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पुणे पोर्श कांड पर उठे सवाल, जानें क्या है पूरा मामला

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डिजिटल भारत l इन सबके बीच आरोपी का एक वीडियो सामने आया, वीडियो में आरोपी दोस्तों के साथ शराब पीता हुआ दिख रहा था। पुलिस की मानें तो आरोपी नाबालिग ने हादसे से पहले कई पबों में पार्टी की थी। हादसे से पहले उसने दो पब में जाकर मात्र 90 मिनट में 48,000 रुपए खर्च कर दिए थे।
पुणे सड़क हादसा इन दिनों चर्चाओं में है। यहां एक तेज रफ्तार लग्जरी कार ने एक बाइक को टक्कर मार दिया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। कार 17 साल का नाबालिग चला रहा था, जो पूरी तरह नशे में धुत था। कोर्ट ने उसे निबंध लिखने की सजा देकर रिहा कर दिया था। बाद में विवाद बढ़ा तो कोर्ट ने उसकी जमानत रद्द कर दी और उसे अवलोकन गृह भेज दिया। पुलिस ने आरोपी के पिता सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया।

मामले में महाराष्ट्र सरकार ने भी चिंता जाहिर की। वहीं, विपक्ष ने राज्य सरकार पर हमला बोला। विपक्ष ने आरोप लगाया कि स्थानीय एनसीपी विधायक सुनील टिंगरे ने इस मामले में पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। शिवसेना नेता ने सवाल किया कि एनसीपी के विधायक क्यों आधी रात को पुलिस स्टेशन गए थे।
क्या है मामला?
पुलिस के मुताबिक, शनिवार रात रियल एस्टेट एजेंट का नाबालिग बेटा दोस्तों के साथ पार्टी कर अपनी पोर्श कार से लौट रहा था। चश्मदीदों ने पुलिस को बताया कि उसकी पोर्श कार 200 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की स्पीड से चल रही थी। कार पर नंबर प्लेट भी नहीं थी। उस समय ही मध्यप्रदेश के रहने वाले दो इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा भी बाइक से लौट रहे थे। तेज रफ्तार कार ने अश्विनी की बाइक में जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर लगते ही अश्विनी हवा में करीब 20 फुट तक उछला और फिर जमीन पर गिर गया। उसका दोस्त अनीश भी कार पर गिरा। गंभीर चोट के कारण दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। अश्विनी और अनीश इंजीनियर थे और पुणे की एक कंपनी में नौकरी करते थे।
क्या कहता है मोटर व्‍हीकल एक्‍ट?
मौजूदा कानून के मुताब‍िक, सड़क हादसे में किसी की मौत हो जाती है, तो पुलिस जांचकर दो धाराओं के तहत केस दर्ज करती है। इसमें एक सेक्‍शन है 304 और दूसरा 304 ए। आरोपी पर कौन सी धारा के तहत केस दर्ज होगा यह जांच अध‍िकारी पर न‍िर्भर करता है। दोनों धाराओं की सजा में काफी अंतर है। धारा 304 में सिर्फ दो साल की ही सजा हो सकती है वहीं 304ए में 10 साल की सजा का प्रावधान है। हालांक‍ि केन्‍द्र सरकार के नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कानून में सड़क दुर्घटना कानून में बदलाव क‍िया गया है। इस नए कानून के तहत सड़क हादसे में क‍िसी की मौत हो जाती है और ड्राइवर मौके से फरार हो जाता है, तो उसे 10 साल की सजा हो सकती है। इतना ही नहीं आरोपी ड्राइवर पर 7 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इस नए कानून का विरोध हुआ था।

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अवैध शराब की तस्करी मे लिप्त 2 आरोपी गिरफ्तार, बरगी पुलिस की कार्यवाही

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दो कारों से आईसर मिनी ट्रक वाहन के आगे पीछे चलते हुए रेकी कर रहे फरार 04 आरोपियों की सरगर्मी से  तलाश

