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भारत-पाक सीजफायर के बाद शेयर बाजार में तेजी, 1990 से ऑपरेशन सिंदूर तक जानें Sensex का उतार-चढ़ाव
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षों और शांति प्रयासों का भारतीय शेयर बाजार, विशेषकर BSE Sensex, पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यहां हम 1990 से लेकर ऑपरेशन सिंदूर (2025) तक के प्रमुख घटनाक्रमों और उनके बाजार पर प्रभाव का विश्लेषण करेंगे।
• 1990: 25 जुलाई को Sensex पहली बार 1,000 अंक के पार पहुंचा।
• 1999 (कारगिल युद्ध): भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद, Sensex ने 3 महीने में 35% की वृद्धि दर्ज की, जो निवेशकों के लिए
अप्रत्याशित था।
• 2000-2002: डॉटकॉम बबल के फूटने से Sensex में गिरावट आई, जो 2002 में 2,834 अंक तक पहुंच गई।
• 2003-2008: आर्थिक सुधारों और वैश्विक निवेशों से Sensex में लगातार वृद्धि हुई, और 2008 में यह 20,000 अंक के पार पहुंचा।
• 2016 (सर्जिकल स्ट्राइक): सितंबर 2016 में LOC पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद, Sensex में 465 अंकों की गिरावट आई।
• 2021: Sensex ने 60,000 अंक का आंकड़ा पार किया।
• 2023: Sensex ने 70,000 अंक को छुआ।
• 2024: Sensex ने 80,000 अंक के ऐतिहासिक स्तर को पार किया।

पिछले सप्ताह शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। इसकी बड़ी वजह भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव था। लेकिन शनिवार को दोनों देशों के बीच सीजफायर पैक्ट के बाद सोमवार, 12 मई 2025 को निवेशक एक बार फिर बाजार में लौटे हैं और सेंसेक्स निफ्टी में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह पहला मौका नहीं था जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का असर शेयर बाजार पर देखा गया हो। इससे पहले 11 बार दोनों देशों के बीच संघर्ष की स्थिति में बाजार वोलेटाइल हुआ था। हालांकि, अधिक नुकसान नहीं देखा गया।

सीजफायर के बाद लौटे निवेशक: शेयर बाजार में लौटी रौनक
भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया सीजफायर समझौते के बाद निवेशकों का भरोसा फिर से लौटता दिखाई दे रहा है। इस राजनयिक कदम ने बाजार में सकारात्मक संकेत दिए, जिससे Sensex और Nifty में उल्लेखनीय तेजी देखी गई।

बाजार में तेजी की प्रमुख वजहें:
1. भूराजनीतिक तनाव में कमी – भारत-पाक सीजफायर से सीमा पर स्थिरता की उम्मीद बढ़ी।
2. विदेशी निवेशकों की वापसी – FII (Foreign Institutional Investors) ने फिर से भारतीय बाजार में खरीदारी शुरू की।
3. रक्षा और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में उछाल – शांति प्रयासों से सैन्य बजट का पुर्नसंयोजन और ढांचागत परियोजनाओं पर फोकस बढ़ने की संभावना।
• Sensex में 600 अंकों की छलांग
• Nifty 200 अंकों से ऊपर बंद हुआ
• रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ

निवेशकों की मनोदशा:
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सीजफायर जैसे राजनीतिक घटनाक्रम “sentiment drivers” की तरह काम करते हैं, और इससे लंबी अवधि में स्थिरता और ग्रोथ की उम्मीद बनती है।

भारत-पाक संघर्षों और बाजार पर प्रभाव
घटना तारीख़ बाजार पर प्रभाव
कारगिल युद्ध मई-जुलाई 1999 Sensex में 35% की वृद्धि
सर्जिकल स्ट्राइक (2016) 29 सितंबर 2016 Sensex में 465 अंकों की गिरावट

भारत-पाक तनाव के बावजूद FII कर रहे निवेश
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारतीय शेयर बाजार में निवेश जारी रखे हुए हैं। हालिया आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में FII ने भारतीय शेयरों में ₹450.55 अरब (लगभग $5.3 बिलियन) का निवेश किया, जो कि 15 सत्रों में एक महत्वपूर्ण प्रवाह है ।

निवेश प्रवृत्तियाँ और क्षेत्रीय रुझान
• वित्तीय क्षेत्र में FII का निवेश ₹184.09 अरब (लगभग $2.18 बिलियन) रहा, जिससे Nifty Financial Services इंडेक्स में 4.1% की वृद्धि हुई ।
• उद्योग, स्वास्थ्य देखभाल और दूरसंचार क्षेत्रों में भी विदेशी निवेशकों ने रुचि दिखाई है, जबकि सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षेत्र में $1.8 बिलियन की निकासी देखी गई है, जो अमेरिकी आर्थिक विकास और नीति अनिश्चितताओं के कारण है ।

निवेशकों का दृष्टिकोण
विश्लेषकों का मानना है कि भारत की मजबूत घरेलू खपत, $4 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था और आगामी व्यापार समझौतों जैसे कारक विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में अस्थिरता बनी हुई है, फिर भी दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारत में निवेश की अपील बनी हुई है ।

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