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एक भारत उत्कृष्ट भारत

स्लॉट बुक करने के बाद ही धान ले जाने के लिए किसानों से आग्रह

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अब तक 12 हजार किसानों से खरीदी गई 1 लाख 42 हजार 698 मीट्रिक टन धान

डिजिटल भारत l खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में जिले में अभी तक 11 हजार 908 किसानों से समर्थन मूल्य पर 1 लाख 42 हजार 698 मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है जिला आपूर्ति नियंत्रक कमलेश टांडेकर ने बताया कि अब तक हुई धान की खरीदी में कुंडम तहसील में 455 किसानों से 4 हजार 831मीट्रिक टन, जबलपुर तहसील में 748 किसानों से 9 हजार 182 मीट्रिक टन, पनागर तहसील में 1 हजार 187 किसानों से 16 हजार 045 मीट्रिक टन, पाटन तहसील में 1 हजार 924 किसानों से 23 हजार 589 मीट्रिक टन, मझौली तहसील में 2 हजार 579 किसानों से 31 हजार 861मीट्रिक टन, शहपुरा तहसील में 1 हजार 217 किसानों से 17 हजार 098 मीट्रिक टन तथा सिहोरा तहसील में 3 हजार 798 किसानों से 40 हजार 001मीट्रिक टन धान का उपार्जन समर्थन मूल्य पर किया गया है जिला आपूर्ति नियंत्रक के मुताबिक विगत वर्ष जबलपुर में जिले में धान उपार्जन हेतु 121 केन्द्र स्थापित हुए थे। इस वर्ष शासन द्वारा शुरूआत में सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ही खरीदी के आदेश दिए गए थे ।
फलस्वरूप जिले में अब तक 85 धान खरीदी केन्द्र स्थापित किए गए हैं ।

अब महिला स्व-सहायता समूहों को भी
धान उपार्जन का कार्य दिये जाने के शासन द्वारा जारी निर्देशानुसार किसानों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए तथा व्यवस्थित धान भण्डारण के लिए और धान खरीदी केन्द्र स्थापित करने का प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया है जिला आपूर्ति नियंत्रक ने बताया कि किसानों को किसी तरह की असुविधा न हो तथा वास्तविक किसानों से ही धान का उपार्जन हो इसके लिये खरीदी केंद्रों का अधिकारियों द्वारा निरतंर निरीक्षण किया जा रहा है। इस क्रम में शनिवार को कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी सिहोरा श्रीमती नीलम उपाध्याय द्वारा विभिन्न वेयरहाउसों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कुछ वेयरहाउस जहाँ अभी खरीदी केन्द्र स्थापित नहीं हुए हैं, उनके परिसर में भी किसानों द्वारा धान भण्डारित कर दी गई है। ऐसे किसानों ने बताया कि उन्होंने स्वयं धान लाकर इन वेयर हाउस के परिसर में रखी है। इसी प्रकार कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी पाटन श्रीमती आभा शर्मा द्वारा विभिन्न वेयरहाउसों में किसानों द्वारा भण्डारित धान के संबंध में जांच की गई। यहाँ भी पाया गया कि कुछ
वेयरहाउस जो वर्तमान में खरीदी केन्द्र के रूप में स्थापित नहीं है, उनके परिसर में भी किसानों द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से अपनी धान लाकर रख दी गई है। निरीक्षण के दौरान किसानों से आग्रह भी किया गया कि वे स्लॉट बुक करने के बाद ही अपनी धान निर्धारित खरीदी केन्द्र में लेकर पहुँचे, ताकि उन्हें धान का परिदान करने में किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े ।

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ऐसे रखे सर्दियों में अपनी त्वचा का खास ख्याल

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डिजिटल भारत l हेल्दी त्वचा हर कोई चाहता है पर बदलते मौसम में सर्द हवा त्वचा की खूबसूरती छीन सकती है। फेमिना रीडर्स व एक्सपर्ट से जानें टिप्स, जिन्हें आजमाकर आप चेहरे की रंगत और निखार सकती हैं…

