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युद्ध क्षेत्र में जा रहा हेलिकॉप्टर हुआ क्रैश, मारे गये गृहमंत्री डेनिस मोनास्टीर्सकी,इसी के साथ हजारो सैनिको को खो चका है : यूक्रेन युद्ध

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डिजिटल भारत l रूस-यूक्रेन युद्ध में दोनों ही पक्षों को भारी नुकसान पहुंचा है। दोनों ही देश एक दूसरे पर युद्ध के नियमों का उल्लंघन करने और आम जनता को निशाना बनाने के आरोप लगा रहे हैं। इस बीच यूक्रेन ने दावा किया है कि पिछले 10 महीनों से जारी युद्ध में रूसी सेना के 100000 सैनिक मारे जा चुके हैं। इन आंकड़ों की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी है। रूसी रक्षा मंत्रालय के तरफ से भी अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। रूसी सेना ने कुछ महीने पहले सिर्फ 10 हजार सैनिकों के हताहत होने की जानकारी दी थी। इस बीच रूसी रक्षा मंत्री ने ऐलान किया है कि जल्द ही रूसी सेना में सैनिकों की संख्या को डेढ़ गुना किया जाएगा। रूसी सेना में 10 लाख सैनिक शामिल हैं, जिन्हें बढ़ाकर 15 लाख किया जाएगा।
1 लाख रूसी सैनिकों की मौत का दावा

यूक्रेनी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि रूस के साथ जारी युद्ध में पुतिन ने कुल 100400 सैनिकों को खाया है। यह युद्ध अपने 302वें दिन पहुंच चुका है। इसका मतलब यह है कि रूस ने औसतन एक दिन में 332 सैनिकों को खोया है। पश्चिमी देशों का दावा है कि रूसी सैनिकों की मौत की इतनी बड़ी संख्या उनकी सैन्य विफलता को बताती है। उनका दावा है कि रूसी सैनिकों का प्रशिक्षण का स्तर काफी खराब बै। इसके अलावा रूसी सैनिकों के पास उपयुक्त हथियार, कपड़े और बचाव के साधन नहीं हैं। रूसी सैनिकों के मौत का यह आंकड़ा अफगानिस्तान में सोवियत संघ की सेना को पहुंचे नुकसान से छह गुना अधिक है। यह इराक युद्ध में अमेरिकी सैनिकों के हताहतों की तुलना में 20 गुना ज्यादा है। यूक्रेन की राजधानी कीएव के बाहरी इलाक़े में एक किंडरगार्टन के पास हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में गृहमंत्री समेत 16 लोगों की मौत हो गई है. मरने वालों में तीन बच्चे भी शामिल हैं.

42 वर्षीय गृहमंत्री डेनिस मोनास्टीर्सकी के अलावा उप-गुहमंत्री और गृहसचिव की भी मौत हो गई है.

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद डेनिस मोनास्टीर्सकी यूक्रेन के सबसे बड़े अधिकारी हैं जिनकी मौत हुई है.

यूक्रेन के राष्ट्रपति दफ़्तर के उप-प्रमुख किरिलो टिमोशेन्को ने कहा कि गृहमंत्री युद्ध क्षेत्र में जा रहे थे जब उनका हेलिकॉप्टर क्रैश कर गया.

गृहमंत्री डेनिस मोनास्टीर्सकी राष्ट्रपति ज़ेलेन्सकी की कैबिनेट के एक प्रमुख सदस्य थे. फ़रवरी, 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था उसके बाद से रूसी मिसाइल हमलों में मारे जाने वाले लोगों की ख़बर देने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी.

उन्हें जुलाई 2021 में यूक्रेन का गृहमंत्री बनाया गया था. उनका जन्म साल 1980 में पश्चिमी शहर खमेलनिट्सकी में हुआ था. राजनीति में आने से पहले उन्होंने एक वकील की हैसियत से अपनी पेशेवर ज़िंदगी शुरू की थी.

साल 2014 में वो राजनीति में आए.

ज़ेलेन्सकी ने जब 2019 में राष्ट्रपति चुनाव जीता था तो उस जीत को हासिल करने वाली ज़ेलेन्सकी की टीम के वह प्रमुख सदस्य थे.

2019 में ही डेनिस मोनास्टीर्सकी सांसद बने और उन्हें एक अहम ज़िम्मेदारी देते हुए क़ानून-व्यवस्था से संबंधित संसदीय समिति का अध्यक्ष बना दिया गया.