लखनादौन की ओर से जबलपुर आयशर वाहन मिनी ट्रक में अवैध रूप से धान की भूसी की बोरियों के नीचे छिपाकर परिवहन कर लायी जा रही 165 पेटी अंग्रेजी शराब कीमती 12 लाख 30 हजार रूपए की आयशर वाहन सहित जप्त, पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री सिद्धार्थ बहुगुणा (भा.पु.से.)* द्वारा जिले मे पदस्थ समस्त राजपत्रित अधिकारियों एवं थाना प्रभारियों को अवैध मादक पदार्थ/शराब  की तस्करी  मंे लिप्त  लोगों को चिन्हित करते हुये उनके विरूद्ध कार्यवाही हेतु आदेशित किया गया है। आदेश के परिपालन में अति. पुलिस अधीक्षक ग्रामीण श्री शिवेश सिह बघेल, उप पुलिस अधीक्षक/  प्रभारी नगर पुलिस अधीक्षक बरगी श्री अशोक तिवारी के मार्गदर्शन में थाना बरगी पुलिस के द्वारा 02 आरोपियों को आयशर वाहन में परिवहन कर ला रहे 12 लाख 30 हजार रूपए कीमती अवैध अंग्रेजी शराब के साथ रंगे हाथ पकड़ा गया है।

बरगी पुलिस को आज दिनांक 13.10.2021 को रात्रि लगभग 03.00 बजे विश्वसनीय मुखबीर से सूचना प्राप्त हुयी कि आयशर कंपनी के मिनी ट्रक नं. एमपी-19-जीए-4606 में लखनादौन की तरफ से काफी मात्रा में अवैध शराब लोड कर बिक्री हेतु लायी जा रही है। ट्रक के अंदर शराब की पेटियों को धान की भूंसी की बोरियों के नीचे छिपाकर रखा गया है। 02 फोर व्हीलर वाहन ट्रक के आगे-पीछे रास्ते में पुलिस की रैकी करते हुए चल रहे है। सूचना से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराते हुए ग्राम सुकरी तिराहा के पास नेशनल हाइवे रोड़ पर स्टॉपर लगाकर घेराबंदी की गयी। सुबह लगभग 04.00 बजे मुखबीर के बताये अनुसार नंबर का मिनी आयशर ट्रक एवं आगे-पीछे 02 सफेद रंग की कार आती हुयी दिखी। दोनों कारो एवं मिनी आयशर ट्रक को रोका गया तो दोनो कार के चालक कार को वापस मोड़कर तेजी से भाग गये। ट्रक चालक ने भी ट्रक को मोड़ने का प्रयास किया जिसे घेराबंदी कर रोका गया। ट्रक में चालक के अलावा एक व्यक्ति बैठा हुआ मिला नाम पता पूछने पर चालक ने अपना नाम अमित पोरिया पिता श्यामलाल पोरिया उम्र 27 वर्ष निवासी-चांदमारी पहाड़ी बड़ी पानी की टंकी के पास थाना घमापुर एवं ट्रक में बैठे व्यक्ति ने अपना नाम अश्वनी पटेल पिता संतोष पटेल उम्र 19 वर्ष निवासी ग्राम चौखड़ा चौकी गौर थाना बरेला का रहने वाला बताया। ट्रक की तलाशी लेने पर जूट की खाकी रंग की बोरिया जिसमें धान की भूंसी भरी हुयी थी, के नीचे शराब की पेटियां छिपाकर रखी हुयी दिखी। चैक करने पर 5 पेटी में ब्लैंडर प्राईड के 60 बॉटल, मैकडावल नंबर 1 रम की 07 पेटी में 84 बॉटल, मैकडावल नंबर. 1 रम की 12 पेटी में 90 एमएल के 1152 पाव, मैकडावल नं. 1 की 03 पेटी में 144 पाव, 3 कार्टून मे मैकडावल व्हिसकी के 36 बॉटल, 2 कार्टून में मैकडावल नं. 1 व्हिसकी के 96 पाव, 3 कार्टून में रॉयल स्टैग के 36 बॉटल, 4 कार्टून में बैगपाईपर व्हिस्की के 192 पाव, 2 कार्टून में बैगपाईपर 24 बॉटल, 5 कार्टून में बैगपाईपर व्हिसकी 90 एमएल के 480 पाव,, 119 पेटियो में गोवा व्हिस्की के 5950 पाव कीमती 12 लाख 30 हजार रूपए की रखी हुयी मिली। उक्त शराब के परिवहन के संबंध में पकड़े गये उपरोक्त दोनों आरोपियों के द्वारा कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नही किये गये दोनों को मय शराब के वाहन सहित थाना बरगी लाया गया एंवं कार में सवार भागने वालों के नाम पता पूछे गये तो दोनों ने भागने वालों के नाम छोटू माली निवासी-बरगी बायपास, मोन्टी शुक्ला निवासी-चांदमारी पहाड़ी थाना घमापुर, हर्षित यादव निवासी-चांदमारी तलैया थाना घमापुर, हर्षित पटेल निवासी-ग्राम चौखड़ा चौकी गौर थाना बरेला बताते हुए उक्त शराब फरार उपरोक्त चारों के द्वारा लखनादौन के आगे से लोड़ करवाना बताये। 34(2) आबकारी एक्ट के तहत कार्यवाही करते हुए फरार उपरोक्त चारों की सरगर्मी से तलाश जारी है। आरोपियों के उक्त शराब कहां से और कैसे प्राप्त की के संबंध में पतासाजी की जा रही है।