बनाए रखें त्वचा की नमी
इस मौसम में त्वचा की नमी बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी पीते रहें। रोजाना 5 भीगे हुए बादाम खाएं। घरेलू उपचार के तौर पर एक चम्मच बेसन में एक चम्मच नीबू का रस, एक चम्मच गुलाबजल और चुटकी भर हल्दी डालकर पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को स्क्रब की तरह चेहरे पर लगाकर 10 मिनट के लिए छोड़ दें, फिर पानी लगाकर हल्के हाथ से मलते हुए छुड़ाएं। सादे पानी से चेहरा साफ कर लें।
काम आएंगे ग्लिसरीन-नींबू
सर्दियों के लिए त्वचा को तैयार करने और उसे शुष्क होने से बचाने के लिए कुछ बूंद ग्लिसरीन में नीबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाएं। रोज सुबह चेहरा साफ करने के बाद और रात में सोने से पहले इसे लगा सकती हैं। यह त्वचा को शुष्क हवा के दुष्प्रभाव से बचाता है और उसकी कुदरती नमी बनाए रखता है। इसके अलावा दही खाने और लगाने से भी त्वचा चिकनी बनी रहती है।
नहाने या चेहरे को धोने के बाद शरीर को हल्के हाथों यानी थपकी देकर पोछना है। जैसा कि हम आमतौर पर देखते हैं कि लोग तौलिए से शरीर को रगड़-रगड़ कर पोछते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी त्वचा और भी रूखी हो जाती है।
नहाने के बाद बारी आती है शरीर पर ऑयली पदार्थ लगाने की। इसके लिए हम अपनी पसंद के हिसाब से सरसो, नारियल, बादाम, आंवला तेल या फिर बॉडी लोशन या मॉइश्चराइजर क्रीम लगा सकते हैं। इसको शरीर पर हल्के हाथों से लगाना चाहिए।
सर्दियों में त्वचा रूखी-सूखी होने लगती है, जिसकी वजह से कई बार शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। ज्यादातर लोग अपनी त्वचा का ध्यान रखने के लिए स्किन केयर ट्रीटमेंट लेते हैं, जोकि हर किसी के बस की बात नहीं है। खासतौर पर जब बार आती है ड्राई स्किन वाले लोगों को उनको तो सर्दियों के मौसम में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में हम आपको सर्दियों में त्वचा में नमी बनाए रखने के कुछ घरेलू तरीके बताएंगे, जिनको अपनाकर आप अपनी ड्राई त्वचा का खास ध्यान रख सकते हैं। इसके लिए आपको ज्यादा पैसे खर्चने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन सभी तरीकों को फॉलो करना काफी आसान है, तो आइए देर ना करते हुए आपको इस बारे में बताते हैं।
सनस्क्रीन को ना भूलें

लोगों को लगता है कि सर्दियों के मौसम में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना इतना जरूरी नहीं है। बल्कि ऐसा नहीं है, सर्दियों में भी लोगों को सनस्क्रीन का इस्तेमाल नियमित रूप से ही करना चाहिए। इससे त्वचा हानिकारक किरणों से बची रहती है। इसके इस्तेमाल से त्वचा सर्दियों में भी हाइड्रेट रहती है।

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क्या है आंवला नवमी, जाने इसके महत्त्व व क्यों करनी चाहिए यह पूजा

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डिजिटल भारत l आज है कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी कि आंवला नवमी। इसे कूष्मांड नवमी और अक्षय नवमी भी कहा जाता है। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा कर घी का दीपक लगाकर आंवला वृक्ष की कम से कम 21 परिक्रमा कर कच्चा सूत लपेटा जाता है। इसके बाद आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है और आंवले को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
क्यों की जाती है आंवले के पेड़ की पूजा?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी भ्रमण करने के लिए पृथ्वी लोक पर आईं। रास्ते में उन्हें भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। माता लक्ष्मी ने विचार किया कि एक साथ विष्णु एवं शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय होती है और बेलपत्र भगवान शिव को। मां लक्ष्मी को ख्याल आया कि तुलसी और बेल का गुण एक साथ आंवले के पेड़ में ही पाया जाता है।
ऐसे में आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिन्ह मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले की वृक्ष की पूजा की। कहा जाता है कि पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन करवाया। इसके बाद स्वयं भोजन किया, जिस दिन मां लक्ष्मी ने शिव और विष्णु की पूजा की थी, उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि थी। तभी से कार्तिक शुक्ल की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के रूप में मनाया जाने लगा।
आंवला नवमी से द्वापर युग का प्रारंभ आंवला या अक्षय नवमी के दिन से द्वापर युग का प्रारंभ माना जाता है। इस युग में भगवान श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। आंवला नवमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन-गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा प्रस्थान किया था। यही वो दिन था जब उन्होंने अपनी बाल लीलाओं का त्याग कर कर्तव्य के पथ पर कदम रखा था। इसीलिए आंवला नवमी के दिन से वृंदावन परिक्रमा भी प्रारंभ होती है। आंवला नवमी के दिन ही आदि शंकराचार्य ने एक वृद्धा की गरीबी दूर करने के लिए स्वर्ण के आंवला फलों की वर्षा करवाई थी।

