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कृषि विकास के लिए 2 लाख करोड़ रुपये: 2024 के बजट में किसानों को बड़ी राहत

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डिजिटल भारत I बजट क्या होता है?
बजट एक वित्तीय योजना होती है जो किसी देश की सरकार आगामी वित्तीय वर्ष के दौरान अपनी आय और व्यय की योजना बनाती है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी खर्च और प्राप्तियों का विवरण शामिल होता है।
बजट कौन तय करता है?
बजट को वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाता है और फिर इसे संसद में पेश किया जाता है। संसद में बहस और विचार-विमर्श के बाद, इसे पारित किया जाता है। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर यह बजट लागू हो जाता है।
बजट से देश में क्या फर्क पड़ता है?
बजट का देश की आर्थिक स्थिति और विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। यह तय करता है कि सरकार किस क्षेत्र में कितना निवेश करेगी और किस प्रकार के कर लगाएगी। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं।
बजट किन-किन क्षेत्रों को प्रभावित करता है?
शिक्षा: शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ने से शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार होता है।
स्वास्थ्य: स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अधिक बजट आवंटन से अस्पतालों, चिकित्सा सुविधाओं और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सुधार होता है।
रोजगार: रोजगार सृजन के लिए सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं में निवेश बढ़ने से बेरोजगारी कम होती है।
बुनियादी ढांचा: सड़क, रेलवे, और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन आवंटन से देश का आधारभूत ढांचा मजबूत होता है।
कृषि: कृषि क्षेत्र के लिए सब्सिडी और योजनाओं का बजट बढ़ने से किसानों की स्थिति में सुधार होता है।
2024 के बजट में आए बदलाव
2024 के बजट में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं जो देश की अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे:
कर नीति में बदलाव: मध्यम वर्ग के लिए कर में राहत दी गई है और उच्च आय वर्ग के लिए कर दरें बढ़ाई गई हैं।
बुनियादी ढांचा निवेश: सड़क, रेलवे, और हवाई अड्डों के विकास के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
कृषि और ग्रामीण विकास: किसानों के लिए कर्ज माफी और नए कृषि योजनाओं के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
स्वास्थ्य क्षेत्र: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जिसमें नए अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण शामिल है।
शिक्षा: शिक्षा क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसमें नई यूनिवर्सिटी और रिसर्च सेंटर की स्थापना शामिल है।
डिजिटल इंडिया: डिजिटल इंडिया अभियान के तहत नई तकनीक और इंटरनेट सुविधा को बढ़ावा देने के लिए 30,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
2024 के बजट में किए गए ये बदलाव देश के विकास और विभिन्न क्षेत्रों की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण हैं। सरकार का लक्ष्य है कि इन परिवर्तनों के माध्यम से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया जाए और जनता को अधिक सुविधाएं प्रदान की जाएं।

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किये जा रहे महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी रिजर्वेशन देने के लिए कानूनी प्रावधान

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डिजिटल भारत l महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी रिजर्वेशन देने के लिए जो कानूनी प्रावधान किया जा रहा है उसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं है। कानूनी और संवैधानिक जानकार बताते हैं कि यह फैसला पूरी तरह से संवैधानिक परिधि में है। ऐसे में महिला रिजर्वेशन को लागू करने में कोई परेशानी नहीं होगी। कानूनी जानकारों ने बताया कि आने वाले दिनों में सीटों के रोटेशन के लिए संसद को कानून बनाना होगा।
साल 1992 में पंचायत के स्तर पर 33 प्रतिशत आरक्षण का क़ानून बनाए जाने के बावजूद यही आरक्षण संसद और विधानसभाओं में लाने के प्रस्ताव पर आम राय बनाने में तीन दशक से ज़्यादा लग गए हैं.
महिलाओं को आरक्षण ना देने के तर्क में सबसे आगे उनकी कम राजनीतिक समझ बताया जाता रहा है.
इसी के चलते पंचायत के स्तर पर आरक्षण देने के बावजूद सरपंच चुनी गई औरतों का कागज़ों पर नाम तो रहा, लेकिन उनके पति ही उनका काम करते रहे. इन्हें ‘सरपंच-पति’ का उपनाम तक दे दिया गया.
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं ललिता कुमारमंगलम के मुताबिक़ ‘महिलाओं के अयोग्य’ होने का बहाना पुरुष उन्हें रोकने के लिए अपनाते रहे हैं. ऐसे में कड़े आदेश के अलावा कोई चारा नहीं है. बीबीसी से उन्होंने कहा, ”जब पार्टी के स्ट्रांग नेता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ़ से संदेश जाएगा तो सभी पुरुषों को समर्थन देना ही होगा.” वहीं तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुष्मिता देव मानती हैं कि पंचायतों में आरक्षण के अनुभव से सीख लेने की ज़रूरत है. महिला रिजर्वेशन बिल संवैधानिक दायरे में
लोकसभा के पूर्व सेक्रेट्री जनरल पीडीटी अचारी बताते हैं कि यह बिल संवैधानिक प्रावधानों के दायरे में लाया गया है। इसका काफी दिनों से इंतजार था अब लोकसभा में इसे पेश किया गया है। महिलाओं को इसके तहत 33 फीसदी रिजर्वेशन देने की बात है ऐसे में इसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट एमएल लाहौटी बताते हैं कि वैसे संसद जब भी कोई संवैधानिक संशोधन करती है या संसद कानून बनाती है वह जुडिशल स्क्रूटिनी के दायरे में आ सकता है।

