देश में गैस की मांग काफ़ी बढ़ी है. लेकिन हाल के दिनों में सप्लाई कई कारणों से कम हुई है, जिसकी वजह से कई क्षेत्रों में स्कूलों, सरकारी दफ़्तरों और सार्वजनिक सुविधाओं को बंद कर दिया गया है.

गैस की कमी की वजह से कई शहरों में बड़े पैमाने पर बिजली कटौती हुई है, वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई और विरोध प्रदर्शनों में इज़ाफ़ा हुआ है.

गैस की किल्लत के कारण माज़ंदरान, इस्फ़हान, काज़्विन, पूर्वी अज़रबैजान, अल्बोर्ज़, गिलान, क़ोम और दक्षिण ख़ुरासान प्रांत प्रभावित हैं.

इससे जुड़े कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि सरकार कुछ शहरों में सर्दियों से निपटने के लिए लोगों को मदद दे रही है.
कुछ वीडियोज़ में दिखता है कि खाना पकाने और अन्य घरेलू ज़रूरतों के लिए बोतलबंद गैस की रिफ़िल पाने के लिए देश भर में उपभोक्ताओं की लंबी कतारें लगी हैं.

लोग गैस के लिए कई घंटों तक इन कतारों में खड़े रहकर इंतज़ार कर रहे हैं. कुछ वीडियो में प्रदर्शन करते हुए छात्रों की तस्वीरें भी सामने आई हैं.
नेशनल ईरानियन गैस’ कंपनी में उत्पादन, समन्वय और पर्यवेक्षण के निदेशक अहमद ज़मानी कहते हैं कि गैस का उत्पादन कम नहीं हुआ है, बल्कि होता ये है कि सर्दियों में इसकी मांग बहुत बढ़ जाती है.

हाल के एक बयान में उन्होंने कहा, “ईरान में औसतन 250 अरब क्यूबिक मीटर गैस की सालाना खपत होती है, अगर प्रतिदिन के लिहाज़ से देखा जाए, तो ये लगभग 68.5 करोड़ क्यूबिक मीटर होता है.”

वे कहते हैं, “काग़ज़ पर यह ईरान की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. फिर भी देश ने सर्दियों के दौरान नियमित रूप से बिजली की कमी का अनुभव किया है. ईरान का प्राकृतिक गैस उत्पादन काफ़ी स्थिर है, लेकिन सर्दियों के महीनों में मांग आसमान छूती है.”

दाम बढ़ाना विकल्प नहीं
राष्ट्रपति रईसी के लिए गैस और तेल का दाम बढ़ाना लगभग असंभव है. विशेषज्ञ कहते हैं ये क़दम प्रशासन के लिए भारी पड़ सकता है.

भारतीय मूल के आसिफ़ शुजा, सिंगापुर में ‘मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट’ थिंक टैंक में ईरान के मामलों के विशेषज्ञ हैं. वो कहते हैं, “ईरान अपने नागरिकों को तेल और गैस में भारी सब्सिडी देता है. मध्य-पूर्व के देशों की तुलना में ये छूट बहुत अधिक है. और ये छूट ईरान 1979 में आए इस्लामी क्रांति के समय से ही दे रहा है.”

शुजा कहते हैं, “सरकार जब भी सब्सिडी में कटौती की कोशिश करती है या जैसे ही तेल और गैस के दाम थोड़ा बढ़ाने की बात होती है, तो देश में इसका बड़े पैमाने पर विरोध होने लगता है, जैसा कि 2019 में देखा गया. ईरान में प्रति व्यक्ति गैस की ख़पत रूस और अमेरिका के बाद सबसे अधिक है.”

सालों से ईरान पर लगी आर्थिक पाबंदियों के कारण उसकी अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो गई है. इसके अलावा उद्योग और कारखानों में लगी मशीनें और सिस्टम पुराने हो चुके हैं. इनके आधुनिकीकरण की सख़्त ज़रूरत है.

आसिफ़ शुजा कहते हैं, “प्रतिबंध की वजह से इस सेक्टर के विकास के लिए जो आधुनिक टेक्नोलॉजी चाहिए, वो इनके पास नहीं है. ईरान प्रोडक्शन में पुरानी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है. इसकी वजह से गैस की बर्बादी भी खूब होती है.”

शुजा बताते हैं, “ट्रांसमिशन के दौरान 25 प्रतिशत गैस बर्बाद हो जाती है. टेक्नोलॉजी को आधुनिक बनाने के लिए उन्हें 40 अरब डॉलर की ज़रूरत है, लेकिन वो इस पर केवल तीन अरब डॉलर ही खर्च कर सका है.”