आंवला नवमी का महत्व
कहा जाता है कि आंवला वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कंद में रुद्र, शाखाओं में मुनिगण, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और फलों में प्रजापति का वास होता है। ऐसे में आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इसकी पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन से धन, विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से संबंधित समस्या खत्म हो जाती है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अक्षय नवमी का दिन सबसे उत्तम माना जाता है।
इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने, ब्राह्मणों को भोजन कराने तथा आंवले के दान का भी महत्व है। आंवला नवमी के दिन जो भी शुभ कार्य किया जाता है उसमें सदा लाभ व उन्नति होती है। उस काम का कभी क्षय नहीं होता इसलिए इस दिन की पूजा से अक्षय फल का वरदान मिलता है। मान्यता है कि इसी दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। वृंदावन में होने वाली परिक्रमा इसी दिन से प्रारम्भ होती है। मान्यता है उस परिक्रमा में श्रद्धालुओं का साथ देने स्वयं श्रीकृष्ण आते हैं। आंवला नवमी के दिन पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिये। फिर आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। पेड़ पर कच्चा दूध, हल्दी रोली लगाने के बाद परिक्रमा की जाती है। महिलाएं आंवले के वृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं।
लोकप्रिय आयुर्वेदिक ग्रंथ भेषज्य रत्नावली में 20 से अधिक योग आंवले के नाम से बताये गये हैं। ग्रंथों में आंवले को रक्तषोधक, रुचिकारक, ग्राही एवं मूत्रल बताया गया है। जिससे यह रक्त पित्त, वातावरण, रक्तप्रदर, बवासीर, अजीर्ण, अतिसार, प्रमेह ,श्वास रोग, कब्ज, पांडु रोग एवं क्षय रोगों का शमन करता है। मानसिक श्रम करने वाले व्यक्तियों को वर्ष भर नियमित रूप से किसी भी रूप में आंवले का सेवन करना चाहिये। आंवले का नियमित सेवन करने से मानसिक शक्ति बनी रहती है। आंवला विटामिन-सी का सर्वोतम प्राकृतिक स्रोत है। इसमें विद्यमान विटामिन-सी नष्ट नहीं होता। विटामिन-सी एक ऐसा नाजुक तत्व होता है जो गर्मी के प्रभाव से समाप्त हो जाता है, लेकिन आंवले का विटामिन-सी नष्ट नहीं होता। ताजा आंवला खाने में कसैला, मधुर, शीतल, हल्का एवं मृदु रेचक या दस्तावर होता है। आंवले का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधन के रूप में भी होता है। आंवले की चटनी, मुरब्बा तो बनता ही है, आंवले का उपयोग च्यवनप्राश बनाने में भी किया जाता है। हिंदू धर्म में आंवले का पेड़ व फल दोनों ही पूज्य हैं, अतः एक प्रकार से आंवला नवमी का यह पर्व पर्यावरण संरक्षण के लिये भी प्रेरित करता है।

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वाहनों से मतदाताओं को ढोया नहीं जा सकेगा, आयोग ने लगाये वाहनों के उपयोग पर कई प्रतिबंध

