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डिजिटल भारत l पाकिस्तान इन दिनों हर तरफ से संकट से घिरा हुआ है. जहां एक ओर आर्थिक हालात तेजी से बिगड़ते ही जा रहे हैं तो वहीं पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) को लेकर भी दुनिया भर में उसे फजीहत का सामना करना पड़ रहा है. हालात इस हद तक खराब हैं कि आम जनता के भूखे मरने की नौबत आ रही है. ऐसे में अब पाकिस्तान की सरकार ने एक और फरमान जारी किया है. इसके मुताबिक अब पाकिस्तानी सेना खेती करेगी. पाकिस्तान में करीब 100 अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार करने वाली पाकिस्तानी सेना अब खेती करने जा रही है.

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की केयर टेकर सरकार ने राज्य के तीन जिलों भक्कर, खुशाब और साहिवाल में 45,267 एकड़ जमीन को सेना को सौंप दिया है. पाकिस्तान की सेना इस जमीन पर कॉरपोरेट एग्रीकल्चर फार्मिंग करने जा रही है. पाकिस्तानी मीडिया की मानें तो इसके लिए सेना के जमीन निदेशालय ने पंजाब प्रांत के मुख्य सचिव समेत कई पदाधिकारियों को इस संबंध में पत्र भी लिखा है. इसके लिए सेना ने कुल 45,267 एकड़ जमीन राज्य से मांगी थी
साल 1947 में विभाजन के बाद अस्तित्व में आए पाकिस्तान में यूं तो कभी ‘स्वर्णिम काल’ नहीं रहा, लेकिन वर्तमान में उसके सबसे बुरे दिन चल रहे हैं। लोगों के पास न रोजगार है और न ही खाने को रोटी। ऐसी परिस्थितियों में भी पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकताएं आईने की तरह साफ हैं। देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के हालिया बयानों से तो ऐसा ही लगता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पैकेज हासिल करने और एक आम आदमी की मुश्किलें कम करने पर ध्यान लगाने के बजाय पाकिस्तान सरकार का ध्यान देश के परमाणु कार्यक्रम पर है। वित्त मंत्री इशाक डार ने गुरुवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि उनकी सरकार देश के परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम पर कोई समझौता नहीं करेगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कंगाली में भी पाकिस्तानी हुकूमत का ध्यान परमाणु बमों पर क्यों है?

सबसे पहले जानते हैं कि वित्त मंत्री इशाक डार ने क्या कहा। गुरुवार को सीनेट में एक सवाल के जवाब में डार बोले, ‘मैं पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन में विश्वास करता हूं। मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि कोई भी पाकिस्तान के परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम पर समझौता करने नहीं जा रहा है, बिल्कुल नहीं।’ उन्होंने कहा कि किसी को भी पाकिस्तान को यह हुक्म देने का हक नहीं है कि ‘पाकिस्तान कितनी रेंज की मिसाइलें और कौन से परमाणु हथियार रख सकता है।’ डार बोले कि हम पाकिस्तान के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमें अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी है।

क्या बोले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री?
इसके कुछ देर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का भी इस मामले पर बयान आ गया। अपने बयान में शहबाज ने कहा, ‘पाकिस्तान का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम एक राष्ट्रीय संपत्ति है जिसकी रक्षा सरकार करती है। पूरा कार्यक्रम सुरक्षित है और किसी भी तरह के दबाव में नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘जिस उद्देश्य के लिए यह ताकत विकसित की गई थी, यह पूरी तरह से उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जारी है।’ शहबाज ने एक ट्वीट में कहा कि पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम के बारे में भ्रामक अटकलें दुर्भाग्यपूर्ण हैं।

पाकिस्तान में क्या हालात है?
पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की कीमत गरीब अवाम भूखे रहकर चुका रही है। देश की मुद्रा अपने सबसे निचले स्तर पर है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें 300 रुपए प्रति लीटर के आंकड़े को छूने वाली हैं। अस्पतालों से मरीजों को बिना इलाज की लौटना पड़ रहा है क्योंकि जरूरी दवाइयों और मेडिकल सप्लाई खत्म हो चुकी है। बाजार में अनाज, सब्जी और फल आम आदमी के लिए सपना बनते जा रहे हैं। हालात कितने खराब हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान चीन और सऊदी अरब से 2 बिलियन डॉलर और संयुक्त अरब अमीरात से 1 बिलियन डॉलर लेने की कोशिशों में जुटा है. इसको लेकर लगातार बैठकों का दौर चल रहा है.

सूत्रों के मुताब‍िक बताया जा रहा है क‍ि चीन आने वाले कुछ दिनों में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान में 80 अरब डॉलर जमा करेगा. यह सब कदम पाक‍िस्‍तान को आईएमएफ के साथ हुए समझौते में देरी होने के चलते करना पड़ रहा है. कड़े फैसले लेने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय ऋणदाता इस्लामाबाद ,वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान चीन और सऊदी अरब से 2 बिलियन डॉलर और संयुक्त अरब अमीरात से 1 बिलियन डॉलर लेने की कोशिशों में जुटा है. इसको लेकर लगातार बैठकों का दौर चल रहा है.

सूत्रों के मुताब‍िक बताया जा रहा है क‍ि चीन आने वाले कुछ दिनों में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान में 80 अरब डॉलर जमा करेगा. यह सब कदम पाक‍िस्‍तान को आईएमएफ के साथ हुए समझौते में देरी होने के चलते करना पड़ रहा है. कड़े फैसले लेने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय ऋणदाता इस्लामाबाद (Pakistan International lender) के साथ कर्मचारी स्तर के समझौते में देरी हो रही है. के साथ कर्मचारी स्तर के समझौते में देरी हो रही है.

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