डिजिटल भारत l राष्ट्रीय शिक्षा नीति अंतर्गत मध्य प्रदेश में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में स्नातक प्रथम वर्ष के 4 लाख 15
हजार 136 विद्यार्थी ने परपंरागत विषयों के साथ अपनी पसंद के व्यावसायिक पाठ्यक्रम की भी शिक्षा प्राप्त की
है। यह पाठयक्रम उन्हें रोजगार एवं स्व-रोजगार के नए अवसर प्राप्त करने में सहयोगी होगा। यही नहीं इसके
अध्ययन से उन्हें अपने कॅरियर की दिशा निर्धारित करने में भी सहायता मिलेगी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही
में एमएसएमई विभाग के साथ एमओयू किया गया था। भविष्य में विद्यार्थियों को रोजगार के सुगम अवसर प्रदान
करने के उद्देश्य से पर्यटन और खनिज विभाग के साथ भी अनुबंध किया जायेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में
स्नातक प्रथम वर्ष में 25 व्यावसायिक पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है। इसमें सभी विद्यार्थियों को निर्धारित
विषयों में से किसी एक विषय में एक साल का डिप्लोमा पूर्ण करना होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यावसायिक विषय के पाठयक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी उच्च शिक्षा विभाग के
उन विषय विशेषज्ञों को दी गई थी, जिनके मूल विषय में इन पाठ्यक्रमों की आधारभूत विषय-वस्तु आती है।शासन
के निर्देशानुसार महाविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को इन विषयों का अध्ययन कराने वाले शिक्षकों को
विभाग द्वारा इसके लिए नरोन्हा प्रशासन अकादमी में वरिष्ठ एवं अनुभवी विषय-विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान
किया गया है। इसके लिए 5 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण सत्र 28 फरवरी से एक अप्रैल तक किया गया, जिसमें कुल
2100 शिक्षक ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इन शिक्षकों द्वारा संबंधित विषयों के विद्यार्थियों को अध्ययन कराया गया
है। निर्यात-आयात प्रबंधन, जीएसटी के साथ ई–एकाउंटिंग और कराधान, वित्त सेवाएँ और बीमा, खुदरा प्रबंधन,
डिजिटल मार्केटिंग, ब्रिकी कौशल, एकाउंटिंग और टैली कोर्स, जैविक खेती, बागवानी, वर्मी कम्पोस्टिंग, डेयरी
प्रबंधन, चिकित्सा निदान, डेस्कटॉप प्रकाशन (डीटीपी), सौंदर्य और स्वास्थ्य कल्याण, औषधीय पौधे, पोषण और
आहार, वेब डिजाइनिंग, इलेक्ट्रिकल टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रानिक टेक्नोलॉजी, सुरक्षा सेवाएँ, हस्तशिल्प, खाद्य संरक्षण
और प्र-संस्करण, व्यक्तित्व विकास, पर्यटन-परिवहन और यात्रा सेवाएँ, कार्यालय प्रक्रिया और व्यवहार।
खराब तथा जले ट्रांसफार्मर सुधार कर कंपनी की निष्ठा परीक्षण प्रयोगशाला में
परीक्षण किया जाता है।
परीक्षण में जो ट्रांसफार्मर खरे नहीं उतरते, उन्हें विद्युत वितरण प्रणाली में उपयोग नहीं
किया जाता है। कंपनी का मानना है कि इससे एक ओर जहाँ ट्रांसफार्मर की असफलता की दर में कमी आयेगी,
वहीं दूसरी ओर कंपनी को राजस्व नुकसान से बचाया जा सकेगा। साथ ही उपभोक्ताओं को निर्बाध एवं गुणवत्तापूर्ण
विद्युत आपूर्ति मिलेगी क्योंकि वितरण ट्रांसफार्मर लम्बे समय तक खराब नहीं होंगे। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण
कंपनी के प्रबंध संचालक श्री गणेश शंकर मिश्रा ने बताया कि कंपनी कार्यक्षेत्र में निष्ठा टेस्टिंग लेब एनएबीएल
मान्यता प्राप्त है। निष्ठा टेस्टिंग लेब में विद्युत सामग्री जैसे ट्रांसफार्मर, कंडक्टर, केबिल की गुणवत्ता आदि की
जाँच का कार्य किया जा रहा है। जाँच के बाद ही विद्युत प्रणाली में सामग्री उपयोग के लिये भेजी जा रही है।
कंपनी की निष्ठा टेस्टिंग लेब द्वारा कुल 8 हजार 133 वितरण ट्रांसफार्मर का परीक्षण किया गया है।
विभिन्न कंपनियों द्वारा सुधारे जाने के बाद प्रयोगशाला में टेस्टिंग की गई है।
ग्वालियर और गुना में प्रयोगशालाएँ निर्माणाधीन हैं, जिनमें जल्द ही वितरण ट्रांसफार्मर, केबिल, कंडक्टर आदि का
मानकों के अनुरूप परीक्षण किया जाएगा। रबी सीजन में कृषि उपभोक्ताओं को घोषित अवधि में 10 घंटे निर्बाध
एवं गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने में वितरण ट्रांसफार्मरों की अहम भूमिका होती है।