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डिजिटल भारत l निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव के तहत मतदान के दिन मतदाताओं को वाहनों से ढोने पर
प्रतिबंध लगाया है। आयोग के मुताबिक मतदान के दिन कोई भी उम्मीदवार, उसका निर्वाचन अभिकर्ता या उसकी
सहमति से अन्य कोई भी व्यक्ति मतदाताओं को मतदान केन्द्र तक ले जाने और वहां से वापस लाने के लिए
वाहनों की सुविधा उपलब्ध नहीं करायेगा। आयोग ने कहा है कि यदि कोई उम्मीदवार ऐसा करता है तो वह भ्रष्ट
आचरण माना जायेगा और इस प्रकार के भ्रष्ट आचरण पर उसे दण्ड दिया जा सकता है। इसके साथ ही लोक
प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 133 के अधीन उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
निर्वाचन आयोग ने मतदान के दिन वाहनों के दुरूपयोग को रोकने कई तरह के प्रतिबंध भी लगाये हैं । इसके
अनुसार मतदान के दिन विधानसभा चुनाव लड रहे प्रत्येक उम्मीदवार को उसके निर्वाचन क्षेत्र के लिए केवल तीन
वाहनों के उपयोग की अनुमति ही दी गई है। इसमें से एक का उपयोग उम्मीदवार स्वयं अपने लिए कर सकेगा
जबकि दूसरा वाहन का उपयोग उसका निर्वाचन अभिकर्ता तथा तीसरे वाहन का उपयोग उसके कार्यकर्ता कर सकेंगे।
इसके लिए भी उम्मीदवार को रिटर्निंग अधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त करना जरूरी होगा।
निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं के निर्वाचन विधि का उल्लघंन करके वाहनों से मतदान बूथों तक ले जाने
और वापस लाने पर रोक लगाने की दृष्टि से मतदान क्षेत्रों में मतदान के दिन सभी तरह के यंत्र चलित या अन्यथा
चलित वाहनों जिसमें टैक्सी, निजी कार, ट्रक, बस, मिनी बस, ट्रक, ट्रेक्टर, आटोरिक्शा, स्कूटर, स्टेशन वैगन आदि के
संचालन को विनियमित किया है।
आयोग ने कहा है कि मतदान क्षेत्र में मतदान के दिन बस व मिनी बस जैसे सार्वजनिक परिवहन के
वाहनों को चलाये जाने की अनुमति तो होगी लेकिन निश्चित मार्गों और निश्चित स्थानों के बीच ही इन्हें चलाया
जा सकेगा। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि निजी वाहनों एवं टैक्सियों को मतदान के दिन मतदान केन्द्रों को
छोड़कर अस्पतालों, विमानपत्तनों, रेल्वे स्टेशनों, बस अड्डों मित्र या रिस्तेदारों के घरों, क्लबों, एवं रेस्टारेण्ट जैसे
स्थानों तक यात्रियों को ले जाने के लिए चलने दिया जायेगा । लेकिन मतदाताओं के ढोने के लिए मतदान केन्द्रों
के समीप छुपे तौर पर इन्हें आने नहीं दिया जायेगा। इन वाहनों के यातायात को इस प्रकार दूसरे मार्ग पर ले जाया
जायेगा ताकि उनके दुरूपयोग पर प्रभावी रूप से नियंत्रण किया जा सके।
आयोग के अनुसार मतदान के दिन निजी उपयोग के लिए जिसका संबंध निर्वाचन से न हो, निजी वाहनों को
चलाने की अनुमति होगी। इसके अलावा अनिवार्य सेवाओं के लिए प्रयुक्त वाहनों मसलन अस्पताल वाहन, रोगी
वाहन, दुग्ध वाहन, पानी के टैंकर, विद्युत ड्यूटी वाहन, पुलिस वाहन को भी मतदान के दिन चलाये जा सकेंगे।
आयोग ने निजी वाहन स्वामियों को या तो स्वयं के लिए या उनके अपने परिवार के सदस्यों के उनके
मताधिकार के उपयोग के लिए मतदान केन्द्र परिसर तक निजी वाहन ले जाने की अनुमति दी है। लेकिन इस शर्त
पर कि ऐसे वाहन मतदान केन्द्र के 200 मीटर के दायरे में केवल एक बार ही प्रवेश कर सकेंगे। आयोग ने मतदान
के दिन वाहनों के उपयोग पर लगाये गये इन प्रतिबंधों का उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है और
कहा कि दुरूपयोग पाये जाने पर ऐसे वाहनों को जप्त कर लिया जायेगा।

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हस्ताक्षर के पहले लगाई जायेगी मतदाता की बायीं तर्जनी पर अमिट स्याही, इंकार करने पर मतदान नहीं करने दिया जायेगा