पूर्व गृहमंत्री आर्सेन अवाकोव के अचानक इस्तीफ़े के बाद डेनिस मोनास्टीर्सकी का राजनीतिक ग्राफ़ बहुत बढ़ गया. आर्सेन अवाकोव एक मंझे हुए राजनेता थे जो कि चार अलग-अलग प्रशासकों के कार्यकाल में गृहमंत्री रहे थे.

उन्होंने दुनिया भर की मीडिया को इंटरव्यू दिया जिसमें सबसे ज़्यादा इस बात पर ज़ोर दिया कि यूक्रेन मानवीय आपदा से गुज़र रहा है और यह भी बताया कि यूक्रेन की इमरजेंसी सेवाओं के सामने क्या-क्या चुनौतियां हैं.

रूसी हमले में मारे गए लोगों के बारे में भी जानकारी देने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी.

उनके दोस्त और सांसद मारिया मेज़ेन्टसेवा ने कहा कि मोनास्टीर्सकी की मौत सबके लिए सदमा है क्योंकि उनका मंत्रालय रूस को हमले का जवाब देने में महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहा था.

मारिया ने बीबीसी से कहा, “वो अपने सहयोगियों, दोस्तों और परिवार के लिए चौबीसो घंटे उपलब्ध रहते थे. वो राष्ट्रपति ज़ेलेन्सकी के बहुत ही क़रीब थे.”

मारिया कहती हैं, “हमलोग उन्हें हमेशा एक तेज़, हमेशा मुस्कुराने वाले, दोस्तों के दोस्त, यूक्रेन के एक देशभक्त जनसेवक की तरह याद करेंगे. मेरे पास शब्द नहीं हैं. मैं शान्त रहने की कोशिश कर रही हूं लेकिन यह बहुत मुश्किल है. यह सभी के लिए एक त्रासदी है.”

इस प्लेन क्रैश में उप-गृहमंत्री येवगेनी एनिन, ख़ुफ़िया विभाग के एक पूर्व अधिकारी और एक बड़े वकील भी मारे गए हैं.

यूक्रेन के विदेश मंत्री डेमित्रो कुलेबा ने उन सभी को यूक्रेन का सच्चा देशभक्त क़रार दिया है और कहा है कि उनकी मौत सभी के लिए एक बड़ा नुक़सान है.

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यूक्रेन के एक और शहर पर रूस का कब्जा, मेयर को भी कर लिया अगवा; जेलेंस्की ने किया दावा

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रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से क्या आ सकती है वैश्विक मंदी?

रूसी सेनाएं तेजी से कीव को कब्जा करने की ओर बढ़ रही हैं और उससे पहले आसपास के शहरों पर वह नियंत्रण करने में जुटी है। इस बीच यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि मेलिटोपोल पर कब्जा करने के साथ ही रूसी सेना ने शहर के मेयर इयान फेडोरोव को भी अगवा कर लिया है। यूक्रेन का कहना है कि फेडोरोव ने उनसे सहयोग करने से इनकार कर दिया था और उसके बाद उन्हें रूसी सेना ने अगवा कर लिया। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि मेयर को अगवा करना लोकतंत्र के खिलाफ है और वॉर क्राइम जैसा है।

राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा, ‘मेलिटोपोल के मेयर की किडनैपिंग लोकतंत्र के खिलाफ युद्ध अपराध है। मैं बताना चाहता हूं कि रूस की इस हरकत के बारे में दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के 100 फीसदी लोग जानेंगे।’ शनिवार को सुबह कीव में कई धमाकों की आवाज सुनी गई। शहर के बाहरी इलाकों इरपिन और होस्टोमेल में इस बीच कड़ा संघर्ष चल रहा है और रूसी सेना तेजी से आगे बढ़ रही है।

यूक्रेन के साथ संघर्ष में जेलेंस्की की ही रणनीति अपना ली है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वॉलंटियर्स को यूक्रेन के युद्ध में जाने की मंजूरी दे दी है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष का आज 17वां दिन है और लगातार युद्ध जारी है। इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि युद्ध के चलते कोरोना वायरस के केसों में इजाफा हो सकता है। संस्था ने कहा कि इस युद्ध के चलते पलायन हो रहा है। यूक्रेन में वैक्सीनेशन का आंकड़ा बेहद कम है और उसके चलते दूसरे देशों में जाने वाले लोगों से कोरोना का विस्फोट हो सकता है।

वैश्विक मंदी?

 ‘स्टैगफ्लेशन’ और तेल की क़ीमतों पर असर

रूस और यूक्रेन में युद्ध के बीच दुनिया भर में अर्थव्यवस्था को लेकर भी चिंता जन्म ले रही है, मगर जानकारों का मानना है कि जंग के बावजूद इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था तरक्की की राह पर रहेगी. हालांकि उनका ये भी कहना है कि युद्ध का असर दुनिया के हर कोने में महसूस किया जाएगा.