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बाल – बाल बची संसद की सदस्यता, राहुल गाँधी को 2 साल की सजा

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डिजिटल भारत l राहुल गाँधी को सूरत की अदालत से बहुत बड़ा झटका लगा है।
मोदी सरनेम मानहानि केस में सूरत की कोर्ट राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए उन्हें 2 साल की सजा सुनाया है। कोर्ट ने सजा को 30 दिन के लिए सस्पेंड भी कर दिया है, ताकि वह ऊपरी अदालत में इसके खिलाफ अर्जी दे सके। 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरनेम पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सारे चोरों के नाम मोदी कैसे? सूरत की सीजेएम कोर्ट ने सुबह 11 बजे फैसला सुनाते हुए राहुल गांधी को दोषी करार दिया। सूरत की सीजेएम कोर्ट पहुंचने पर कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया। इसके बाद कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा कि आप क्या कहना चाहते हैं तो राहुल गांधी ने कहा मैं तो हमेशा करप्शन के खिलाफ बोलता हूं।
राहुल को 2 साल की सजा

कोर्ट के फैसले के बाद माना जा रहा है कि राहुल के वकील अब उनकी जमानत की अर्जी देंगे। कोर्ट ने साथ ही साथ राहुल को जमानत भी दे दी है। कोर्ट ने इसके अलावा सजा को 30 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया है।

पोस्टरों से हुआ स्वागत
इससे पहले जब राहुल गांधी के सूरत पहुंचने पर एयरपोर्ट के बाहर उनका पोस्टरों के जरिए स्वागत किया। सूरत एयरपोर्ट पर कड़ी सुरक्षा के बीच वह बाहर निकले और आठवा कोर्ट के रवाना हुए। राहुल गांधी के स्वागत के लिए सूरत में कांग्रेस ने बड़ी तैयारी की है। राहुल गांधी जब एयरपोर्ट से बाहर निकले तो वहां उनके स्वागत में शेर-ए-हिन्दुस्तान के पोस्टरों से स्वागत हुआ। कुछ पोस्टरों पर लिखा था कि कांग्रेस नहीं झुकेगी।
क्या था पूरा मामला?
2019 के लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में कहा था कि ‘सारे चोरों के सरनेम मोदी कैसे हैं? राहुल गांधी के इस बयान के बाद सूरत के वेस्ट से बीजेपी के विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस कर दिया था। उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी ने मोदी समुदाय का अपमान किया। इसके बाद यह केस सूरत की कोर्ट में पहुंचा था। राहुल गांधी को 9 जुलाई, 2020 को सूरत की कोर्ट में पेश होना पड़ा था। पिछले महीने पूर्णेश मोदी ने केस में जल्दी फैसला करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने सूरत की कोर्ट से तेज सुनवाई का आदेश देते हुए ऊपरी अदालत में सुनवाई की अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद पिछले एक महीने से सूरत कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही थी। इसमें दोनों पक्षों की तरफ दलीलें रखी गई थी।

ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा होती है तो उसकी संसद या विधानभा की सदस्यता रद्द हो जाएगी। चूंकि राहुल गांधी को दो साल की ही सजा हुई है, ज्यादा नहीं, इसलिए उनकी संसद सदस्यता बच जाएगी। राहुल केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद हैं।

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