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अफगानिस्तान, पाकिस्तान में भूकंप से करीब 11 लोगों की मौत, वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल

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डिजिटल भारत l पूरे उत्तर भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान में मंगलवार रात को तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए। पाकिस्तान में आए 6.5 तीव्रता के भूकंप के बाद पश्चिमोत्तर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात घाटी क्षेत्र में तबाही मची है। इलाके में कुछ घर गिर गए। पाकिस्तान में अब तक भूकंप से करीब 11 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 100 से ज्यादा लोग घायल हैं।
अफगानिस्तान के अलावा भूकंप के झटके पाकिस्तान और भारत में भी लगे। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भूकंप ने तबाही मचाई है। इन दोनों देशों में कई लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा घायल हो गए। हालांकि, भारत में जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है
अफगानिस्तान में था भूकंप का केंद्र
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने बताया कि अफगानिस्तान में भूकंप की तीव्रता 6.6 मापी गई। भूकंप का केंद्र फैजाबाद से 133 किमी दूर दक्षिण पूर्व में हिंदू कुश क्षेत्र में था। भूकंप का केंद्र 156 किमी गहराई में था। भूकंप के झटके अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, चीन और किर्गिस्तान में भी महसूस किए गए।
अफगानिस्तान के हिंदुकुश क्षेत्र (Hindukush) में मंगलवार (21 मार्च) रात 6.5 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप के झटके अफगानिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान और भारत तक महसूस किए गए. पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भूकंप की वजह से भारी नुकसान भी हुआ है. अफगानिस्तान में भूकंप से अब तक कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं पाकिस्तान में 2 औरतों समेत 11 लोग भूकंप की वजह से मार गए हैं. टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 160 लोग जख्मी भी हुए हैं
सतह से 187 किमी नीचे आया था भूकंप

यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, मंगलवार रात का भूकंप सतह से 187 किमी नीचे उत्पन्न हुआ था. हिंदुकुश क्षेत्र में आमतौर पर गहरे भूकंप आते हैं, जो 100 किमी या उससे कम की गहराई पर उत्पन्न होते हैं. अगर गहरे भूकंप पर्याप्त रूप से मजबूत हों तो बड़े भौगोलिक क्षेत्रों में महसूस किए जाते हैं.
भारत में भी भूकंप के झटके

हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, जम्मू कश्मीर में भी झटके महसूस किए गए. एक अधिकारी ने कहा कि भूकंप के ठीक बाद जम्मू क्षेत्र के कुछ हिस्सों में मोबाइल सेवा बाधित हो गई. एनसीएस के अनुसार, भूकंप का केंद्र अक्षांश पर 36.09 डिग्री उत्तर और देशांतर पर 71.35 डिग्री पूर्व में 156 किमी की गहराई में था. उत्तरकाशी और चमोली ​सहित उत्तराखंड के कई स्थानों पर भी झटके महसूस किए गए.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, “दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. उम्मीद है कि आप सभी सुरक्षित होंगे.” झटकों के बाद पूर्वी दिल्ली के शकरपुर में लोग घरों से बाहर निकल गए. कुछ लोगों ने दावा किया कि एक इमारत झुक गई,

पाकिस्तान में गिरी मकान की छत

‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने बताया कि भूकंप के समय, रावलपिंडी के एक बाजार में भगदड़ की सूचना मिली. खबर में कहा गया है कि खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के स्वाबी में एक मकान की छत गिरने से एक ही परिवार के कम से कम पांच सदस्य घायल हो गए.
भारत में भी लगे भूकंप के तेज झटके
दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में भी मंगलवार रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रात करीब 10:20 पर आए भूकंप से लोग दहशत में आ गए। दिल्ली-एनसीआर के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड में भी भूकंप के तेज झटके लगे

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अफगानिस्तान में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया , अफगानिस्तान के खोस्त शहर से करीब 44 किलोमीटर दूर था भूकंप का केंद्र