लेकिन असर कितना बुरा रहेगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि युद्ध कितना लंबा खिंचता है, वैश्विक बाज़ार अभी जिस उथलपुथल से गुज़र रहा है वो कुछ समय की बात है या इसका असर लंबे वक्त तक रहेगा.

यहाँ हम ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इस युद्ध का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कितना बड़ा असर पड़ेगा, और क्या इस कारण वैश्विक मंदी आ सकती है.

अलग जगहों पर अलग असर

ब्रिटेन में मौजूद कंसल्टेन्सी कंपनी ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार रूस और यूक्रेन के लिए युद्ध का आर्थिक परिणाम ‘नाटकीय’ होगा लेकिन दुनिया के बाकी मुल्कों के लिए ये एक जैसा नहीं होगा.

ईंधन के मामले में पोलैंड अपनी ज़रूरत का आधा रूस से आयात करता है. वहीं तुर्की अपनी ज़रूरत का एक तिहाई कच्चा तेल रूस से लेता है.

इनके मुक़ाबले रूस के साथ अमेरिका का व्यापार उसके जीडीपी का केवल 0.5 फ़ीसदी है. चीन के लिए ये आंकड़ा 2.5 फ़ीसदी है. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि इन दोनों पर रूस-यूक्रेन संकट का अधिक असर नहीं पड़ेगा.

ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स में ग्लोबल मैक्रो रीसर्च के निदेशक बेन मे कहते हैं कि वैश्विक आर्थिक विकास की बात करें तो अनुमान लगाया जा रहा है कि युद्ध के कारण इसकी रफ़्तार 0.2 फ़ीसदी कम हो सकती है, यानी ये 4 फ़ीसदी से कम हो कर 3.8 फ़ीसदी रह सकती है.

वो कहते हैं, “लेकिन ये इस बात पर निर्भर करता है कि युद्ध कितना लंबा खिंचता है. स्पष्ट तौर पर अगर ये युद्ध अधिक दिन चला तो इसका असर भयानक हो सकता है.”

बढ़ेंगी खाद्यान्न की क़ीमतें

युद्ध का असर खाने के सामान की कीमतों पर भी पड़ सकता है, वो इसलिए क्योंकि रूस और यूक्रेन दोनों ही कृषि उत्पाद के मामले में आगे हैं.

स्टेलेनबॉश यूनवर्सिटी और जेपी मॉर्गन में कृषि अर्थशास्त्र में सीनियर रीसर्चर वेन्डिल शिलोबो के अनुसार दुनिया में गेहूं के उत्पादन का 14 फ़ीसदी रूस और यूक्रेन में होता है, और गेंहू के वैश्विक बाज़ार में 29 फ़ीसदी हिस्सा इन दोनों देशों का है. ये दोनों मुल्क मक्का और सूरजमुखी के तेल के उत्पादन में भी आगे हैं.

यहां से होने वाला निर्यात बाधित हुआ तो इसका असर मध्यपूर्व, अफ़्रीका और तुर्की पर पड़ेगा.

लेबनान, मिस्र और तुर्की गेहूं की अपनी ज़रूरत का बड़ा हिस्सा रूस या फिर यूक्रेन से खरीदते हैं. इनके अलावा सूडान, नाइज़ीरिया, तन्ज़ानिया, अल्ज़ीरिया, कीनिया और दक्षिण अफ्रीका भी अनाज की अपनी ज़रूरतों के लिए इन दोनों देशों पर निर्भर हैं.

दुनिया की बड़ी खाद कंपनियों में से एक यारा के प्रमुख स्वेन टोरे होलसेथर कहते हैं, “मेरे लिए सवाल ये नहीं है कि क्या वैश्विक स्तर पर खाद्य संकट पैदा हो सकता है, मेरे लिए सवाल है ये है कि ये संकट कितना बड़ा होगा.”

कच्चे तेल की कीमतों के कारण खाद की कीमतें पहले ही बढ़ गई हैं. खाद के मामले में भी रूस दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में शुमार है.

होलसेथर ने बीबीसी को बताया, “इस मामले में युद्ध से पहले भी हम मुश्किल स्थिति में हैं. दुनिया की आधी आबादी को अनाज मिल पाने की एक बड़ी वजह है खाद. अगर आप खेती से खाद को हटा देंगे तो कृषि उत्पादन घटकर आधा रह जाएगा.”

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