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डिजिटल भारत l भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के मुताबिक विधानसभा चुनाव में मतदान केन्द्र पर वोट डालने पहुंचे
मतदाता की बायीं तर्जनी पर अमिट स्याही का निशान मतदाता रजिस्टर पर उसके हस्ताक्षर करने के पहले लगाया
जायेगा। ऐसा इसलिए किया जायेगा ताकि मत देने के बाद मतदाता के मतदान केन्द्र छोड़ने तक अमिट स्याही को
सूखने और एक सुस्पष्ट अमिट चिन्ह बनने के लिए पर्याप्त समय मिल जाये। मतदाता की अंगुली पर अमिट
स्याही नाखून से लेकर अंगुली के पहले पोर तक लगायी जायेगी।
निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार अमिट स्याही लगाने के पहले मतदान अधिकारियों द्वारा मतदाता की बायीं
तर्जनी का निरीक्षण भी किया जायेगा। यदि निरीक्षण में यह देखने में आता है कि किसी मतदाता ने अमिट स्याही
के चिन्ह को प्रभावहीन करने के लिए अपनी अंगुली पर तैलीय या चिकनाईयुक्त पदार्थ लगा लिया है तो मतदान
अधिकारी द्वारा उस मतदाता की अंगुली पर अमिट स्याही का चिन्ह लगाने के पहले किसी कपड़े के टुकड़े की
सहायता से ऐसा तैलीय या चिकनाईयुक्त पदार्थ को हटा दिया जायेगा ।
आयोग के निर्देशों में मतदान अधिकारियों से स्पष्ट कहा गया है कि यदि कोई मतदाता निर्देशों के
विपरीत अपनी बायीं तर्जनी का निरीक्षण करने या अमिट स्याही लगाने से इंकार करे या उसकी बायीं तर्जनी पर
ऐसा कोई चिन्ह पहले से ही हो अथवा वह स्याही को हटाने की दृष्टि से कोई भी कृत्य करे तो उसे मत देने के
लिए अनुमति नहीं दी जाये।
आयोग ने यह भी कहा है कि मतदाता को अपना मत रिकार्ड करने के लिए मतदान कक्ष में जाने की अनुमति
देने के पहले नियंत्रण यूनिट के प्रभारी मतदान अधिकारी द्वारा भी उसकी अंगुली की दुबारा जांच की जानी चाहिए।
यदि मतदाता ने स्याही को हटा दिया है या स्याही का चिन्ह अस्पष्ट है तो उसकी बायीं तर्जनी पर दुबारा अमिट
स्याही का चिन्ह लगा दिया जाये।
आयोग के मुताबिक मतदान कर चुके मतदाता की पहचान के लिए अमिट स्याही का चिन्ह मतदाता की
बायीं तर्जनी की अंगुली पर लगाया जायेगा। लेकिन यदि किसी मतदाता की बायीं तर्जनी न हो तो अमिट स्याही
उसकी ऐसी किसी भी अंगुली में लगाई जायेगी जो उसके बायें हाथ में हो । यदि उसके बाये हाथ में कोई भी अंगुली
न हो तो स्याही उसकी दायें हाथ की तर्जनी पर लगाई जायेगी और यदि उसके दायें हाथ की तर्जनी भी न हो तो
उसकी दायीं तर्जनी से प्रारंभ करते हुए उसके दायें हाथ की किसी भी अन्य अंगुली पर स्याही लगाई जायेगी ।
परन्तु यदि किसी मतदाता के किसी भी हाथ में कोई भी अंगुली न हो तो स्याही उसके बायें या दायें हाथ के ऐसे
सिरे (ठूंठ) पर जो भी उसके हो लगायी जायेगी।

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125वर्षों से भी ज्यादा का है मनकेडी चंडी मेले का इतिहास, मुस्लिम परिवार द्वारा निभाई जा रही परंपरा

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डिजिटल भारत l हिंनदोस्तान गंगा जमिनी तहजीब के लिए विख्यात यूं ही नहीं माना जाता यहां पर बसने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी तहजीब की महक बरकरार है जिसमें धर्म से ऊपर इंसानियत और भाईचारे को माना जाता है प्रेम सौहार्द ही जिनके लिए सबसे बड़ा धर्म है। ऐसा ही कुछ बरगी नगर के छोटे से ग्राम मनकेडी में पिछले 100 वर्षों से भी ज्यादा लंबे समय से देखने मिल रहा है जहां 99.9% हिंदू आबादी के बीच में रहने वाला रहने वाला एक मुस्लिम परिवार अपने बाप दादा के समय से इस परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं और अपने पुरखों की इस रवायत को आज भी नई पीढ़ियां निभा रही हैं।

✳️ भाई दूज पर भरता है प्रेम का मेला मनकेडी ग्राम के ग्राम प्रमुख हफीज खान मालगुजार ने बताया कि दीपावली के भाई दूज के अवसर पर हमारे गांव में पिछले 125 वर्षों से भी ज्यादा समय से हमारे परिवार के स्वर्गीय खुदा बख्श, स्वर्गीय शेख कल्लू तथा स्वर्गीय शेख अहमद खान मालगुजार द्वारा ग्राम में भाई दूज के अवसर पर आपसी प्रेम के लिए चण्डी मड़ई मेले का आयोजन किया जाता रहा है जिसे हम भी उसी परंपरा के अनुसार इसका निर्वहन कर रहे हैं।

✳️ दर्जन भर गांवों को भेजते हैं न्योता ग्राम के (बैगा) पंडा प्रहलाद आदिवासी तथा सूरज आदिवासी ने बताया कि मालगुजार परिवार द्वारा चंडी मेला कार्यक्रम के लिए आसपास के दर्जन भर ग्राम सहजपुरी,चौरई, रीमा, नयागांव, टेमर गुल्ला पाठ, भोंगा तथा हरदुली ग्रामों के ग्राम प्रमुख को हल्दी चावल तथा सुपारी भेज कर पारंपरिक न्योता दिया जाता है । तत्पश्चात ग्राम की ग्वालटोली द्वारा शाम 4:00 बजे मालगुजार परिवार के घर पहुंच कर नाचते गाते हुए समूचे गांव के साथ मालगुजार परिवार के प्रमुख को लेकर ग्वालटोली मेला स्थल तक पहुंचती है यहां पर पूरी विधि विधान से चंडी माता की पूजा अर्चना के बाद ग्राम के बैगा द्वारा मढईको ब्याहने की प्रक्रिया पूरी की जाती है और इस तरह से सभी मेले में शामिल होते हैं।

