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विद्याभवन में मुनिश्री की विनयांजलि सभा आज – नरसिंहपुर गोटेगांव

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डिजिटल भारत l विद्याभवन में मुनिश्री की विनयांजलि सभा होगी आज

नरसिंहपुर गोटेगांव विगत दिवस नगर गौरव समाधिस्थ निर्यापक श्रमण श्री 108 प्रशांतसागर महाराजजी का समाधि मरण दिनांक 13 फरवरी2023 को सिद्धक्षेत्र चंपापुर में हो गया है पूज्य निर्यापक श्रमण के श्रीचरणों में विनयांजलि अर्पित करने हेतु पूज्य आर्यिका 105 अनुनयमति माताजी ससंघ सानिध्य में आज 14 फरवरी 2023 मंगलवार को प्रातः8:30 विद्याभवन में विनयांजलि सभा का आयोजित की गई है अतःआप सभी धर्मानुरागी बंधुओं से निवेदन हैकि विनयांजलि सभा में सम्मिलित होकर पूज्य श्री चरणों में विनयांजलि अर्पित करने की अपील सकल जैन समाज गोटेगांव ने की है,
पूज्य मुनिश्री प्रशांतसागर महाराजजी का जीवन परिचय

विश्ववंदनीय संत शिरोमणि प्रातः स्मरणीय गुरुवर आचार्यश्री विद्यासागर महाराजजी के परम प्रभावक शिष्य समाधिस्थ मुनिश्री निर्यातक श्रमण 108 श्रीप्रशांतसागर महाराजजी का नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव की पावन धरा पर 3 जनवरी 1961 को  जन्म हुआ था बीकॉम प्रथम वर्ष तक शिक्षित थे गृहस्थ अवस्था में उनका नाम राजेशजैन था पिता देवचंदजैन और माता सुशीलाजैन के सात बच्चों में उनका क्रम चौथा था 18 फरवरी 1989 को ब्रह्मचर्य व्रत लिया था क्षुल्लकदीक्षा 16 मई 1991 को मुक्तागिरी में हुई थी ऐलकदीक्षा 25 जुलाई 1991 को मुक्तागिरी में हीं हुई थी मुनिदीक्षा 16 अक्टूबर 1997 शरद पूर्णिमा के दिन सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में हुई थी निर्यापक श्रमण मुनिश्री प्रशांतसागर और मुनिश्री निर्वेगसागर महाराजजी ससंघ सम्मेद शिखरजी सिद्धक्षेत्र की वंदना कर पंचतीर्थ वंदना करने के दौरान पावन तीर्थ सिद्धक्षेत्र चंपापुर में आपकी समाधि हो गई 
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देखते रह जाएंगए आप नरसिंगपुर के झोतेश्वर मंदिर के नज़ारे 1980 में हुई थी स्थापना

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डिजिटल भारत I 1980 में हुई थी मां राजराजेश्वरी की प्राण प्रतिष्ठा गोटेगांव के परमहंसी गंगा आश्रम में विराजमान त्रिपुर सुंदरी भगवती राजराजेश्वरी देवी की प्राणप्रतिष्ठा 1980 में श्रृंगेरी के तत्कालीन शंकराचार्य अभिनव तीर्थ महाराज ने की थी। ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती यहां पर तपस्या की है। भगवती राजराजेश्वरी शंकराचार्य की आराध्य देवी हैं।

दक्षिण के कलाकारों ने किया निर्माण

राजराजेश्वरी के मंदिर का निर्माण दक्षिण के कलाकारों द्वारा किया गया है। इसलिए इसमें दक्षिण भारत की कला भी दिखाई पड़ती है। मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है

बसंत पंचमी पर भरता है मेला

इस स्थल पर बसंत पंचमी के मौके पर सात दिवसीय मेला भरता है, जिसमें स्थानीय आदिवासियों के अलावा दूर-दूर से लोग मेले का आनंद लेने पहुंचते हैं। यहां आने वाले लोग एक ओर जहां पारंपरिक मेले का लुत्फ उठाते हैं, वहीं मां राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी, सिद्धेश्वर महादेव व स्फटिक शिवलिंग का दर्शन लाभ भी प्राप्त करते हैं।

नवरात्र पर होती है कलश स्थापना

नवरात्र पर बड़ी संख्या में कलश स्थापना होती है, जिसे देखने के लिए जिले के अलावा अन्य प्रदेशों से भी लोग पहुंचते हैं और मां से आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन धन्य करते हैं।

यहां पर मां राजराजेश्वरी का शृंगार खास है। मौसम के अनुरूप मां का शृंगार मनोहारी होता है। कभी फलों से, कभी सब्जियों से, कभी मेवों से तो कभी स्वर्ण आभूषणों से मां का भव्य शृंगार देखने लायक होता है। वहीं नवरात्र में अलग-अलग दिन अलग-अलग देवी रूपों में शृंगार किया जाता है।

रामनवमीं पर राम, जन्माष्टमी पर कृष्ण रूप में मां

रामनवमीं पर मां को भगवान राम, जन्माष्टमी पर कृष्ण और शिवरात्रि पर शिव रूप प्रदान किया जाता है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। आप झोतेश्वर मंदिर (Jhoteshwar Temple) के पास जितने भी मंदिर बने हुए हैं। उन सभी मंदिरों को अपनी गाड़ी से आराम से घूम सकते हैं। आप अपनी गाड़ी झोतेश्वर मंदिर (Jhoteshwar Temple) के नीचे ही खड़ी कर सकते हैं। यहां पर पार्किंग की जगह बनी हुई है और मंदिर में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। सीढ़ियां से आप मंदिर के ऊपर पहुंचते हैं, तो आपको झोतेश्वर मंदिर देखने के लिए मिलता है।

झोतेश्वर मंदिर (Jhoteshwar Temple) पर छत पर आपको कमल के फूलों की सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही सुंदर लगती है। मुख्य मंदिर में आपको राजराजेश्वरी माता के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर बहुत बड़ा झूमर भी लगा हुआ है, जो बहुत सुंदर लगता है। मंदिर का ऊपर का हिस्सा दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है, जो बहुत ही सुंदर लगता है।

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