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त्रिपुरा में बीते महीने हुई सांप्रदायिक हिंसा पर सोशल मीडिया पोस्ट लिखने के बाद इन लोगों पर ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम  के तहत मामला दर्ज किया गया था.

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश दिया जिसमें जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं.

दो वकीलों मुकेश कुमार और अंसारुल हक़ अंसार और पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने याचिका दायर करके अपने ऊपर दर्ज एफ़आईआर को रद्द करने की मांग की थी.

इसके बाद त्रिपुरा पुलिस ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी करते हुए लोगों को पूछताछ के लिए हाज़िर होने के लिए बुलाया था.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका पर आदेश जारी करते हुए निर्देश दिए कि याचिकाकर्ताओं के ख़िलाफ़ कोई भी बलपूर्वक क़दम न उठाया जाए.

याचिका में वकील मुकेश और अंसार ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ इसलिए लगाया गया ताकि उनकी ‘फ़ैक्ट फ़ाइंडिग रिपोर्ट’ को ‘दबाया जाए.’

वहीं न्यूज़क्लिक के पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने कहा कि उन पर इसलिए लगाया गया क्योंकि उन्होंने सिर्फ़ इतना ट्वीट किया था कि ‘त्रिपुरा जल रहा है.’

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