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डिजिटल भारत : बुधवार को अफगानिस्तान की धरती भूकंप के झटकों से हिल गई। यहां 6.1 तीव्रता का भूकंप आया। आपदा प्रबंधन अधिकारियों के मुताबिक, भूकंप के कारण देश में कम से कम 250 लोगों की मौत हुई है। मौत का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है इसके अलावा करीब 150 लोगों के घायल होने की सूचना है।भूकंप के झटके बाद लोग दहशत में आ गए और सड़कों पर निकल आए। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के खोस्त शहर से करीब 44 किलोमीटर दूर था और 51 किलोमीटर की गहराई में था।

ये भूकंप इतना तेज था कि पड़ोसी देश पाकिस्तान के लाहौर, मुल्तान, क्वेटा में भी लोगों को झटके महसूस हुए। इसके अलावा भारत में भी झटके महसूस किए जाने की खबर है

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तालिबानी हुकूमत आने के बाद से अफगानिस्तान से लगातार दर्दनाक खबरें सामने आ रही

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परिवार का पेट भरने के लिए पिता ने इससे पहले अपनी 12 साल की बेटी को भी बेच दिया था. खाने के लाले पड़ने के बाद अब उसे दूसरी बच्ची का भी सौदा करना पड़ा. 
हैंइस बीच एक अफ़गान पिता को अपने परिवार का पेट भरने और उन्हें जिंदा रखने के लिए अपनी 9 साल की बेटी को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. बच्ची को 55 साल के एक शख्स के हाथों बेचा गया.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल मलिक ने पिछले महीने अपनी 9 साल की बेटी परवाना मलिक  को 55 साल के शख्स के हाथों बेच अब्दुल के पास अपने परिवार को पालने के लिए पैसे नहीं बचे थे, जिसके चलते उसने अपनी बच्ची का सौदा किया. अब्दुल मलिक के परिवार में आठ लोग हैं और सभी राहत शिविर

रिपोर्ट के अनुसार, इस अफगान पिता को 55 वर्षीय शख्स को बाल वधू के रूप में बेचने के लिए मजबूर किया गया, ताकि वह अपने परिवार के लिए खाना खरीद सके. अब्दुल मलिक ने फूट-फूट कर रोते हुए कहा- ‘ये अब तुम्हारी (कोरबान) दुल्हन है, कृपया इसकी देखभाल करना, अब यह तुम्हारे जिम्मे है, इसे मत मारना

परवाना ने CNN को बताया, ‘मेरे पिता ने मुझे बेच दिया है क्योंकि हमारे पास रोटी, चावल या आटा नहीं है.  उन्होंने मुझे एक बूढ़े आदमी को बेच दिया है.’ वहीं उसके पिता अब्दुल ने कहा- ‘वह अपनी बेटी को बेचने के अपराधबोध से ‘टूट गया’ है और रात को सो नहीं पा रहा है

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जानिए कैसे हो सकती है आतंकवाद की काट, कश्मीर में बहुत जल्दी दिखने लगा तालिबान इफेक्ट

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डिजिटल भारत I अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही यह कयास लगने लगे थे कि इसका असर कश्मीर में भी देखने को मिलेगा, लेकिन यह कुछ जल्दी ही हो गया। जम्मू-कश्मीर में बीते करीब एक महीने से आतंकियों ने नागरिकों को टारगेट करना शुरू कर दिया है और यह 1990 के उन दिनों की याद दिलाता है, जब कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ था। उस दौर में अखबार में एक संदेश के जरिए अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों को इस्लाम कबूल करने या फिर निकल जाने की धमकी दी गई थी। इस बार ऐसा सोशल मीडिया के जरिए किया जा रहा है। आर्टिकल 370 हटने के बाद बदले हालातों में जम्मू-कश्मीर के सामाजिक एकीकरण की उम्मीद जो जगी थी, उसे भी इससे झटका लगा है।

तालिबान के अफगानिस्तान में आते ही मुंद्रा पोर्ट पर बड़े पैमाने पर ड्रग्स पकड़ा जाना और फिर कश्मीर में आतंक का दौर बढ़ना बताता है कि इसके कनेक्शन देश से बाहर ही हैं। लंबे समय से दक्षिण एशिया में आतंकवाद की फंडिंग का एक स्रोत ड्रग्स का कारोबार भी रहा है। अब पाकिस्तान ने तालिबान से आने के बाद इसे लेकर खुला खेल खेलना शुरू कर दिया है

