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जबलपुर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने धर्मांतरण को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि धर्मांतरण के मामलों में पुलिस अपने मन से कार्रवाई नहीं कर सकती, यदि पीड़ित या उसके परिजन शिकायत ना करें। इसके अलावा अदालत के निर्देश पर भी पुलिस कार्रवाई कर सकती है। एमपी हाई कोर्ट ने धर्मांतरण के आरोपी आर्कबिशप और नन को अग्रिम जमानत देते हुए शुक्रवार को यह फैसला सुनाया।

पुलिस ने जबलपुर के आर्कबिशप जेराल्ड अलमेडा और नन सिस्टर लिजी जोसेफ के खिलाफ धर्मांतरण का मामला दर्ज किया था। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की शिकायत पर पुलिस ने दोनों के खिलाफ कार्रवाई की थी।सिस्टर लिजी जोसेफ कटनी में आशा किरण होम्स से जुड़ी हैं। कानूनगो ने आशा किरण होम्स का निरीक्षण किया था। उन्होंने दोनों पर नाबालिग बच्चों के धर्मांतरण का आरोप लगाया था। इसके बाद दोनों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया था। हालांकि, पीड़ित बच्चों या उनके परिजनों ने इस बारे में कोई शिकायत नहीं की थी।

आर्कबिशप और नन ने इसके खिलाफ कोर्ट में अपील की थी और अग्रिम जमानत की मांग की थी। इसी मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।

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