सियासी असर

क्या गैस की सख़्त कमी के कारण हो रहे प्रदर्शन का सियासी तौर पर प्रभाव हो सकता है? ख़ास तौर से एक ऐसे समय में जब पिछले सितंबर से ईरान की मोरैलिटी पुलिस की हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद महिलाओं के प्रति शासन के व्यवहार और अन्य मुद्दों पर दशकों से चली आ रही कड़वाहट की पृष्ठभूमि में, राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों ने देश को झकझोर कर रख दिया है.

इस पर आसिफ़ शुजा कहते हैं, “सियासी माहौल पहले से ही गर्म है और उसमें अगर आप गैस का संकट जोड़ें तो ईरान की सरकार के लिए स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है.”

अली रज़ा मसनवी के मुताबिक़, ईरान के इस्लामी प्रशासन के ख़िलाफ़ नाराज़गी अपने चरम पर है और गैस के संकट ने इसमें आग में घी डालने जैसा काम किया है.

वे कहते हैं, “सबसे अधिक प्रभावित इलाक़ा वो है जहाँ से राष्ट्रपति रईसी आते हैं. उनके समर्थक भी अब उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने लगे हैं. अगर इस संकट ने तूल पकड़ा तो उनके लिए सियासी पेचीदगी बढ़ सकती है.”
इस संकट से ईरान निकले कैसे?
विशेषज्ञों की राय है कि ईरान को अपनी विदेश नीति की सामान्य समीक्षा करनी चाहिए और आर्थिक स्थिरता और विकास को सक्षम करने के लिए अपनी विदेश नीतियों को बदलना चाहिए.

उनका कहना है कि तेहरान को परमाणु समझौते को फिर से लागू करने के लिए आसान शर्तें रखनी चाहिए, ताकि वो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के शिकंजे से उसे थोड़ी राहत मिल सके.

जानकार ये भी कहते हैं कि विदेशी कंपनियों से आर्थिक मदद और आधुनिक तकनीक के बिना आने वाले सालों में ईरान को बढ़ते ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा.

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कश्मीर की जमीन से निकला तकदीर बदलने वाला बेशकीमती ‘खजाना’

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अब लगभग सभी देश पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता घटाने की कोशिश में जुटे हैंइसमें अहम योगदान लिथियम का हैलिथियमआयन बैटरी में फिर से इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा यानी रिन्यूएबल एनर्जी को स्टोर किया जाता है

जम्मू-कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है. लेकिन इसी स्वर्ग में 59 लाख टन का अनमोल ‘खजाना’ मिला है. भारतीय भूवैज्ञानिकसर्वेक्षण के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में एक बड़ा लिथियम भंडार मिला है.  चाहे बैटरी प्रोडक्ट हो या फिर स्मार्टफोन, नॉर्मल कार हो या फिर इलेक्ट्रिक, सब में लिथियम आयन बैटरी का उपयोग होता है. भविष्य में ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत लिथियम आयनबैटरी होंगी. 

अब लगभग सभी देश पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता घटाने की कोशिश में जुटे हैं. इसमें अहम योगदान लिथियम का है. लिथियमआयन बैटरी में फिर से इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा यानी रिन्यूएबल एनर्जी को स्टोर किया जाता है. अब दुनिया ग्रीन एनर्जी को अपनानेपर जोर दे रही है. लिथियम का इसमें बड़ा योगदान है. इनको बार-बार रिचार्ज किया जा सकता है और ये लंबे वक्त तक चलती हैं. लिहाजा, भविष्य के लिए लिथियम एक ऑयल से कम नहीं है. देश में लिथियम का बड़ा भंडार मिलने के बाद इसकी मैन्युफैक्चरिंगबढ़ेगी. लिथियम उत्पादक देशों की बात करें तो भारत लिस्ट में कहीं नहीं है. लेकिन इस बड़े भंडार के मिलने के बाद उसकी स्थिति पहलेसे बेहतर होगी.

लिथियम की क्या वैल्यू होती है?

लिथियम की वैल्यू बदलती रहती है. जिस तरह हर कंपनी के शेयर की कीमत हर दिन के हिसाब से तय होती है, वैसा ही एक कमोडिटीमार्केट होता है. इस बाजार में हर धातु की एक कीमत होती है. खबर लिखे जाने तक लिथियम की वैल्यू प्रति टन 472500 युआन यानीकरीब 57, 36,119 रुपये थी.  इसका मतलब है कि भारतीय मुद्रा में एक टन लिथियम के लिए 57.36 लाख रुपये खर्च करने होंगे. भारत में जो लिथियम का भंडार मिला है, वह 59 लाख टन का है. इसका मतलब है कि आज इसकी कीमत करीब 33,84,31,021 लाख रुपये यानी 3,384 अरब रुपये होगी. वैश्विक बाजार में कीमत हर दिन बदलती है. 

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