मप्र एटीएस ने जबलपुर में घेराबंदी के बाद नक्सली को पत्नी के साथ दबोच लिया है। आरोपी को मध्य प्रदेश में नक्सली संगठन मजबूत करने का दायित्व सौंपा गया था। गिरफ्तार नक्सली का मुख्य कार्यक्षेत्र तेलंगाना और छत्तीसगढ़ रहा है।
प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने तेलंगाना निवासी 82 लाख रुपये के इनामी नक्सलवादी को पत्नी के साथ जबलपुर से गिरफ्तार किया है। एटीएस ने आरोपी के पास से एक देशी पिस्टल, कारतूस व तीन लाख रुपये नकद बरामद किए हैं।गिरफ्तार नक्सली का मुख्य कार्यक्षेत्र तेलंगाना और छत्तीसगढ़ रहा है। आरोपी को मध्य प्रदेश में नक्सली संगठन मजबूत करने का दायित्व सौंपा गया था। एटीएस दोनों को गिरफ्तार कर भोपाल ले गयी है।
हार्डकोर नक्सली के बीते कई दिनों से मंडला के मोतीनाला के पास होने की सूचना मुखबिर से पुलिस को मिली थी। वह मध्य प्रदेश में नक्सलवाद की जड़ें जमाने के लिए आया था। उक्त नक्सली के खिलाफ तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में मिलाकर उस पर 82 लाख का इनाम था। नक्सली अशोक रेड्डी उर्फ बलवेद 63 वर्ष का है। उसके खिलाफ हत्या, लूट, अपहरण, आगजनी, विस्फोट जैसी गंभीर धाराओं में 60 से अधिक मामले अलग-अलग राज्यों में दर्ज हैं। एटीएस ने उसकी पत्नी को भी गिरफ्तार किया है। उसकी पत्नी बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के लिए पर्चे छपवाने, माओवादी साहित्य प्रकाशित कराने, पंपलेट बनवाने, प्रेस विज्ञप्ति और बैनर-पोस्टर बनाने का कार्य करती है।
अशोक दण्डकारण्य जोनल कमेटी का सदस्य है
एटीएस के अनुसार नक्सली अशोक रेड्डी की पत्नी भी नक्सली गतिविधियों में संलिप्त है। वह प्रेस से सबंधित कार्य करती है। अशोक रेड्डी की पत्नी रैती उर्फ कुमार पोटाई छत्तीसगढ़ के नारायणपुर की रहने वाली है। अशोक रेड्डी प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य है। उसकी पत्नी रैमती माओवादी साहित्य, पर्चे, पम्पलेट, प्रेस विज्ञप्ति, बैनर, पोस्टर आदि को छपवाने का काम संभालती है।
तीन लाख नकद, पिस्टल व नक्सली साहित्य बरामद
एटीएस ने दोनों नक्सलियों के पास से एक पिस्टल, कारतूस, तीन लाख रुपये से अधिक नकदी। नक्सली साहित्य बरामद किया गया है। बताया जाता है कि रेड्डी मध्यप्रदेश में नक्सल कैडर और नेटवर्क को मजबूत करने के लिए आया था।
बारिश के बढ़ जाती हैं गतिविधियां
पुलिस सूत्रों की मानें तो बारिश के मौसम में नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं। बारिश की वजह से पहाड़ी नदियां, नाले बहुत जल्द दफान पर आ जाते हैं। छोटे-छोटे जंगली झाड़ों के उगने, ऊंची-ऊंची घास होने से पुलिस के गश्ती दल को बहुत दूरी तक दिखाई नहीं देता। कई बार पुलिस भी बाहर के मौसम में घने जंगलनों में जाने से हिचकती है।
ऐसे में बरसात में प्रति वर्ष नक्सली गतिविधियां बढ़ जाती हैं। नक्सली बारिश में ही अपने कार्यक्षेत्र को बढ़ाने, उसके लिए कई राज्यों के नक्सली एकत्रित होकर बैठकें करने, युवाओं को नक्सलवादी बनाने के लिए सक्रिय रहते हैं।