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डिजिटल भारत l World Population बीते पांच दशकों में दुनिया में हुआ जनसंख्या विस्फोट हर किसी को चौंका रहा है। इसी से यह सवाल पैदा हुआ है कि धरती पर मनुष्यों की बढ़ती संख्या को बोझ या अभिशाप की तरह देखा जाए या वरदान माना जाए। जिन देशों में बढ़ती जनसंख्या को एक समस्या माना जाता है, भारत उनमें से एक है। यही कारण है कि वर्ष 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 अगस्त को लाल किले से राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने छोटे परिवार को देशभक्ति से जोड़ा था। भारत वर्तमान में एक युवा राष्ट्र है लेकिन इसकी वृद्ध आबादी की हिस्सेदारी बढ़ रही है और यह वर्ष 2050 तक 12% होने की उम्मीद है।
इसलिये वृद्ध लोगों के लिये एक सुदृढ़ सामाजिक, वित्तीय और स्वास्थ्य देखभाल सहायता प्रणाली के विकास में अग्रिम निवेश करना समय की मांग है।
कार्रवाई का मुख्य ध्यान मानव पूंजी में व्यापक निवेश, वृद्धों के लिये गरिमापूर्ण जीवन और स्वस्थ जनसंख्या आयु-वृद्धि पर होना चाहिये।
अनुमान यह भी है कि वर्ष 2050 के नजदीक पहुंच कर भारत-चीन की आबादी में स्थिरता और उकसे बाद कमी दर्ज की जा सकती है। हमारे जैसे युवा देशों की आबादी में गिरावट को दुनिया इस नजर से चिंताजनक मानती है कि इससे कामकाजी लोगों यानी वर्क फोर्स में कमी आ सकती है। शायद यही वजह है कि जिस आबादी को हम समस्या मान रहे हैं, उसे तमाम अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ एक मूल्यवान संसाधन या संपत्ति के रूप में दर्ज करते हैं। यही नहीं, एलन मस्क जैसे कारोबारी (जिन्हें अपने दफ्तर और फैक्ट्रियां चलाने के लिए श्रमिक चाहिए) कहते हैं कि बहुत से लोग इस भ्रम में हैं कि पृथ्वी पर बहुत ज्यादा आबादी है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि बिहार में जनसंख्या नियंत्रण में नहीं आएगी क्योंकि पुरुष जिम्मेदारी नहीं लेते हैं जबकि महिलाएं अशिक्षित हैं. उनकी इस टिप्पणी पर विपक्षी भाजपा ने उन्हें “अभद्र भाषा और राज्य की छवि खराब करने” के लिए फटकार लगाई. मुख्यमंत्री वैशाली में अपनी “समाधान यात्रा” के बीच एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे और यह उस दिन आया जब उनकी सरकार ने जाति आधारित जनगणना के पहले चरण की शुरुआत की.
नीतीश कुमार ने कहा, “महिलायें पढ़ लेंगी तभी प्रजनन दर घटेगी… अभी भी वही है. … महिला पढ़ी रहती है तो उनको सब चीज का ज्ञान हो जाता है कि भाई कैसे हमको बचना है. अगर महिलाएं बेहतर शिक्षित होतीं या जागरूक होतीं तो उन्हें पता होता कि गर्भवती होने से खुद को कैसे बचाना है. पुरुष विचार करने के लिए तैयार नहीं हैं” उनके इस बयान से राज्य में सियासी बवाल मच गया है, बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने कहा है कि उन्होंने बिहार की छवि खराब की है.
अपनी स्वतंत्रता के बाद से भारत ने अपनी जनसांख्यिकीय संरचना में भारी परिवर्तन है। यह जनसंख्या विस्फोट से गुज़रा है (जनगणना, 1951) और कुल प्रजनन दर में गिरावट भी देखी है।

साकारात्मक पक्ष की ओर देखें तो मृत्यु दर संबंधी विभिन्न संकेतकों में सुधार आया है, लेकिन जीवन स्तर में सुधार, कौशल एवं प्रशिक्षण प्रदान करने और रोज़गार सृजन के मामले में जनसांख्यिकीय लाभांश के दोहन में कुछ बाधाएँ भी मौजूद हैं।
भारत की बड़ी आबादी विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत के लिये एक लाभ की स्थिति हो सकती है। आवश्यकता इस बात की है कि जनसांख्यिकीय लाभांश की क्षमता का पूरा दोहन करने के लिये सही दिशा में कदम उठाए जाएँ।

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