✳️पान खिलाकर होता है स्वागत आसपास के गांव से आमंत्रित की गई सभी ग्वालटोलियों को मेला स्थल में पहुंचने के बाद पान खिलाकर स्वागत किया जाता है तथा मालगुजार परिवार द्वारा विशेष नृत्य प्रस्तुति पर सभी ग्वालटोलियों को सम्मान स्वरूप प्रसाद और बख्शीश (पुरस्कार) हर टोली को दी जाती है तथा आसपास के सभी आमंत्रित अतिथि गणों को पान खिलाकर स्वागत किया जाता है इस अवसर पर ग्राम के दिमाग प्रसाद, डुमारी लाल सोनी ,डुमारी लाल झरिया, प्रहलाद आदिवासी, विमल नेताम, रामाधार आदिवासी, संतोष आदिवासी, सूरज प्रसाद, कृपाल आदिवासी, भूरा झरिया, रोशनी झरिया मुकेश तथा समस्त ग्रामीण का विशेष सहयोग रहता है

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कांग्रेस प्रत्यासी राजेश पटेल को क्षेत्र में मिल रहा अपार जन समर्थन एक जुट हुई कांग्रेस, बदला नजर आने लगा माहौल

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डिजिटल भारत l इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा से 10 साल से विधायक रहे सुशील इंदु तिवारी पुनः भाजपा से प्रत्यासी है तो वहीं कांग्रेस ने ओबीसी कार्ड खेलकर पनागर विधानसभा में राजेश पटेल को प्रत्यासी बनाया गया है जिन्हें जनसंपर्क के दौरान पनागर ही नही बरेला क्षेत्र में भी जनता का भरपूर प्यार और जन समर्थन मिल रहा है, पनागर प्रत्यासी राजेश पटेल पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं अपने अध्यक्ष के कार्यकाल में राजेश पटेल ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार दौरा कर अपनी पहचान बना चुके थे अब वो कांग्रेस से विधानसभा प्रत्यासी के रूप में फिर से जनता के बीच में हैं अब जनता भी उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष के बाद पनागर में विधायक बनना देखना चाह रही है जिसके चलते इस चुनाव में उन्हें जनता के बीच वही स्नेह और सम्मान मिल रहा है।
हाल में हुए जिला पंचायत चुनाव में राजेश पटेल ने अपने छोटे भाई विवेक पटेल को जिला पंचायत चुनाव में भारी मतों से विजयी बनाया था जो आज जिला पंचायत में उपाध्यक्ष पद पर है, विवेक पटेल भी जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहते ग्रामीण अंचलों में लगातार दौरा किया जिसका पूरा लाभ भी इस चुनाव में राजेश पटेल को मिलता नजर आ रहा है।
तो वहीं पूर्व में निर्दलीय प्रत्यासी रहे भारत सिंह यादव की पत्नी श्रीमती प्रभा यादव भी राजेश पटेल के पक्ष में खुलकर मैदान में प्रचार प्रसार कर रहे हैं तो वहीं सेवादल के राष्ट्रीय महासचिव सत्येंद्र यादव भी समस्त 310 बूथों में अपनी टीम के साथ राजेश पटेल के समर्थन में जीत दिलाने पुरजोर मेहनत कर रहे हैं, वहीं प्रदेश महामंत्री विनोद श्रीवास्तव ने भी अपनी टीम कांग्रेस को विजयी बनाने लगा रखी है, ब्लॉक कांग्रेस पनागर और बरेला, युवक कांग्रेस, महिला कांग्रेस, एनएसयूआई के साथ ओबीसी एससी एसटी संयुक्त मोर्चा मध्यप्रदेश जन जागरण मोर्चा (कमलनाथ ग्रुप) के साथ कुर्मी क्षत्रिय महासभा के खुले समर्थन ने इस चुनाव को और भी रोमांचक बना दिया है, कुल मिलाकर देखा जाए तो इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक डोर में एक जुट होकर चुनाव लड़ रही है जिससे यह चुनाव काफी रोमांचक स्थिति में पंहुच चुका है। अब जनता को ही तय करना है कि आगामी 17 नवंबर तक इस तरह से जनता का मिल रहा जनसमर्थन वोट में तब्दील हो रहा है या जनता के मन में 10 साल से विधायक रहे सुशील इंदु तिवारी को तीसरी बार चुनकर पुनः विधायक बनाना चाह रही है यह तो 3 दिसंबर को आने वाला परिणाम में ही दिखाई देगा

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दिव्यांग और अस्सी वर्ष से अधिक मतदाताओं से डाकमत से मतदान कराने आज से घर-घर जायेंगे मतदान दल