उल्लेखनीय भूमिका- अवैध रूप से आयशर मिनी ट्रक में परिवहन कर लायी जा रही 12  लाख 30 हजार रूपए कीमती अंग्रेजी शराब को रंगे हाथ पकड़ने में थाना प्रभारी बरगी श्री रितेश पाण्डे, सउनि. रवि सिंह परिहार, आरक्षक अनिल सनोडिया, इन्द्र कुमार विश्वास, बसंत मेहरा, अनुज बघेल की सराहनीय भूमिका रही।

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सुप्रीम कोर्ट- अदालत उस आरोपी का बचाव नहीं करेगी जो सहयोग नहीं कर रहा

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सुप्रीम कोर्ट ने कथित दंगा मामले में व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि अदालत उस आरोपी के बचाव में नहीं आएगी जो जांच एजेंसी के साथ सहयोग नहीं कर रहा है और फरार है. शीर्ष अदालत ने कहा कि मार्च 2017 में हुई घटना के संबंध में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 147 (दंगा के लिए सजा) सहित विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज मामले के संबंध में याचिकाकर्ता और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ नवंबर 2018 में आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता लगातार फरार है और उसके खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत फरार घोषित करने की कार्रवाई भी शुरू की जा चुकी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस साल जून में व्यक्ति की अग्रिम जमानत के अनुरोध वाली उसकी याचिका खारिज कर दी थी.

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने दिसंबर 2019 में निर्देश दिया था कि यदि याचिकाकर्ता 30 दिनों के भीतर अदालत के सामने पेश होता है और आत्मसमर्पण करता है जमानत के लिए आवेदन करता है, तो जमानत के लिए उसकी प्रार्थना पर विचार किया जाएगा और इस मामले में उसके खिलाफ 30 दिनों की अवधि के लिए कोई कठोर कदम नहीं उठाया जा सकता है.

अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट, जो आरोप पत्र को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर चुका था, उसके दिसंबर 2019 के आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता ने आत्मसमर्पण नहीं किया और नियमित जमानत के लिए आवेदन किया और उसके बाद उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किया गया.

पीठ ने अपने सात अक्टूबर के आदेश में कहा, ‘अदालत बचाव में नहीं आएगी या उस आरोपी की मदद नहीं करेगी जो जांच एजेंसी का सहयोग नहीं कर रहा है और फरार है और जिसके खिलाफ न केवल गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है बल्कि सीआरपीसी की धारा 82 के तहत फरार भी घोषित किया गया है.

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