भारत के लिए यह लड़ाई परसेप्शन के लेवल पर भी है। अल्पसंख्यकों और बाहरी लोगों को पलायन के लिए मजबूर कर आतंकी यह संदेश देना चाहते हैं कि आर्टिकल 370 हटाए जाने की वजह से ऐसा हो रहा है। ऐसे में इस अनुच्छेद के तमाम प्रावधानों को खत्म करने का मकसद ही समाप्त हो जाएगा। इसलिए यह जरूरी है कि सरकार अल्पसंख्यकों और बाहरी लोगों के पलायन को रोकने के लिए काम करे। इसकी बजाय कोशिश यह होनी चाहिए कि टूरिज्म सेक्टर और अन्य चीजों में निवेश कर बाहरी लोगों को आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

। खुफिया जानकारों के मुताबिक एक तरफ पाकिस्तान भी ड्रग्स के धंधे को बढ़ावा देने के काम में जुटा है। इसी कमाई से वह आतंकियों की फंडिग कर रहा है। कई युद्धों में हार चुके पाकिस्तान के लिए भारत से लड़ने के लिए छद्म युद्ध ही सहारा रहा है और उसने फिर वही काम शुरू कर दिया है।

भारत के नजरिए से देखा जाए तो उसके लिए बड़ी चुनौती यही है कि कैसे भी करके स्थानीय अल्पसंख्यकों और बाहरी लोगों में भरोसा जताया जाए कि वे सुरक्षित हैं। इसके लिए उन्हें कुछ चिह्नित इलाकों में बसाकर पर्याप्त सुरक्षा देना भी एक विकल्प हो सकता है। इसके अलावा स्थानीय बहुसंख्यक वर्ग के धार्मिक नेताओं को भरोसे में लाकर भी कोई पहल की जा सकती है ताकि बाहरी लोगों को यह लगे कि स्थानीय समाज उनके साथ है। आतंकी पाक प्रायोजित हैं और उनके अजेंडे के साथ स्थानीय लोग नहीं हैं, यह भले ही सच्चाई हो, लेकिन उसका संदेश देना भी बेहद जरूरी है।

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अफगानिस्तान पर पैनी नजर, ‘पाकिस्तान ने सीजफायर का किया उल्लंघन, घुसपैठ की कोशिश हुई तेज’

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डिजिटल भारत I भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवणे दो दिन के दौरे पर लद्दाख पहुंचे हुए हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर हालात नियंत्रण में है। भारत और चीन के बीच सीमा पर घटनाएं तब तक होती रहेंगी जब तक दोनों देशों के बीच सीमा समझौता नहीं हो जाता। चीन के साथ पिछले एक साल से बातचीत चल रही है और बातचीत के जरिए ही दोनों देशों के बीच जारी विवाद को सुलझाया जा सकता है।
सेना प्रमुख नरवणे ने कहा कि फरवरी से जून के आखिरी तक पाक सेना द्वारा कोई संघर्ष विराम उल्लंघन नहीं किया गया था, लेकिन हाल में घुसपैठ की कोशिशें तेज हुई हैं। पिछले 10 दिनों में दो बार फिर से सीजफायर का उल्लंघन किया जा चुका है। फरवरी से पहले वाली स्थिति फिर से बनती दिख रही है। हालांकि, भारतीय सेना हर चुनौती को जवाब देने के लिए तैयार है।
वज्र स्व-चालित तोप के प्रदर्शन पर सेना प्रमुख नरवणे ने बोलते हुए कहा कि फील्ड परीक्षण बेहद सफल रहा। ये बंदूकें ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी काम कर सकती हैं।नियंत्रण रेखा पर पहली K9-वज्र स्वचालित होवित्जर रेजिमेंट को तैनात किया गया है। -वज्र (तोप) करीब 50 किमी की दूरी पर दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने की क्षमता रखती है।

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