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डिजिटल भारत l भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दिव्यांग एवं अस्सी वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं को डाकमत पत्र के
माध्यम से घर से ही मतदान करने की दी गई सुविधा के मुताबिक जबलपुर जिले की सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों
के ऐसे 1 हजार 891 मतदाताओं से मतदान कराने मंगलवार 7 नवंबर से मतदान दल उनके घर पहुंचेंगे। डाकमत
पत्र से घर से मतदान करने की फार्म 12-डी में सहमति देने वाले इन मतदाताओं से मतदान कराने कुल 69 दलों
का गठन किया गया है। प्रत्येक दल में एक पीठासीन अधिकारी और एक मतदान अधिकारी क्रमांक एक होगा।
इनके अलावा एक माइक्रो आब्जर्वर, एक सुरक्षा कर्मी, एक वीडियोग्राफर भी दल के साथ मौजूद रहेगा।
जिला निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक दिव्यांग और अस्सी वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं को घर से
डाकमत पत्र से मतदान की दी गई सुविधा के तहत मतदान दल पहले चरण में 7 और 8 नवंबर को इन
मतदाताओं के घर पहुंचेंगे और मतदान करायेंगे। इस दौरान यदि वे अनुपस्थित रहे तो 9 और 10 नवंबर को दूसरे
चरण में मतदान दल दोबारा उनके घर पहुंचेंगे। इसकी बकायदा घर में मौजूद परिवार के सदस्यों को सूचना दी
जायेगी जिसमें दिन और समय का उल्लेख भी रहेगा। दुबारा भी घर में अनुपस्थित रहने पर ऐसे मतदाताओं को
मतदान की सुविधा नहीं होगी वे मतदान केन्द्र पर जाकर भी अपना वोट नहीं डाल सकेंगे।
जिला निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक दिव्यांग और अस्सी वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं से घर-घर
जाकर डाकमत पत्र से मतदान कराये जाने वाले मतदान दलों के रूट चार्ट की सूचना चुनाव लड़ रहे सभी
उम्मीदवारों को दी जा चुकी है। मतदान के दौरान उम्मीदवारों के मतदान अभिकर्ता अथवा राजनैतिक दलों के बूथ
लेवल अभिकर्ता भी दिव्यांग एवं अस्सी प्लस मतदाताओं के घर पर मौजूद रह सकेंगे। मतदान की इस समूची
प्रक्रिया की वीडियो ग्राफी भी कराई जायेगी। जिला निर्वाचन कार्यालय के अनुसार विधानसभा क्षेत्र पाटन में दिव्यांग एवं अस्सी वर्ष से अधिक आयु के 356 मतदाताओं से घर से मतदान कराने 10 मतदान दल गठित किये गये हैं। इसी प्रकार विधानसभा क्षेत्र बरगी में 236 मतदाताओं से मतदान कराने दस, जबलपुर पूर्व के 197 मतदाताओं से मतदान कराने सात, जबलपुर उत्तर
के 268 मतदाताओं से मतदान कराने दस, जबलपुर केण्ट के 219 मतदाताओं से मतदान कराने आठ, जबलपुर
पश्चिम के 220 मतदाताओं से मतदान कराने आठ, पनागर के 140 मतदाताओं से मतदान कराने छह तथा
विधानसभा क्षेत्र सिहोरा के दिव्यांग एवं अस्सी वर्ष से अधिक आयु के 255 मतदाताओं से घर से डाकमत पत्र के
जरिये मतदान कराने दस मतदान दलों का गठन किया गया

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अब बिना प्रमाण नहीं फैला सकते सोशल मीडिया पर कोई भी खबर

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डिजिटल भारत l विधानसभा चुनाव लड़ रहे 13 प्रत्याशियों को पूर्व प्रमाणन कराये बिना सोशल मीडिया के विभिन्न
प्लेटफार्म पर विज्ञापन प्रसारित करने के कारण जिला स्तरीय मीडिया सर्टिफिकेशन एवं मॉनिटरिंग कमेटी ने नोटिस
जारी करने की अनुशंसा रिटर्निंग अधिकारियों से की है।
बता दें कि जिला स्तरीय मीडिया सर्टिफिकेशन एवं मॉनिटरिंग कमेटी के सोशल मीडिया सेल द्वारा
फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स, यू-ट्यूब् जैसे सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर प्रसारित राजनैतिक विज्ञापनों पर
चौबीस घण्टे नजर रखी जा रही है।
जिला स्तरीय एमसीएमसी समिति द्वारा जिन उम्मीदवारों को नोटिस जारी करने की अनुशंसा रिटर्निंग
अधिकारियों को की गई है, उनमें पाटन विधानसभा क्षेत्र के दो, बरगी का एक, जबलपुर पूर्व के दो, जबलपुर उत्तर के
दो, जबलपुर केण्ट के दो, जबलपुर पश्चिम के दो एवं पनागर विधानसभा क्षेत्र के दो उम्मीदवार शामिल हैं। जिला
स्तरीय मीडिया सर्टिफिकेशन एवं मॉनिटिरंग कमेटी द्वारा रिटर्निंग अधिकारियों को सोशल मीडिया की करीब 50
लिंक्स भी भेजी गई र्है जिनमें पूर्व प्रमाणन कराये बिना राजनैतिक विज्ञापन प्रसारित किये जा रहे हैं। बिना पूर्व
प्रमाणन के प्रसारित राजनैतिक विज्ञापनों का खर्च भी चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के निर्वाचन व्यय लेखा में जोड़ा
जायेगा।

