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महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती आज:PM ने राजघाट-विजयघाट जाकर श्रद्धांजलि दी

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डिजिटल भारत l देश 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 154वीं और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 119वीं जयंती मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने राजघाट में श्रद्धांजलि दी। गांधी परिवार सहित अन्य नेता भी आज राजघाट पहुंचेंगे।

पूरा देश दोनों महापुरुषों को श्रद्धांजलि दे रहा है। दिल्‍ली में राजघाट और विजय घाट पर दोनों महापुरुषों को श्रद्धांजलि देने नामी हस्तियां पहुंच रही हैं l 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्‍म हुआ था। दक्षिण अफ्रीका से 1915 में भारत लौटे गांधी ने स्वाधीनता संग्राम का नेतृत्व किया। गांधी के जन्मदिन को देश अब राष्‍ट्रीय पर्व के रूप में मनाता है। वहीं, सादगी और ईमानदारी की मिसाल कहे जाने वाले शास्त्री जी का जन्‍म 2 अक्टूबर 1904 को बिहार के मुगलसराय में हुआ। वह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। गांधी-शास्त्री जयंती 2023 से जुड़ा हर अपडेट देखिए।

बापू के सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहेंगे- PM
प्रधानमंत्री मोदी ने बापू को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘गांधी जयंती के अहम अवसर पर मैं महात्मा गांधी को नमन करता हूं. समय परे उनकी शिक्षाएं हमारे मार्ग को रोशनी से भरती रहेंगी. महात्मा गांधी का प्रभाव न केवल वैश्विक है, बल्कि पूरी मानव जाति को एकता और करुणा की ओर प्रेरित करने वाला है. हम हमेशा उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में काम करते रहें. उनके विचार हर युवा में हमेशा एकता और सामंजस्य का संचार करते रहें.’

चुनौती भरे वक्त में पूर्व PM शास्त्री ने किया देश का नेतृत्व- PM
महात्मा गांधी के साथ ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है. प्रधानमंत्री मोदी ने विजय घाट में शास्त्री जी को श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय सक्सेना और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी भी मौजूद रहीं. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विजय घाट में देश के पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी को श्रद्धासमुन अर्पित किए.

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INS विक्रांत-निर्माण में लगे 13 साल, समंदर और चुनौतियां अनंत तो भारत का उत्तर ‘विक्रांत’-पीएम मोदी बोले

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डिजिटल भारत l अब आज से पूरी दुनिया देखेगी भारत का दम, देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना को सौंपा, अब इसके साथ ही समंदर में भी भारत अपनी धाक को मजबूत करेगा. पीएम मोदी ने आईएनएस विक्रांत को समुद्र में उतारने से पहले भारत की विरासत के अनुरूप नए नौसेना पताका (निशान) का भी अनावरण किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, पिछले समय में इंडो-पैसिफिक रीज़न और इंडियन ओशन में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नजरंदाज किया जाता रहा। लेकिन, आज ये क्षेत्र हमारे लिए देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता है।इसलिए हम नौसेना के लिए बजट बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता बढ़ाने तक, हर दिशा में काम कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा, बूंद-बूंद जल से जैसे विराट समंदर बन जाता है। वैसे ही भारत का एक-एक नागरिक ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को जीना प्रारंभ कर देगा, तो देश को आत्मनिर्भर बनने में अधिक समय नहीं लगेगा।
भारत ने रचा नया इतिहास
भारतीय नौसेना के इन-हाउस वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिज़ाइन किया गया और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित, पोर्ट, शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड, विक्रांत को अत्याधुनिक ऑटोमेशन सुविधाओं के साथ बनाया गया है और भारत के समुद्री इतिहास में निर्मित यह अब तक का सबसे बड़ा जहाज है.

ब्रिटिश काल में समुद्री सामर्थ्य को तोड़ने का हुआ था फैसला- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा, इतिहास गवाह है कि कैसे ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए। उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया। लेकिन, छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे।
विक्रांत बड़ा और भव्य है, विक्रांत अलग है, विक्रांत विशेष है

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, विक्रांत बड़ा और भव्य है, विक्रांत अलग है, विक्रांत विशेष है. विक्रांत सिर्फ एक युद्धपोत नहीं है, यह 21वीं सदी के भारत की कड़ी मेहनत, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है. आज यहां केरल के समुद्री तट पर भारत, हर भारतवासी, एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है. INS विक्रांत पर हो रहा ये आयोजन विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है.

पीएम मोदी ने कहा, अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी। लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा। आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है।
रक्षा मंत्री सहित ये अधिकारी भी हुए शामिल

शुक्रवार को नए इंडियन ओशनपोत के जलावतरण कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, एर्नाकुलम के सांसद हिबी ईडन, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरी कुमार और नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के शीर्ष अधिकारी सहित कई गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में शामिल हुए.

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