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डिजिटल भारत I हवा में प्रदूषण के स्तर को मांपने वाली एयर क्वालिटी मानीटरिंग स्टेशन लगभग एक साल से बंद है। ये मशीन का संचालन करने वाला कर्मी भी नहीं है जिसके कारण ये मशीन पूरी तरह से अनुपयोगी बनी हुई है। साइंस कालेज में फिलहाल मशीन बंद पड़ी हुई है।

कालेज प्रबंधन का कहना है कि मशीन का संचालन करने के लिए जिस एजेंसी से सहयोग मिल रहा था वह बंद हो गया है। दरअसल वर्ष 2007-08 में एक करोड़ रुपये की लागत से इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रापिकल मेट्योलाजी पुणे द्वारा यह मशीन स्थापित की गई थी।

मशीन का संचालन करने के लिए आपरेटर भी दिया गया था। कंपनी इसका रखरखाव भी करवाती थी। जिसके लिए राशि दी जाती थी। पर्यावरण विभाग में यह मशीन स्थापित की गई। जहां से आसपास के पांच किलोमीटर के दायरे की हवा का स्तर जांचा जाता था।

विभाग के प्रमुख डा.आर के श्रीवास्तव ने बताया कि देश के अलग-अलग इलाकों में यह मशीन लगाई गई थी जिससे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय हवा के स्तर को जांचकर रियल टाइम डेटा जुटाता था।

दिसंबर 2021 में संस्थान के साथ हुआ अनुबंध खत्म हो गया था। जिस वजह से मशीन का संचालन करने वाले आपरेटर का वेतन भी नहीं मिल पा रहा था ऐसे में वह वापस चला गया है। अब यदि फिर से अनुबंध को बढ़ाया जाएगा तो मशीन का संचालन दोबारा किया जा सकता है।प्रदूषण जांच में मददगार-पर्यावरण के लिहाज से एयर क्वालिटी मानीटरिंग स्टेशन सिविल लाइन क्षेत्र में उपयोगी था। इस क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति को मापने के लिए फिलहाल कहीं भी कोई व्यवस्था नहीं है। साइंस कालेज में लगी मशीन से सिविल लाइन से लगे पांच किलोमीटर के दायरे की हवा का स्तर जांचा जा सकता था।

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