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डिजिटल भारत l जबलपुर शहर व देश विदेश से कई कलाकार इस पांच दिवशीय कार्यकर्म में अपनी प्रस्तुति देने पहुंचे सभी कार्यक्रम भेड़ाघाट स्थित नगर परिषद हैलीपेड स्टेडियम में आयोजित किए जाएंगे। इस प्रकार के कार्यकम पहले भी हुए है पर ये पहली बार है, जब भेड़ाघाट जबलपुर में ये कार्यकम होने जा रहा है इस पांच दिनी आयोजन के प्रथम दो दिवसों में ध्यान के विविध प्रयोग होंगे, जिनमें विशेषज्ञों द्वारा प्रवचन भी दिए जाएंगे। 11 दिसंबर को ओशो के जन्मदिवस को उनके भक्तों द्वारा भव्यता के साथ मनाया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध बांसुरी वादक पद्मश्री व पद्मभूषण पंडित हरि प्रसाद चौरसिया द्वारा बांसुरी वादन किया जाएगा। इसी क्रम में 11 दिसंबर को ही इंडियन आइडल फेम गिरीश विश्वा अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। लाइव बैंड की शानदार प्रस्तुतियां होंगी। सारेगामा फेम अनन्या चक्रवर्ती भी अपनी प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लेंगी।

इसकी पहचान प्रदेश में नंबर वन सांस्कृतिक-आध्यात्मिक महोत्सव के रूप में हो, इसके प्रयास हो रहे हैं।

चूंकि जबलपुर में भी खजुराहो की तरह ही विश्वविख्यात भेड़ाघाट-धुआंधार पर्यटन क्षेत्र मौजूद है, इस कारण इस संयोजना को बल भी मिला है। यहां 19 साल रहने के बाद आध्यात्मिक गुरु ओशो ने पूरी दुनिया में जबलपुर और भारत का नाम रोशन किया है, इस कारण उनके जन्मोत्सव पर ओशो महोत्सव किया जा रहा है।

कई देशों से आएंगे लोग
ओशो होम और ओशो परम मेडीटेशन इंटरनेशनल के तत्वावधान में आयोजित हो रहे इस महोत्सव में कई देशों के गुणीजनों भेड़ाघाट में संगम होगा। भारत, जर्मनी, फिलीपींस, कैनेडा, नेपाल, इंग्लैंड, टर्की सहित कई देशों की हस्तियां शिरकत करेंगी।

शिक्षक, दार्शनिक एवं विचारक के रूप में देश दुनिया में विख्यात आचार्य रजनीश की यादें आज भी जबलपुर शहर में जीवित हैं। किताबें ओशो की बेहतरीन मित्र थीं। लायब्रेरी में घंटो बैठकर किताबें पढते थे। आज भी लायब्रेरी का यह कक्ष ओशो की अनुभूति कराता है। यहां बात हो रही है शासकीय ऑटोनॉमस कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय की। कॉलेज की लायब्रेरी में ओशो की यादों को सहेजकर रखा गया है। छात्र यहां आकर ओशो के नजदीक होने का अनुभव करते हैं। संस्कारधानी ओशो की कर्मस्थली और तपोस्थली के रूप में भी जानी जाती है।

ओशो को सबसे प्रिय था जबलपुर
ओशो को अपने बचपन के शहर जबलपुर से अतिशय प्रेम था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका पहुंचकर विश्व प्रसिद्ध होने के बाद भी वह जबलपुर को कभी नहीं भूले, इस शहर को सर्वाधिक प्रेम करते रहे. उनके एक अनुयायी ने जब ओशो से धरती पर पसंदीदा जगह के बारे में सवाल किया तो उनका जवाब जबलपुर था. उन्होंने कहा था, ”जबलपुर मेरा पर्वत स्थल है, जहां मैं सर्वाधिक आनंदित हुआ

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