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बिना अनुमति के रैली निकालने एवं अनुमति की शर्त का उल्लंघन करने पर दो प्रत्याशियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज

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डिजिटल भारत l चुनाव आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर बिना अनुमति रैली निकालने तथा आमसभा के लिये दी गई
अनुमति की शर्तों का उल्लंघन करने पर विधानसभा क्षेत्र जबलपुर पूर्व से चुनाव लड़ रहे दो प्रत्याशियों के खिलाफ
एफआईआर दर्ज कराई गई है।
अनुविभागीय अधिकारी आधारताल अनुराग सिंह के मुताबिक जबलपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से
एआईएमआईएम के प्रत्याशी गजेन्द्र सोनकर द्वारा 3 नवम्बर को शाम 5.30 बजे भानतलैया से मंडी मदार टैकरी
तरफ 40 से 50 साथियों के साथ पैदल रैली निकाली जा रही थी। रैली में ई-रिक्शा क्रमांक एमपी 20 आर.ए.
1223 भी था जिसमें गजेन्द्र सोनकर के बैनर-पोस्टर लगे थे। उन्होंने बताया कि मौके पर एफएसटी दल क्रमांक
पांच के प्रमुख सहायक प्राध्यापक पशु चिकित्सा एवं पशु पालन महाविद्यालय अनिल शिंदे द्वारा रैली की अनुमति
के बारे में पूछे जाने पर प्रत्याशी गजेन्द्र सोनकर द्वारा कोई अनुमति नहीं होना बताया गया। ई-रिक्शा की विंड
स्क्रीन पर भी कोई अनुमति नहीं लगी थी।
अनुविभागीय अधिकारी आधारताल ने बताया कि बिना अनुमति रैली निकालकर आदर्श आचार संहिता का
उल्लंघन करने के इस मामले में एफएसटी दल प्रमुख अनिल शिंदे द्वारा हनुमानताल थाने में एफआईआर दर्ज
कराई गई। बिना अनुमति निकाली जा रही रैली की वीडियोग्राफी भी एफएसटी दल द्वारा कराई गई है। हनुमानताल
थाना द्वारा इस मामले में भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 171-एच एवं धारा 188 के तहत प्रकरण कायम
कर लिया गया है।
एसडीएम आधारताल के मुताबिक आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दूसरे मामले में जबलपुर
विधानसभा के भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अंचल सोनकर के विरूद्ध एफएसटी दल क्रमांक आठ के प्रमुख
सहायक प्राध्यापक पशु चिकित्सा डॉ. मनीष जाटव द्वारा रिटर्निंग अधिकारी कार्यालय से मिली आमसभा की
अनुमति की शर्तों के उल्लंघन के मामले में बेलबाग थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। उन्होंने बताया कि एफ
एस टी दल को 3 नवंबर की शाम लगभग 6.30 बजे सूचना प्राप्त हुई थी कि प्रत्याशी अंचल सोनकर के संबंध
में अंबेडकर चौक से घमापुर चौक के बीच का आधे एक तरफ के मुख्य मार्ग को टेंट लगाकर बाधित किया जा रहा
है। एफएसटी दल द्वारा मौके पर पहुंचकर वीडियो ग्राफी कराई गई। आयोजन के संबंध में मौके पर रिटर्निंग
अधिकारी कार्यालय जबलपुर पूर्व द्वारा जारी अनुमति देखने पर पाया गया कि इसमें कार्यक्रम स्थल पाण्डेय
अस्पताल के सामने मेन रोड घमापुर का उल्लेख है जबकि अनुमति में दी गई शर्तो का उल्लंघन कर सम्पूर्ण सड़क
(एक तरफ) में मंच बना लिया गया जिससे बाधा उत्पन्न हुई। बेलबाग थाने ने इस मामले में भारतीय दण्ड संहिता
की धारा 188 के तहत प्रकरण पंजीवद्ध किया है।

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